हम चुप क्यों हैं?
शुक्रवार, 22 दिसंबर 2023
हम चुप क्यों हैं? - सुरेशचन्द्र शुक्ल शरद आलोक
सोमवार, 18 दिसंबर 2023
संसद पर आज फिर हमला हो गया: 92 सांसदों का निलम्बन कर दिया
आज की कविता
शुक्रवार, 15 दिसंबर 2023
उनका विवेक तो मरता ..आँखों का पानी मर जाता।- सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
उनका विवेक तो मरता ही है, आँखों का पानी मर जाता है।
सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
शनिवार, 2 दिसंबर 2023
नार्वे से किसान आन्दोलन के तीन वर्ष पर विश्व की पहली अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी
नार्वे से किसान विमर्श पर गोष्ठी की रिपोर्ट
नार्वे से भारतीय संविधान दिवस की संगोष्ठी -Suresh Chandra Shukla
नार्वे से भारतीय संविधान दिवस की संगोष्ठी और कवि सम्मेलन
शनिवार, 4 नवंबर 2023
नार्वे में अमर्त्य सेन के जन्मदिन पर कवि सम्मेलन
नार्वे में अमर्त्य सेन के जन्मदिन पर कवि सम्मेलन
3 नवम्बर को भारतीय नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन के जन्मदिन पर नार्वे में डिजिटल कवि सम्मेलन सम्पन्न हुआ।
अच्छी रचनाओं ने समा बांध दिया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे ओम सपरा जी और स्वागत और संचालन किया नार्वे के साहित्यकार सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' ने।
प्रमिला कौशिक ने मधुर आवाज़ में सरस्वती वन्दना से कवि सम्मेलन की शुरुआत की।
कवि सम्मेलन में रचनापाठ करने वाले रचनाकारों में शशि पराशर, प्रमिला कौशिक, डॉ. रवि कुमार गोंड़, ओम सपरा, प्रो. हरनेक सिंह गिल दिल्ली, डॉ. रश्मि चौबे गाजियाबाद, डॉ. सुषमा सौम्या लखनऊ, डॉ. अमरजीत राम प्रयागराज, जागृति सिन्हा मुंबई।
शुभकामनायें देने वालों में डॉ. हरी सिंह पाल एवं डॉ. राम अवतार बैरवा दिल्ली, अनीता कपूर अमेरिका, प्रो. मोहन कान्त गौतम नीदरलैंड प्रमुख थे।
नोबेल पुरस्कार विजेता विश्व प्रसिद्ध अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन एवं डॉ. रवि कुमार गोंड़ के जन्मदिन पर बधाई दी गयी।
शनिवार, 22 जुलाई 2023
मणिपुर जल रहा है संसद मौन: सुरेश चन्द्र शुक्ल
मणिपुर जल रहा है संसद मौन:
सुरेश चन्द्र शुक्ल
न संसद बचेगी न संविधान,
यदि सरकार पर नहीं लगाई गई लगाम।
संवाद संसद से आकर सड़क पर आ गया।
राहुल गाँधी को संसद और सड़क तक रोकना,
आम जनता को विपक्ष को
इस तरह सरकार दे रही धमकी।
सरकार 303 सांसद के बाद
भी क्यों घबरा रही?
गौरिल्ला की तरह बिना चर्चा के
सरकार विधेयक कर रही पारित।
मणिपुर एवं महिलाओं की कर रही उपेक्षा?
कौन जानता है सरकार का गुप्त प्लान,
कारपोरेटर को क्यों बेच रही देश का सामान
गिरवी रखकर अपना ईमान?
मणिपुर जल रहा, संसद मौन है
भारतीय संसद में मणिपुर पर
विपक्षी नेताओं को नहीं बोलने दिया गया।
मणिपुर पर चर्चा पर भारतीय संसद में दो दिन से प्रतिबंध है।
जनता क्यों लाचार हैं,
सरकार को सत्ता का अहंकार है?
महिलाओं के खिलाफ
सरकार का रवैया साफ़ है:
1 बिलकिस बानो केस में
अपराधी पहले ही छूट गये?
2 महिला पहलवानों के दोषी
संसद में घूम रहे हैं।
3 मंत्रियों के बयान देश की महिलाओं
का अपमान कर रहे हैं।
4 प्रधानमंत्री झंडी हिलाने के
लिए नहीं है।
सरकार अपनी जिम्मेदारी निभायें,
वरना दूसरों को मणिपुर में
लोगों के दुःख दर्द सुनने,
मरहम लगाने दें।
देश की संसद में सत्ता क्यों
मौन है।
विदेशी संसद संज्ञान ले रहा है।
नागरिकों की सुरक्षा सरकार
की जिम्मेदारी है।
गलत बयानों से, फेक न्यूज से
सरकार नहीं चलती।
सरकार सक्षम नहीं हैं
नागरिकों की सुरक्षा एवं
ईज्जत बचाने में नाकाम है।
जनता को शर्म है
कि देश में नकारा सरकार है।
क्या दूसरे प्रदेशों में
सरकारी दंगे की तैयारी है?
