रविवार, 21 नवंबर 2010

शातानोफ़ में संगीत का कार्यक्रम जान दित्ता के साथ-सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'

शातानोफ़ में संगीत का कार्यक्रम जान दित्ता के साथ

शातानोफ़, मयुरस्तुआ, ओस्लो में गीत संगीत का कार्यक्रम के बाद लिया चित्र
चित्र में बाएँ से उस्ताद शब्बीर हुसैन, बाल कलाकार, जान दित्ता, पंडित पुरुषोत्तम मेहता और पीछे श्री गणेश कार्यक्रम प्रस्तुत करते हुए
19 नवम्बर को शातानोफ़ में एक कार्यक्रम के बाद बाएँ से एक सोमालिया के गिटारवादक, गणेश श्री लंका के सितारवादक, पकिस्तान के प्रसिद्ध तबला वादक शब्बीर हुसैन, जन दित्ता 'दीवाना', पंडित पुरुषोत्तम मेहता, रोगर एवंस, सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक ' और राय भट्टी
१९ नवम्बर की शाम को ही एक संगीत का कार्यक्रम संपन्न हुआ। नार्वे में रहने वाले प्रवासी भारतीय जान दित्ता जो एक गायक हैं और संगीतकार हैं उसके संयोजक थे। इस कार्यक्रम में भारत के जाने माने संगीतकार-सितारवादक पंडित पुरुषोत्तम मेहता और पाकिस्तान के जाने माने तबला वादक उस्ताद शब्बीर हुसैन जी थे। नार्वे में रहने वाले एक अन्य गिटार वादक श्री गनेस थे जो श्री लंका मूल के थे।
जान दित्ता
ने अनेक कार्यक्रमों में गजल -गीत सत्स्वर गाये और महान संगीतकारों ने उनकी शानदार संगत की। कार्यक्रम ने सबका मन मोह लिया। उस समय तो कार्यक्रम अपनी बहुत उंचाई पर था जब पंडित पुरुषोत्तम जी के सितार का तार टूट गया और वह बिना श्रोताओं के मसूस किये हुए संगीत का अति सुन्दर राग झोंझाटी बजाते रहे। इसमें कोई शक नहीं पंडित पुरुषोत्तम मेहता एक बड़े संगीतकार हैं जिनका सम्बन्ध भारत के पंजाब प्रान्त से है। पाकिस्तान के शब्बीर हुसैन ने मुझे बताया, की वह भारत और पाकिस्तान की दोस्ती को मजबूत करने और शान्ति के लिए कार्यक्रम देने आये हैं जिन्होंने बहुत खूबसूरती से संगत दी।
कार्यक्रम में रोगर एवंस, सुरेशचन्द्र शुक्ल, राजकुमार और राय भट्टी जी के साथ -साथ बहुत संख्या में दर्शक गण उपस्थित थे।

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