रविवार, 28 नवंबर 2010

साठे कालेज, मुंबई में राम साहित्य पर अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार में आये सभी लोगों को हार्दिक बधाई और धन्यवाद.-शरद आलोक

शुभकामनाएं और बधाई
रामकथा पर आयोजित २ से ४ दिसंबर तक के इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में सभी लोगों का मैं हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ और आप सभी को कार्यक्रम में उपस्थित होने और योगदान के लिए हार्दिक धन्यवाद देता हूँ. साठे कालेज, मुंबई का यह अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार जिसका विषय है 'लोकतंत्र और भारतीय भाषाओँ में राम साहित्य' एक सामयिक प्रेरणात्मक और अनेक उपलब्धियों भरा है जिसने देश-विदेश के बहुत से विद्वतजनों को परोक्ष और प्रत्यक्ष रूप से जोड़ा है, जिससे साठे कालेज का यह अभियान वैश्विक हो गया है, जिसके लिए भी मैं आप सभी का आभारी हूँ. यह एक अंतर्राष्ट्रीय शुरुआत है जो आगे भविष्य में भी जारी रहेगी. इस कार्यक्रम को इतनी संख्या में देश विदेश के विद्वानों, हमारे आदरणीय मंत्रियों, शिक्षकगणों, शोधार्थियों, मीडिया कर्मियों और फिल्म कर्मियों के सम्मिलित होने से इसे विभिन्न रंगों के एक गुलदस्ते में पिरो दिया है जिसकी सुगंध और छटा आगामी सम्मलेन तक बिखरती रहेगी.
मैं नार्वे में रहने वाले भारतीयों और नार्वेजीय मित्रों की तरफ से अपनी संस्था 'भारतीय-नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम' और नार्वे से प्रकाशित पत्रिका 'स्पाइल - दर्पण' की ओर से हार्दिक शुभकामनाएं देता हूँ. आशा करता हूँ कि आप सभी तीनो दिन उपस्थित रहकर इसे अपने सहयोग से सफल बनायेंगे.

सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
अध्यक्ष, भारतीय-नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम
और
संपादक, स्पाइल-दर्पण
Post Box 31, Veitvet
0518 - Oslo
NORWAY
ई-पता: speil.nett@gmail.com
ब्लाग:http://sureshshukla.blogspot.com/

सोमवार, 22 नवंबर 2010

पुराना चित्र नयी यादें -सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'

२३ नवम्बर को कानपुर में चन्द्र प्रकाश की शादी और अमृतसर में उल्लास के विवाहोत्सव प़र पार्टी है , बहुत बहुत बधाई-शरद आलोक
चन्द्र प्रकाश का पूजन सफल होगा
चित्र में बाएँ से खड़े चन्द्र प्रकाश के पिता और मेरे भाई रमेश चन्द्र शुक्ल, बहन शैल, दादी किशोरी देवी और नीचे बैठे दीपावली पर पूजा कर रहे चन्द्र प्रकाश जिनका 23 नवम्बर २०१० को विवाह है।

