मंगलवार, 24 दिसंबर 2019

Speil स्पाइल-दर्पण 4 -2019. नार्वे से गत 31 वर्षों से प्रकाशित पत्रिका

ओस्लो, नार्वे से प्रकाशित हिन्दी और नार्वेजीय भाषा की पत्रिका स्पाइल-दर्पण का अंक क्रिसमस पर उपहार है.

Speil स्पाइल-दर्पण 4 -2019. नार्वे से गत 31 वर्षों से प्रकाशित पत्रिका
पत्रिका के विभिन्न विधाओं में रचनायें : 7  लोगों के सम्पादक के नाम पत्र, सम्पादकीय, लेख, तीन कहानियाँ, 14 कवितायें, व्यंग्य, फ़िल्मी और खेल पर सामग्री है.

आपको पत्रिका कैसी लगी लिखियेगा।

सोमवार, 16 दिसंबर 2019

अहिंसा के बने परवाने, तब जलना तो पड़ेगा। अगर प्रजातंत्र बचाना,घर से निकलना तो पड़ेगा। - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक', 16.12.19

 अगर प्रजातंत्र बचाना,घर से निकलना तो पड़ेगा।
खबरदार मंत्री, कौन जाने तुम कल सड़क पर,
पुलिस और मिलेट्री से, जनतंत्र चले न गजभर।
आपातकाल का भोगी, तुम क्या जानों क्या बेवाईं,
राजा भी रंक बने हैं, भूचाल सह सकोगे पलभर।

एकता में अनेकता का पाठ पढ़ायें यहाँ पर गांधी।
किसी की न चलेगी जब जनता की चलेगी आँधी।
अहिंसा के  बने परवाने, तब जलना तो पड़ेगा।
अगर प्रजातंत्र बचाना,घर से निकलना तो पड़ेगा।
   - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक', 16.12.19

शुक्रवार, 29 नवंबर 2019

स्वीडन ने कश्मीर पर बयान दिया: मानवाधिकार बेहाल हो और प्रतिबन्ध हटाए जायें



 कश्मीर में  मानवाधिकार बेहाल हो और  प्रतिबन्ध हटाए जायें तथा आम नागरिकों के स्वतंत्र घूमने दिया जाये: स्वीडन
स्वीडीय (स्वीडेन के) शाही युगल किंग कार्ल गुस्ताफ और रानी सिल्विया और मंत्रियों की भारत यात्रा पर दो दिन में आने वाले हैं.
दो दिन पहले स्वीडेन ने कश्मीर पर कड़ा बयान  दिया है कि कश्मीरियों को कश्मीर की समस्या सुलझाने में शामिल करें और कश्मीर में हालत सामान्य  कर वहां जनता की आवाजाही सामान्य हो.
स्वीडिश शाही युगल किंग कार्ल गुस्ताफ और रानी सिल्विया के आगमन से दो दिन पहले और विदेश मंत्री आन लिंदे सहित वरिष्ठ मंत्रियों ने स्टॉकहोम ने जम्मू और कश्मीर पर अपना सबसे सख्त संदेश भेजा और इस तरह अब तक सरकार से पूर्व में रखे गए सभी प्रतिबंधों को हटाने का आग्रह किया।
एक सवाल के जवाब में गुरुवार को स्वीडिश संसद में स्वीडेन की विदेशमंत्री सुश्री आन लिंदे द्वारा दिया गया बयान, स्वीडिश प्रतिनिधिमंडल द्वारा एक सप्ताह की लंबी यात्रा (1-6 दिसंबर) पर आ रहा है,
जहां दोनों पक्षों द्वारा एक घोषणा की उम्मीद है महत्वपूर्ण ध्रुवीय अनुसंधान समझौता, पहले "इनोवेशन काउंसिल" संवाद, रक्षा, स्वच्छ प्रौद्योगिकियों, वायु प्रदूषण से निपटने और व्यापार पर सहयोग पर चर्चा करेंगे।
कश्मीरियों को कश्मीर की समस्या सुलझाने में शामिल करें
“हम मानवाधिकारों के लिए सम्मान के महत्व पर जोर देते हैं, कि कश्मीर की स्थिति में मानवाधिकार के हनन से बचा जा सकता था और स्थिति के दीर्घकालिक राजनीतिक समाधान में कश्मीर के निवासियों को शामिल करना चाहिए।
भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत महत्वपूर्ण है।
स्वीडन और यूरोपीय संघ (यूरोपीय संघ) ने जम्मू-कश्मीर पर लगाए गए शेष प्रतिबंधों को उठाने के लिए भारत सरकार से आग्रह किया। यह महत्वपूर्ण है कि बिना रोकटोक स्वतन्त्र कश्मीर में जनता की आवाजाही शुरू हो और संचार के अवसरों को बहाल किया जाये, संसद में सुश्री आन लिंदे ने कहा।
कश्मीर में स्थिति को "चिंताजनक" बताने वाला बयान 13 सितंबर को स्वीडीय संसद में दिए गए एक छोटे से बयान और तत्कालीन विदेश मंत्री मार्गोट वॉलस्ट्रॉम द्वारा भारत सरकार के जम्मू में अनुच्छेद 370 पर कदम के 10 दिन बाद जारी किए गए एक ट्विटर बयान का अनुसरण करता है।
- सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक', ओस्लो

 

बुधवार, 27 नवंबर 2019

नार्वे में भारतीय दूतावास में संविधान दिवस मनाया गया

संविधान को बहुत से लोगों ने मिलकर बनाया
और समिति के ख़ास लोगों के नाम हैं: जिसमें आंबेडकर के अलावा जवाहरलाल नेहरू और बल्लभ भाई पटेल अनेक समितियों में थे. नेहरू जी की ख़ास भूमिका थी.

संविधान सभा की समितियाँ प्रारूपण समिति - बी आर अम्बेडकर। 
संघ शक्ति समिति - जवाहरलाल नेहरू 
केंद्रीय संविधान समिति - जवाहरलाल नेहरू। 
प्रांतीय संविधान समिति - वल्लभभाई पटेल। 
मौलिक अधिकारों, अल्पसंख्यकों और जनजातीय और बहिष्कृत क्षेत्रों पर सलाहकार समिति - वल्लभभाई पटेल।
मुख्य भारतीयों में जिनके नाम दिखाए उनमें जवाहर लाल नेहरू का नाम गायब था. 
उस समय के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू थे. उनका नाम नहीं था तो वर्तमान प्रधानमंत्री का नाम और फोटो सभी पोस्टरों में दर्शक को चौंकाता है. 

डाकूमेंट्री फिल्म में देखा कि भारतीय संविधान में पहले हस्ताक्षर जवाहरलाल नेहरू जी ने किये थे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जयहिंद की जगह जय भीम का नारा लगाते दिखाया गया है और संविधान दिवस को आंबेडकर जयन्ती की तरह बनाने का पूरा प्रयास किया गया था. 

 नार्वे में भारतीय दूतावास में संविधान दिवस 
ओस्लो में भारतीय संविधान दिवस मनाया गया. इसमें विदेश विभाग नार्वे के प्रतिनिधि ने इस अवसर पर बधाई दी और बताया भारत के साथ नार्वे के रिश्ते बहुत पुराने हैं और नार्वे की प्रधानमंत्री जनवरी में भारत गयी थीं.
भारत में नार्वे ने बच्चों युवाओं की  शिक्षा सम्बन्धी प्रोजेक्ट में सहयोग के अलावा पर्यावरण और अनेक शोधों में
दोनों देश कार्य कर रहे हैं.
उन्होंने महात्मा गांधी जी के शांति और अहिंसा के सन्देश और स्वाधीनता दिवस को भारत के संविधान में बड़ी भूमिका बताया।

नार्वे के जाने माने वकील और मानवाधिकार के लिए कार्यरत ने कहा कि संविधान और भारतीय संविधान को पढ़कर लगता है कि महात्मा गांधी उसके हीरो रहे हैं. आजादी के संघर्ष से लेकर समानता, सभी को न्याय आदि गांधी जी का मूल मंत्र रहा है.

