मेरी गलियों में जेहादी आते नहीं।
-सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
आतंकियों का न कोई घर बार है,
अज्ञानता और धर्मान्धता का शिकार है.
पेड़-पौधों को हम भी पानी देते नहीं,
पर चाहते हैं कि वह फल देता रहे.
हम गंदगी पानी ठहरने देते नहीं।
मेरी गलियों में जेहादी आते नहीं।
आँधी पानी का कोई खास मौसम नहीं,
विपदा सदा दस्तक दिए आती नहीं।
श्रम का जब सही फल मिलता नहीं,
अमीरों का दिल क्या धड़कता नहीं।।
कट्टरता का रंग पलने देते नहीं।
मेरी गलियों में जेहादी आते नहीं।
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