पुराना चित्र नयी यादें
मेरी अपनी शादी का चित्र मई १९७७ का है। ऊपर खड़े हुए बाएँ से मेरी बड़ी चाची (स्वर्गीय), सावित्री बुआ, मेरी भाभी किरण (स्वर्गीय) और बितानिया बुआ नीचे बैठे हुए बाएँ से बड़ी रामरती बुआ, बड़े फूफा राम कुमार अवस्थी, मेरी पत्नी माया और स्वयं मैं
पुराना चित्र नयी यादें
मेरे बचपन में अनेक मित्र थे पर सभी बिछड़ गए। कोई बुलंद शहर , उत्तर प्रदेश में, कोई लखीमपुर खीरी में, तो कोई अमरीका में, तो कोई इस दुनिया से विदा हो गए जिनमें विजय सिंह और पंकज सिंह। ये सभी मित्र लखनऊ के ऐशबाग पुरानी श्रमिक बस्ती में मेरे साथ खेला करते थे। जो नहीं होता है वह अधिक याद आता है और जो पास होता है उसे हम भूल जाते हैं। यह कोई नयी बात नहीं है।
ज्ञानयुग के कर्म आंगन में हम चिडयों की तरह दाने भी नहीं चुग पाते और परेशान रहते हैं की मेरे आँगन से दूसरा दाना न चुग जाए। अभी कल की बात है ओस्लो स्थित गुरुद्वारा में गुरुनानक देव जी का जन्मदिन मनाया जा रहा था। मैं भी वहाँ उपस्थित था। एक ग्रन्थी जी ने प्रवचन में गुरुनानक देव जी की एक घटना सुनाई। शायद वह घटना कुछ इस तरह थी। बाबा गुरुनानक देव जी को एक अमीर आदमी ने आदर पूर्वक बुलाया जिसने बहुत धन - दौलत एकत्र कर रखी थी। जाते समय उस अमीर आदमी ने गुरुनानक देव जी से कहा, मुझे कोई ऐसा उपहार दीजिये जिसे मैं अपने साथ सदा रख सकूं।' गुरुनानक देव जी ने उसे एक सुई दी और कहा, 'यह सुई जब तुम दुनिया से विदा होना तो इसे भी साथ लेते जाना।' कहकर वह चलने लगे ।
उस व्यक्ति ने थोड़ा विचार किया। कैसे संभव है? मरते समय सुई मैं साथ ले जा सकूंगा ? कैसे याद रखूंगा और कैसे ले जा सकूंगा? वह व्यक्ति गुरुनानक देव जी की ओर दौड़कर गया और पूछा ,'महाराज कैसे मैं सुई साथ ले जा सकूंगा। मुझे तो अपना ही होश नहीं रहेगा।'
तब गुरुनानक देव जी ने कहा, 'जो तुमने इतना धन कमाया और अपने निजी सबंधियों के पास जोड़कर रखा क्या उसे साथ ले जा सकोगे? यदि हाँ तो मेरी सुई भी लेते जाना।' उस अमीर आदमी को समझ में आ गया।
गुरुनानक देव सबसे बड़े शिक्षक थे।
मैंने नार्वे से भारत जाने का टिकट आरक्षित करा रखा था। पर अवकाश के न मिलने के कारण २१ को भारत में उल्लास की शादी में और २३ को चन्द्र प्रकाश की शादी में नहीं जा सका। समय-समय की बात होती है। समय से सीखना चाहिए न ही उसे टटोलना चाहिए। समय एक सा नहीं रहता और किसी की प्रतीक्षा नहीं करता।
चन्द्र प्रकाश अपना वैवाहिक जीवन आरम्भ करें, सुखी रहें, संघर्ष करें और आत्मनिर्भर बनें। बिना आत्मनिर्भरता के स्वाभिमान और स्वतंत्रता से व्यक्ति नहीं जी सकता। कभी-कभी हमको उन लोगों के बंधन में रहना पड़ता है जो खुद दूसरों के गुलाम होते हैं। क्षणिक सुख और दोहरी सोच: जैसे अपने लिए आजादी और दूसरों के लिए बंधन पूर्ण जीवन। विवाह का समय आत्ममंथन का समय होता है। धन से कोई किसी को नहीं खरीद सकता है। बीमार होने पर अपने ही परिजन आपसे आपके चेक में आपकी इच्छा के मुताबिक हस्ताक्षर करने देंगे। कर्म, कृपा और ज्ञान का ऐसा समुद्र यदि हम अपने आपमें भर सकें तो अवश्य ही धनी से बेहतर सोच और अधिक उपकारी हो सकते हैं जिससे मन में स्वच्छता और शान्ति ख़ुशी प्रदान करेगी।
व्यक्ति को अपने प्रयोग भी करने चाहिए। सौ-सौ चूहे बहुतों ने मारे हैं पर वह अच्छे उपदेशी या हमारे नायक नहीं हो सकते। हम अपने नायक स्वयं बन सकते हैं। दूसरों पर अपनी सोच थोप नहीं सकते।
ख़ुशी के माहौल में, परिवार के साथ होने से कितना सुखकर लगता है, काश वे जो इस दुनिया में नहीं हैं पर इच्छा होती है काश वे भी साथ-साथ होते तो क्या कहना था। जो आज साथ हैं कल साथ छोड़ देंगे। स्वयं या समय के साथ आदमी बूढा होता है। नवविवाहित प्राय हमेशा साथ रहते हैं शेष लोग तो आते जाते रहेंगे। जैसे चन्द्र प्रकाश और नयी जीवन संगिनी के साथ अपना सुखी जीवन बिताएंगे।
उल्लास जी भी अपने उदार मातापिता के साथ अपनी सांस्कृतिक मूल्यों के साथ हंसी ख़ुशी जीवन जियेंगे। हमने तो एक ही खतरनाक रात उल्लास के साथ उनके पिता प्रोफ़ेसर बेदीजी, दिवाकर जी के साथ बिताई थी जिसमें संजय भी साथ थे। आदमी को जीवन में सुख -दुःख की अनगिनत रातें अपने जीवनसाथी के साथ बितानी होती हैं। जो संयम से उन्हें बिता लेता है वही सफल होता है।
छिप-छिपकर तो अपने प्रेमी से सभी मिलते होंगे। पर सभी को पता होता है बस मन का भ्रम और आडम्बर दूसरे के लिए नहीं पर अपने लिए होता है।
मेरे बाबा (दादा) कहा करते थे की राजनीति और नेतागिरी घर से शुरू करनी चाहिए। कोई भी सुधार अपने घर से शुरू होता है। मेरे बाबा ने अपने गावं में कुआं और मंदिर बनवाया जबकि उनके पास इतने पैसे नहीं थे। उनकी नयी पीढ़ी ने न ही उनके नाम से या अपने वा जनता के लिए कुछ ठोस किया है जबकि सभी अपने-अपने तरीके से समृद्धि वाले हैं। यहाँ तक हमारे बाप दादा का दिया हुआ हमारे परिजनों के पास बहुत है। मेरे पास भी उनका कम आशीष नहीं है जिनकी प्रेरणा से समय -समय पर उनके नाम से गरीबों और प्रतिभाशाली लोगों को सम्मानित कर अपने कम ज्ञान पर पर्दा डालता रहता हूँ।
अपनी गोदावरी बुआ, बड़ी चाची, अपनी किरण भाभी जी, अपनी माँ और पिताजी तब बहुत याद आते हैं जब परिवार में किसी घर में काम -काज होता है। तीज त्यौहार होते हैं। माँ आ नहीं सकती पर लगता है की मुसीबत के समय पुकारूँगा तब वह रक्षा करेगी। यही है अंतर्मन के विचार का क्रम।