ओस्लो विश्वविद्यालय की कथिंका  ने  भारतीय संविधान को विशेष और सबसे बड़ा बताया।

 

संविधान दिवस पर लोकतंत्र की ह्त्या पर विपक्ष का प्रदर्शन

 
 
 
 
 
 
 
 
18 दलों ने संविधान दिवस मनाने के लिए संयुक्त संसदीय सत्र का बहिष्कार किया
 1 क्यों करना पड़ा 18 विपक्षी पार्टियों को संसदीय सत्र का बाहिष्कार 
22 नवम्बर की रात को प्रधानमन्त्री ने संसद से अनुमति लिए बिना, चर्चा किये बिना और संसद को सूचित किये बिना
महाराष्ट्र के राज्यपाल को बीजेपी नेता फडणवीज को मुख्यमंत्री और अजीत पवार को उपमुख्यमंत्री की शपथ दिलाई सुबह 
7:30 मीडिया और ट्वीटर द्वारा खबर दी गयी. 
जनता समझ नहीं पा रही कि 
1 अनैतिक तरीके से लोकतंत्र का गला घोटते हुए रात के अँधेरे में आनन्-फानन (इतनी-जल्दी) सरकार बनाने की 
 क्या जरूरत थी. 
2 जब शरद पवार ने राष्ट्रपति शासन लगाने के पहले दो दिन का समय माँगा था कि वह सरकार बनाने के लिए 
प्रयास कर सकते है. तब राज्यपाल ने समय क्यों नहीं दिया।
विपक्षी दल यदि सुप्रीम कोर्ट नहीं जाते और महारष्ट्र में अनियमितताओं की बात नहीं उठाते तो रात हो या दिन प्रधानमंत्री से 
लेकर राज्यपाल तक ने महाराष्ट्र में अनैतिक बिना पारदर्शिता के बिना संसद से पूछे और उसे सूचना दिए 
राष्ट्रपति शासन हटवाया और मनमानी कर अपनी सरकार बनाने के लिए मुख्यमंत्री को शपथ दिला दी.
3 मुख्यमंत्री ने गैरकानूनी तरीके से कुछ निर्णय लिए.
 
4 संविधान दिवस पर सरकार और प्रधानमंत्री ने अपने कार्यों से क्या सन्देश दिया और खुद अपनी गलतियों के लिए जनता से 
माफी मांगने के जगह भाषण दे रहे हैं जो उनका हक़ है पर लोकतंत्र की ह्त्या में उनका हाथ साफ़-साफ़ दिखाई दे रहा है.
 

सोमवार, 25 नवंबर 2019

बेलगाम राजा के अच्छे दिन - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
बेलगाम राजा के अच्छे दिन
सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'

हाँ अच्छे दिन आ गये हैं.
दरवाजा बंद कर लो,
नेता जी आ रहे हैं  माँगने वोट ?
जीतने के बाद न जाने क्या निकालेंगे खोट?
नोटबन्दी कर निकलवाए थे
गरीबों की बचत-मुसीबत के नोट!

कब मुझ भिखारी से छीन लें कटोरा,
मेरे बचे खुचे कपड़े, सदरी और लंगोट?
ईज्जत बचाने के लिए
पत्ते कम पड़ गए हैं?
जब से जंगल कट रहे हैं?

विरोधियों को जेल में बंद करने की
परम्परा पुरानी है.
महात्मा गांधी के जन्म के मनाये हैं 150 साल?
गाँधी के हत्यारों के प्रसंशकों को संसद
देशभक्त को जेल भेजनी की बारी है,
बेलगाम राजा और तुगलगी फरमान जारी है.
आज उनकी कल हमारी बारी है.

सूर्य अस्त हो गया है,
अन्धेरा छा गया है
बादल घिर गए हैं,
कैसे गरज रहे हैं.
जनता खामोश है,
सत्ता मदहोश है
तूफ़ान के पहले का सन्नाटा रोष है?
जब से खलियान जल रहे हैं
किसान आत्मह्त्या कर रहे हैं.
धीरज धरो अच्छे दिन आ रहे हैं.

चिदंबरम और फारुख अब्दुला को
संसद में आने से रहे हैं रोक,
जिन्होंने देश में जनतंत्र को बचाया था.
खुद के केस माफ़ करके घूम रहे हैं बेटोक?
बोये थे गुलाब पर क्यों बबूल उग रहे हैं
क्या अच्छे दिन आ रहे हैं?

जो सांसद सच कह रहे हैं,
उन्हें मार्शल बेइज्जत कर रहे हैं
लाचार स्पीकार क्यों मजबूर है
बेलगाम राजा का जी हुजूर है
अधिकांश सांसद गूंगे के गुड़ हैं,
दिव्यांग से ज्यादा देख नहीं पाते हैं?
नहीं देखने को मजबूर हैं?
पारदर्शिता ख़त्म हो गयी है,
जनता के शासन से
जनता की समस्या को बेदखल कर गये हैं
अच्छे दिन आ गये हैं?

सांसद बेचारा नया है
क्यों गिरगिट सा रंग बढ़ाने को लाचार
जानबूझ  कर गूँगा हो जाये यदि सांसद
उसको है धिक्कार
कैसी लाचारी कैसा शिष्टाचार
अपनी जिम्मेदारी से भागना
जनता से धोखा और अपने जमीर की ह्त्या?

भ्रष्ट नेताओं के ऊपर हो रहे केस ख़त्म
जनता के ऊपर आर्थिक समस्या के बड़े हो रहे जख्म।
जिन्होंने जनतंत्र को बचाया था
वही अब लग रहे हैं बेलगाम राज को खोट?
ताकत का नशा
साम्प्रदायिक न बन जाये
यह डर है?

राष्ट्रभक्त के नाम पर
साम्प्रदायिकता फैलाकर
जनता को लड़ाकर
विदेशी शासक की तरह
स्वदेशी कपड़ों में अंग्रेज हो गये हैं
अच्छे दिन आ गये  हैं?

'लोकसभा में मार्शल्स ने हमारे साथ छेड़छाड़ की: रेम्या हरिदास और जोथिमनी सेनीमलई

'लोकसभा में मार्शल्स ने हमारे साथ छेड़छाड़ की: रेम्या हरिदास  और  जोथिमनी सेनीमलई


    ज्योथिमनी 

 
      रेम्या हरिदास

दो महिला कांग्रेस सांसदों ने अध्यक्ष से की शिकायत. सोमवार, 25.11.19
'हम सिक्योरिटी स्टाफ से घबराए हुए हैं। कोई महिला सुरक्षा कर्मचारी नहीं है। सांसद ज्योतिमणि ने कहा, हम अपमानित महसूस कर रहे हैं।
संसद की दो महिला कांग्रेस सदस्य रेम्या हरिदास और ज्योतिमणि ने स्पीकर ओम बिरला से शिकायत की कि वे सोमवार को लोकसभा में मार्शल की छेड़छाड़ से प्रभावित थे।स्पीकर के आदेश के बाद प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस सांसदों का एक वर्ग जब लोकसभा सदस्‍यों से भिड़ गया, तो सदन से उसे हटा दिया गया।
(इंडियन एक्सप्रेस में समाचार नेट पर 25.11.19)

जब बिना कैबिनेट मीटिंग/बैठक के आदेश दिया प्रधानमंत्री ने, मुख्यमंत्री पद  की शपथ ली फड़नवीज सुबह 7.50 बजे
महाराष्ट्र के राजनीतिक परिदृश्य में मोड़ और मोड़ शुक्रवार रात से शनिवार सुबह तक 12 घंटे के समय में हुआ,  
जब देवेंद्र फड़नवीस ने सुबह के समारोह में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। शपथ समारोह शनिवार 
सुबह 7.50 बजे राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कैबिनेट बैठक के बिना इसे 
अनुमोदित करने के लिए एक विशेष नियम का उपयोग करते हुए किया गया था।
 

रविवार, 24 नवंबर 2019

नार्वे से प्रकाशित द्वैमासिक हिंदी पत्रिका स्पाइल-दर्पण 31 साल पूरे कर रही है. हार्दिक बधाई

  
 स्पाइल-दर्पण 31 साल पूरे कर रही है
 6 साल पहले नार्वे से प्रकाशित द्वैमासिक हिंदी पत्रिका स्पाइल-दर्पण की रजत जयन्ती थी, पत्रिका ने 25 साल पूरे किये थे. अब 31 साल पूरे कर रही है. हार्दिक बधाई 

शनिवार, 23 नवंबर 2019

शबाना आजमी की मां शौकत कैफी को श्रद्धांजलि






















शबाना आजमी की मां शौकत कैफी को श्रद्धांजलि - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'