क्योंकि प्रधान एवं मंत्री मणिपुर के साथ
दूसरे प्रदेश का नाम ले रहे हैं।
अपने बयानों से नफरत और
फेक समाचार फैला रहे हैं।
मणिपुर में इण्टरनेट खोला जाये।
राहत शिविरों में सहायता बढ़ाई जाये।
व्यवस्था दुरुस्त करें।
अब राष्ट्रपति और मुख्य न्यायाधीश से गोहार है।
मणिपुर में शान्ति हो,
या केन्द्र, राज्य सरकार जाये।
जल्द मणिपुर में शान्ति बहाल हो।
विदेश में भारतीय बहुत
परेशान हैं।
- सुरेशचन्द्र शुक्ल
क्षणिकायें- संसद में लिंचिंग - सुरेश चन्द्र शुक्ल
संसद में लिंचिंग
- सुरेश चन्द्र शुक्ल
1 नाच न आये आँगन टेढ़ा
मणिपुर जल रहा है
इधर - इधर की बात कर रहे हैं
केन्द्रीय मन्त्री क्यों गुमराह कर रहे हैं।
2 चोर चोरी करे हेराफेरी से न जाये
फेक न्यूज (झूठे समाचार) फैलाते मन्त्री
का जब झूठ पकड़ा गया
सच पता चला
नफरत फैलाकर उसे हटा लिया गया।
3 संसद में राजनैतिक मॉबलिंचिंग
जब प्रधानमंत्री मणिपुर में हिंसा पर चुप
गाँधी- नेहरू परिवार के सरनेम का मजाक उड़ा रहा
कोई अदालत नहीं संज्ञान ले रहा।
4 शेर आ गया कहावत झूठी पड़ी
मँहगायी बेरोजगारी भुखमरी से गरीब परेशान
झूठ सपने का सच उजागर हो गया
संसद में शेर आ गया विकास की पोटली खाली
शेर नहीं सपने की संसद में प्रधान
नील से रंगा सियार था।
5 आई एन डी आई ए
आई एन डी आई ए जब से गठबंधन बना
देश का पैसा विपक्ष के खिलाफ
अफवाह फैलाने में खर्च कर रहे
सामाजिक माध्यम (सोशल मीडिया) पर
इंडिया बनाम भारत का वाक्युद्ध करा रहे।
(22 जुलाई 2023, ओस्लो)
सुरेशचन्द्र शुक्ल
शुक्रवार, 21 जुलाई 2023
मणिपुर जल रहा है, हम गूँगे हो गये है: सुरेशचन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक’
मणिपुर जल रहा है, हम गूँगे हो गये है:
सुरेशचन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक’
मणिपुर जल रहा है,
संसद में खड़गे/विपक्ष
आवाज उठा रहा है,
माईक बन्द कराकर,
बोलने नहीं दे रहा है स्पीकर।
स्पीकर हंसकर संसद-कार्यवाही
स्थगित कर रहा है।
नफरत फैलाकर
मणिपुर जलने दिया है।
हिंसा और दंगों की आग में
घी डाल दिया है।
मणिपुर में सैकड़ों महिलाओं की
आबरू लुट रही
दुनिया में देश का नाम
बदनाम हो रहा है।
मणिपुर जल रहा है।
सत्ता का घमण्ड,
महिला पहलवानों को पुलिस से पिटवाया
और उनपर मुक़दमे किये हैं।
सांसद को सरकार ने
ज़मानत दिलाकर छुट्टा छोड़ दिया है।
क्या जनता चुप रहेगी?
अपनी बारी का इंतजार करेगी?
अपने देश की बहन बेटियों की,
क्या रक्षा नहीं करेगी?
धिक्कार है हमारी चुप्पी,
धिक्कार है सरकार को कि
उसने भारत को
विश्व में शर्मसार कर दिया है।
देश की भाई-बहनों की
रक्षा न कर सका।
देश की संपत्ति, ईज्जत,
लोकतंत्र खत्म कर रहा है?
मणिपुर जल रहा है।
अन्याय के खिलाफ
चुप्पी तोड़ो सड़क पर आओ।
महिलाओं की ईज्जत
एवं देश बचाओ।
कौन है जो समाज में
नफरत फैला रहा है।
हमारे युवाओं को
दंगाई बना रहा है।
सरकार हुई निरंकुश
पानी सर से ऊपर जा रहा है।
अनफिट गृह-प्रधानमन्त्री
देश चला रहा है?
यह देश सो रहा है?
