क्या नार्वे में अरबाइदर (लेबर) पार्टी कोरबीन प्रभाव का स्तेमाल करेंगी ?
-सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
नार्वे में 9 सितंबर 2017 को पार्लियामेंट के चुनाव होने वाले हैं. सभी पार्टियों ने अपना-अपना प्रचार शुरू कर दिया है. आज १० जून से ही नार्वे की सबसे बड़ी अरबाइदर (श्रमिक) पार्टी ने चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है. आज मैट्रो स्टेशन पर इसके कार्यकर्ता लाल गुलाब बांटते दिख रहे हैं. यह गुलाब अरबाइदर (श्रमिक) पार्टी का चुनाव चिन्ह भी है.
आज जब लोगों में आर्थिक असमानता बढ़ रही है. रोजगार की समस्या बढ़ रही है. नार्वे की वर्तमान सरकार ने प्राइवेटाइजेशन पर ज्यादा ध्यान दिया है. वर्तमान सरकार कंजर्वेटिव पार्टियों होइरे Høyre और फ्रेमस्क्रित्स पार्टी Frp (लिबरल पार्टी) की सरकार है जिसे दो छोटी पार्टियों वेनस्त्रे Venstre और क्रिस्तेली (क्रिश्चियन) फोल्के पार्टी Krf के बाहरी सहयोग से बनाया है. जिससे सार्वजनिक सेवाओं जैसे नाव NAV जो बेरोजगारों को और सामजिक समस्या वाले व्यक्तियों के लिए सेवाओं के लिए बनी है उसने कमाई करना शुरू कर दिया है.
जब सेवा की संस्था कमाई करने लगे तो आम जनता का क्या हाल होगा।
ब्रिटेन के चुनाव से नार्वे की अरबाइदर (लेबर) पार्टी सीखे
थूरब्योर्न याग्लान्द के पूर्व प्रधानमंत्री और यूरोपीय समुदाय के मंत्री थूरब्योर्न याग्लान्द ने सलाह दी है कि नार्वे में होने वाले चुनाव में अरबाइदर (लेबर) पार्टी कोरबीन Corbyn प्रभाव का स्तेमाल करें।
आर्थिक असमानता को लेकर लोग विरोध कर रहे हैं यह राजनैतिज्ञों को सोचना चाहिये। ब्रिटेन में हुए चुनाव में लेबर पार्टी की यात्रा ऊँचाई की तरफ बढ़ी है. इन्हें 261 जगहें/सीटें मिली हैं जो 2015 के चुनाव में मिली 29 अधिक हैं.
इस बार अधिक ब्रिटिश युवाओं ने मतदान में हिस्सा लिया था. यह लेबर पार्टी के नेता जेरमी कोर्बिन के कारण संभव हुआ था. राजनैतिज्ञ जो अपने को ठीक उसी तरह जनता को दिखाना चाहते हैं जैसे वे हैं जैसे कोर्बिन। न कि प्रचार संसाधनों और प्रचार कंपनियों की सलाह पर बताये कपड़े पहने और वैसा ही फैशन करें। युवाओं को कोर्बिन की सादगी पसंद की.
लोकप्रिय नेता अधिकतर भूल जाते हैं कि जनता की आवश्यकता क्या है?
जैसे अभी भारत में एक तरफ किसान आंदोलन में मरे थे और कृषि मंत्री योग करते नजर आ रहे थे.
भारत में गांधी बनाम प्रधानमंत्री
विदेशों में भारत के प्रधान मंत्री जी महात्मा गांधी को पूज्य बताते है क्योँकि महात्मा गांधी जी भारत के सर्वाधिक लोकप्रिय और मान्य हैं. वहीं प्रधानमंत्री के प्रधान गांधी जी को बड़ा बनिया बता रहे हैं.
