निवेदन: संसद विचार करे और महात्मा गांधी के हत्यारे के बयान और उसका चित्र छापने के लिए रोके
दुर्भाग्य है कि हमको महात्मा गांधी जी के हत्यारे के बयानों जैसी सूचनाओं की जरूरत पड रही है.
मैंने नवभारत टाइम्स में यह सूचना पढ़ी कि सूचना विभाग इसे सार्वजनिक कर रहा है. बहुत सी ऐसी सूचनायें
जैसे प्रजातंत्र में मताधिकार, मानवाधिकार, पर्यावरण, प्रोद्योगिक शिक्षा, श्रमदान और सहकारिता से देश समाज का विकास और भाई चारा बढ़ाने की बातें सीखें, आदि -आदि.
मुझे लगता है जो महात्मा गांधी जी के हत्यारे के बयानों जैसी सूचनाओं के लिये जो बेताब हैं उससे कुछ हल होने वाला नहीं है. बल्कि इससे वह संभव है कि कल नयी पीढ़ी इसे फिर प्रतिबंधित कर दे.
विचार उनके पढ़े जाने वे योग्य होते हैं जिनसे हम सीख सकें. जिस तरह हिटलर की बातें या किताब रखने वाले और उसकी तारीफ करने -वाले कभी भी सफल बुद्धिजीवी नहीं हो सकते उसी तरह यह मिलता जुलता उदाहरण है.
मेरी बात से कोई सहमत हो या ना हो पर मैं इसके पक्ष में नहीं हूँ कि पिछली बीसवीं सदी पुरुष अहिंसा के विश्वदूत महात्मा गांधी के हत्यारे के बारे में कोई सूचना और उसकी फोटो प्रकाशित हो क्योंकि यह कोई आदर्श सूचना नहीं है कि हत्यारे के बयान को सार्वजनिक किया जाये.
संसद और न्यायपालिका सबसे उपर है उसका सम्मान करता हूँ पर संसद विचार करे और इसे रोके यह मेरा निवेदन है-
-एक शान्तिप्रिय सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक सुरेशचंद्र शुक्ल, 'शरद आलोक' ,ओस्लो, नार्वे
दुर्भाग्य है कि हमको महात्मा गांधी जी के हत्यारे के बयानों जैसी सूचनाओं की जरूरत पड रही है.
मैंने नवभारत टाइम्स में यह सूचना पढ़ी कि सूचना विभाग इसे सार्वजनिक कर रहा है. बहुत सी ऐसी सूचनायें
जैसे प्रजातंत्र में मताधिकार, मानवाधिकार, पर्यावरण, प्रोद्योगिक शिक्षा, श्रमदान और सहकारिता से देश समाज का विकास और भाई चारा बढ़ाने की बातें सीखें, आदि -आदि.
राज घाट नयी दिल्ली
अमेरिका के राष्ट्रपति ओबामा जी राजघाट में पुष्प चढ़ाते हुए
मुझे लगता है जो महात्मा गांधी जी के हत्यारे के बयानों जैसी सूचनाओं के लिये जो बेताब हैं उससे कुछ हल होने वाला नहीं है. बल्कि इससे वह संभव है कि कल नयी पीढ़ी इसे फिर प्रतिबंधित कर दे.
विचार उनके पढ़े जाने वे योग्य होते हैं जिनसे हम सीख सकें. जिस तरह हिटलर की बातें या किताब रखने वाले और उसकी तारीफ करने -वाले कभी भी सफल बुद्धिजीवी नहीं हो सकते उसी तरह यह मिलता जुलता उदाहरण है.
मेरी बात से कोई सहमत हो या ना हो पर मैं इसके पक्ष में नहीं हूँ कि पिछली बीसवीं सदी पुरुष अहिंसा के विश्वदूत महात्मा गांधी के हत्यारे के बारे में कोई सूचना और उसकी फोटो प्रकाशित हो क्योंकि यह कोई आदर्श सूचना नहीं है कि हत्यारे के बयान को सार्वजनिक किया जाये.
संसद और न्यायपालिका सबसे उपर है उसका सम्मान करता हूँ पर संसद विचार करे और इसे रोके यह मेरा निवेदन है-
-एक शान्तिप्रिय सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक सुरेशचंद्र शुक्ल, 'शरद आलोक' ,ओस्लो, नार्वे
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