22 नवम्बर की शाम को शौकत कैफी का निधन
जावेद ने अमेरिका से ही सास को श्रद्धांजलि दी है
22 नवम्बर की शाम को शौकत कैफी का निधन
प्रसिद्द कलाकार शबाना आजमी की मां और लेखक, शायर जावेद अख्तर की सास शौकत कैफी का निधनहो गया है। मुंबई में शुक्रवार शाम करीब 5 बजे अंतिम सांस ली। शनिवार दोपहर उनको सुपुर्द-ए-खाक किया गया। बदकिस्मती यह है कि कैफी के दामाद जावेद अख्तर अंतिम यात्रा में शामिल नहीं हो सके। वे मुंबई में नहीं, बल्कि अमेरिका में हैं। अपना दर्द बयां करते हुए जावेद ने अमेरिका से ही सास को श्रद्धांजलि दी है।
  1. मुझे बेटे से बढ़कर चाहने वाली शौकत जी का इंतकाल मेरे देश में हो गया है और मैं सात समंदर पार लॉस एंजेलिस में हूं। मेरे साथ कितनी विकट स्थिति है कि मैं तो उनको सुपुर्द-ए-खाक किए जाने तक भी नहीं पहुंच पाऊंगा। उनके जाने से मैं बेहद दुखी तो हूं। साथ ही उनको लेकर कई बातें मेरे जेहन में आ रही हैं। मेरी और शबाना की शादी उनके बिना हो ही नहीं पातीं। एक वे ही थीं, जिन्होंने इस मामले में मेरी काफी मदद की थी।
  2. उनके चले जाने से लेखकों के प्रगतिशील आंदोलन का जो पूरा कबीला था, कृश्न चंदर से लेकर राजिंदर सिंह बेदी, जां निसार अख्तर और इस्मत चुग़ताई का, उसका आखिरी स्तंभ भी ढह गया है। प्रोग्रेसिव राइटर्स का पूरा ग्रुप, जिन्होंने फिल्मों में काम करने से लेकर कविताएं, शॉर्ट स्टोरीज, नॉवेल्स वगैरह लिखे। अलग-अलग जगह बोले। उन तमाम लोगों में मेरी सास आखिरी थीं। अब वह पूरा ग्रुप खत्म हो गया।
  3. मुझसे उनका मां-बेटे का रिश्ता था। सास-दामाद का नहीं था। हमारी जिंदगी अब एकदम से बदल जाएगी। क्योंकि बहुत दिनों से वे हमारे साथ रह रही थीं। हमें उनकी आदत है। पूरी जिंदगी उन्होंने पृथ्वी थिएटर और इप्टा में काम किया। बड़े-बड़े अवॉर्ड्स उन्हें मिले। थिएटर की मानी हुई अदाकारा थीं।
  4. उनकी किताब 'याद की रहगुजर' उनकी वह दास्तान है, जिसमें उनके शौहर उर्दू के मशहूर शायर और नगमा-निगार कैफ़ी आज़मी, बेटी शबाना आज़मी और बेटे बाबा आजमी के खूबसूरत और दिलचस्प किस्से हैं। इसमें प्रगतिशील लेखक आंदोलन से जुड़े कवियों और लेखकों का जिक्र है। ऊंचे सामाजिक मूल्यों के लिए संघर्ष करने वाले किरदार हैं। वह किताब बहुत लोकप्रिय हुई। वह मराठी, गुजराती से लेकर जापानी और इंग्लिश तक में ट्रांसलेट हुई है। वह किताब प्रोग्रेसिव और इप्टा के मूवमेंट के बारे में एक पूरा इनसाइडर व्यू है।
  5. फिल्मों में उन्होंने जितना भी काम किया, वह बहुत ही अच्छा है। 'गर्म हवा' में जो रोल उन्होंने किया, उसकी तारीफ प्रख्यात फिल्मकार सत्यजित रे तक ने यह कहकर की थी कि 'साहब ये देखिए काम तो यह होता है।' वे थिएटर की क्वीन थीं। स्टेज पर खड़ी हो जाती थीं तो बाकी लोग केवल सुनते ही रह जाते थे। कैफी साहब के घर में तो आए दिन पार्टी हुआ करती थी। फेस्टिवल हुआ करते थे। कभी होली मनाई तो कभी दिवाली। क्रिसमस मनता था। ईद मनती थी। इन सब का अरेंजमेंट वे ही करती थीं। वे अपने आप में पूरा कल्चर और जीने का एक ढंग थीं।'
    (जैसा कि अमित कर्ण से अपने जज्बात साझा किए।)

 
 

मंगलवार, 19 नवंबर 2019

मेरी प्यारी दादी स्व० श्रीमती इंदिरा गांधी जी की जयंती पर शत् शत् नमन -राहुल गांधी


सशक्त, समर्थ नेतृत्व और अद्भुत प्रबंधन क्षमता की धनी,
भारत को एक सशक्त देश के रूप में, स्थापित करने में
अहम भूमिका रखने वाली लौह-महिला और
मेरी प्यारी दादी स्व० श्रीमती इंदिरा गांधी जी की
जयंती पर शत् शत् नमन।
राहुल गांधी

शनिवार, 16 नवंबर 2019

मेरी कहानियाँ - सुरेशचन्द्र शुक्ल

मेरी कहानियाँ - सुरेशचन्द्र शुक्ल 
मेरा पहला  कहानी संग्रह 'तारूफ़ी ख़त' उर्दू में लखनऊ में छपा था. दूसरा कहानी संग्रह 'अर्धरात्रि का सूरज' और 'प्रवासी कहानियां' वाराणसी से हिन्दी प्रचारक पब्लिकेशन्स प्रा लि से छापा था. नार्वे की उर्दू कहानियाँ दिल्ली से छपा था.

 

आज 16 नवम्बर को अंतर्राष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस









Gratulerer med Den internasjonale dagen for toleranse.
बंधुवर, पर हार्दिक बधाई आज 16 नवम्बर को अंतर्राष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस 
और भारत में राष्ट्रीय प्रेस दिवस है.  फ्रीडम आफ प्रेस में भारत का 140वां स्थान है.
यूनेस्को UNECO द्वारा 1995 में असहिष्णुता के खतरों के बारे में सार्वजनिक जागरूकता उत्पन्न करने के लिए दिन घोषित किया गया। यह 16 नवंबर को मनाया जाता है।
ट्विटर पर यूनेस्को:
Human मनुष्य ’होने के 7 बिलियन तरीके हैं लेकिन शांति के लिए केवल एक रास्ता है। और यह सहिष्णुता और समझ के माध्यम से है। सहिष्णुता दिवस पर विविधता का जश्न मनाएं जो हमें मजबूत बनाता है और वे मूल्य जो हमें एक साथ लाते हैं!
प्रेस स्वतंत्रता दिवस 3 मई को
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्रेस की स्वतंत्रता के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने और सरकारों को उनके कर्तव्य की याद दिलाने के लिए 3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस या सिर्फ विश्व प्रेस दिवस घोषित किया.

गुरुवार, 14 नवंबर 2019

सुप्रीम कोर्ट ने 36 राफेल जेट की खरीद के फैसले को खारिज कर दिया - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' Rewrite by Suresh Chandra Shukla

