शुक्रवार, 29 अप्रैल 2016

राष्ट्रीय अखबार Klassekampen (क्लासेकम्पेन) नार्वेजीय अखबार में


नार्वेजीय अखबार में पूरे दो पेज पर इन्टरव्यू. Hei, venner! De som har anledningen til å lese Mitt intervju i Klassekampen ved tittel 'Moderne tider' (मार्डन समय) som ble trykt i side 28 og 29. Ha en fin dag. 


. बन्धुवर! आज घर के बाहर देखा तो मेज, पेड़ों और कर की छत पर बरफ पडी हुई है. चित्र में माया जी खड़ी हैं. आज जब देखा तो बरफ देखकर और द्वार पर आये अखबार में पाना इन्टरव्यू देखकर बहुत अच्छा लगा. मेरा ओस्लो से प्रकाशित राष्ट्रीय अखबार Klassekampen (क्लासेकम्पेन) नार्वेजीय अखबार में पूरे दो पेज पर इन्टरव्यू (साक्षात्कार) छपा है. मूदेर्ने तीदेर 'Moderne tider' (मार्डन समय) शीर्षक से जिसका अर्थ होता है आधुनिक जीवन।
På bilde er det en del snø på bord og trærne bak Maya ji.

बुधवार, 27 अप्रैल 2016

Å integrere er viktig इंटीग्रेशन समाज के लिए जरूरी है- सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक' Suresh Chandra Shukla


ओस्लो में इंटीग्रेशन की समस्या और चुनौतियां Å integrere er viktig.


बाएं से ब्योर्न लुंदबर्ग क्षेत्रीय नेता (टाउन के मेयर), ओस्लो नगर के मंत्री गाइर लिप्पेस्ताद, स्वयं मैं और ऊवे ब्रांंत वाइतवेत सेंटर ओस्लो में.   
बन्धुवर नमस्कार! ओस्लो नगर के मंत्री गाइर लिप्पेस्ताद ने इंटीग्रेशन पर एक बहुत अच्छा वक्तव्य वाइवेत सेंटर, ओस्लो में दिया। Jeg har vært på et møte hvor Geir Lippestad holdt et flott foredrag om integrering på Veitvet senter i Oslo.

शनिवार, 23 अप्रैल 2016

ओस्लो में  विलियम शेक्सपीयर को याद किया गया 
-सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक'
विलियम शेक्सपीयर (William Shakespeare ; जन्म 26 अप्रैल 1564 – मृत्यु 23 अप्रैल 1616). अंग्रेजी के कवि, नाटककार तथा अभिनेता थे। उनके नाटकों का लगभग सभी प्रमुख भाषाओं में अनुवाद हुआ है।
आज 23 अप्रैल विश्व पुस्तक दिवस है, हार्दिक बधाई। आज ही विश्व के महान कवि और नाटककार के निधन को 4oo चार सौ वर्ष हुए, उन्हें नमन. क्या आपको पता है कि शेक्सपियर के जन्मस्थान पर उनकी कोई मूर्ति नहीं है पर गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर जी की मूर्ति है जिन्होंने उन्हें विश्व कवी कहा था. मूर्ति लगवाएं का श्रेय डॉ लक्ष्मीमन सिंघवी जी को जाता है जिसके लिए हमारे बड़े नेता ज्योति बसू जी ने आर्थिक सहयोग किया था. - सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक'

शेक्सपियर में अत्यंत उच्च कोटि की सर्जनात्मक प्रतिभा थी और साथ ही उन्हें कला के नियमों का सहज ज्ञान भी था। प्रकृति से उन्हे मनो वरदान मिला था अत: उन्होंने जो कुछ छू दिया वह सोना हो गया। उनकी रचनाएँ न केवल अंग्रेजों के लिए गौरव की वस्तु हैं वरन् विश्ववाङ्मय की भी अमर विभूति हैं। शेक्सपियर की कल्पना जितनी प्रखर थी उतना ही गंभीर उनके जीवन का अनुभव भी था। अत: जहाँ एक ओर उनके नाटकों तथा उनकी कविताओं से आनंद की उपलब्धि होती है वहीं दूसरी ओर उनकी रचनाओं से हमको गंभीर जीवनदर्शन भी प्राप्त होता है। विश्वसाहित्य के इतिहास में शेक्सपियर के समकक्ष रखे जानेवाले विरले ही कवि मिलते हैं। (विकी पीडिया से)