इसलिए मणिपुर जल रहा है।
समय बदल रहा है,
जनता का मूड बदल रहा है,
बुद्धिजीवी अवसरवादी
डरा हुआ खड़ा है।
दलित, गरीब, श्रमिक, आदिवासी, किसान
बदलाव चाहता है।
महिला विरोधी सत्ता का
जो गुणगान कर रहा है।
मौन खड़े बुद्धिजीवी क्यों
कालिदास की तरह जाने-अनजाने
जिस लोकतन्त्र की डाल पर बैठे
उसे कटा रहा है।
उठो! गुंजन पक्षी की तरह
जंगल की आग बुझाओ।
हर अशिक्षित बच्चे को
निशुल्क साक्षर बनाओ।
हर अन्याय के खिलाफ
बढ़कर आवाज उठाओ।
- सुरेशचन्द्र शुक्ल
गुरुवार, 20 जुलाई 2023
मणिपुर जल रहा है मानवता बचाना है - suresh Chandra Shukla
मणिपुर जल रहा है मानवता बचाना है
by suresh Chandra Shukla
आज की जन-कविता:
मणिपुर में हिंसा पर सरकारें मौन हैं?
क्या मानवता को शर्मसार कर रही सरकार चाहिये?
जनता मौन है?
जनता डरी-डरी, थकी हुई कुँएँ झांक रही है।
मणिपुर की तरह देश में हिंसा फैलाकर
क्या चुनाव लड़ने - जीतने का घिनौना जतन कर रही है?
प्रधानमन्त्री-गृहमंत्री आप किसका डी एन ए पूछते थे?
आप कौन हैं?
क्या भारत के नाम पर ……।
देश में बढ़ रहा आतंक।
दुनिया आपको रास्ता दिखा रही,
सचेत कर रही।
दुनिया से राजनीतिक खतम हो मौब
और विपक्ष पर सरकारी लिंचिंग?
भारत में
मत कीजिये और खेल
सत्यागृही से मुक्त हो जेल!
जो हमारी महिलाओं की रक्षा नहीं कर सके?
जनता की चुप्पी!
मेरी मणिपुर की बहनों, मुझे धिक्कार है खुद पर।
धिक्कार है कि केंद्र सरकार हूँ,
एक तो पुरुष हूँ, गोदी मीडिया हूँ?
बुझी हुई राख पर हूँ।
सेना, पुलिस, ई डी, सी बी आई,
केवल विपक्ष को फँसाने के लिए है?
कुछ मुख्य मीडिया विदूषक बना हुआ है।
गोदी मीडिया इतिहास में कायरता दर्ज कर गया।
मणिपुर में मानवाधिकार हुआ तार-तार
प्रधान एवं सत्ता शक्ति दिखा रहा बार-बार।
जिस विपक्ष ने चेताया,
सरकार ने विपक्ष को धन्यवाद देने की जगह
उन्हें सोशल मीडिया पर निशाना बनवाया।
मणिपुर में
गाँधी के देश में सरकार है अपनी जनता के खिलाफ?
जनता की आवाज उठाने वाले देश विदेश के
यूरोपीय यूनियन ने प्रस्ताव पास किया,
हम शर्म से नहीं गड़ गये।
क्या वह निष्क्रिय है
महामहिम राष्ट्रपति मुँह पर टेप लगाये हैं।
प्रधानमंत्री एवं गृहमंत्री के स्तीफा भी कम है?
आज संसद में फिर स्पीकर मणिपुर पर मुस्कुराये
खड़गे जी ने कहा ‘मणिपुर जल रहा है’ कहकर दुःखी हुए।
संवेदनशील लोग देश-विदेश में तो रहे हैं।
स्पीकर मुस्करा रहे थे, शर्म से मरे नहीं।
देश-विदेश में देश की सरकार की वजह से
हमारी प्रतिष्ठा कम हुई है।
पिछले संसद सत्र को
सत्ता पक्ष ने चलने नहीं दिया।
आज 20 जुलाई 2023 को
भारतीय संसद में
स्पीकर ने
मणिपुर चर्चा को नहीं चलने दिया।
नफ़रत का कैरोसिन यदि सरकार नहीं छिड़कती,
पहलवानों के मामले में यदि न्याय किया होता,
उस सांसद को आज ज़मानत न मिलती?
मणिपुर में आज पूरे देश की छवि
दुनिया में धूमिल हुई है।
प्रधानमंत्री ने 140 करोड़ लोगों को
किया शर्मसार।
खुद सरकार ने किया पाप
जो आज देश के लिए है अभिशाप।
जहाँ प्रधानमंत्री अपाहिज है,
जो दोषी है, निष्क्रिय है जो
ऐक्शन की जगह नक़ली आँसू बहा रहा है।
सिंहासन कौन ख़ाली करवायेगा,
जनता क्या सड़क पर आयेगी।
सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति जी
हिम्मत दिखायेंगी।
क्या सरकार को बर्खास्त करेंगी?
बिलक़िस बानो, फिर
महिला पहलवानों की बारी आयी,
क्या सरकार ने दोषी सांसद की ज़मानत करायी?
मणिपुर के बाद पूरे देश की बारी है।
कवि का सच,
पत्थर की लकीर है।
यदि नहीं जागे आज
कोई नहीं बचेगा।
कमजोर को शक्तिशाली दबायेंगे?
