मोदी जी का प्रशंसक पर गाँधी जी के सिद्धान्तों का पक्षधर हूँ गाँधी जी के सामने मोदी जी कहीं नहीं ठहरते?
गांधी जी का नाम चरखा से जुड़ा है वह स्वदेशी, खादी के पर्याय हैं. श्री नरेंद्र मोदी की अनेक बायोग्राफी मेरे पास हैं पर कहीं भी चरखे या खादी का विशेष जिक्र नहीं है पर प्रधानमंत्री बनते ही उन्होंने खादी भण्डार के पोस्टर से गांधी जी को चलता किया और अपनी तस्वीर स्वीकार की. मैं उनसे और उनके पूछता हूँ कि क्या गारंटी है कि उनकी यह तस्वीर सदा यहाँ रहेगी?
वह
अपने को अक्सर केवल बी जे पी का ही प्रधानमंत्री मानते हैं ऐसा मैंने
लोगों को कहते सुना है. मेरे बहुत अच्छे मित्र बी जे पी से सम्बन्ध रखते
हैं और जो बहुत अच्छे इंसान हैं.
आदमी जो सुनता है वह अक्सर वह
एक पक्ष भी हो सकता है. ऐसा कभी नहीं होता कि एक नेता हमेशा चर्चित रहता है
जो ऊंचाई पर चढ़ेगा वह नीचे भी उतरेगा यह प्रकृति का नियम है. दुनिया में
बहुत से लोग हैं जिन्हें मोदी जी के कुछ कार्य और मोदी जी के कुछ कार्य
पसंद हैं. पर सवाल यह है कि व्यक्ति को कुछ ऐसा नहीं बोलना चाहिये जिससे
बाद में प्रतिष्ठा गिरे। जबान से शब्द निकलने के बाद अपने नहीं रहते वे
सार्वजनिक हो जाते हैं.
इन्दिरा जी के शासन काल सन 1983 में कंप्यूटर में तेजी आयी
मोदी
जी ने पार्टी बैठक में कुछ इस तरह कहा कि इंदिरा जी के शासन काल
में स्वाइप मशीन आदि लग जाती नोट बंदी होती तो उन्हें आसानी हो जाती।
आपकी
जानकारी के लिए बता दूँ मैं भारत की आई टी मिनिस्ट्री में दो बार गया हूँ.
वहां से ज्ञात हुआ कि सन 1983 से यह मिनिस्ट्री पूरे देशवासियों को हिंदी
और अन्य भारतीय भाषाओँ के प्रोग्राम (साफ्ट वेयर) मुफ्त उपलब्ध कराती थी.
जिससे सभी इच्छुक और बड़ी छोटी इंडस्ट्री को साफ्टवेयर मुफ्त मिला जबकि
विदेशी कंपनियां इस तरह के साफ्टवेयर बेचती थीं. इंदिरा जी की ह्त्या सन
1984 में हो गयी थी.
इंदिरा गांधी जी एक शिष्ट नेता थीं
इंदिरा
जी के भाषणों को उठाकर देखें तो आप पाएंगे कि उनके भाषण नपे तुले होते थे.
मुझे इंदिरा गांधी जी से तीन बार मिलने का मौक़ा मिला था. मोदी जी से
प्रवासी भारतीय दिवस पर एक बार हाथ मिलाया है.
इन्दिरा और मोदी के दो वर्ष के भाषणों पर तुलनात्मक एम फिल हो
इंदिरा
जी के दो सालों के भाषणों और मोदी जी के दो सालों के सार्वजनिक मंचों/आम
सभा/पार्टी बैठक का संग्रह एक साथ तुलना के साथ छपाया जाये तो अच्छा होगा।
इन्दिरा जी ने इमरजेंसी लगाई जिसमें बहुत से फायदे हुए और बहुत ज्यादा
नुक्सान भी हुये। राजनीति शास्त्र के विद्यार्थी इस पर एम फिल भी कर सकते
हैं.