शुक्रवार, 22 अप्रैल 2016

२३ अप्रैल विश्व पुस्तक दिवस - बधाई -Suresh Chandra Shukla सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'

२३ अप्रैल विश्व पुस्तक दिवस



Suresh Chandra Shukla
ओस्लो में मेरी अलमारी में मेरी पुस्तकें - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'

विलियम शेक्सपियर मूर्धन्य कवि  और नाटककार
२३ अप्रैल बहुत ख़ास दिन है. इस दिन विश्व पुस्तक दिवस मनाते हैं. संयुक्त राष्ट्र संघ ने इस दिन को पुस्तक दिवस और कॉपी राइट अधिकार के लिए विश्व पुस्तक दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया था.
विश्व के मशहूर लेखक शेक्सपियर का निधन भी इसी दिन २३ अप्रैल को चा सौ साल पहले १६१६ में हुआ था.
ओस्लो में मेरे निवास पर आज एक दिन पूर्व २२ अप्रैल को यह दिन लेखक गोष्ठी में मनाना तय हुआ है. 
अंगरेजी भाषा के मूर्धन्य कवि  और नाटककार विलियम शेक्सपियर का जन्म २६ अप्रैल १५५४ को हुआ था और उनकी मृत्यु हुई थी २३ अप्रैल १६१६ को. बधाई।
सुरेशचन्द्र  शुक्ल 'शरद आलोक'
William Shakespeare (26 April 1564 - 23 April 1616)

शनिवार, 16 अप्रैल 2016

मैं ओस्लो के इतिहास की एक बूँद हूँ   I er en dråpe i Oslos historie- Suresh Chandra Shukla


आकेर्स आवीस ग्रूरूदडालेन के संपादक यालमार Hjalmar, ओस्लो की मेयर मारिआने बोरगेन Marianne borgen, स्वयं मैं (सुरेशचंद्र शुक्ल ) और मेरे पहले पड़ोसी पेर यार Per Jahr  मंच पर स्थानीय इतिहास पर चर्चा के बाद 

ओस्लो, १६ अप्रैल २०१६
हमारे यहाँ कहावत है कि बूँद-बूँद से घड़ा भरता है.  कई बार किसी-किसी इत्र और चीज की एक बूँद बहुत बड़ी मात्रा में द्रव्य को प्रभावित कर सकती है. नार्वे में लिखा हमारा साहित्य भी नार्वे के साहित्य का एक हिस्सा है. 
हमारा योगदान भी उसी तरह है जैसे यहाँ पर जन्म लेने वाले का. कोई अपने जीवन से बहुत जल्दी प्रभाव छोड़ जाता है और किसी को देर लगती है. कभी-कभी तो पूरा जीवन लग जाता है उसके साहित्य की पहचान बन्ने में या यह कहें उसे सभी के सामने आने में.
कई बार बहुत से लेखकों का साहित्य प्रकाशक से छपकर प्रकाश में आ जाता है पर दीर्घायु नहीं होता और किसी लेखक द्वारा काम लिखे और छपने के बाद भी वह दीर्घायु बन सकता है.
यह वक्त / समय ही बताता है यह कहकर हम टाल देते हैं. 
१५ अप्रैल को मेरे घर के पीछे स्थित वाइतवेत सेंटर में वाइतवेत कल्चर सेन्टर की शुरुआत को लेकर एक सप्ताह से कार्य चक्रम चल रहे हैं. कल 

नार्वे में भारतीयों का इतिहास?