देश को बचाने की
नफ़रत को फैलाने वालों को हटाने की
हम सभी की ज़िम्मेदारी है।
नहीं तो आज हमारी कल तुम्हारी बारी है।
इस देश को बचाने भगवान नहीं आयेंगे।
क्या जनता सामने आयेगी?
- सुरेशचन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक’
20.07.23
गुरुवार, 22 जून 2023
भारत में 80 करोड़ योग नहीं करते -
भारत में 80 करोड़ योग नहीं करते (योग दिवस 21 जून 2023 पर )
नार्वे से सुरेश चन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक’
देश में 80 करोड़ लोग योग नहीं करते।
योग के बारे में नहीं सोचते।
सुबह से रात तक मजदूरी और उसकी तलाश करते हैं।
भारत में मीडिया प्रचार करते नहीं थकता
अमेरिका में प्रधानमंत्री के साथ
117 देशों के अमरीकी योग करने आये,
पर अमेरिकी सांसदों (अमरीकी कांग्रेस जन) ने किया
प्रधान मंत्री के भोज का किया बहिष्कार।
भारत में जाति और धार्मिक हिंसा की आवाज,
यौन उत्पीड़न महिला पहलवानों की आवाज़
दलित, मुस्लिम, अल्पसंख्यक और पत्रकारों पर
सरकारी जुल्म भारत में चढ़कर बोल रहा।
अमेरिका के 67 सड़सठ सांसदों ने सुनी आवाज।
भारत में मौन सांसदों के पौरुष को रहे धिक्कार।
अमेरिकी सांसदों ने राष्ट्रपति से उठायी
भारत में लोकतन्त्र एवं मानवाधिकार की आवाज़।
भारत में अस्सी करोड़ लोग योग नहीं करते।
बिना सरकारी सहायता और अस्पताल के
उनके बच्चे जन्म लेते ही होते हैं कर्जदार?
मिलता है उन्हें, घृणा, द्वेष नफ़रत का बाजार।
बच्चों को नहीं मिलती निशुल्क चिकित्सा, शिक्षा और रोटी।
लोकतन्त्र पर है तमाचा है, नयी सरकार का संस्कार।
विपक्षी नेताओं को डराकर, फँसाकर
भारत में लोकतन्त्र को कमजोर कर रहे हैं।
विपक्षी नेताओं को फँसाकर उन्हें आगामी चुनाव में
खड़ा होने से रोकने की तैयारी कर रहे हैं।
80 करोड़ लोग निशुल्क राशन नहीं चाहते।
वे चाहते हैं, स्वतंत्रता, मानवाधिकार, सुरक्षा।
सभी को समान अधिकार और समान निशुल्क शिक्षा।
जहाँ फिर कभी मणिपुर और कश्मीर नहीं जलेगा।
लोकतन्त्र में फिर होगा गाँधी का प्रेम और भाईचारा।
ओस्लो, 22.06.23
बुधवार, 21 जून 2023
लोकतंत्र में रोटी से बड़ा मानवाधिकार है। - सुरेश चन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक’
मणिपुर जल रहा लोकतन्त्र बचाओ।
मणिपुर में मानवाधिकार-शान्ति लाओ।
नार्वे से सुरेशचन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक’
कानून का राज्य चूर-चूर हुआ है,
सरकार पर विश्वास दूर हुआ है।
मणिपुर को क्यों आग में जलने देते?
क्या मुख्य मीडिया बिका हुआ है?
लेखक, पत्रकार अनेक मौन है?
मणिपुर अशांत छोड़ गया कौन है?
देश-विदेश में भारतवासी हैं चिंतित,
हम मौन तमाशा देख रहे हैं।
सत्य-अहिंसक प्रदर्शनकारी को
गिरफ़्तार करा रहा कौन है?
मीडिया मानवाधिकार का रक्षक होता,
एकतरफ़ा समाचार दिखा रहा मौन है?
लोकतंत्र में रोटी से बड़ा मानवाधिकार है।
शान्ति, सुरक्षा, स्वतंत्रता बड़ा सवाल है।
व्यवस्था, सांसद, पुलिस कमजोर बड़े,
सरकार के हाथ में कठपुतली बड़े बने?
जो गोदी मीडिया है, उसे न देखो?