रविवार, 21 नवंबर 2010

शातानोफ़ में संगीत का कार्यक्रम जान दित्ता के साथ-सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'

शातानोफ़ में संगीत का कार्यक्रम जान दित्ता के साथ

शातानोफ़, मयुरस्तुआ, ओस्लो में गीत संगीत का कार्यक्रम के बाद लिया चित्र
चित्र में बाएँ से उस्ताद शब्बीर हुसैन, बाल कलाकार, जान दित्ता, पंडित पुरुषोत्तम मेहता और पीछे श्री गणेश कार्यक्रम प्रस्तुत करते हुए
19 नवम्बर को शातानोफ़ में एक कार्यक्रम के बाद बाएँ से एक सोमालिया के गिटारवादक, गणेश श्री लंका के सितारवादक, पकिस्तान के प्रसिद्ध तबला वादक शब्बीर हुसैन, जन दित्ता 'दीवाना', पंडित पुरुषोत्तम मेहता, रोगर एवंस, सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक ' और राय भट्टी
१९ नवम्बर की शाम को ही एक संगीत का कार्यक्रम संपन्न हुआ। नार्वे में रहने वाले प्रवासी भारतीय जान दित्ता जो एक गायक हैं और संगीतकार हैं उसके संयोजक थे। इस कार्यक्रम में भारत के जाने माने संगीतकार-सितारवादक पंडित पुरुषोत्तम मेहता और पाकिस्तान के जाने माने तबला वादक उस्ताद शब्बीर हुसैन जी थे। नार्वे में रहने वाले एक अन्य गिटार वादक श्री गनेस थे जो श्री लंका मूल के थे।
जान दित्ता
ने अनेक कार्यक्रमों में गजल -गीत सत्स्वर गाये और महान संगीतकारों ने उनकी शानदार संगत की। कार्यक्रम ने सबका मन मोह लिया। उस समय तो कार्यक्रम अपनी बहुत उंचाई पर था जब पंडित पुरुषोत्तम जी के सितार का तार टूट गया और वह बिना श्रोताओं के मसूस किये हुए संगीत का अति सुन्दर राग झोंझाटी बजाते रहे। इसमें कोई शक नहीं पंडित पुरुषोत्तम मेहता एक बड़े संगीतकार हैं जिनका सम्बन्ध भारत के पंजाब प्रान्त से है। पाकिस्तान के शब्बीर हुसैन ने मुझे बताया, की वह भारत और पाकिस्तान की दोस्ती को मजबूत करने और शान्ति के लिए कार्यक्रम देने आये हैं जिन्होंने बहुत खूबसूरती से संगत दी।
कार्यक्रम में रोगर एवंस, सुरेशचन्द्र शुक्ल, राजकुमार और राय भट्टी जी के साथ -साथ बहुत संख्या में दर्शक गण उपस्थित थे।