यदि हम देखें तो नार्वे में भारतीयों के इतिहास का अभाव है. जिसकी जहाँ बनी उसने वहां पकड़ बनायी, पहुँच बनायी। कुछ लोगों की पहुँच आसानी से हो गयी पर कुछ को बहुत वक्त लगा. कुछ लोगों ने एक समय तो कोशिश की बाद में आयु और समय के साथ शांत होते गये.
१४ अप्रैल को ओस्लो रेडक्रास, हाउसमान्सजाता ७ ओस्लो में आंबेडकर जी की १२५ वीं जयन्ती बहुत धूम-धाम से मनाई गयी. वहां भारतीय दूतावास के सभी कार्यकर्ता राजदूत से लेकर सचिव सभी प्रेम से कार्यक्रम के बाद मिले। बाद में कुछ महत्वपूर्ण राजदूतों और पूर्व राजदूतों से मुलाक़ात हुई. इसके बाद अपने चिर परिचित भारतीयों से बातचीत हुई मेल-मिलाप हुआ कुछ फोटोग्राफी हुई. इसमें मैं जिक्र करना चाहूँगा श्री लाल जो संगीतकार हैं, सुरजीत सिंह जी जो स्वयं और उनका परिवार सामाजिक कार्य में सक्रीय है विशेषकर लवलीन जो एक कलाकार है उसका अभिनय इबसेन के नाटक Fruen fra havet समुद्र की औरत में बॉलीवुड की छाप के साथ बहुत सराहा गया था. कपूर जी भारतीय दूतावास में बहुत पहले कार्यरत रहे हैं और बढ़-बढ़ के बाते करना और बात-बात में भूल जाना आदि उनकी आयु और आदत का परिणाम ही है. ट्रेवल एजेंसी वाले जस्सन, बहुत पुराने सन १९८५-८६ में रहे प्रथम सचिव श्री धवन जी से भेंट कर बहुत खुशी हुई. वह अपने बेटे के साथ थे. मुझे उन्हें पहली नजर में पहचानने में देर न लगी.
मैंने इस अवसर पर शिखा चन्द्र जी को याद किया मैं पत्रकारिता की शिक्षा लेने वाला नार्वे में पहला व्यक्ति था और मैंने भारतीय प्रेस पर और साहित्य पर अलग-अलग दो गोष्ठियों का आयोजन किया था हमारे मेहमान थे भारत से राजेन्द्र अवस्थी जी, सरोजनी प्रीतम जी और जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के डॉ सत्यभूषण वर्मा जी.  उस समय शिखा जी ने अपने घर पर पार्टी दी थी तब धवन जी भी वहां विशिष्ट अतिथि थे. 
श्रीलालजी, कपूर, सुरजीत सिंह, जससन और मैं आपस में कुछ आपस में बाते करने लगे और खाने -पीने की चीजों का स्वाद बताने लगे. आप कितनी ही पच्छी पार्टी या बैठक में हों पर यदि आपको यदि कोई चिर परिचित मिल जाता है तो बहुत खुशी होती है जैसे खाने के बाद कुछ मिठाई मिल गयी हो.
श्रीलाल जी ने मुझे बधाई दी कि मेरे साहित्य पर भारत में चार विश्व विद्यालयों में  शोध हो रहा है. मैंने उन्हें धन्यवाद दिया। यहाँ मेरे मन में एक बात जगी की कि क्यों न हर कार्य के चलते मैं यहाँ अपने समकालीन भारतीयों का संछिप्त इतिहास लिखूँ।  लोगों ने समर्थन किया, क्योंकि नार्वे में मैंने ३५ वर्ष पत्रकारिता में बिताएं हैं. मैं पूरे समय का पत्रकार और लेखक हूँ. इतिहास या साहित्य में समय मुझसे क्या लिखवायेगा यह भविष्य ही जाने। 






शुक्रवार, 15 अप्रैल 2016

नार्वे में मनाया गया अम्बेडकर का १२५वां जन्मदिन - Suresh Chandra Shukla, Oslo

नार्वे में मनाया गया अम्बेडकर का १२५वां जन्मदिन 
Photo: Suresh Chandra Shukla, Oslo


Den indiske ambassaden i Oslo feiret 125. års fødselsdag til Baba Saheb Bhim Rav Ambedkar som var arkitekt bak Den indiske grunnloven, på Rødekors lokale på Hausmansgate 7 i Oslo. HE N A K Browne og Høyeste retts avtroppende dommer Tore Schei talte for forsamlingen. 
Veitvet-forfatteren takket ambassadøren for arrangementet og overrakk blomster og tidsskrift Speil til Den indiske ambassadøren i Norge.
Det var flere ambassadører ble representert i går ved B R Ambedkars 125-års feiring. Shri Lal og spilte Tabla (den indiske trommen) og Rohini Sahajpal spilte Sitar på arrangementet. कल बाबा साहेब भीम राव अम्बेडकर जी का जन्मदिन पूरी दुनिया में मनाया गया. कल ओस्लो में भारतीय दूतावास द्वारा मनाया गया जिसमें अनेक राजदूतों के साथ मेरे बड़े मित्र जगदीश गांधी जी के मित्र और नार्वे के सुप्रीम कोर्ट के जज मुख्य अतिथि थे. हमारे राजदूत एन ए के ब्राउने जी ने सारगर्भित वक्तव्य देते हुए प्रकाश डाला कि किस तरह से आंबेडकर साहेब ने संविधान में सहयोग दिया और किन-किन देशों के संविधानों का अध्ययन करके संविधान लिखा गया. आंबेडकर साहेब ने अपनी कमजोरी को कभी भी संविधान निर्माण में आड़े हाथ नहीं आने दिया। अब हमारी बारी है कि हम अपना योगदान दें और जो भी पीड़ित, उपेक्षित दलित और कमजोर लोग हैं उनेह सम्मान दें और उन्हें न्याय दिलाने में मदद करें और शिक्षा, भोजन, सम्मान आदि दिलाने में सभी की मदद करें। 
ओस्लो में अम्बेडकर जयन्ती कार्यक्रम में जिस प्रकार दूतावास के सभी उपस्थित सचिव, कार्यकर्ता सभी आगंतुकों का स्वागत कर रहे थे वह सराहनीय है. भारतीय दूतावास सदा ऐसे कार्यक्रम आयोजित करता है और जो अन्य भारतीय संस्थायें कार्यक्रम आयोजित करती हैं उनमें बहुत मदद करता है. 


HE NAK Browne taler om B R Ambedkar på Rødekorssenter i Hausmansgate i Oslo.
हमारे भारतीय राजदूत महामहिम एन ए के ब्राउने ने सारगर्भित ऐतिहासिक भाषण दिया।






8 मई को नार्वे के  स्वतंत्रता दिवस मनाया जायेगा 
८ (8) मई को वाइतवेत, ओस्लो  में भारतीय -नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम Indisk-Norsk Informasjons -og Kulturforum की ओर से नार्वे का स्वतंत्रता दिवस मनाया जा रहा है. 8 मई को नार्वे के  स्वतंत्रता दिवस के साथ-साथ 
संयुक्त राष्ट्र संघ में दूसरे विश्व युद्ध की समाप्ति की याद में मनाया जाता है. इसमें स्थानीय नार्वेजीय राजनैतिज्ञ के अतिरिक्त देश विदेश से शिक्षविज्ञ  भाग ले रहे हैं.






गुरुवार, 14 अप्रैल 2016

पूरी दुनिया में बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की जयन्ती मनाई जा रही है- सुरेशचंद्र शुक्ल, ओस्लो, नार्वे Suresh Chandra Shukla


पूरी दुनिया में बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की जयन्ती मना रही है



आंबेडकर की राह पर 

आंबेडकर की राह पर 

- सुरेशचंद्र शुक्ल, ओस्लो, नार्वे 

अभावों में हैं जो पले 
वह ज्यादा जानते हैं 
क्या है भुखमरी और अकाल, 
अपनों के द्वारा किया गया भेदभाव,
अमानवीय तरीकों से दी गयी प्रताड़ना।

संघर्ष में पले हैं हौंसले,
निर्भीकता से किये गए फैसले,
धारा के विरुद्ध चल दिए अकेले
भारतीय संविधान में किया योगदान,
सभी को मिले न्याय और शक्ति।
आंबेडकर जी यही है तुम्हारी सच्ची देशभक्ति!

आज पूरी दुनिया में है फैला है अन्याय,
धर्म और युद्ध के नाम पर फ़ैल रहा आतंक,
असमानता को थोप रहे हैं 
औरतों और बच्चों को अन्याय की भट्टी में 
खुलेआम झोंक रहे हैं.

काश हम अपने अंदर झाँकने लगें,
अन्याय का करें पुरजोर विरोध।
देश-विदेश में राजनीति में कूद जायें
न्याय से अन्याय को कुचलें 
सभी को मिले समान और मानवतावादी शिक्षा।
सभी करे श्रम 
न मांगनी पड़े भिक्षा!
तभी होगी आंबेडकर के विचारों का सम्मान
और मानवाधिकारों की रक्षा। 
  

speil.nett@gmail.com

आज १४ अप्रैल २०१६ को पूरे विश्व में  अनेक जगह और जहाँ-जहाँ भारतीय दूतावास और कांसुलेट हैं वहां-वहां महान भारत में जन्मे  चिंतक, लेखक और समाज सुधारक बाबा साहेब भीम राव अम्बेडकर जी की १२५ वीं जयन्ती मनाई जा रही है. ओस्लो में भी मनाई जा रही है और पहले भी मनाई जाती रही है.

हम भारतीयों की यह रीति है कि किसी महान व्यक्ति के महान  विचारों को अपनाने और उसे मानने के स्थान पर उसकी तस्वीर, मूर्ति पर ज्यादा देते हैं और कभी-कभी उसे भगवान तक बनाने  के लिए आमादा रहते हैं. 
आज आप शपथ लें कि किसी कमजोर को नहीं सतायेंगे, बाल मजदूरी नहीं कराएंगे, दूसरों पर दया करेंगे आदि-आदि. धन्यवाद।

बुधवार, 13 अप्रैल 2016

बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर प्रयोगिक चिंतक हैं - सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक' Suresh Chandra Shukla

14 अप्रैल को बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर जी का 125वां  जन्मदिन है
सभी को हार्दिक शुभकामनायें 
मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
हमारे सबसे अधिक प्रयोगिक चिंतक हैं - सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक'
भीमराव अंबेडकर

युवा आंबेडकर
जन्म14 अप्रैल 1891
महूसेन्ट्रल प्रोविंसब्रिटिश भारत (वर्तमानमध्य प्रदेश में)
मृत्यु6 दिसम्बर 1956 (उम्र 65)
दिल्लीभारत
राष्ट्रीयताभारतीय
अन्य नाममहान बोधिसत्व, बाबा साहेब
शिक्षाएम.ए., पी.एच.डी., डी. एससी., एलएल.डी., डी.लिट., बैरिस्टर एट लॉ
विद्यालयमुंबई विश्वविद्यालय
कोलंबिया विश्वविद्यालय
लंदन विश्वविद्यालय
लंदन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स
संस्थासमता सैनिक दलस्वतंत्र लेबर पार्टी,अनुसूचित जाति फेडरेशनभारत की बौद्ध सोसायटी
उपाधिभारत के प्रथम कानून मंत्रीसंविधान मसौदा समिति के अध्यक्ष
राजनीतिक पार्टीभारतीय रिपब्लिकन पार्टी
राजनीतिक आंदोलनअम्बेडकर का बौद्ध धर्म
धर्मबौद्ध धर्म
जीवनसाथीरामाबाई आंबेडकर (विवाह 1906) , सविता आंबेडकर (विवाह 1948)
पुरस्कारभारत रत्‍न (1990)
डॉ॰ भीमराव रामजी अंबेडकर ( १४ अप्रैल, १८९१  ६ दिसंबर, १९५६ ) एक विश्व स्तर के विधिवेत्ता थे। वे एक दलित राजनीतिक नेता और एक समाज पुनरुत्थानवादी होने के साथ साथ, भारतीय संविधान के मुख्य शिल्पकार भी थे। वे बाबासाहेब के नाम से लोकप्रिय हैं। इनका जन्म एक गरीब अस्पृश्य परिवार मे हुआ था। एक अस्पृश्य परिवार में जन्म लेने के कारण उन्हें सारा जीवन नारकीय कष्टों में बिताना पड़ा। बाबासाहेब आंबेडकर ने अपना सारा जीवन हिंदू धर्म की चतुवर्ण प्रणाली और भारतीय समाज में सर्वव्यापित जाति व्यवस्था के विरुद्ध संघर्ष में बिता दिया। हिंदू धर्म में मानव समाज को चार वर्णों में वर्गीकृत किया है। जो इस प्रकार है- ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र। बाबा साहब ने इस व्यवस्था को बदलने के लिए सारा जीवन संघर्ष किया। इस लिए उन्होंने बौद्ध धर्म को ग्रहण करके इसके समतावादी विचारों से समाज में समानता स्थापित कराई। उन्हें बौद्ध आंदोलन को प्रारंभ करने का श्रेय भी जाता है। बाबासाहेब अम्बेडकर को भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया है, जो भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है।
कई सामाजिक और वित्तीय बाधाएं पार कर, आंबेडकर उन कुछ पहले अछूतों मे से एक बन गये जिन्होने भारत में कॉलेज की शिक्षा प्राप्त की। आंबेडकर ने कानून की उपाधि प्राप्त करने के साथ ही विधि,अर्थशास्त्र व राजनीति विज्ञान में अपने अध्ययन और अनुसंधान के कारण कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स से कई डॉक्टरेट डिग्रियां भी अर्जित कीं। आंबेडकर वापस अपने देश एक प्रसिद्ध विद्वान के रूप में लौट आए और इसके बाद कुछ साल तक उन्होंने वकालत का अभ्यास किया। इसके बाद उन्होंने कुछ पत्रिकाओं का प्रकाशन किया, जिनके द्वारा उन्होंने भारतीय अस्पृश्यों के राजनैतिक अधिकारों और सामाजिक स्वतंत्रता की वकालत की। डॉ॰ आंबेडकर को भारतीय बौद्ध भिक्षुओं ने बोधिसत्व की उपाधि प्रदान की है, हालांकि उन्होने खुद को कभी भी बोधिसत्व नहीं कहा।


शनिवार, 9 अप्रैल 2016

डायरी ओस्लो, 08.04.16 - Suresh Chandra Shukla

डायरी ओस्लो, 08.04.16

विक्रम संवत 2073 का पहला दिन


आज शुक्रवार और विक्रम संवत 2073 का पहला दिन. मन में उत्साह। प्रातः उठा खिड़की के पास लगे तापमान मीटर को देखा जो बाहर का तापमान 5 डिग्री बता रहा था.  एक कहानी पढ़ी. चाय पीकर कुछ मित्रों को इ-पत्र द्वारा और फेसबुक पर नये विक्रम संवत वर्ष के लिए मिली शुभकामनाओं का जवाब दिया और स्वयं भी कुछ लोगों को शुभकामनायें दीं.
आज नवरात्र का आरम्भ।  कोई वृत रहता है, कोई इन दिनों मांसाहारी कहना नहीं खाता। हम लोग तो वेजीटेरियन /शाकाहारी हैं. भोजन और भजन यानि धर्म ये निजी हैं.
सुन्दरकाण्ड का पाठ
बचपन में जब मैं पुरानी लेबर कालोनी ऐशबाग लखनऊ में रहता था तब मेरे पिताजी  घर पर अखण्ड रामायण करवाते थे. कुछ मित्र परिवार और पड़ोसी मिलकर २४ घंटे रामायण पढ़ते थे. यह मुझे एक सामाजिक और हिन्दी के विकास में सहयोगी उपक्रम  लगा.  लोग रामायण के पात्रों को आदर्श मानकर अपना जीवन सच्चाई और ईमानदारी से जीवन व्यतीत करना चाहते हैं.  दूसरा कि रामायण सरल अवधी भाषा में लिखा हुआ लोक काव्य है जिसे इसे पढ़ने वाले बहुत पसंद करते हैं.
ओस्लो में अपने निवास पर मैंने भी रामचरित मानस से  सुन्दरकाण्ड का पाठ 15:30 बजे किया जिसमें सवा घंटा लगा. और मायाजी ने पंचामृत बनाया जिसे अपने मित्रों और उनके परिवार के सदस्यों को दिया।
लेखक गोष्ठी
आज भारतीय नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम की ओर  से लेखक गोष्ठी का आयोजन मेरे  निवास पर सम्पन्न हुआ. गोष्ठी शाम 18:00  छः बजे शुरू हुई और साढ़े नौ बजे समाप्त हुई. इस कार्यक्रम में सबसे पहले विक्रम संवत पर चर्चा की गई और विक्रम संवत वर्ष पर लोगों ने एक दुसरे को शुभकामनायें दीं.
दिव्या विद्यार्थी और दीपिका रतूड़ी ने गीतों के गायन से  गोष्ठी को मधुर बनाया।  बाद में अलका भरत, मीना मुरलीधर ने गीतों को गाकर संगीतमय बनाया।
अंत में इंगेर मारिये लिल्लेएंगेन, नूरी रोयसेग, राजकुमार, प्रगट सिंह और सुरेशचंद्र शुक्ल ने अपनी स्वरचित कविताओं का पाठ किया।
भोजन के बाद भी आपस में काफी देर तक विचार विमर्श होता रहा.  आजका दिन अच्छा रहा पर लेखन नहीं हुआ.