हाथ पर हाथ रखे घर पर नहीं बैठो।
देश-विदेश में भारतवासी हैं चिंतित,
मानवाधिकार बचाने सड़क पर पहुँचो।
(ओस्लो, योग दिवस, 21 जून 2023)
रविवार, 18 जून 2023
मिट्टी के देवता - सुरेश चन्द्र शुक्ल पर परिचर्चा
विविधताओं के दौर में मील का पत्थर है नार्वे के डॉ. सुरेश चंद्र शुक्ल ' शरद आलोक जी का काव्य संग्रह 'मिट्टी के देवता'
विश्व हिंदी संगठन ,नई दिल्ली के
द्वारा आयोजित मूर्धन्य अप्रवासी साहित्यक डॉ. सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक ' के काव्य संग्रह *मिट्टी के देवता* पर परिचर्चा का आयोजन किया गया ।
इस परिचर्चा में मुख्य अतिथि रहे प्रो . शैलेन्द्र कुमार शर्मा, कुलानुशासक एवं अध्यक्ष हिंदी विभाग, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन । उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि इस संग्रह की विशेषता है मानवीयता, संवेदना एवं सहिष्णुता ।
भारत के उन तमाम ज्वलंत मुद्दों पर प्रखरता से कवि शरद आलोक जी ने निर्भीक होकर अपनी बात रखी । कवि की रचनाधर्मिता को प्रो. शर्मा ने वाल्मिक के रचनाधर्मिता से जोड़ते हुए कहा कि इनकी कविताएँ *वर्तमान युग* *जीवन का साक्षात्कार हैं।*
अगली वक्ता के रूप में राजस्थान से डॉ. बबीता काजल जी जुड़ी और उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि यह काव्य संग्रह वैश्विक संग्रह है जिसमें नार्वे से ले कर भारत तक की परिस्थितियों स्थितियों को एक फ्रेम में प्रस्तुत किया गया है.
सवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध इस संग्रह में किसान व मजदूर के माध्यम से लोकतंत्र पर केंद्रित है.
विश्व में सबसे बड़े लोकतंत्र की मिसाल रहे भारत की अंदरूनी परिस्थितियों पर व्यंग्य, शासकीय योजनाओं पर प्रहार करती है
इस दृष्टि से साहसिक रचना होने के साथ परिवर्तन कामी काव्य संग्रह है ।
डॉ. कोयल बिस्वास, बेंगलुरु से हमारे बीच रही और उन्हों इस काव्य संग्रह के बारे में कहा कि
कवि सुरेशचंद्र शुक्ल जी का कविता संग्रह ‘मिट्टी के देवता’ वास्तव में चेतना को झकझोड़ देने वाली कविताओं का गुलदस्ता है| 72 कविताओं में कवि ने निर्भीकता से समाज में पनप रही विसंगतियों का पर्दा फ़ाश किया है| उनकी कविताओं में किसान आंदोलन से लेकर प्रजातन्त्र पर आने वाली चुनौती पर उन्होंने इंगित किया है| भावनाओं में न बह कर यथार्थवादी कठघड़े पर खड़े होकर चीख चीखकर उनकी कविताएं पुनः उस क्रांतिकारी भारतवासी को जगाने का भरसक प्रयास किया|
हर भारतवासी में कवि विवेकानंद को जगाने का प्रयास करते है क्योंकि विवेकानंद जी युवा शक्ति, जागरण एवं साहस का प्रतीक है| कवि की कविता ‘विवेकानंद बहुत रोये हैं’ में कवि देश में बढ़ती हुई अशिक्षा पर चिंता व्यक्त किया है| उनका यह कहना, ‘दुनिया में करोड़ों बच्चे, शिक्षा से दूर हैं’ संवेदना से भरपूर है जिसमें वह आगे वह लिखते है, “जिस देश में 40 प्रतिशत साक्षर होने को आतुर है|”भारत से दूर प्रवास में बैठे अपनी जड़ों को याद करके कवि ने उन यादों को सहेजा है| कविता ‘किताबों में मिली चिट्ठी’ के माध्यम से उन्होंने प्रवासी साहित्यकार का अपनी रचनाओं की किताबों का पुस्तक मेले में चित्रित किया है| कहीं न कहीं उनकी कविताओं में उस संघर्ष का भी आभास मिलता है जो हर किसी प्रवासी साहित्यकार को झेलना पड़ता है|
कवि समय को अपनी कविताओं में बांध देता है, समस्या से लेकर समाधान तक की यात्रा कवि अपनी कविताओं के माध्यम से तय करता है| इसलिए लोकतंत्र के स्खलित मूल्यों पर आशंका व्यक्त, किसान समस्या पर उद्वेलित एवं अशिक्षा के कारण भारत के भविष्य को लेकर उद्विग्न कविता संग्रह ‘मिट्टी के देवता’ हर पुस्तकालय में अपना आसान बनाए यहीं कामना है।तेलंगाना से जुड़ी डॉ. अपर्णा चतुर्वेदी जी ने कहा कि इस काव्य संग्रह की 72 की 72 कविताएँ समसामयिक जीवन के ज्वलंत मुद्दो को उधेड़ती हैं ।
*मिट्टी का कर्म है जीवंतता, उर्वरता और यह संग्रह इन्हीं का प्रतिविम्ब है।*