तानाशाही के कारण चुनाव हारने के बाद इंदिरा जी जयप्रकाश
नारायण से मिलने गयीं और छमा माँगी थी. और वह दोबारा सत्ता में आयीं।
राजनीति शास्त्र के विद्यार्थी इस पर एम फिल भी कर सकते हैं.
मोदी जी का समर्थक और प्रशंसक
मैं मोदी जी का समर्थक और प्रशंसक हूँ, प्रधानमंत्री सभी का होता है यह वह भूल जाते हैं.
वह
अपने को अक्सर केवल बी जे पी का ही प्रधानमंत्री मानते हैं ऐसा मैंने
लोगों को कहते सुना है. आदमी जो सुनता है वह अक्सर वह एक पक्ष भी हो सकता
है. ऐसा कभी नहीं होता कि एक नेता हमेशा चर्चित रहता है जो ऊंचाई पर चढ़ेगा
वह नीचे भी उतरेगा यह प्रकृति का नियम है.
जिस
महान नेता इंदिरा गाँधी जी को अटल जी ने देवी और रणचण्डी कहकर सम्मानित
किया उन्हें प्रधानमंत्री मोदी जी पार्टी बैठक में भ्रमात्मक बयान दे रहे
हैं. एक प्रधानमंत्री को दूसरे प्रधानमंत्री की इज्जत करनी चाहिये। इंदिरा
जी विदेशों में प्रेस कांफ्रेंस में नहीं बोलती थीं और मोदी जी ज्यादातर
बोलते हैं. इंदिरा जी के समय 1983 में सरकार ने निशुल्क कंप्यूटर प्रोग्राम
उपलब्ध न कराये होते तो पे टी एम, ए टी एम हमारे आप तक आज नहीं पहुँच
पाते। उनकी मृत्यु के समय से पहले ही उसका उत्पादन शुरू हुआ था और
निशुल्क प्रचार बढ़ा था. बाद में राजीव जी ने कार्यभार संभाल कर सुपर
कंप्यूटर आदि बनवाये। जिससे वह मिस्टर कंप्यूटर कहलाये।
जिस
महान नेता इंदिरा गाँधी जी को अटल जी ने देवी और रणचण्डी कहकर सम्मानित
किया उन्हें प्रधानमंत्री मोदी जी पार्टी बैठक में भ्रमात्मक बयां दे रहे
हैं. एक प्रधानमंत्री को दूसरे प्रधानमंत्री की इज्जत करनी चाहिये। इंदिरा
जी विदेशों में प्रेस कांफ्रेंस में नहीं बोलती थीं और मोदी जी ज्यादातर
बोलते हैं. इंदिरा जी के समय 1983 में सरकार ने निशुल्क कंप्यूटर प्रोग्राम
उपलब्ध न कराये होते तो पे टी एम, ए टी एम हमारे आप तक आज नहीं पहुँच
पाते। उनकी मृत्यु के समय से पहले ही उसका उत्पादन शुरू हुआ था और
निशुल्क प्रचार बढ़ा था. मोदी जी विवादित लेखक किसिंगर को भी पढ़ें। इंदिरा
जी के समय में देश के अंदर राष्ट्रीय कोष में सबसे अधिक सोना, सरकारी
कर्मचारियों के बचत खाते में धन जमा कराया गया था तब नार्वेजीय 0,75
क्रोन में एक रुपया मिलता था अब इसमें दस गुना मिलता है. रेल के सभी
कारखाने अच्छा उत्पादन करते थे. रेल समय पर आती थी. मैं रेल में काम करता
था आजकल भारत के एक अखबार में यूरोप संपादक और ओस्लो नार्वे में पत्रकार
हूँ. यह भी बता दूँ मैं मोदी जी का फैन हूँ पर उनकी इन बातों से अपने फैन
को निराश कर रहे हैं. मैं इन्दिरा जी से तीन बार मिला हूँ और मोदी जी से
भारतीय प्रवासी दिवस पर हाथ मिलाया है. --- सुरेशचंद्र शुक्ल, ओस्लो,
नार्वे
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें