रविवार, 19 फ़रवरी 2017

एक तरफ चुनाव और दूसरी तरफ चुनाव प्रचार क्या नैतिक है? यह मतदाता के लिए प्रदूषण और सरदर्द नहीं है?-सुरेश चन्द्र शुक्ल Suresh Chandra Shukla

एक तरफ चुनाव और दूसरी तरफ चुनाव प्रचार क्या नैतिक है? यह मतदाता के लिए प्रदूषण और सरदर्द नहीं है?
   -सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'

भारत विश्व का सबसे बड़ा प्रजातंत्र है जहाँ जनसंख्या के हिसाब से जिस तरह शान्ति और समृद्धि है उस पर विश्व के किसी भी देश का शांतिप्रिय और सेकुलर नागरिक गर्व करेगा।
लेकिन आज जहाँ उत्तरप्रदेश, भारत में चुनाव हो रहा है अभी भी टीवी पर राजनैतिक बहस स्वस्थ नहीं है. मेरे दो संपादक मित्रों और समाजसेवियों के अनुसार इस बार मतदाताओं ने महसूस किया कि इस बार फिर से रैलिओं और जरूरत से ज्यादा सभाओं ने राजनैतिक प्रदूषण फैलाया है. एक तरफ चुनाव हो रहा है दूसरी तरफ रैलियों, सभाओं और प्रेसकांफ्रेंस द्वारा चुनाव को प्रभावित किया जा रहा है.
छोटी पार्टियों और निर्दलीय उम्मीदवारों के लिए अन्यायपूर्ण वारदात है.

चुनाव आयोग को और मतदाता को चाहिए कि वे प्रत्याशी पर प्रभाव बनायें और इस चुनावी प्रदूषण को अपने मतदान करके और आगामी चुनावों में चुनाव के दिन पूरे भारत में कोई रैली, चुनावी सभा और चुनावी प्रेस कांफ्रेंस बंद की जाएँ,   जनसभा  बंद की जाये।

चुनावी प्रदूषण बंद होते ही सभी राजनैतिक प्रतिनिधि कार्य करेंगे उसे गिनाएंगे न की प्रोपेगंडा करेंगे।
इस प्रोपेगंडा में जो जितना बड़ा नेता है वह सबसे ज्यादा प्रदूषण फैला रहा है. लोगों की शिकायत जो समाचारपत्रों में छपती है उससे पता चलता है कि शक्तिशाली राजनैतिज्ञों पर एफ आई आर न के बराबर दर्ज होती है और जो काम करने वाले बहुत से ईमानदार नेता हैं उनपर बड़े नेता दबाव ड़ालकर उनपर ऍफ़ आई आर करवा रहे हैं. दिल्ली और पंजाब प्रदेश में यह सबसे ज्यादा है.

मेरे कुछ सपने हैं अपने देश भारत को लेकर।
1-आगामी चुनाव तक भारत में सभी साक्षर हों और
2-अधिक से अधिक लोग बढ़चढ़ कर राजनैतिक  रूप से सक्रिय हों।
3-सहकारिता से हर गाँव में हर शहर में हर वार्ड में जनता खुद प्रोद्योगिक तकनीकी शिक्षण के लिए कार्य करें
क्योंकि सुपर बड़े उद्योग स्वास्थ, शिक्षा और श्रमिकों के लिए कार्य करने से ज्यादा अपनी कमाई करते हैं और टैक्स की बड़ी चोरी करते हैं और भ्रष्टाचार को बढ़ाते हैं। अपने लघु उद्योग शुरू करें जिसके उत्पादन या सेवाओं की  खपत स्थानीय हो.
4-जनता स्वस्थ हो और जनसंख्या कम हो उसके लिए शिक्षा की और जागरण की व्यवस्था स्थानीय स्तर पर हो।
5 -स्वचालित सहकारी ग्रामीण और मोहल्ला बैंक हों।
6-जो स्थानीय नेता, प्रतिनिधि और सरकारी संस्थायें प्रगति का विरोध करती हों और विरोध करती हों उनका न्यायिक तरह से जवाब दें और उन्हें दूर रखें ताकि बड़े राजनैतिक और सरकारी दबाव से बचा जा सके।
7-ऊपर लिखे सुझावों को वकीलों और समाजसेवियों की सहायता से प्रोफेशनल और प्रायोगिक सूचना का पर्चा और कार्यक्रम बनाया जाये जो देश के कानून और संविधान के अनुकूल हो। 

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