नंगे और भरे हुए विमानों की तुलना सेब और संतरे की तुलना। 
सुप्रीम कोर्ट ने 36 राफेल जेट की खरीद के फैसले को खारिज कर दिया - 
सुप्रीम कोर्ट ने 36 राफेल जेट की खरीद के फैसले को बरकरार रखने की मांग वाली याचिकाओं को खारिज कर दियातीन न्यायाधीशों वाली बेंच ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ आपराधिक अवमानना ​​याचिका को बंद कर दिया, उनसे कहा कि वह भविष्य में 'अधिक सावधान रहें'। भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) रंजन गोगोई की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने गुरुवार को 14 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद को रोकते हुए 14 दिसंबर, 2018 के फैसले की समीक्षा करने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया।
“याचिकाकर्ताओं का प्रयास राफेल खरीद के प्रत्येक पहलू को निर्धारित करने के लिए एक अपीलीय प्राधिकारी के रूप में खुद को विवश करना था… हम इस तथ्य को नहीं खो सकते हैं कि हम विभिन्न सरकारों के समक्ष काफी समय से लंबित विमानों के अनुबंध से निपट रहे हैं। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल ने गुरुवार को CJI के साथ सह-निर्णय लेते हुए मुख्य न्यायाधीश के रूप में उन विमानों की आवश्यकता कभी विवाद में नहीं रही ... इस अदालत ने रोइंग और मछली पकड़ने की जांच को उचित नहीं माना।
“हम मानते हैं कि राजनीतिक स्पेक्ट्रम में ऐसे महत्वपूर्ण पदों को रखने वाले व्यक्तियों को अधिक सावधान रहना चाहिए। एक राजनीतिक व्यक्ति के लिए विचार करने के लिए उसकी अभियान पंक्ति क्या होनी चाहिए। हालाँकि, इस अदालत या उस मामले के लिए किसी भी अदालत को इस राजनीतिक प्रवचन को वैध या अमान्य में नहीं घसीटा जाना चाहिए, जबकि अदालत ने उन पहलुओं को जिम्मेदार ठहराया है जो कभी अदालत द्वारा आयोजित नहीं किए गए थे। निश्चित रूप से, श्री गांधी को भविष्य में और अधिक सावधान रहने की जरूरत है, ”न्यायमूर्ति कौल ने मुख्य राय का एक अंश पढ़ा।न्यायमूर्ति कौल ने कहा कि प्राथमिकी दर्ज करने के मुद्दे और सीबीआई द्वारा एक परिणामी जांच दिसंबर के फैसले में अदालत द्वारा योग्यता के आधार पर तय की गई थी। उन्हें फिर से खोलने की कोई आवश्यकता नहीं थी।समीक्षा याचिकाकर्ताओं, जिनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी और वकील प्रशांत भूषण शामिल हैं, ने आरोप लगाया था कि सरकार ने महत्वपूर्ण तथ्यों को छुपाया और एक अनुकूल फैसला देने में शीर्ष अदालत को गुमराह किया। उन्होंने राफेल खरीद के खिलाफ उनकी शिकायत पर एक प्राथमिकी और सीबीआई जांच दर्ज करने की मांग की थी। न्यायमूर्ति के.एम. बेंच के तीसरे न्यायाधीश जोसेफ, बेंच के मुख्य विचार में आए निष्कर्षों से सहमत थे, लेकिन सुझाव दिया कि सीबीआई को पूर्व मंजूरी लेनी चाहिए और पूर्व मंत्रियों की शिकायत में कोई भी सामग्री पाए जाने पर एफआईआर दर्ज करनी चाहिए। अदालत ने पिछले फैसले के दिसंबर के कुछ तथ्यात्मक भागों के सुधार के लिए सरकार के आवेदन की अनुमति दी। मुख्य राय ने कहा कि ये गलतियाँ केवल तथ्यों के वर्णन से संबंधित हैं और फैसले के तर्क को प्रभावित नहीं करती हैं।दोनों न्यायाधीशों ने कहा कि 2018 के फैसले में केवल "क्या किया गया है और क्या किया जाना चाहिए" के बीच गलत व्याख्या की गई थी। फैसले में इस तथ्य की गलत व्याख्या की गई थी कि क्या सरकार ने नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) के साथ मूल्य विवरण साझा किया था। दूसरे, इसने यह धारणा व्यक्त की थी कि राफेल खरीद पर सीएजी की रिपोर्ट संसद की लोक लेखा समिति के समक्ष पहले ही थी, जब वह नहीं थी। तीसरे, सरकार ने दावा किया था कि रिपोर्ट का एक नया हिस्सा संसद के सामने रखा गया था और सार्वजनिक क्षेत्र में था। 
मूल्य निर्धारण का मुद्दा 
न्यायालय ने जेट के मूल्य निर्धारण के आरोपों को खारिज कर दिया। इसने कहा कि कीमतों का निर्धारण करना न्यायालय का कार्य नहीं है। ऐसे संवेदनशील मामलों को याचिकाकर्ताओं के संदेह पर निपटा नहीं जा सकता था। इस तरह के मूल्य निर्धारण का आंतरिक तंत्र स्थिति का ध्यान रखेगा। नंगे विमानों और पूरी तरह से भरे हुए विमानों की कीमत की तुलना करना सेब और संतरे की तुलना करने जैसा था। न्यायाधीशों को सलाह देते हुए, "सक्षम अधिकारियों को सर्वश्रेष्ठ छुट्टी मूल्य निर्धारण"। अदालत ने कहा कि समीक्षा याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि उन्हें दिसंबर में अदालत के फैसले के बाद राफेल सौदे के बारे में "स्रोतों" से अधिक जानकारी मिली थी। मार्च में, अदालत ने, एक आदेश में, राफेल खरीद के खिलाफ आरोपों की सत्यता का फैसला करने के लिए द हिंदू में प्रकाशित विभिन्न दस्तावेजों की जांच करने पर सहमति व्यक्त की। अदालत ने कहा, "हम एक बार फिर से, प्रत्येक खंड के विश्लेषण की विस्तृत कवायद शुरू करते हैं, जिसमें अलग-अलग राय हो सकती है, फिर यह कहते हुए कि क्या इस तरह के तकनीकी मामलों में अंतिम निर्णय लिया जाना चाहिए या नहीं लिया जाना चाहिए," ताजा जानकारी के आधार पर एक याचिका को खारिज कर दिया। अनिल अंबानी की कंपनी को उसके बड़े भाई मुकेश के रूप में गलत माना गया था, इस पहलू पर, अदालत ने कहा कि term रिलायंस इंडस्ट्रीज 'शब्द का इस्तेमाल राफेल सौदे में ऑफसेट भागीदार के संबंध में चर्चा के दौरान एक सामान्य अर्थ में किया गया था।

14th november birthday of Jawahar Lal Nehru आज जवाहरलाल नेहरू का जन्मदिन है (शेष नारायण सिंह लेख) Suresh Chandra Shukla


भारत की विदेशनीति उन्ही आदर्शों का विस्तार है जिनके आधार पर आज़ादी की लड़ाई लड़ी गयी थी
  - शेष नारायण सिंह
नेहरू की विदेश नीति या राजनीति में कमी बताने वालों को यह ध्यान रखना चाहिए कि यह नेहरू की दूरदर्शिता का ही नतीजा है कि आज भारत एक महान देश माना जाता है और ठीक उसी दिन आज़ादी पाने वाला पाकिस्तान आज एक बहुत ही पिछड़ा मुल्क है.कुछ लोग दावा करते हैं कि अगर आज़ादी मिलने के बाद भारत ने अमरीका का साथ पकड़ लिया होता तो बहुत अच्छी विदेशनीति बनती और आर एस एस वाले तो यही साबित करने में लगे रहते हैं कि जो कुछ भी कांग्रेस ने किया वह गलत था.. ज़ाहिर है यह दोनों ही सोच भारत के लोगों के हित के खिलाफ है और उसे गंभीरता से लेने की ज़रुरत नहीं है . लेकिन जवाहरलाल नेहरू की विदेश नीति की बुनियाद को समझना ज़रूरी है ..१९४६ में जब कांग्रेस ने अंतरिम सरकार में शामिल होने का फैसला किया , उसी वक़्त जवाहरलाल ने स्पष्ट कर दिया था कि भारत की विदेशनीति विश्व के मामलों में दखल रखने की कोशिश करेगी , स्वतंत्र विदेशनीति होगी और अपने राष्ट्रहित को सर्वोपरि महत्व देगी .. लेकिन यह बात भी गौर करने की है कि किसी नवस्वतंत्र देश की विदेशनीति एक दिन में नहीं विकसित होती. जब विदेशनीति के मामले में नेहरू ने काम शुरू किया तो बहुत सारी अडचनें आयीं लेकिन वे जुटे रहे और एक एक करके सारे मानदंड तय कर दिया जिसकी वजह से भारत आज एक महान शक्ति है .. सच्चाई यह है कि भारत की विदेशनीति उन्ही आदर्शों का विस्तार है जिनके आधार पर आज़ादी की लड़ाई लड़ी गयी थी और आज़ादी की लड़ाई को एक महात्मा ने नेतृत्व प्रदान किया था जिनकी सदिच्छा और दूरदर्शिता में उनके दुश्मनों को भी पूरा भरोसा रहता था. आज़ादी के बाद भारत की आर्थिक और राजनयिक क्षमता बहुत ज्यादा थी लेकिन अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में ताक़त कुछ नहीं थी. जब भारत को आज़ादी मिली तो शीतयुद्ध शुरू हो चुका था और ब्रितानी साम्राज्यवाद के भक्तगण नहीं चाहते थे कि भारत एक मज़बूत ताक़त बने और अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसकी आवाज़ सुनी जाए . जबकि जवाहरलाल नेहरू की विदेशनीति का यही लक्ष्य था. अमरीका के पास परमाणु हथियार थे लेकिन उसे इस बात से डर लगा रहता था कि कोई नया देश उसके खिलाफ न हो जाए जबकि सोवियत रूस के नेता एम के स्टालिन और उनके साथी हर उस देश को शक की नज़र से देखते थे जो पूरी तरह उनके साथ नहीं था. नेहरू से दोनों ही देश नाराज़ थे क्योंकि वे किसी के साथ जाने को तैयार नहीं थे, भारत को किसी गुट में शामिल करना उनकी नीति का हिस्सा कभी नहीं रहा . दोनों ही महाशक्तियों को नेहरू भरोसा दे रहे थे कि भारत उनमें से न किसी के गुट में शामिल होगा और न ही किसी का विरोध करेगा. यह बात दोनों महाशक्तियों को बुरी लगती थी. यहाँ यह समझने की चीज़ है कि उस दौर के अमरीकी और सोवियत नेताओं को भी अंदाज़ नहीं था कि कोई देश ऐसा भी हो सकता है जो शान्तिपूर्वक अपना काम करेगा और किसी की तरफ से लाठी नहीं भांजेगा . जब कश्मीर का मसला संयुक्तराष्ट्र में गया तो ब्रिटेन और अमरीका ने भारत की मुखालिफत करके अपने गुस्से का इज़हार किया ..नए आज़ाद हुए देश के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने अमरीकियों को कुछ इन शब्दों में फटकारा था . उन्होंने कहा कि ,'यह हैरतअंगेज़ है कि अपनी विदेशनीति को अमरीकी सरकार किस बचकानेपन से चलाती है .वे अपनी ताक़त और पैसे के बल पर काम चला रहे हैं , उनके पास न तो अक्ल है और न ही कोई और चीज़.' सोवियत रूस ने हमेशा नेहरू के गुटनिरपेक्ष विदेशनीति का विरोध किया और आरोप लगाया कि वह ब्रिटिश साम्राज्यवाद को समर्थन देने का एक मंच है ..सोवियत रूस ने कश्मीर के मसले पर भारत की कोई मदद नहीं की और उनकी कोशिश रही कि भारत उनके साथ शामिल हो जाए . जवाहरलाल ने कहा कि भारत रूस से दोस्ती चाहता है लेकिन हम बहुत ही संवेदंशील लोग हैं . हमें यह बर्दाश्त नहीं होगा कि कोई हमें गाली दे या हमारा अपमान करे. रूस को यह मुगालता है कि भारत में कुछ नहीं बदला है और हम अभी भी ब्रिटेन के साथी है . यह बहुत ही अहमकाना सोच है ..और अगर इस सोच की बिना पर कोई नीति बनायेगें तो वह गलत ही होगी जहां तक भारत का सवाल है वह अपने रास्ते पर चलता रहेगा. 'जो लोग समकालीन इतिहास की मामूली समझ भी रखते हैं उन्हें मालूम है कि कितनी मुश्किलों से भारत की आज़ादी के बाद की नाव को भंवर से निकाल कर जवाहरलाल लाये थे और आज जो लोग अपने पूर्वाग्रहों के आधार पर टी वी चैनलों पर बैठ कर जवाहरलाल नेहरू के

मंगलवार, 12 नवंबर 2019

कार्तिक पूर्णिमा पर उत्सव काशी में उतरे सितारे

काशी में उतरे सितारे  (कार्तिक पूर्णिमा पर उत्सव)
 
जमीं पर उतरे सितारे
असंख्य झिलमिलाती दीपों की 
टिमटिमाती रोशनी से 
जगमगाते काशी के घाट। 
गंगा की लहरों पर 
दीपों की रश्मियां। 
राजघाट से अस्सी तक 
अर्द्धचंद्राकार शक्ल लिए घाट, 
मानों किसी राजकुमारी के गले में 
पड़े स्वर्णाहार। 
गंगा की बलखाती लहरों पर 
दीपों के बनते प्रतिबिंब 
ऐसा प्रतीत हो रहा था 
जैसे कोई सुंदरी सोलहो श्रृंगार कर 
गंगा की लहरों में 
अपना चेहरा निहार रही हो। 
देव दीपावली पर चांद की चांदनी में, 
दीयों की रोशनी में 
अधिक निखार आ गया था। 
रोशनी से सराबोर धरती जैसे 
सूरज से मिलने चल पड़ी हो।
इस अद्भुत और अलौकिक नजारे 
समीप से निहारने के लिए 
हर कोई आतुर रहा। 
हम भी इस दृश्य को देखने के लिए बेताब 
राजघाट से लगा अस्सी घाट 
कहीं भी तिल रखने की जगह नहीं 
दीयों की जगमगाहट देखकर 
हर किसी ने कहा
सचमुच जमीं पर उतर आए सितारे।

अपनी सरकार नहीं तो किसी और की नहीं। - - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' Suresh Chandra Shukla

अपनी सरकार नहीं तो किसी और की नहीं।
 बी जे पी की सरकार नहीं तो किसी की नहीं।
शायद महामहिम राज्यपाल ने दो दिन की मोहलत देना प्रजातंत्र में ठीक नहीं समझा पर वह धरा और कारण नहीं बताया कि क्यों ऐसा जरूरी हो जाता है कि अक्सर जब बी जे पी की सरकार बनानी हो तो कभी जल्दी कभी बहुत समय दिया जाता है. हो सकता है उनका फैसला बदले, और भारत में डेमोक्रेसी के बारे में भगवान् जाने। 
लोगों में चर्चा है कि भारत में मनमानी तरीके से शासन किया जाता है. चाहे महामहिम राज्यपाल हों या मुख्यमंत्री, यदि अपनी सरकार नहीं तो किसी और की नहीं।  आज के दौर में भारत डेमोक्रेसी स्वीडेन और इंग्लैण्ड से सीखे।
भारत दुनिया का प्रजातंत्र है इसमें शक नहीं है पर अभी भी सूचना में और फ्रीडम आफ प्रेस में दुनिया में बहुत पीछे हैं. कभी-कभी तो भारतीय मामलों की सूचना विदेशी प्रेस या सोशल मीडिया से आती है. मुझे भारत पर गर्व है पर सभी राजनितिगों पर गर्व नहीं है जो देश को पीछे अपने फायदे पहले गिनते हैं. इस बात पर भारत में रायशुमारी से ज्यादा पता चल सकता है. जय हिन्द।
इमरजेंसी में मैंने एक कविता लिखी थी उसकी कुछ पंक्तियाँ यहाँ उद्घृत हैं इस पर आहूत लोगों ने लिखा है:
"नेता कुछ नहीं देता सब कुछ ले लेता।
झूठे वायदे, झूठे नारों से
सबको बस में कर लेता।
नेता कुछ नहीं देता सब कुछ ले लेता"

आज लिखने को मजबूर होना पड़ा:
"हमारी नहीं तुम्हारी भी नहीं बनने देंगे
आदर्शों को क्या लेकर चाटेंगे।
जब चाहे राह बदल लेंगे, हमारी मर्जी।
हम कांग्रेसी लौह पुरुष (सरदार पटेल) को
बी जे पी में मिला लेंगे।
माना देशभक्ति का गान ऊपर से करें,
हम चीन से ही मूर्ति बनवायेंगे।
भारतीय कलाकारों को मुँह नहीं लगाते,
जब चाहे उन्हें देशद्रोही बतायेंगे।
जानते हो हम तो गाँधी और उनके हत्यारों के
गुणगान करने वाले को सांसद और मंत्री बनाते हैं?
सभी के लिए द्वार खुले हैं यहाँ मित्रों!
सभी का साथ सभी का विकास हम कराते हैं।
धोबी के कुत्ते और गधे में हम फर्क क्यों करें?
सबको एक साथ गले लगाते हैं?"
 
- सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक', Oslo

शनिवार, 9 नवंबर 2019

शिया वक्फ बोर्ड की याचिका खारिज की और उसके बदले में उन्हें दूसरी जगह जमीन देने की पेशकश -Suresh Chandra Shukla, Oslo

 अयोध्या जमीन विवाद: 
शिया वक्फ बोर्ड की याचिका खारिज. दूसरी जगह जमीन देने की पेशकश
अयोध्या जमीन विवाद पर 5 जजों की संविधान पीठ ने फैसला पढ़ना शुरू किया, शिया वक्फ बोर्ड की याचिका खारिज की और उसके बदले में  उन्हें दूसरी जगह जमीन देने की पेशकश की है. (Bhaskar).10:45 Indian time). इस मामले में पुलिस वैन उत्तर प्रदेश में सार्वजनिक टिप्पणी पर प्रतिबन्ध की बात की घोषणा कर रही है. श्रोत: भास्कर अखबार।
उत्तर प्रदेश के स्वस्थ और बेहतर प्रशासन के कारण वहां शान्ति बनी रहेगी।  उसके लिए वे बधाई के पात्र हैं इस मामले में चाहे जिसकी सरकार हो.
भय-डर का माहौल राजनैतिक लगता है, आने वाला समय बतायेगा। सोच कर देखें कि बहुत लोगों को कोर्ट के परिणाम का परिणाम कैसे पता चल गए जब फैसला हुआ ही नहीं था?

विपक्ष के नेताओं (गाँधी परिवार) की सुरक्षा हटाई:
ऐसे समय विपक्ष के नेताओं गाँधी परिवार की सुरक्षा हटाई। दुर्भाय या संयोग?
लगता है सरकार का मकसद कभी धर्म कभी कश्मीर में उलझाए रखना है. विपक्ष को कमजोर करना है. सन 1915 में मुझसे एक बड़े नेता ने कहा था कि उनकी पार्टी गाँधी परिवार से घृणा करती है. फिर उस पार्टी को राजनैतिक पार्टी की इजाजत क्यों है जो विपक्ष के नेताओं से खुले आम घृणा का प्रचार करे?
जब आज कांग्रेस अध्यक्ष और अन्य गांधी परिवार के नेताओं की सुरक्षा कम कर दी गयी है तब उस नेता की बात में दूसरे से घृणा करने की सच्चाई पर शक होने लगता है? हो सकता है कि वह नेता अपने विचार के बहाने दूसरे का नाम ले रहा हो.