भारतीय जनता को साक्षर और सभी को अपने अधिकार और कर्तव्य पता हों और वे कोई भी काम करते हों काम के हिसाब से संगठित हों वरना भारतीय जनता को अक्सर बरगलाया जाता रहेगा।
-सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
नार्वे में 9 सितंबर 2017 को पार्लियामेंट के चुनाव होने वाले हैं. सभी पार्टियों ने अपना-अपना प्रचार शुरू कर दिया है. आज १० जून से ही नार्वे की सबसे बड़ी अरबाइदर (श्रमिक) पार्टी ने चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है. आज मैट्रो स्टेशन पर इसके कार्यकर्ता लाल गुलाब बांटते दिख रहे हैं. यह गुलाब अरबाइदर (श्रमिक) पार्टी का चुनाव चिन्ह भी है.
आज जब लोगों में आर्थिक असमानता बढ़ रही है. रोजगार की समस्या बढ़ रही है. नार्वे की वर्तमान सरकार ने प्राइवेटाइजेशन पर ज्यादा ध्यान दिया है. वर्तमान सरकार कंजर्वेटिव पार्टियों होइरे Høyre और फ्रेमस्क्रित्स पार्टी Frp (लिबरल पार्टी) की सरकार है जिसे दो छोटी पार्टियों वेनस्त्रे Venstre और क्रिस्तेली (क्रिश्चियन) फोल्के पार्टी Krf के बाहरी सहयोग से बनाया है. जिससे सार्वजनिक सेवाओं जैसे नाव NAV जो बेरोजगारों को और सामजिक समस्या वाले व्यक्तियों के लिए सेवाओं के लिए बनी है उसने कमाई करना शुरू कर दिया है.
जब सेवा की संस्था कमाई करने लगे तो आम जनता का क्या हाल होगा।
ब्रिटेन के चुनाव से नार्वे की अरबाइदर (लेबर) पार्टी सीखे
थूरब्योर्न याग्लान्द के पूर्व प्रधानमंत्री और यूरोपीय समुदाय के मंत्री थूरब्योर्न याग्लान्द ने सलाह दी है कि नार्वे में होने वाले चुनाव में अरबाइदर (लेबर) पार्टी कोरबीन Corbyn प्रभाव का स्तेमाल करें।
आर्थिक असमानता को लेकर लोग विरोध कर रहे हैं यह राजनैतिज्ञों को सोचना चाहिये। ब्रिटेन में हुए चुनाव में लेबर पार्टी की यात्रा ऊँचाई की तरफ बढ़ी है. इन्हें 261 जगहें/सीटें मिली हैं जो 2015 के चुनाव में मिली 29 अधिक हैं.
इस बार अधिक ब्रिटिश युवाओं ने मतदान में हिस्सा लिया था. यह लेबर पार्टी के नेता जेरमी कोर्बिन के कारण संभव हुआ था. राजनैतिज्ञ जो अपने को ठीक उसी तरह जनता को दिखाना चाहते हैं जैसे वे हैं जैसे कोर्बिन। न कि प्रचार संसाधनों और प्रचार कंपनियों की सलाह पर बताये कपड़े पहने और वैसा ही फैशन करें। युवाओं को कोर्बिन की सादगी पसंद की.
लोकप्रिय नेता अधिकतर भूल जाते हैं कि जनता की आवश्यकता क्या है?
जैसे अभी भारत में एक तरफ किसान आंदोलन में मरे थे और कृषि मंत्री योग करते नजर आ रहे थे.
भारत में गांधी बनाम प्रधानमंत्री
विदेशों में भारत के प्रधान मंत्री जी महात्मा गांधी को पूज्य बताते है क्योँकि महात्मा गांधी जी भारत के सर्वाधिक लोकप्रिय और मान्य हैं. वहीं प्रधानमंत्री के प्रधान गांधी जी को बड़ा बनिया बता रहे हैं.
भारतीय जनता को साक्षर और सभी को अपने अधिकार और कर्तव्य पता हों और वे कोई भी काम करते हों काम के हिसाब से संगठित हों वरना भारतीय जनता को अक्सर बरगलाया जाता रहेगा।
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