भारतीय राजनीति में नेताओं के बयान बहुत नीचे स्तर पर गिर रहे हैं. इसमें हमारे प्रधानमन्त्री भी किसी से पीछे नहीं हैं.
-सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' -Suresh Chandra Shukla
चुनाव कोई जीते पर देश को शर्मसार करने वाले बयानों से हमारे नेता बचें।
नवभारत टाइम्स में छपी रिपोर्ट पर टिप्पणी: "'केवीआईसी की डायरी और कैलेंडर में प्रधानमंत्री के फोटो छापने के मुद्दे" पर क्या श्री मोदी जी की तस्वीर को छपी रहने के निर्देश देता है या उसे हटाया जाये स्पष्ट नहीं है. केवल यही कहा गया है किआगे से ना छापी जाये. केवीआईसी स्पष्ट करे तो बेहतर होगा. एक कान न पकड़ कर दूसरे कान पकड़ने जैसा प्रकरण लगता है. धन्यवाद. -सुरेश चंद्र शुक्ल 'शरद आलोक'
महात्मा गांधी जी को चरखे से बाहर कर श्री नरेंद्र मोदी जी चरखे में अंदर
चित्र बदलने तक उन्होंने कभी चरखा नहीं काता था.(श्री नरेंद्र मोदी जी पर लिखी तीन पुस्तकों में जिक्र नहीं है.)
निवेदन: महात्मा गांधी जी को ही चरखे के साथ खादी भण्डार के कलैंडर में लाने की कृपा करें - सुरेशचंद्र शुक्ल
(तस्वीर- विकीपीडिया से साभार)
नेताओं के बयान बहुत नीचे स्तर पर गिर रहे हैं
चूँकि भारत में सबसे बड़ा पद प्रधानमंत्री का होता है. उन्हें एक आदर्श कायम करना चाहिये। सभी की निगाहें अपने मुखिया पर होती हैं. मेरी नजर में प्रधानमंत्री सभी देशवासियों के लिए होता है, उनका कर्तव्य है कि देश में प्रजातंत्र (डेमोक्रेसी) बनी रहे. प्रजातंत्र में आम आदमी के साथ-साथ सभी राजनैतिक पार्टियों की रक्षा, सुरक्षा और उसका सम्मान हो. सभी अपनी -अपनी पार्टियों की उपलब्धियां गिनाएं, अपने सपने, वायदे और कर्यक्रम पर ध्यान दें.
प्रधानमंत्री के अलावा अन्य पार्टी के लोग भी और उसमें नेता भी हैं पलटवार में वह भी कभी-कभी वैसे ही बयान देते हैं जो हमारे मुखिया देते हैं. अपने भाषणों में असत्य और साम्प्रदायिकता के ऊट-पटांग बयान भेदभाव बढ़ाते हैं और जनता को शर्मसार करते हैं. जो माता-पिता अपने बच्चों को वह बाते नहीं कहते और जो बच्चे किताब में पढ़ते हैं उससे उलट बयान का असर डाल रहा है. कुछ लोग तो अपने टी वी बंद कर देते हैं बच्चों की पढ़ाई को लेकर क्योकि हमारे मुखिया और राजनेताओं के बयान खराब होते हैं.
असत्य का उदाहरण
१-किसान समस्या पर
१-महाराष्ट्र और केंद्र में राज कर रही पार्टी के नेता नें बयान दिया कि यदि वह उत्तर प्रदेश में आते हैं तो वह किसान एक उधार माफ कर देंगे.
महाराष्ट्र में जिन किसानों ने आत्महत्या की उनको हमारे जाने-माने अभिनेता
नाना पाटेकर ने महाराष्ट्र में आत्महत्या करने वाले परिवारों की सहदयता के लिए पंद्रह-पंद्रह १५ -१५ हजार रूपये किसानों के परिवारों को दिए हैं.
महाराष्ट्र सरकार ने उन आत्महत्या करने वाले किसानों को श्रद्धांजलि तक नहीं पारित की उनके परिवार को कोई आर्थिक मदद नहीं दी है. यहाँ बी जे पी की संयुक्त सरकार है.
क्या प्रधानमंत्री का बयान किसानों की सहायता के लिए वायदा करना बेमानी नहीं है, जबकि वह अपने प्रदेश (महाराष्ट्र) में सहायता नहीं करते।
उत्तर प्रदेश में सारे कत्लखाने (बूचड़खाना) बंद कर देंगे- अमित शाह
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने आजतक टीवी में कहा कि केंद्र सरकार पहले धनार्जन करने वाले कत्लखानों के उत्पादन के निर्यात पर प्रतिबन्ध लगाये और बूचड़खानों को बंद कर दे. किसने रोका है, केंद्र में बी जे पी की सरकार है. केंद्र को कौन रोक रहा है. जब निर्यात बंद होगा तब सरकार को बूचड़खाने /बंद कररने में आसानी होगी।
प्रधानमंत्री ने सभी बड़ी राजनैतिक पार्टियों पर अमर्यादित बयान देकर आदरणीय प्रधानमंत्री गिरे हुए निम्न स्तर के बयान देने वाले पहले प्रधानमंत्री बन गये हैं. (आजतक टी वी , समय टी वी , नवभारत टाइम्स, हिंदुस्तान, देशबंधु, भास्कर, जनसन्देश और अन्य मीडिया के अनुसार।)
नोटबन्दी की कतार में मरे लोगों को हमेशा याद किया जायेगा जब-जब नोटबन्दी की बात की जायेगी.
१-नोटबन्दी पर रिजर्व बैंक के सभी कर्मचारियों ने विरोध व्यक्त किया।
२- रिजर्व बैंक के सर्वोच्च अधिकारी (गवर्नर) से नहीं विचार-विमर्श किया गया.
३- काला धन बैंक में नहीं आया बल्कि 85 लाख लोगों की नौकरी चली गयी. (यह आंकड़े लघु उद्द्योग और छोटे दुकानदारों की यूनियन के बयान पर आधारित।)
४-बड़े शहरों से करोड़ों मजदूर नोटबंदी से प्रभावित लघु उद्द्योग और दुकानदारों और दिहाड़ी के मजदूर वापस अपने घरों में आ गए.
बड़े दलों के नेताओं ने भी पलटवार में निम्न स्तर के बयान दिये।
अटलबिहारी बाजपेयी जी से बयान देना बी जे पी के और अन्य नेताओं को सीखना है.
(यहाँ पर दी गयी टिप्पणी भारतीय समाचार पत्रों के आधार पर है.)
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