नार्वे में नानक जयंती धूमधाम से संपन्न- सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'

महान गुरुनानक देव जी सबसे बड़े अध्यापक थे


ओस्लो में शब्द कीर्तन करते ग्रन्थी जन


चित्र में ओस्लो के गुरुद्वारे में भक्तजन जिसमें बहुत से नार्वेजीय विद्यार्थी भी दिखाई दे रहे हैं
नार्वे में नानक जयंती धूमधाम से संपन्न- शरद आलोक
आज पूरे विश्व में गुरुनानक जयंती मनाई जा रही है। ओस्लो और द्रामिन स्थित गुरुद्वारों में सभी ने महान गुरु गुरुनानक देव जी का जन्मदिन कीरत, भजन और शब्-वाणी के साथ मनाया। वास्तव में गुरुनानक देव जी सबसे बड़े अध्यापक थे। उन्होंने बिना भेदभाव के सभी को बहुत सरलता और प्रभावशाली ढंग से नम्रता और कृपालु होते हुए शिक्षा दी और जिससे बहुत से मनुष्यों और समाज का भला हुआ। सभी को बहुत बहुत बधाई।
कुछ चित्र ओस्लो के गुरुनानक देव गुरुद्वारा में आज लिए गए हैं यहाँ प्रस्तुत हैं।

Øst Norskebokdag i Oslo पूर्व नार्वेजीय पुस्तक दिवस ओस्लो में -शरद आलोक

पूर्व नार्वेजीय पुस्तक दिवस ओस्लो में -शरद आलोक Øst norske bokdag i Olso
चित्र में बाएँ से इनग्रीद अन्नेस्ताद, सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक ', थूरगाइर रेबोलेदो पेदेरसेन, लेने बौगस्त्यो, थूर स्योरहाइम और विग्दिस युर्ट ( Fra venstre Ingrid Z Aanestad, Suresh Chandra Shukla, Torgeir Rebolledo Pedersen, Linebaugstø, Thor Sørheim og Vigdis Hjort)
१९ से २० नवम्बर तक पूर्व नावेजीय पुस्तक दिवस ओस्लो के लिटरेचर हॉउस में मनाया गया। पुस्ताक्दिवास में उस वर्ष छपी पुस्तकों के लेखकों द्वारा अपनी पुस्तक से कुछ अंश पढ़ने का अवसर मिलता है। इसका आयोजन नार्वेजीय लेखक सेंटर ने किया था।

शनिवार, 20 नवंबर 2010

१९ नवम्बर, इंदिरा गाँधी जी का जन्मदिन है. इंदिरा जी को कभी भुला नहीं सकता-शरद आलोक

१९ नवम्बर को इंदिरा गांधी का जन्म दिन है -शरद आलोक






इंदिरा जी को कभी भुला नहीं सकता-शरद आलोक
चालीस वर्षों पहले की बात है, सन १९७० की। मेरे बड़े भाई अभी साईकिल की विश्व यात्रा पर निकले थे। कोलकाता से वह लखनऊ आये थे। उसके बाद उनके कुछ मित्र उन्हें कानपुर तक छोड़ने गए थे। मैं भी उन्हें अमौसी तक छोड़ने गया था। अमौसी हवाई अड्डे पर हम गए। उस समय अमौसी हवाई अड्डे पर आप बिना रोक-टोक के आप हवाई पट्टी तक जा सकते थे जहाँ निजी जहाज उतरते थे। या यह कहें की हम बिना रोक टोक के एक मित्र के साथ उस ओर बढे थे जहां कुछ लोग एकत्र थे एक हेलीकाप्टर आकर रुका था। पता चला था कि श्रीमती इंदिरा गाँधी जी आयी हैं। जब पास पहुंचा तो सुरक्षा कर्मचारी से बातचीत कर रहा था। और उनसे इच्छा प्रकट की की उनसे मिलना चाहता हूँ। मैं बड़ा भाग्यशाली अपने आपको समझ रहा था जब मुझे उनसे हाथ मिलाने की अनुमति मिल गयी। एक तरफ बड़े भाई से छूटने का दुःख था तो दूसरी तरफ इंदिरा जी से मिलने की ख़ुशी थी। इसके पहले इंदिरा जी को लखनऊ के बेगम हजरत महल पार्क में भाषण देते हुए सुना था।
इसके बाद जब मैं सन १९७१ में रेलवे अस्पताल चारबाग में इलाज करा रहा था। पता चला इंदिराजी अस्पताल के बाहर से होकर गुजरेंगी। प्रातः पांच बजे इंदिरा जी को फूल भेंट करने का अवसर मिला था। तीसरी बार इंदिरा जी जब नार्वे आयी थीं तब उनसे मिलने का अवसर मिला था। सन १९८३ की बात है उस समय मेरा एक चित्र आदरणीय इंदिरा जी और नार्वे के तत्कालीन प्रधानमंत्री आदरणीय कोरे विलोक के साथ यहाँ के सबसे बड़े समाचारपत्र अफतेन में छपा था। मैं उस समय नार्वे में प्रवासी भारतीयों की पत्रिका 'परिचय' का संपादक था ।
सदी की नौंवी सबसे शक्तिशाली महिला इंदिरा गांधी
दुनिया के किसी भी देश की सबसे लंबे समय तक महिला प्रधानमंत्री रहीं इंदिरा गांधी को टाइम पत्रिका ने पिछली सदी की सबसे शक्तिशाली महिलाओं की सूची में नौंवे स्थान पर रखा है। इस सूची में मदर टेरेसा भी शामिल हैं।
सूची 25 मोस्ट पॉवरफुल वुमेन ऑफ द पास्ट सेंचुरी में शीर्षस्थ स्थान पर जेन एडम्स को रखा गया है। नोबेल पुरस्कार जीतने वाली पहली अमेरिकी महिला जेन महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर मुखरता से बोलने वाली वकील हैं। अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन को छठे स्थान पर रखा गया है।
इस सूची में इंदिरा गांधी और मदर टेरेसा को छोड़कर भारतीय उपमहाद्वीप से और कोई महिला स्थान नहीं बना सकी। मदर टेरेसा को 22वें स्थान पर रखा गया है।पत्रिका ने कहा है, वह देश की बेटी थीं, जिनका लालन-पालन अपने पिता और देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की देखरेख में हुआ।
इंदिरा गांधी 1966 में जब प्रधानमंत्री बनीं थीं तो टाइम पत्रिका ने अपने लेख का शीर्षक दिया था, समस्याग्रस्त भारत की कमान एक महिला के हाथ में। टाइम ने कहा है कि उन सधे हुए हाथों ने भारत को चलाया, मंदी, अकाल, देश का पहला परमाणु बम विस्फोट, एक भ्रष्टाचार कांड और पड़ोसी देश पाकिस्तान में गृह युद्ध, इसके बाद भी उनके नेतृत्व में एक नए देश बांग्लादेश का निर्माण हुआ।
पत्रिका के मुताबिक जिस समय इंदिरा की हत्या हुई, उस समय वह सबसे लंबे समय तक राज करने वाली महिला थीं, ऐसा ताज, जिस पर वह आज तक काबिज हैं। सूची में मैरी क्यूरी, मैडोना, गोल्डा मेयर, एंजेला मर्केल, मार्गेट्र थैचर, ओपरा विन्फ्रे और वर्जीनिया वूल्फ को भी जगह मिली है।

नार्वे में नेहरु जयंती -शरद आलोक


नार्वे में नेहरु जयंती -शरद आलोक

१४ नवम्बर, वाइतवेत कल्चर सेंटर (सांस्कृतिक केंद्र) ओस्लो, नार्वे में नेहरु जयंती बहुत धूमधाम से मनाई गयी।
स्थानीय मेयर थूरस्ताइन विंगेर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे जिन्होंने नेहरु जी के जीवन पर प्रकाश डाला और कार्यक्रम की अध्यक्षता भारतीय-नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम के अध्यक्ष सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' ने की। नेहरूजी का जन्मदिन बालदिवस के रूप में भी मनाया जाता है। बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया। इस कार्यक्रम में उपस्थित सभी बच्चों को ५० क्रोनर उपहार स्वरूप दिए गए।

सोमवार, 15 नवंबर 2010

(बर्मा) आंग सन सू ची की रिहाई से पूरे संसार में ख़ुशी- शरद आलोक


आंग सन सू ची की नजरबंदी से 13 नवम्बर को रिहाई होने से पूरे विश्व में ख़ुशी की लहर दौड़ गयी। आंग सन सू ची अब गांधी जी की राह पर चलेंगी और शान्तिपूर्ण क्रांति चाहती हैं बर्मा की लोकतंत्र समर्थक नेता आंग सान सू ची ने बीबीसी से बातचीत में कहा कि वो शांतिपूर्ण क्रांति चाहती हैं.
आंग सान सू ची को शनिवार को सात साल की नज़रबंदी के बाद रिहा कर दिया गया था.
उन्होंने कहा कि वो ये मानती हैं कि बर्मा में लोकतंत्र आएगा लेकिन वो ये नहीं जानती हैं कि इसमें कितना वक़्त लगेगा.
सू ची ने कहा कि वो बर्मा की सत्ता चला रहे जनरल अगर चाहेंगे तो वो उनसे भी बात करना चाहेंगी.
उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि उनकी रिहाई को लेकर कोई शर्त नहीं थी और उनकी गतिविधियों पर कोई प्रतिबंध नहीं है.
साथ ही सू ची ने कहा कि अगर सरकार उन्हें दोबारा बंद करना चाहेगी तो वो उसके लिए तैयार हैं.
उनका कहना था, “मैं ये नहीं सोचती कि मैं ऐसा नहीं करूंगी या वैसा नहीं करूंगी क्योंकि वो फिर मुझे नज़रबंद कर देंगे. लेकिन मैं जानती हूं कि ऐसी संभावना हमेशा रहेगी कि मुझे फिर से गिरफ़्तार कर लिया जाए.”
जनता से संवाद
शनिवार को उन्होंने कहा था कि अगला क़दम उठाने से पहले वो ये जानना चाहेंगी कि बर्मा की जनता क्या चाहती है.
आंग सान सू ची
उन्होंने कहा था, “मुझे सबसे पहला काम ये करना है कि बर्मा के लोगों की बात सुननी है. मैं दूसरे देशों की बात भी सुनना चाहती हूं कि वो हमारे लिए क्या कर सकते हैं. उसके बाद ऐसा रास्ता निकालना है जो अधिकतर लोगों को स्वीकार्य हो.”
नेशनल लीग फ़ॉर डेमोक्रेसी की नेता सू ची ने कहा कि उनकी पार्टी हाल में हुए चुनाव में धांधली के आरोपों की जांच कर रही है.
उनका कहना था, “जैसा मैंने सुना है कि इस चुनाव की निष्पक्षता के बारे में बहुत से सवाल उठाए जा रहे हैं और मतदान में धांधली के भी कई आरोप हैं. एनएलडी की एक समिति का गठन किया गया है जो इन आरोपों की जांच करेगी और अपनी रिपोर्ट प्रकाशित करेगी."
ये पूछे जाने पर कि क्या उनकी पार्टी का चुनाव में हिस्सा न लेने का निर्णय सही था, उन्होंने कहा कि उनके विचार में ये फ़ैसला सही था.

रविवार, 7 नवंबर 2010

14 नवम्बर को समय अपरान्ह तीन (15:00) बजे नेहरु जयंती वाइतवेत, ओस्लो में

आमंत्रण पत्र INVITASJON
जवाहर लाल नेहरु जयंती Forfatterkafe markerer Nehrus fødselsdag
भारतीय-नार्वेजीय सूचना और सांस्कृतिक फोरम आपको भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु के जन्मदिवस पर सादर आमंत्रित करता है।
14 जनवरी 15:00 बजे से 18:00 बजे तक
स्थान : SFO/Veitvetkultursenter (वाइतवेत स्कूल के पीछे), ओस्लो Oslo
अधिक सूचना के लिए आप संपर्क कीजिये:
Suresh Chandra Shukla फोन नंबर- 22 25 51 57

वाइतवेत, ओस्लो में दीवाली - शरद आलोक

वाइतवेत, ओसलो, नार्वे में ६ नवम्बर को दीवाली पर्व धूमधाम से मनाया गया . कुछ चित्र प्रेषित हैं :
बाल-युवाओं का नृत्य, प्रश्नोत्तरी और अन्त्याक्षरी मुख्य आकर्षण के केंद्र बिंदु थे।


शरद आलोक बाल-युवाओं के साथ


अनुराग विद्यार्थी का प्रस्तुतिकरण सराहनीय रहा

विशिष्ट परिधानों में महिलायें सबसे आगे थीं


कार्यक्रम के फोटोग्राफर और क्रिकेट खिलाडी आशीष मिश्र के साथ
धन्यवाद की आपने ब्लॉग देखने के लिए समय निकाला।

बिना जमानत बन्द जेल में,जमानत लें वह भाई चाहिए- सुरेश चन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'

आज भी दुनिया की जेल में हजारों इंसान जेलों में इस लिए बन्द हैं कि उनकी जमानत लेने वाला कोई नहीं है। उनकी सुधी लेने वाला उन्हें न्याय दिलाने वाला कोई नहीं है। उनमे अधिकांश संख्या बहनों की है।
आज भैया दूज पर उन्हीं बहनों का स्मरण करते हुए उन्हें ही समर्पित कर्ता हूँ ढेरों सारी शुभकामनाएं.

दुनिया में जिनका कोई नहीं
उन बहनों को भाई चाहिए!

बिना जमानत बन्द जेल में,
उन बहनों को मुक्ति चाहिए।
भाई-दूज, रक्षा बंधन को

जमानत लें वे भाई चाहिए।।

इस बार मैं उन सभी बहनों को नमन कर्ता हूँ जो हिम्मत से अपनी बहुत कष्टमय जिन्दगी बिता रही हैं। विशेषकर जो दुनिया की तमाम जेलों में बन्द हैं, बंधक मजदूर हैं उन्हें बहुत बहुत -बहुत शुभकामनाएं और उनकी मुक्ति के लिए इश्वर से प्रार्थना और उन बहनों को धैर्य और हिम्मत मिले अपनी मुक्ति के संघर्ष में।
भैयादूज पर उन सभी बहनों को कारागारों में बन्द हैं, अस्पताल में भर्ती हैं या दुखी हैं उन्हें रक्षा बंधन पर बधाई।
सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
ओस्लो, नार्वे

जिनके घर में न दीप न बाती, उनके घर में दीप जलाना- शरद आलोक

जिनके घर में न दीप न बाती, उनके घर में दीप जलाना- शरद आलोक
दीपावली पर्व पर सपरिवार आपका हमारी शुभ कामना है!
जिनके घर में, न दीप न बाती
उनके घर भी दीप जलाना
जीवन में नव खुशिया लाये
पर्व प्रकाश का तिमिर हटाये.
अपनों को तुम भूल न जाना
दीन-दुखी को गले लगाना.
जिनके घर में, न दीप न बाती
उनके घर भी दीप जलाना
महाशक्ति लघु होते देखा
घमंड का सर नीचा देखा।
दीप तले अंधियारा रहता,
देता उजियारा अनजाना।
जिनके घर में, न दीप न बाती
उनके घर भी दीप जलाना!!
आप अपने परिवार के साथ सदा सुखी एवं प्रसन्न रहें, इसी मंगल कामना के साथ,
सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' ओस्लो, नार्वे