अगली वक्ता रही महाराष्ट्र डॉ. रेविता बलभीम कांवले जी ।उन्होंने कवि के निर्भीक बयानबाजी की ओर इशारा कर *नार्वे में रह रहे कविमन की नीर क्षीर दृष्टि की सराहना की ।* सारी काव्य रचनाएँ अपने आप में सुघड़ संदेश नदयुवक और राष्ट्रहित प्रेरकों के प्रति समर्पित है।
कार्यक्रम में स्वयं कवि डॉ. सुरेश चंद्र शुक्ल ' शरद आलोक ' जी का भी सान्निध्य लाभ प्राप्त हुआ और संग्रह से उन्होंने दो कविताओं का वाचन भी किया जो कि अद्भत रहा ।
कार्यक्रम के अंत में आभार ज्ञापन किया विश्व हिंदी संगठन के अध्यक्ष डॉ. आलोक रंजन पाण्डेय जी ने। हमेशा कि तरह गागर में सागर भरते हुए पूरे काव्य संग्रह के 72 कविताओं का संग्रह करते हुए कहा कि यह *बहत्तर रचनाएँ बहतर होती हुई बेहतरीन की ओर ले जाती हैं। जब सत्ता से व्यक्ति लड़ता है तो वह पर्थप्रदर्शक कवि युग प्रवर्तक हो जाता है।* शुक्ल जी की रचनाएँ मनुष्यता धर्म का निर्वाह करते हुए भारतीय संस्कृति और भारतीय दर्शन को आत्मसात किए है। यह सर्जना अप्रतिम है।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. आरती पाठक , छत्तीसगढ़ से कुशलतापूर्वक किया ।
सोमवार, 12 जून 2023
शुक्रवार, 2 जून 2023
मंगलवार, 23 मई 2023
आस्ट्रेलिया की संसद में बी बी सी की डाकूमेंट्री
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दौरे पर आस्ट्रेलिया की संसद में बी बी सी की डाकूमेंट्री फिल्म दिखाई जा रही है।
भारतीय मीडिया से यह समाचार ग़ायब है जो पत्रकारिता के हिसाब से ठीक नहीं है। प्रदर्शन का आयोजन अनेक संगठनों ने मिलकर किया है। इसमें भारत में सजा काट रहे पुलिस अधिकारी की बेटी आकाशी भट्ट और एमनेस्टी इण्टरनेशनल के आकार पटेल भी सम्मिलित हैं। आस्ट्रेलिया यात्रा पर मोदी का विरोध भी किया जा रहा है।
पर भारतीय मीडिया में नरेन्द्र मोदी का प्रवासी भारतीयों द्वारा स्वागत की खबर तो है पर दूसरी खबर नदारत है।
शुक्रवार, 12 मई 2023
पर्यावरण प्रदूषण में क्यों भारत अव्वल है? - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' Poem by Suresh Chandra Shukla
पर्यावरण प्रदूषण में क्यों भारत अव्वल है?
- सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
प्रदूषण से तो पूरी दुनिया जूझ रही,
चारबाग लखनऊ रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर
विज्ञापन ध्वनि प्रदूषण रेल सूचनाओं को मुँह चिढ़ाते हैं।
जब दो सूचनाओं के एक साथ प्रसारण से
यात्री रेल के आवागमन को ठीक से नहीं सुन पाते हैं।
बस, रेल, निजी वाहनों से यात्रा करते,
प्लास्टिक, कागज, बोतल को खुले आम फेंकते?
लखनऊ नगर में हर चौराहों के पास गली में
पुरुष क्या मजबूरी में पेशाब करते नजर आते?
स्वस्थ भारत को कैसा आइना दिखाते?
हर चैराहे पर शौंचालय-मूत्रालय कूड़ेदान नहीं।
चलते-फिरते पैदल यात्री सब शर्माते हैं,
हम सार्वजानिक शौंचालय कम बनाते हैं।
चुनाव रैलियों में करोड़ों फूँक रहे,
जन-धन को नेता क्यों व्यर्थ बहाते हैं?
विश्व गुरु होने का हम दम्भ हैं भरते,
पर्यावरण का ध्यान नहीं रख पाते हैं?
. . . .
सिंघवी-सिम्बल कोटि धन्यवाद तुम्हें, लोकतन्त्र के रक्षक तेरा कोटि नमन - Suresh Chandra Shukla
सिंघवी-सिम्बल कोटि धन्यवाद तुम्हें,
लोकतन्त्र के रक्षक तेरा कोटि नमन
सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
शुक्रवार, 17 मार्च 2023
आम जनता के दरबार में - Suresh Chandra Shukla
जनता के दरबार में
- सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक'
क्या कोई बेच पाया है नेता!
देश को दुनिया के बाजार में?
जुमलेबाजों को न्याय मिलेगा,
आम जनता के दरबार में?
17.03.2023
लोकतंत्र में प्रयोग - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक
लोकतंत्र में प्रयोग
- सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक
चार दिनों तक चार मंत्रियों ने संसद में किया हंगामा।
विपक्षी नेता पर लगाये झूठे आरोप।
जनता के मुद्दे कहाँ गये:
मंहगाई, बेरोजगारी पर चर्चा नहीं है,
कारपोरेटरों के हाथों बने कठपुतली,
शीर्ष नेता का कैसा हटयोग?
लोकतंत्र क्यों तार-तार है,
क्या सांसदों के अपशब्दों को रोकने,
संसद का माइक किया क्यों बन्द?