भारतीय प्रधानमंत्री की विश्वसनीयता भी कम हो गयी है
यहाँ यह भी बता दें कि भारतीय प्रधानमंत्री की विश्वसनीयता भी कम हो गयी है वह एक बात का उत्तर विदेश में कुछ देते हैं और भारत में कुछ. विश्व के एक अकेले प्रधानमंत्री हैं जो हर समाचार में अपनी फोटो देखना चाहते हैं और सारी विदेशी यात्रायें स्वयं करना चाहते हैं. शुरू में तो इतिहास और उनके सही नामों को  गलत नाम से पढ़े. कहा जाता है कि उसका कारण कि वह लिखा भाषण पढ़ते हैं और जांच नहीं करते।

सभी को गुरुनानक देव जी की जयंती पर बधाई।
सभी को गुरुनानक देव जी की जयंती पर बधाई। आज ओस्लो के गुरूद्वारे 'गुरुनानकदेव जी' की जयन्ती मनाई जा रही है.
इस अवसर पर करतार पुर कॉरिडोर का उदघाटन भारतीय साइड और पाकिस्तानी साइड में प्रधानमंत्रियों द्वारा उदघाटन किया जाएगा। अच्छा होता श्री नवजोत सिद्धू भी उद्घाटन में सादर शामिल किये जाते जिन्होंने अपने कैरियर को दांव लगाकर इस समझौते को शीघ्र पूरा करवाया।  सभी को बधाई। 12 नवम्बर को कार्तिक पूर्णिमा को पूरे विश्व में गुरुपर्व मनाया जायेगा.
    (श्रोत: भारतीय टी वी और अखबार के सम्पादकीय).

ईश्वर करे कि सरकार के कान में जूँ  रेंगे
भगवान् पुरुषोत्तम राम धर्म के कट्टर ठेकेदारों के तो बिलकुल नहीं हैं, जो चार दिनों से अखबारों में अपने ग्रुपों में बयानबाजी कर रहे हैं।
ईश्वर करे कि सरकार के कान में जूँ  रेंगे और वह देश में साक्षरता, गाँवों में रोजगार और पांच साल से छोटे बच्चे जो भूख से मरते हैं ऐसा आगे न हो उसके लिए बच्चों के लिए भोजन का प्रबंध करें.
'हाथ पर हाथ रखकर कभी कुछ होना नहीं
काटना क्यों चाहते हो नयी फसल जब तुम्हें बोना नहीं' बंधुवर निवेदन है निवेदन 
- सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक', ओस्लो 

शुक्रवार, 8 नवंबर 2019

नार्वे से प्रकाशित मुख्य प्रवासी पत्रिका स्पाइल-दर्पण के 31 वर्ष - - शरद आलोक

नार्वे से प्रकाशित मुख्य प्रवासी पत्रिका स्पाइल-दर्पण के 31 वर्ष 
प्रवासी साहित्य और पत्रिकाओं की चर्चा जोरों पर है. नार्वे से प्रकाशित पत्रिका स्पाइल-दर्पण का प्रवासी साहित्य में बड़ा योगदान है. यूरोप महाद्वीप से प्रकाशित होने वाली इस सांस्कृतिक पत्रिका ने विश्व में अपना स्थान बना लिया है.
31 वर्ष पुरानी स्पाइल-दर्पण पत्रिका में नार्वे, स्वीडेन, जर्मनी, डेनमार्क, यू के, बेल्जियम, फिनलैंड, आइसलैंड, अमेरिका और कनाडा के रचनाकारों की धड़ल्ले से रचनाएं प्रकाशित की हैं.
 
 

गुरुवार, 31 अक्टूबर 2019

भारत के प्रधानमंत्रियों जिनसे मैं मिला। - - सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक' Suresh Chandra Shukla























आज इंदिरा गांधी जी का शहीदी दिवस है उन्हें  कोटि-कोटि नमन 
इंदिरा जी 31 अक्टूबर 1984 को अपने ही अंगरक्षक द्वारा देश के लिए और राष्ट्रीय एकता के लिए शहीद हो गयीं।
मुझे अनेकों भारतीय प्रधानमंत्रियों से मिलने का अवसर मिला है जिनमें मुख्य हैं:

 भारत के प्रधानमंत्रियों जिनसे मैं मिला। 
पूर्व प्रधानमंत्री के रूप में विभिन्न साहित्यिक कार्यक्रमों में मिला हूँ और उनके विचार सुने हैं वे हैं: इंद्र कुमार गुजराल, चंद्रशेखर, पी वी नरसिम्हा राव और  विश्वनाथ प्रताप सिंह जी.
प्रधानमंत्री बनने से पहले भारतीय प्रवासी दिवस में दो बार नरेंद्र मोदी और एक बार चंद्र शेखर जी से लोकनायक जय प्रकाश नारायण जी से मिला हूँ और हाथ मिलाया है.
प्रधानमंत्री पद पर होते हुए जिन भारतीय प्रधानमंत्रियों से मिला हूँ वे हैं महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और अटल बिहारी बाजपेयी। अटल बिहारी बाजपेयी जी से मिलाने का श्रेय श्री भीष्म नारायण सिंह और उनसे परिचय कराया लक्ष्मीमल सिंघवी जी ने प्रवासी भारतीय दिवस दिल्ली में।
तब अटल जी एक सोफे पर बैठे थे उनके घुटने में तकलीफ थी.
- सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक', ओस्लो, 31 अक्टूबर 2019.

सरदार पटेल ने जवाहरलाल नेहरू को प्रधानमंत्री बनाया - Suresh Chandra Shukla



På bilde fra venstre, Nehru, Mahatma Gandhi og Patel.
भारत के पहले उप प्रधानमन्त्री बल्लभ भाई बल्ल्भ पटेल जी की जयंती 
पर कोटि -कोटि नमन.
सरदार पटेल ने जवाहरलाल नेहरू को प्रधानमंत्री बनाया. नेहरू ने उनके दोनों ही बच्चों को संसद में भेजा.
प्रथम प्रधानमन्त्री जवाहरलाल नेहरू जी ने पटेल जी के बच्चों को मदद देकर राजनीति में लाये.
रोचक लेख के लिए प्रतिष्ठित पत्रकार, देशबन्धु राष्ट्रीय समाचार पत्र के राजनैतिक सम्पादक शेष नारायण सिंह जी का आभार.
सरदार पटेल ने जवाहरलाल नेहरू को प्रधानमंत्री बनाया. नेहरू ने उनके दोनों ही बच्चों को संसद में भेजा.
सरदार पटेल के दो बच्चे थे. मणिबहन पटेल उनकी बेटी थीं. और डाह्याभाई उनके बेटे थे. सरदार पटेल की मृत्यु के बाद जवाहरलाल नेहरू ने उनके दोनों ही बच्चों को संसद में भेजा .मणिबहन पटेल दक्षिण कैरा लोकसभा सीट से १९५२ में और आनंद सीट से १९५७ में कांग्रेस के टिकट पर चुनी गयीं . १९६२ में गैप हो गया तो जवाहरलाल ने उनको छः साल के लिए राज्य सभा की सदस्य के रूप में निर्वाचित करवाया . अपनी बेटी इंदिरा गांधी को उन्होंने अपने जीवनकाल में कभी भी चुनाव लड़ने का टिकट नहीं मिलने दिया जबकि इंदिरा गांधी बहुत उत्सुक रहती थीं. जवाहरलाल की मृत्यु के बाद ही उनको संसद के दर्शन हुए . कामराज आदि भजनमंडली वालों ने इंतज़ाम किया .मणिबहन ने इमरजेंसी का विरोध किया और जनता पार्टी की टिकट पर मेहसाना से १९७७ में चुनाव जीतीं , वह बहुत ही परिपक्व राजनीतिक कार्यकर्ता थीं. उन्होंने १९३० में सरदार की सहायक की भूमिका स्वीकार की और जीवन भर अपने पिता के साथ ही रहीं .यह बात जवाहरलाल ने एक से अधिक अवसरों पर कहा और लिखा है .मणिबहन के नाम पर ही वह शहर बसा है जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विधानसभा क्षेत्र हुआ करता था.
सरदार पटेल की दूसरी औलाद डाह्याभाई पटेल थे जो बंबई में एक बीमा कंपनी में काम करते थे . वे मणिबहन से तीन साल छोटे थे . जब सरदार पटेल उप प्रधानमंत्री बने तो उनके सेठ ने डाह्याभाई को किसी काम से दिल्ली भेजा . सरदार पटेल ने शाम को खाने के समय अपने बेटे डाह्याभाई को समझाया कि जब तक मैं यहाँ काम कर रहा हूँ , तुम दिल्ली मत आना . वे भी कांग्रेस की टिकट पर १९५७ और १९६२ में लोक सभा के सदस्य रहे . बाद में १९७० में राज्य सभा के सदस्य बने और मृत्युपर्यंत रहे .
यह सूचना उन लोगों के लिए है जो अक्सर कहते पाए जाते हैं कि जवाहरलाल नेहरू ने सरदार पटेल के बच्चों को अपमानित किया था या उनको ज़रूरी महत्व नहीं दिया था .
- शेष नारायण सिंह

बुधवार, 30 अक्टूबर 2019

यूरोपीय संघ के सांसदों का कश्मीरी दौरा यूरोपीय वैध नहीं है - NDTV

यूरोपीय संघ के सांसदों का कश्मीरी दौरा यूरोपीय यूनियन का दौरा नहीं है.वैध नहीं है.
https://www.youtube.com/watch?v=ePKZ5BEB3ew



रविवार, 27 अक्टूबर 2019

नौ लाख जो मरे भूख से, उनके लिए भी दीप जलाना। -सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'

नौ लाख जो मरे भूख से, उनके लिए भी दीप जलाना।
जिन के घर में भरा अँधेरा, उनके घर भी दीप जलाना।। 
-सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'

आत्महत्या क्यों रहे तीन कृषक रोज महाराष्ट्र में,
पांच हजार बलात्कार (उ प्र) वह भी एक छमाहीं,
राम और रावण मिलकर जनता का संहार कर रहे.
नर संहार में मारे गये आदिवासियों की करें पैरवी।

सीरिया में तीन तरफ़ा हमले, कैसे जन विश्वास करें?
इथोपिया, इरीथेरिया और सोमालिया में जन संघर्ष?
शक्ति धर्म के नाम पर लहू बहाते अपने-गैरों का,
नेपाल, बंगलादेश और बर्मा, कितनी ग़ुरबत झेल रहे.

