शनिवार, 30 जनवरी 2021

गाँधी मरते नहीं - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'

 

गाँधी मरते नहीं (बलिदान दिवस पर)

हर जन मन में एक गाँधी है।

माफ करते हैं जब दूसरों को,

न्याय करते समय गाँधी याद आते हैं।

गाँधी अपने-पराये में भेद नहीं करते,

इसी लिए उनके हत्यारे के प्रशंसक

संसद में सांसद चुने जाते हैं।

सर्वधर्म भाव और मानवता के शताब्दी पुरुष

दुनिया के सभी बुद्धिजीवी

कोटि-कोटि नमन करते हैं।

महिलायें गाँधी की अनुयायी हैं,

इसीलिए सबसे ज्यादा जेल में बन्द हैं।

एक दिन ऐसा आयेगा जब

संसद में 50 प्रतिशत महिलायें होंगी।

तब बच्चे भूख से नहीं मरेंगे,

सभी बच्चे स्कूल जायेंगे।

मन्दिर के लिए चन्दा मांगने हेतु

महामारी में भेंड़ की तरह भीड़ नहीं बनेंगे।

अपने-अपने गाँव मोहल्ले में

शिक्षा दान और दूसरे के लिए श्रमदान से

स्वच्छ भारत बनायेंगे।

आज जब चारो तरफ गरीबी,

महामारी और आपदा ने दबा रखा है।

जगह-जगह गाँधी जन्म लेने लगे हैं।

दस बरस में जब वे जवान हो जायेंगे।

हम जनता को

शान्तिदूत और कारीगर बनायेंगे।

आज भारत में किसान आंदोलन,

भविष्य की आहट है।

आज महात्मा गाँधी के बलिदान दिवस पर

30 जनवरी 2021 को

देश-विदेश में

किसान और बुद्धिजीवी व्रत रहकर

आत्मशुद्धि कर रहे हैं।

भारत में आंदोलनकारी प्रजातंन्त्र जो रक्षक हैं,

दुनिया की कमजोर सत्तायें

अपना अपराध छिपाने के लिए

विपक्षियों पर जुल्म करके डराकर,

अपने सत्ता खोने का डर छिपाती हैं।

क्या हम उन्हीं पदचिन्हों पर

चलते दिखाई दे रहे हैं?

गाँधी के बलिदान दिवस (पुण्यतिथि) पर

शपथ लें, आत्म मंथन करें।

देश-दुनिया में मानवता-पर्यावरण बचायें।

शायद अपनी नयी पीढ़ी के काम आ जायें।

देश के इतिहास में पहली बार दिल्ली में

26 जनवरी 2021 को

किसानों और मज़दूरों के हाथों में

बहुत बड़ी संख्या में

लाखों तिरंगे लहराये।

किसान और मज़दूर साथ आये।

ताकि भारतीयों का सीना गर्व से ऊँचा हो जाये।

 

सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'

30.01.21

 

बुधवार, 27 जनवरी 2021

लोकतंत्र क्यों? - सुरेशचन्द्र शुक्ल

 

लोकतंत्र क्यों? (गणतंत्र दिवस पर)-

राष्ट्रीय पर्व पर अपने राष्ट्रीय झंडे पर रोक,

तिरंगा यात्रा पर प्रतिबंध।

2 करोड़ भारतीयों के हस्ताक्षर कर 

जनता ने राष्ट्रपति से आवाज उठाई।

जय जवान जय किसान।

कोरोना योद्धाओं और श्रमिक महान।

मोहल्ले की सड़क, अस्पताल और स्कूल उपेक्षित?

बहके युवा, मन्दिर के लिए रैली 

और चंदा उगाते भूल गये टूटी सड़क और स्कूल।

युवकों के दिमागों से निकाला गया 

रोजगार, शिक्षा, चिकित्सा और भोजन।

भरा गया साम्प्रदायिक उन्माद और भटकाव।

बहकाये गये युवक अपने सपनों को 

अपने पैरों से मानो कुचल रहे।

157 किसान हुए आंदोलन करते शहीद,

नहीं मनाया गया राष्ट्रीय शोक?

जनता का शासन मजाक बन गया,

जब संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधि बताते,

हमारी जेलों में बन्द हैं बेकसूर।

मिलकर सच्चा गणतंत्र /संविधान दिवस मनायें,

आओ मिलकर भ्रष्टाचार मिटायें।

देश-विदेश में सुनने वाली सरकार लायें।

महिलाओं को 50 प्रतिशत भागीदारी,

जेल से सभी राजनैतिक कैदी मुक्त करायें। 

  - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'

    26.01.21

शुक्रवार, 22 जनवरी 2021

शीर्षक हूँ, शब्दों को झुठलाता हूँ - सुरेशचन्द्र शुक्ल

शीर्षक हूँ, शब्दों को झुठलाता हूँ -  सुरेशचन्द्र शुक्ल

1 किसी पर मुकदमे कराये

किसी के मुकदमें हटाये।

ट्रम्प या बाइडन का दौर आये?

आत्ममुग्ध विज्ञापन का फ़ोटो

मीडिया पर फेंककर फेक हूँ।

शीर्षक हूँ, शब्दों को झुठलाता हूँ।

निर्माण से ज्यादा भवन गिराये।

मीडिया में छाये।

पागल हूँ जो नये भवन बनायें।

4 अतीतातीत साहित्य रच

इतिहासकार कहलाऊँ।

सच लिखकर अपने पाँव तुड़वाऊँ?

5 महामारी का तीसरा दौर जारी। 

अस्पतालों में पलंग का संकट,

मौत का तांडव जारी।

6 ज्ञान बिना ट्वीटर गोहार,

जब दान से ज्यादा फेक से प्रचार।

काम कम, ज्यादा भाइयों -बहनों की सरकार।

7 किसान -मजदूर आन्दोलन

समय की पुकार

नयी समस्याओं की दस्तक?

8

सबका साथ पाकर सेकुलर सरकार। 

अभी सद्भाव संदेश देती 

दिखी बाइडेन-सरकार।

कान में रुई, टनल दृष्टि

विश्व एक गाँव, अपने लगें पराये।

विदेशी हमारी समस्याएं सुलझायें।

10 

आठ सदी बाद संक्रांति, 

किसान, शुक्र बृहस्पति गृह साथ आये।

दूर जाकर कौन रथयात्रा, रैलियाँ कराये।

11 

अमरीका में बाइडेन सरकार आयी,

ट्रम्प पर अशिष्ट धब्बा लगा जो था शक्ति में चूर।

ट्रम्प और समर्थकों पर प्रकाशकों का प्रतिबन्ध।

12 

प्रजातंन्त्र में प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति पद नौकरी है।

शासन में फूल गले और गुलदस्ते में।

शासन जाते वही फूल पैरों तले रौंदे जाते।

- सुरेशचन्द्र शुक्ल, 22.01.21