एन डी टी वी पर छापे पर राजनैतिज्ञों के विचार
मीडिया का काम आलोचना करना
https://www.facebook.com/Aapkiaawazzz/videos/1395625800555513/?fref=mentionshttps://www.facebook.com/Aapkiaawazzz/videos/1395625800555513/?fref=mentions
धन्यवाद। आपका दिन मंगलमय हो. प्रेस आजादी अमर रहे.
एन डी टी वी के प्रणव राय जिनके घर सी बी आई के छापे मारे जाए रहे हैं.
भारत एक गौरवशाली राष्ट्र है जहाँ गरीबी में रहकर भी लोग शान्ति से रहते हैं पर वह अपनी आजादी और स्वतंत्रता बरकरार रखना चाहते हैं. लेकिन अब मीडिया को खासकर एन डी टी वी को निशाना बनाया गया है.
भारत और बहुत से मिलेट्री /डिक्टेटर वाले देशों में मीडिया को दबाया और धमकाया जा रहा है.
पत्रकार और मीडिया ग्रुप या तो डरे हुए हैं या शक्ति का मीडिया के खिलाफ दुरूपयोग करने वाले शासक उन्हें दबा रहे हैं. यदि मीडिया स्वतन्त्र नहीं है तो हम स्वतन्त्र नहीं हैं.
यदि 1962 में भारतीय प्रेस को विदेशी मामले में लिखने की आजादी होती तो शायद चीन द्वारा युद्ध करने की मंशा को भारतीय प्रेस में पहले छापा जा सकता था. तब चाउ एन लाई की भारत यात्रा में यह नारे न लगाए जाते कि भारत-चीनी भाई-भाई.
आज जब भारत देश के किसान परेशान हैं वह आंदोलन की तरफ बढ़ रहे हैं उनकी रिपोर्ट और समाचार भारतीय मीडिया (टी वी ) नहीं दिखा रहा है या कम दिखा रहा है. एन डी टी वी के पत्रकारों, प्रोमोटरों और दुसरे मीडिया कर्मियों को सरकारी ताकत से किसी न किसी रूप से डराया और धमकाया जा रहा है. यह भारतीय पत्रों से जानकारी मिल रही है. इसे पड़ने के लिए धन्यवदा और आभार।
इस लिहाज श्री रवीश कुमार जी की रिपोर्ट काबिले तारीफ़ है. -सुरेशचन्द्र शुक्ल
मीडिया का काम आलोचना करना
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धन्यवाद। आपका दिन मंगलमय हो. प्रेस आजादी अमर रहे.
एन डी टी वी के प्रणव राय जिनके घर सी बी आई के छापे मारे जाए रहे हैं.
भारत एक गौरवशाली राष्ट्र है जहाँ गरीबी में रहकर भी लोग शान्ति से रहते हैं पर वह अपनी आजादी और स्वतंत्रता बरकरार रखना चाहते हैं. लेकिन अब मीडिया को खासकर एन डी टी वी को निशाना बनाया गया है.
भारत और बहुत से मिलेट्री /डिक्टेटर वाले देशों में मीडिया को दबाया और धमकाया जा रहा है.
पत्रकार और मीडिया ग्रुप या तो डरे हुए हैं या शक्ति का मीडिया के खिलाफ दुरूपयोग करने वाले शासक उन्हें दबा रहे हैं. यदि मीडिया स्वतन्त्र नहीं है तो हम स्वतन्त्र नहीं हैं.
यदि 1962 में भारतीय प्रेस को विदेशी मामले में लिखने की आजादी होती तो शायद चीन द्वारा युद्ध करने की मंशा को भारतीय प्रेस में पहले छापा जा सकता था. तब चाउ एन लाई की भारत यात्रा में यह नारे न लगाए जाते कि भारत-चीनी भाई-भाई.
आज जब भारत देश के किसान परेशान हैं वह आंदोलन की तरफ बढ़ रहे हैं उनकी रिपोर्ट और समाचार भारतीय मीडिया (टी वी ) नहीं दिखा रहा है या कम दिखा रहा है. एन डी टी वी के पत्रकारों, प्रोमोटरों और दुसरे मीडिया कर्मियों को सरकारी ताकत से किसी न किसी रूप से डराया और धमकाया जा रहा है. यह भारतीय पत्रों से जानकारी मिल रही है. इसे पड़ने के लिए धन्यवदा और आभार।
इस लिहाज श्री रवीश कुमार जी की रिपोर्ट काबिले तारीफ़ है. -सुरेशचन्द्र शुक्ल
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