सरकार क्यों गरीब और अमीर को लड़ा रही है?
जिनके घर में नहीं हैं खाने, उनके बर्तन बेच रही.
सरकार जो बेच रही सार्वजनिक सम्पत्ति राष्ट्र की ,
उसे दोबारा वापस लाना, अब जनता की मजबूरी है.

बड़े उद्योग तुम्हें मुबारक, स्मार्ट सिटी बहलावा है.
बिन जनता से पूछे निर्णय, जनता से बड़ा छलावा है.
फिर से गाँवों में लौटेंगे, सहकारी नीति अपनाएंगे।
गाँव-गाँव से नेतागिरी को, हम कोसों दूर भगायेंगे।

अब गांधीवादियों को फिर से शाखायें लगाना है.
श्रमदान, प्रबंधन खेती का घर-घर बाग़ लगाना है.
क्षद्म राष्ट्रवादी धंधों से, बच्चों को बहुत बचाना है.
संयुक्त परिवार का खाका, जनता तक पहुँचाना है.

निजी स्कूल हर गाँव में खुलेंगे, मालिक अविभावक होंगे।
रोग से परहेज करेंगे, गॉंव से शराबखाने हम बंद करेंगे।
सम्बन्ध अब रक्त से नहीं चलेंगे, न जात-पात के धन्धों से.
सभी दिव्यांगों को मिले नौकरी, बचें आँख के अंधों से.

गरीब का कर्जा माफ़ करेंगे, अमीरों से कर ज्यादा लेंगे।
प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों की सुरक्षा आम करेंगे।
रैलियों पर प्रतिबन्ध, विज्ञापन: नेता-चित्रों से मुक्त रहेगा।
कामगार-सरकारें मिलकर सार्वजनिक उद्योग संभालेंगे।





 

शनिवार, 26 अक्टूबर 2019

जो दूसरों को खिलाता था वह आज भटक गया है? - - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' Suresh Chandra Shukla

जो दूसरों को खिलाता था वह आज भटक गया है?


पेड़ पर चिड़िया चहचहा रही हैं.
अपने जीवन की तार जोड़ रही हैं
आपस में  कर रही है सवाल
ये आदमी पेड़ में फँस गया है
बेजान न जाने कब से पेड़ पर झूल रहा है?

एक चिड़िया ने कहा
आओ इसे पेड़ से मुक्त करायें?
घर आये मेहमान को सहलायें।
दूसरी चिड़िया बोली
मैं दाना लेकर गयी थी
उसके लटके मुँह पर डाला
पर वह नजर नहीं उठा पाया।

आओ मिलकर चहचचायें,
लोगों को बतायें।
एक चिड़िया बोली, मैं इसे जानती हूँ
इसके साथ खेतों में चुने हैं दाने।
इसके आँगन में गयी
फुदक-फुदक कर खाने।

जो दूसरों को खिलाता था
वह आज भटक गया है?
घर से दूर आज
इस पेड़ में लटक गया है.

लोकसभा टी वी - सुरेशचन्द्र शुक्ल, एक विदेश में रहने वाले भारतीय लेखक का साक्षात्कार।

लोकसभा टी वी - सुरेशचन्द्र शुक्ल, एक विदेश में रहने वाले भारतीय लेखक का साक्षात्कार।
Interveue Loksabha TV- Suresh Chandra Shukla

शुक्रवार, 25 अक्टूबर 2019

महराष्ट्र में कॉर्पोरेटरों और सरकार को धनतेरस की बधाई - सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक'

महराष्ट्र में धनतेरस की बधाई 
- सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक'

महाराष्ट्र में जनता ने सरकार बनवायी,
सरकार ने  कार्परेटरों के लिए
धनतेरस और दीवाली बनायी
जनता हाथ मल रही है,
जिताकर फिर से जनता हार गयी है?
नैतिकता और सत्य का गला घुट रहा है
नेता का हौंसला बढ़ रहा 
जनता की उम्र कम हो रही है.
हाँ यह भारतीय प्रजातंत्र है?
जहाँ सभी बच्चे स्कूल नहीं जाते?
साक्षरता, बच्चों की शिक्षा  पर
कार्पोरेटर और सरकार मौन वृत है?
देश की सार्वजानिक प्रॉपर्टी की
नीलामी और टेंडर भी नहीं?
केवल अपने चहेतों को स्थान्तरित हो रही हैं?
इसी तरह रामराज्य की स्थापना हो रही है?

आज धनतेरस है,
जनता ने महाराष्ट्र में दोबारा सरकार बनाकर,
सरकार को दिया है तोहफा।
सरकार ने आत्महत्या कर रहे किसानों को
कर दिया अनदेखा।

गरीबों की मृत्यु पर तुम्हारा जश्न
नैतिकता से उसे कुचलना जारी है.
तुम्हारी विजय जनता की लाचारी है.

सरकार सोचती है चुनाव के पहले
सरकार का दलबदल अभियान
जनता जाएगी भूल
नए नाम से उसे चुभाने आएंगे शूल.
जनता को मरने-मिटने पर
खुद राज्य मिलने पर नेता-सेनापति
झोक रहे हैं जनता की आँखों में धूल..

दलबदल  का ठेका
शक्ति से निपटने का सरकारी दाँव,
विपक्षी को फँसाने का हथियार
खुले आम वार कर रहे हैं?
सभी अपनी पारी का
इन्तजार कर रहे हैं?
                        -सुरेशचन्द्र शुक्ल, लेखक, ओस्लो





गुरुवार, 24 अक्टूबर 2019

दक्षिण पंथी लहर बढ़ रही है - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'


दक्षिण पंथी लहर बढ़ रही है 
- सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक', ओस्लो, 24.10.19 
 
 कितना ताकतवर है वह कि जिसके
भड़काने पर क्यों क्रूर बन जाते हैं लोग?
जब भीड़ हत्यारी बन जाती है
तब लोग किस पर विश्वास करें?

सीरिया में शक्ति के लिए
जन संघर्ष से लेकर सेनाओं का विलय
हमले जारी हैं, जनता वही है
पर सेनायें अपनी भी और बाहरी भी.
जैसे राम और रावण की सेनायें मिलकर
जनता को कुचल रही हैं.

देश के लोग किस पर विश्वास करें?
खाली पेट अपने मालिकों पर
जो उनके वेतन नहीं दे रहे हैं?
भारतीय बैंकों की तरह
जो जनता का हक़ और
उनका पैसा वापस नहीं दे रहे?

जनता ने चुना जिसे, बहुमत से सरकार
उसे जनता की नहीं है दरकार?
यदि जनता की सहायता करेगी,
तो एलीट वर्ग ठगा महसूस करेगा।
जनता से लूट कर कैसे अपना घर भरेगा?

सरकार खुद क्या कमायेगी?
जब जनता के वायदे निभायेगी?
वायदा बहुमत जनता से
निभाती है एक वर्ग से
उसके उच्चवर्ग का सर्वोपरि है धन
और जनता है गेहूँ में घुन?

खेतों की ठूंठ जब तक खाद बनेगी,
उससे पहले खेत में आत्महत्याएँ होंगी?
महाराष्ट्र राज्य में ही एक दिन में तीन-तीन
किसान आत्महत्या करते हैं?
उस देश के प्रधानमंत्री चुनाव में
अपनी जीत का ढिंढोरा पीट रहे हैं.

भारत में कब से जनता हार रही है.
बैंक खाली हो रहे हैं.
जनता से पूछे बिना
सार्वजनिक सम्पत्ति राष्ट्रवादी बेचने लगे हैं
विरोधियों के गले देशद्रोही का खिताब
मढ़ने लगे हैं.

जनता का अखबार विद्रोही हो गया है,
अपने पाठकों के खिलाफ
उनके घरों में घुसकर उन्हें चुप करा रहा है.
सड़कें सुनसान है.
बिना शोरगुल के
अंतिम संस्कार में लोग भाग ले रहे हैं.

