रविवार, 22 सितंबर 2013

लेखक गोष्ठी में शेष नारायण सिंह सम्मानित
भारतीय  -नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम की और से आयोजित  लेखक गोष्ठी में 

शुक्रवार, 6 सितंबर 2013

Forfatterkafé på  Veitvetfredag 6. september  kl. 18:00 på Stikk Innom på Veitvetsenter, Oslo    
Tema: ’Demokrati  og stemmerett’


Æresgjest: Shesh Narain Singh, Journalist ( Politisk redaktør i den kjente daglig avis, Deshbandhu)   og forfatter fra India.
Gratis inngang.  Elkel servering.
Det blir diktlesning og musikk i slutten av arrangement.
For mer informasjon, ta kontakt med Suresh Chandra Shukla.
på telefon 90 07 03 18 eller på e-post: speil.nett@gmail.com





बायीं  ओर शेष जी ओस्लो में अपनी पत्नी के साथ
लेखक गोष्ठी में आपका हार्दिक स्वागत है 
गोष्ठी में मुख्य अतिथि का सम्मान, काव्य गोष्ठी और परिचर्चा 'प्रजातंत्र और मताधिकार' पर परिचर्चा होगी 
आज शुक्रवार ६ सितम्बर को शाम छ: बजे (18:00)
स्तिक इन्नोम (Stikk Innom), वाइतवेत सेंटर (Veitvet senter), ओस्लो में
(T-bane til Sinsen og buss nr. 5A og 5C fra Sinsen.
मैट्रो से Sinsen सिनसेन स्टेशन और वहां से बस नम्बर 5A  और 5 C)
जाने-माने पत्रकार शेष नारायण सिंह मुख्य अतिथि होंगे जो भारत के सुप्रसिद्ध अखबार देशबंधु के राजनैतिक संपादक हैं.
प्रवेश निशुल्क है. अंत में काव्य गोष्ठी होगी और संगीत का कार्यक्रम है. 
अधिक सूचना के लिए संपर्क कीजिये सुरेशचन्द्र शुक्ल   टेलीफोन 90 07 03 18 या speil.nett@gmail.com
आयोजक: भारतीय नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम 
Araangør: Indisk Norsk Informasjons -og Kulturforum
  

रविवार, 1 सितंबर 2013

1 सितम्बर को अर्जुन का जन्मदिन

 आज मेरे बेटे अर्जुन का जन्मदिन है, उसको  हार्दिक बधाई।  
चित्र में दायें अर्जुन जिसका जन्मदिन है साथ में बायें अपने  भाई अनुपम के साथ

मेरा छोटा बेटे  अर्जुन जिसका आज 20वां जन्मदिन है. प्यार से उसे लोग बोबी और आंद्रे कहकर भी पुकारते हैं. वह मेरा सबसे छोटा पुत्र है. संगीता के बाद वह परवार में सबसे ज्यादा क्रांतिकारी है. यदि उसके बाबा जीवित होते तो जरूर गर्व करते। मेरे पिता कहते थे कि मेरे क्रान्तिकारी होने से उन्हें अपने अनुसार मुझे ढालने में परेशानी होने लगी।   वह नहीं चाहते थे कि मैं नौकरी, पढ़ाई के अतिरिक्त समाजसेवा और जन प्रतिनिधित्व न करूँ क्योंकि इससे धन और समय का नुक्सान होता है तथा आदमी परिवार को प्राथमिकता (प्रायोरिटी) नहीं देता है. मैं प्रातःकाल घर से निकल कर रात ग्यारह बजे घर आता था. विवाहित होने के कारण  व्यक्ति को अपना समय परिवार के साथ भी बिताना चाहिये.
मैं कैसे बताऊँ कि रेलवे में आठ घंटे प्रति दिन की नौकरी करते हुए रेगुलर कालेज में शिक्षा भी प्राप्त करता था  और अपने दादा (बाबा) श्री मन्ना लाल शुक्ल से प्रभावित होकर एक सार्वजनिक व्यक्ति के नाते अपनी पहचान भी बनाना चाहता था. इसी क्रम में मेरा पहला काव्यसंग्रह 'वेदना' 1976  में छप गया था.

हाँ तो मैं अर्जुन की बात कह रहा था. बहुत से लोग यह नहीं जानते हैं कि अर्जुन फ्रीग फ़ुटबाल टीम का कैप्टन रह चुका है और अनेक टूर्नामेंट में वाइतवेत का भी प्रतिनिधित्व किया। नार्वे के साथ साथ अर्जुन (बॉबी) दो बार मार्शल आर्ट में यूरोप का जूनियर चैम्पियन रह चुका  है.    अर्जुन  व्यवहारशील  और अन्याय पर अपनी बात बेखटक कह देने वाला दूसरों के सम्मान का भी ध्यान रखता है.
वह अपने जीवन में सफल हो यही उसके परिवार और मित्रों की कामना है.