लगता है कि संसद के बाहर कोई
संसद को चला रहा है?
यदि यह सच है तो मानों
लोकतंत्र का गला घुट रहा?
जनता इस लिए मौन है,
उसे नहीं पता है कि कोई संसद को
क्या बना रहा है बंधक?
या उत्तर वह क्या देगा
जिसने आज तक नहीं किया प्रेस से संवाद (प्रेस कांफ्रेस)?
जनता मौन है,
तीस प्रतिशत भूख-कुपोषण से जूझ रही.
उसको संसद से है उम्मीद।
जब भी संसद अपने हाथ खड़े करेगी;
यह गरीब जनता ही नेतृत्व करेगी।
तब कार्पोरेटर और नेता क्या पलायन करेंगे?
किस देश में शरणार्थी बनेंगे?
सांसदों के अपशब्दों को रोकने,
17 मार्च को संसद शर्मसार हुई.
सांसदों को बोलने की आजादी छिनी।
डेमोक्रेसी की खुलेआम लूट रही इज्जत।
हम वॉट्सऐप यूनिवर्सिटी में उलझ गए हैं ?
स्पीकर की कुटिल मुस्कान से लगा कि
काले बादल छाने वाले हैं?
ऐसा कभी न होने देंगे,
आम जनता को कमजोर समझना
आने वाले दिन दिखलायेंगे,
जब हमारे सत्ताधारी केंद्रीय नेता
लगता है जनता को भूल कार्पोरेटर के हित को
संसद और देश को क्या दाँव पर लगाएंगे?
नहीं-नहीं ऐसा नहीं होगा
जागरूक जनता देख रही है
दिन-रात लोकतंत्र बचने की तैयारी
कर रही है?
17 मार्च, 2023
रविवार, 12 मार्च 2023
12 मार्च 2023
हमारी स्मृतियों में भारत
12 मार्च 2023 विचारों में खोजते बचपन
मैं जागूँ या सोऊँ एक बात तय है कि मुझे सबसे ज्यादा अपने देश के सपने देखता रहता हूँ। मेरे बारे में यह कहावत सही लगती है कि मैं सोते-जागते हुए दोनों तरह सपना देखता हूँ। अपने वतन के बारे में विचार कर मुझे बहुत अच्छा लगता है। शायद ही कोई ऐसा हो जिसे अपने प्यारे वतन, बचपन, मित्र और मोहल्ले वाले के सपने न देखता हो, अर्थात उन्हें स्मरण करके उसका मन पुलकित न होता हो।
हमारी स्मृत्यों में यह भारत सदा छाया की तरह पीछा करता है। हमारे मन में जो होता है उसकी आकृति भी हम देखना चाहते हैं।
स्वप्न टूटा फोन में अलार्म की आवाज से। स्वप्न में मैं रेल में विचरण कर रहा था। वह भी बुफे वाला डिब्बा। यानि मेरे डिब्बे में चाय पानी का पूरा इंतजाम था।
मैं सपनों में अक्सर अपना सामान भूल जाता हूँ या रेल से देरी से बाहर आता हूँ। कहा जाता है कि स्वप्न उल्टा होता है, यह बात यहाँ सत्य है क्योंकि मैं रेल में मैं समय से पहले पहुँचता हूँ। हाँ हवाई जहाज के लिए हवाई अड्डे पर देरी से अनेक बार पहुंचा हूँ और जहाज छूट गया।
अभी हाल में भी लख़नऊ एयरपोर्ट पर रायपुर के लिए इंडिगो एयरलाइंस से जहाज छूट गया है। दिन पर दिन एयर लाइंस की सेवा ख़राब होने लगी है इसका कारण सेवाओं की गुड़वत्ता से ज्यादा कमाई पर ध्यान देते हैं एयलाइंस वाले। आजकल यह बहाना ज्यादा बढ़ गया है जबसे एयरपोर्ट की जिम्मेदारी के नाम पर पैसा कमाने वाले हमारे शीर्षस्थ नेताओं के मित्र एयरपोर्ट से भरपूर क़ानूनी और गैरकानूनी तरीके से धन कमा रहे हैं। कहाँ मैं समाचार की तरह बाते करने लगा।
खैर मैं वापस लौटता हूँ जहाँ से बात शुरू की थी।
आज फोनकाल आया वीरेन्द्र वत्स (पूर्व संपादक, हिंदुस्तान लखनऊ) का उन्होंने साहित्य अकादमी दिल्ली के बारे में मुझसे कुछ जानकारी लेनी चाही और नए अध्यक्ष के बारे में पूछा। दूसरे फोनकाल पर मेरे रेलवे में युवावस्था में रहे मेरे राजनैतिक मित्र वीरेन्द्र मिश्र, नरेंद्र दुबे और बचपन बिताये मोहल्ले पुरानी ऐशबाग कालोनी, ऐशबाग के विशाल पाण्डेय और नीरू ने की।
आज भी 560 घरों और 70 ब्लाक में बसी यह पुरानी ऐशबाग कालोनी, लखनऊ मेरे लिए बड़ी दिलचस्प है। यहाँ से झरे हैं हजारों यादों के हरसिंगार। गरीब निम्न मध्य श्रेणी परिवार में जन्मे और पला और बड़े हुए। यह आनन्द चाँदी का चम्मच लेकर पैदा होने वाले क्या जानें।
