शनिवार, 6 अगस्त 2022

हवा के ख़िलाफ़ गाँधी - सुरेशचन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक’ Suresh Chandra Shukla

 आज़ादी के अमृत महोत्सव पर:

हवा के ख़िलाफ़ गाँधी  - सुरेशचन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक’

अमृत महोत्सव पर आपको बहुत बधाई,

माँ तुझे रोटी-कपड़ा-शिक्षा न दे पायी।

बेटा! हाथरस, उन्नाव में लुटी आबरू मेरी 

गरीब, दलित, आदिवासी माँ की कथायें।


सरकारी ई डी संसद से बड़ी हो गयी,

विपक्ष नेता खडसे को सम्मन दे गयी। 

संसद में संविधान तार-तार हो गया। 

गाँधी का लोकतन्त्र मजाक बन गया। 


जब सत्य समय को डराने लग गया।

तब ई डी हटाने 19 दल साथ आ गये।

55 प्रतिशत का निरादर बड़ी भूल है,

गाँधी बाबा के देश में नफ़रत बढ़ा रहे?


भ्रष्टाचार को अपनाना, मजबूरी हो गयी।

मँहगाई-बेरोज़गारी से सरकार भाग रही।

सत्ता के घमण्ड में ग़रीबों को भूल गये,

देश में राष्ट्रीय खादी के झण्डे कम किये।


5 अगस्त 2022 लोकतन्त्र जगा रहे, 

सरकार मलाई खा रही, जनता ठगी-ठगी 

जनता के लिए सड़क पर नेतृत्व कर रहे, 

जिनकी दादी-पिता ने कुरबानियाँ दी हैं।


कभी राम मंदिर, कभी चुनाव चन्दा ले रहे।

चन्दे का हिसाब-श्रोत क्यों नहीं बता रहे?

अमृत महोत्सव!  लाखों निर्दोष क़ैद में हैं,

समाजसेवी, आदिवासी, पत्रकार जेल में?


देश में कोई भूखा न हो, बच्चे स्कूल में,

तब अमृत महोत्सव मनाओ साथ बैठ के।

युवाओं आज न जाग सके कभी न उठोगे,

नौकरी के लिए घर का पैसा ना बहाओ?


मँहगाई बेरोज़गारी से जनता मर रही है।

लोकतंत्र को बचाने कांग्रेस सड़क पर है,

संसद में ग़ायब मुद्दे सड़क पर आ गये हैं।

सरकार भवनों में, जनता सड़क पर है?


केवल सत्याग्रह ही, देश को बचायेगा। 

हर क्षेत्र में हो संगठित मिलकर लड़ेंगे ।

हर गाँव, गली, बस्ती फुटपाथ सड़कों पर 

साक्षरता शिक्षा देकर साथ खाना खायेंगे।


   सुरेशचन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक’

  6 अगस्त 2022, ओस्लो

माँ का ख़त बेटी-बेटे के नाम’ Suresh Chandra Shukla

 अमृत महोत्सव पर 

जेल से माँ का ख़त बेटी-बेटे के नाम’
 सुरेशचन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक 

मेरे बेटी-बेटे मुझे माफ़ करना 
मुफ़्त में तिरंगा नहीं लेना 
मुझे मुफ़्त में  खाना खिलाकर 
मेरा बलात्कार किया गया।
थाने गयी शिकायत लेकर 
वहाँ भी नहीं  छोड़ा?

मेरे बेटी-बेटे!
मुफ़्त में कहीं नहीं खाना।
धर्म के नाम पर चन्दा नहीं देना 
मैं मन्दिर के आश्रम में लायी गयी 
वहाँ भी हवस का शिकार बनायी गयी।

मेरे बेटी - बेटे!
किसी मन्दिर में भी मुफ़्त नहीं खाना 
खुद पैदा करना, 
खुद खाना और गरीब को खिलाना।
धर्म एक राजनीति में धंधा बन गया है।
भगवान जी नहीं खाते,  उन्हें चढ़ा रहे हैं;
जबकि अस्पताल के सामने 
बहुत से गरीब बिना इलाज मर रहे हैं।
कोबिद 19, कोरोना में 47 लाख मर गये।
बोलो  देश  में  तीन साल में 
कितने सरकारी अस्पताल बन गये।

मेरे बेटे-बेटी!
विश्व के सूचकांक में 
हम कहाँ हैं 
देश के विकास में हम कहाँ हैं?
क्या गर्व करूँ कि 
देश का भुखमरी में 101वाँ स्थान है। 
प्रेस स्वतंत्रता में 150वाँ  स्थान है।
पर्यावरण में विश्व में सबसे ख़राब हैं?
पत्रकारों के लिए मेरा देश 
सबसे ज़्यादा ख़तरनाक है।

मैं  तो जेल में  हूँ, 
फिर गरीब  हूँ,।
सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी भी बेबस है,
फिर हमारी क्या औक़ात है?
सरकार के ख़िलाफ़ बोलने पर जेल 
सरकार के इशारे पर चल रही ई डी  
जो संविधान और  देश का क्या हाल है?
यही वर्तमान सत्ता का कमाल है।

मेरे बेटे-बेटी!
किसी समारोह में नहीं जाना,
भूखे नहीं रहना!
अपने घर के भीतर और मनमन्दिर में 
ध्वज फहराना
आज़ादी के दिन भी काम करके 
देश का क़र्ज़ चुकाना।
श्री लंका की तरह कहीं 
दिवालिया न हो जायें।
हम भी जेल में झण्डे सिल कर बना रहे हैं 
इसलिए जो देश में आज़ाद हैं 
वे अमृत महोत्सव मनायें। 

  सुरेशचन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक’

शुक्रवार, 5 अगस्त 2022

मँहगाई लापता, सरकार छिप गयी है Suresh Chandra Shukla

 मँहगाई लापता, सरकार छिप गयी है।

सुरेशचन्द्र शुक्ल 'ओस्लो, नार्वे 

मँहगाई, जी एस टी, बेरोज़गारी 
देश के बड़े मुद्दे है,
पोस्टर बैनरों में साफ़ दिख रहे हैं।
देश के कोने- कोने में प्रदर्शन हो रहे।
देश में  मँहगाई  से भुखमरी बढ़ गयी।

खादी आज़ादी का परचम बना रहा,
क्यों विदेशी कपड़े से  झंडे बन रहे हैं।

डरे हुए लोग, विपक्ष को धमका रहे हैं।
विपक्ष के नेता प्रेस से कह रहे है।

आज की कविता - जनता में भय Suresh Chandra Shukla

 आज की कविता -जनता में भय फैलाने लगी है:

 सुरेशचन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक’

(आज की कविता आनन्द लीजिये।
तुलसीदास जी ने कहा, ‘भय बिन होत न प्रीत’)

जनता में भय

जब संसद  से ऊपर ई डी हो गयी। 
चल रही संसद में 
विपक्ष के नेता को सम्मन दे गयी।

इसलिए ई डी की जरूरत नहीं है।
जब  ई डी संसद से बड़ी हो गयी।
ई डी हटाने 19 दल साथ आ गये।
भ्रष्टाचार को हटाना मजबूरी हो गयी।

लोकतन्त्र मज़ाक़ बनकर रह गया।
सत्ताधीश के हाथ का खिलौना बन गया।

हर  प्रवासी देश का एक गाँव साक्षर करें।
अपने-अपने देशों में राजनैतिक भागीदारी बढ़े।
डरे हुए लोग, विपक्ष को धमका रहे हैं।
विपक्ष के नेता प्रेस से कह रहे है।
 
  सुरेशचन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक’
      5 अगस्त, 2022

मंगलवार, 2 अगस्त 2022

व्यंग्य क्षणिकाएं - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' Suresh Chandra Shukla

 नाग पंचमी पर शुभकामनाओं के साथ व्यंग्य क्षणिकाएं अर्पित  हैं। आनन्द लीजिए।

1
नाग पंचमी:
नाग हमारे मित्र हैं।
कीड़े मकोंड़ों से हमको बचाते हैं।
नाग पंचमी को 
हम  उनका ऋण चुकाते हैं।
सांप दबंग होते हैं,
इसलिए दूसरों के बिलों को
अपना घर बनाते हैं।
2
साँप और कुर्सी:
साँप पिटारों से ज्यादा
कुर्सियों पर रहते हैं;
इसीलिए लोग 
कुर्सी वालों से डरते हैं।
3
लोकतन्त्र में शड्यन्त्र मन्त्र:
आज सबसे ज्यादा 
लोकतन्त्र बचाने के लिए
निर्दोष राजनैतिक कैदी जेल में बन्द हैं।
जैसे सत्ताधीशों के हाथ में  चाबुक
जेब में गुप्त दान. 
लोकतन्त्र को धमकाने का
शड्यन्त्र-मन्त्र है। 
ट्यूनीशिया के पूर्व शासक 
क्या इसका सही उदहारण है?
उक्रेन में थोपा हुआ युद्ध 
पड़ोसी देशों की विस्तारवादी नीति,
सोमालिया में भयंकर सूखा,
कोई भोजन फेक रहा, कोई है भूखा?

एक तरफ प्राकृतिक विपदायें 
दूसरी तरफ विश्व में ऊर्जा संकट
तीसरी तरफ पर्यावरण प्रदूषण की लपट 
अंदर ही अंदर जला रही है.
व्यवसाय और स्कूल बन्द हो रहे हैं 
जनता सड़क पर आ गयी है?
  

- सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
2 अगस्त 2022