 दक्षिण पंथी लहर बढ़ रही
सेकुलर और समाजवादी मारे जा रहे हैं
न शोर न विरोध
चारो तरफ सरकारी रामराज्य है
गायें चारों पर घूम कर प्लास्टिक खाकर
गरीबतर आदमी फांकें खाकर जान दे रहा है?

देश में सब शान्ति है?
रात बीतने का इन्तजार
फिर दिन बिताने को बोझ लिए
समय चक्र चौबीस घंटों में बंट गया है.



सोमवार, 21 अक्टूबर 2019

ओस्लो में महात्मा गाँधी जी जयन्ती ऐतिहासिक दिन Mahatma Gandhis 150th years celebration in Oslo- सुरेसचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'


















ओस्लो में महात्मा गाँधी जी जयन्ती ऐतिहासिक दिन
मेरे लिये यह विशिष्ट दिन था। जब पचास साल पहले 1969 को मैंने महात्मा गाँधी जी की जन्म शताब्दी में अपने प्रिय विद्यालय 'गोपीनाथ लक्ष्मण दास रस्तोगी महाविद्यालय, ऐशबाग, लखनऊ में नौवीं कक्षा के छात्र के रूप में भाषण प्रतियोगिता में भाग लिया था। 
यहाँ भारतीय दूतावास ओस्लो द्वारा आयोजित गाँधी जी की 150वीं जयन्ती के कार्यक्रम में मैंने अपनी महात्मा गाँधी पर स्वरचित नार्वेजीय कविता का पाठ किया और 50 साल पहले अपने विद्यालय में गाँधी जी की अहिंसा पर अपना भाषण देने का अवसर मिला था।  दोनों बार महात्मा गाँधी जी की आत्मकथा की पुस्तक अन्य उपहारों के साथ मिली। 
प्रवासी भारतीय दिवस में महात्मा गाँधी जी के चित्र के साथ चरखा भी मिला था। 
महात्मा गाँधी जी मेरे साथ-साथ विश्व के अनेक बड़े महान व्यक्तियों के लिए प्रेरणा रहे हैं।
ओस्लो में शान्ति के लिए दुनिया का सबसे बड़ा नोबेल शान्ति पुरस्कार दिया जाता है। 
अपने पत्रकार पेशे के कारण दो दर्जन से अधिक नोबेल पुरस्कार वितरण समारोह में सम्मिलित हुआ हूँ।  मुझे बहुत से नोबेल पुरस्कार विजेताओं के मुख से उनके अपने नोबेल भाषणों में महात्मा गाँधी की प्रशंसा सुनी और अनेकों ने उन्हें अपनी प्रेरणा बताया था।
2006 में नार्वेजीय नोबेल कमेटी के सचिव/सेक्रेट्री गाइर लुन्दस्ताद ने महात्मा गाँधी जी को नोबेल पुरस्कार नहीं दिये जाने पर खेद जताया और कहा कि महात्मा गाँधी जी के बिना नोबेल कमेटी कुछ नहीं कर सकता। उनका इशारा नोबेल पुरस्कार दिये जाने की शर्तों में गाँधी जी के सिद्धांत निहित हैं।

गाँधी जी की 150वीं जयंती लिटरेचर हाउस ओस्लो में मनायी गयी जिसका आयोजन भारतीय दूतावास ओस्लो ने किया था जिसमें मैंने भी गाँधी जी पर स्वरचित कविता नार्वेजीय भाषा में सुनायी।
नार्वे की विदेश विभाग की डायरेक्टर लीसा गोल्डेन, पूर्व मंत्री और पूर्व संयुक्त राष्ट्र में उपसचिव एरिक सूलहाइम, प्रोफेसर असीम दत्तोराय और फ्रांक ने अपने विचार रखते हुए कहा कि दुनिया के सभी स्कूलों में गाँधी जी की जीवनी और सत्य अहिंसा का पाठ पढ़ाया जाना चाहिये।
एरिक सूलहाइम ने आज आर्थिक संकट के समय गाँधी जी के लघु और गृह  उद्योग को भारत के लिए एक विकल्प बताया और कहा जवाहर लाल नेहरू जी बड़े उद्योगों के पक्ष धर थे जिसने भारत को बड़े उद्योगों का देश बनाया। 
चित्र में बायें से स्वयं मैं, नार्वे के पूर्व मंत्री और संयुक्त राष्ट्र संघ में कार्य कर चुके एरिक सूलहाइम और भारतीय दूतावास के अमर जीत जी।



शनिवार, 19 अक्टूबर 2019

हम गाँव न बिकने देंगे अपने गाँव बचायेंगे - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक', ओस्लो, 19.10.19

 
हम गाँव न बिकने देंगे, अपने गाँव बचायेंगे 
वोट के हम दीवाने हैं, पर उनको नहीं जितायेंगे।
जो जन-जन को लड़वाकर, अपना राज चलायेंगे।।
पारदर्शिता दूर खड़ी है,
न जाने किस दरवाजे पर.
अपने घर को फूक तमाशा,
जिनके पहले भरे हुए घर ।।
देश के सारे नेता मिलकर, कब अपना देश सजायेंगे।
हम अच्छे और वे गंदे हैं, क्या अब तोते पाठ पढ़ायेंगे?
सरकारी फोन कम्पनी बेचा,
देश का खून लगा जिसमें?
अपने घर में देश भिखारी,
घाव में नमक दिया तुमने।।
गाँवों को बेचने की बारी है, उठो मिल गाँव बचायेंगे।
जनता के दुश्मन के नेता से, हम ईज्जत कैसे बचायेंगे?
देशभक्त के नाम के पीछे,
कौन सी चाल बताओ तुम?
जो जनता भूखी निरक्षर है,
उसके नहीं मतवाले तुम..
गली के कुत्ते तो बेहतर हैं, खाकर वे धर्म निभाते हैं.
देश में त्राहि-त्राहि मची है, वे सच को झूठ बताते हैं.. 
क्यों नहीं पूछा कामगरों से
भैया! कैसे रेल बचाएं हम?
तब वे अपने सब फंड लगाते,
रेल कर्मचारी मालिक होते तब.
बाहिष्कार अगर किया जनता ने, सरकार कहाँ रह पायेंगे?
कमर कसो ऐ देश वासियों,  हम फिर अपना नमक बनायेंगे
बुलेट ट्रेन का देकर सपना,
भारतीय रेल क्यों बेच दिया?
दुनिया में जो रेल का रुतबा,
न जाने क्यों मटियामेट किया?
देश के बैंक बंद (मर्ज) हो रहे, कुछ अमीर जो अमीर हो रहे.
जो इस देश में जितना कमायेगा, उनसे उतना टैक्स लिया जायेगा!
ओस्लो, 19.10.19

गुरुवार, 17 अक्टूबर 2019

What is Article 370 of the Indian constitution? भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370


 

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370 एक ऐसा लेख था जो जम्मू और कश्मीर को स्वायत्तता का दर्जा देता था।[1][2] संविधान के भाग XXI में लेख का मसौदा तैयार किया गया है: अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष प्रावधान।[3] जम्मू और कश्मीर की संविधान सभा को, इसकी स्थापना के बाद, भारतीय संविधान के उन लेखों की सिफारिश करने का अधिकार दिया गया था जिन्हें राज्य में लागू किया जाना चाहिए या अनुच्छेद 370 को पूरी तरह से निरस्त करना चाहिए। बाद में जम्मू-कश्मीर संविधान सभा ने राज्य के संविधान का निर्माण किया और अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की सिफारिश किए बिना खुद को भंग कर दिया, इस लेख को भारतीय संविधान की एक स्थायी विशेषता माना गया।
भारत सरकार ने 5 अगस्त 2019 को राज्यसभा में एक ऐतिहासिक जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम २०१९ पेश किया जिसमें जम्मू कश्मीर राज्य से संविधान का अनुच्छेद 370 हटाने और राज्य का विभाजन जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख के दो केंद्र शासित क्षेत्रों के रूप में करने का प्रस्ताव किया गया । जम्मू कश्मीर केंद्र शासित क्षेत्र में अपनी विधायिका होगी जबकि लद्दाख बिना विधायी वाली केंद्रशासित क्षेत्र होगा।
What is Article 370 of the Indian constitution?


Article 370 of the Indian constitution gave special status to Jammu and kashmir a state in India. located in the northern part of the Indian subcontinent, and a part of the larger region of Kashmir.
The article 370 was drafted in Part XXI of the Constitution: Temporary, Transitional and Special Provisions.
On 5 August 2019, President of India Ram Nath Govind issued a constitutional order superseding the 1954 order, and making all the provisions of the Indian constitution applicable to Jammu and Kashmir based on the resolution passed in both houses of India's parliament with 2/3 majority] Following the resolutions passed in both houses of the parliament, he issued a further order on 6 August declaring all the clauses of Article 370 except clause 1 to be inoperative.
Kilder: Wikkipedia