जब भारत में रहता था तब अपने पास पड़ोस, नाते रिश्तेदार यानी कि एक सीमित दायरा था किसी को याद करने का। अब पूरा भारत एक परिवार लगने लगा। विदेशों में रहने वाले भारतीय भी जो मेरे संपर्क में हैं और फोन पर अथवा डिजिटल गोष्ठी में मिलते और बातचीत करते हैं तो वे भी विदेशी नहीं लगते। इसी अहसा ने मुझे इस पुस्तक लिखने की प्रेरणा दी।
हमारी स्मृतियों में भारत शीर्षक से लिखे संस्मरणों और आपबीती में दिए सभी उदाहरण और कथाएं केवल अपने देश और परिवार की भावनाओं में दुलार और प्रेम से पली-बड़ी हुई स्मृतियाँ मेरी साँसों का हिस्सा बन गयीं।
आप भी हमारी इन साँसों की नाव में स्मृतियों के सहारे सैर करें और सहयात्री बनें। आपको इसके लिए रेल, जहाज, पानी के जहाज अथवा रिक्शा, तिपहिया, बस, और मैट्रो से यात्रा नहीं करने पड़ेगी। मेरा वायदा है यह यात्रा मैं इस पुस्तक के माध्यम से कराऊंगा।
लखनऊ के मध्य में ऐशबाग ईदगाह के पीछे और ऐशबाग रोड, लखनऊ के किनारे बसी पुरानी श्रमिक बस्ती में तीन बड़े और दो बहुत छोटे पार्क हैं। इनके बड़े पार्कों के नाम इस प्रकार हैं: नेहरू पार्क (नेता वाली पार्क), नीम वाली पार्क, सेंटर वाली पार्क। छोटे दो पार्कों के नाम हैं कुँए वाली पार्क और गुरुद्वारे वाली पार्क। यहाँ पर मैंने कविता लिखी जिसमें आज कुछ पंक्तियाँ साझा कर रहा हूँ।
"जीवन में जिसकी सादगी ईमान रहा है,
पुरानी श्रमिक बस्ती में सालिकराम रहा है।
पप्पू, महेश धमीजा और दिलीप के बच्चे,
जहाँ उनके मकान थे, अब दूकान वहां है।
यह नेहरू पार्क, कुंआं और खजूर जहाँ रहा,
भारतवासी, शिव नारायण का घर वहां रहा।
संस्कृति - शिक्षा - समाज का सच्चा आइना,
सेंटर वाली पार्क सदा वह केन्द्र रहा है।
भगत जी, चावला बच्चों से तुड़वाते गुलेल थे,
अहिंसा और प्यार उन्हें सिखाते बड़े अदब से।
लगाए थे अनेकों पेड़ जो शिव मंदिर के पास हैं,
शाम को आसपास बाजार आबाद हो गये।
सेंटर वाली पार्क में फेलियर भले बहुत थे,
विदेश की भूमि पर पर झंडे गाड़े जरूर थे।
वी पी सिंह (55/8) आज भी उस दौर के गवाह,
दर्शन सिंह (69/8) साथी अब 90 बरस के हैं।
- सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' , 120323
शनिवार, 18 फ़रवरी 2023
अर्ध सत्य - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
अर्ध सत्य
सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
न्याय पालिका, चुनाव आयोग
और मीडिया झुका हुआ है।
इसीलिए लोकतंत्र का मानो
गला घुटा - घुटा है।
विज्ञापन प्रदूषण फैलाने वाले
नेता अपने चित्र
बेतुके असत्य संदेशों से
जनता को गुमराह कर रहे।
अन्धभक्त भी अन्धकार को
उजियारा साबित में लगे हुए हैं।
जहाँ सबसे ज्यादा जनता,
भूख-प्यास से मरती है।
शिक्षा के अभाव में बच्चे,
जहाँ कूड़ा बीना करते हैं।
देश सम्पत्ति, निजी हाथों में,
कौड़ी के भाव बेचती है।
देश-विदेश के पूंजीपति के घर
हुक्का-पानी भरती है।
अन्धभक्त उस बन्दे को,
अपना हीरो मोदी कहती है।
सच्चाई कहने वालों को
अपराधी, डोंगी कहती है।
छप्पन सीने वाले का पौरुष,
क्या गौरव से भर जाता है?
बुलडोजर बाबा के कारण,
सरेआम बेटियां जलती हैं।
गुरुवार, 16 फ़रवरी 2023
बुलडोजर बेकाबू, बुलडोजर बाबा सरकार से स्तीफा दें Suresh Chandra Shukla
देश की नाव क्यों नेता डुबा रहे हैं - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
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