गुरुवार, 7 अप्रैल 2016

मेरी बर्मिंघम ब्रिटेन की यात्रा -Suresh Chandra Shukla

मेरी बर्मिंघम ब्रिटेन की यात्रा 
30 मार्च से 4 अप्रैल तक हमने माया भारती के संग मैनचेस्टर और बर्मिंघम की यात्रा की. यहाँ हमने मंदिर, निरंकारी समाज के प्रतिष्ठित विद्वान और प्रचारक श्री उपासक जी के घर भी गये.
भारतीय दूतावास बर्मिंघम में कवि  सम्मलेन और सम्मान समारोह संपन्न हुआ. पियाली रे जी को उनके बर्मिंघम में संस्कृति को योगदान के लिए सम्मानित किया गया.
कवि सम्मलेन में पंछी जी पंजाब भारत से आये थे और मैं  (सुरेशचंद्र शुक्ल) और माया भारती  नार्वे से आये थे. डॉ निखिल कौशिक, सोहन रही, शिखा वार्ष्णेय और शैल अग्रवाल ब्रिटेन से ही थीं. इनके अतिरिक्त श्री नय्यर, डॉ कृष्ण कन्हैया, दलजीत कौर, सीमा कौर, स्वर्ण तलवार, वंदना मुकेश और संयोजक डॉ कृष्ण कुमार सभी ब्रिटेन से थे.



भारतीय दूतावास के श्री जे के शर्मा मुख्य अतिथि थे जिन्होंने सभी का स्वागत किया और भाषा और साहित्य के योगदान के लिए बधाई दी.


हम एक हिन्दू मंदिर गये. वहां सत्य नारायण जी की कथा और भोज था. एक बिटिया का जन्मदिन के अवसर पर कार्यक्रम था. मंदिर भव्य और आयोजन शानदार था.
हम बर्मिंघम के सिटी काउन्सिल गए वहां मेयर कार्यालय में मेयर नहीं मिले परन्तु उनके कार्यालय सहयोगियों ने बहुत ध्यान दिया, बर्मिंघम में राजनैतिक इतिहास बताया तथा वहां प्रदर्शित चित्रों और वस्तुओं के दर्शन करते हुए उनके बारे में रोचक और विस्तार से बताया।
मेयर का ऐतिहासिक हार जो मेयर अपने कयरलय में पहनता है उस हार में तीन हीरे जेड थे तथा उसमें पूर्व के सभी मेयरों के नाम और वर्ष दिए गए थे. यह हार बहुत ऐतिहासिक था जिसे धारण करने का अवसर हम लोगों को दिया गया.




Speil ble overrakk til Marianne Borgen- Suresh Chandra Shukla

वाइतवेत कल्चर सेन्टर का उद्घाटन

 स्पाइल-दर्पण पत्रिका ओस्लो की मेयर श्रीमती मारियाने बोर्गेन को भेंट



अभी कुछ समय पहले अपने घर के पीछे स्थित वाइतवेत सेंटर, ओस्लो में मैंने स्पाइल-दर्पण पत्रिका ओस्लो की मेयर श्रीमती मारियाने बोर्गेन को भेंट की जब वह आज वाइतवेत कल्चर सेन्टर का उद्घाटन करने आयी थीं.Veitvetsenter ble åpnet og jeg overrakk Speil til ordfører Marianne Borgen.




सोमवार, 4 अप्रैल 2016

मैनचेस्टर और बर्मिंघम की यात्रा 

३० मार्च को ओस्लो में रीग्गे एयरपोर्ट से मैनचेस्टर, यू के के लिए  फ्लाइट लेकर माया जी के साथ यात्रा पर आया. मैनचेस्टर एयरपोर्ट पर उतरकर रेलवे स्टेशन का पता पूछताछ कर रेलवे  स्टेशन गया. दस बारह मिनट पैदल चलने के बाद स्टेशन पहुंचे वहां रेल का टिकट लेकर बर्मिंगम के लिए प्लेटफार्म नंबर 4 A पर आ गए जहाँ से रेल ने प्रस्थान करना था.
माया जी का साथ बहुत समय बाद हम दोनों एक साथ विदेश की यात्रा पर आया हूँ.
एक अनोखी खुशी और एक अनोखा संतोष का अनुभव।
अज्ञात स्थान की यात्रा जैसा आनंद जबकि बर्मिंगम पहले भी आ चुका हूँ पर हवाई जहाज से.
२ अप्रैल को बर्मिंघम में साहित्यिक कार्यक्रम था गीतांजलि बहुभाषी समुदाय द्वारा आयोजित कवी सम्मलेन और सम्मान समारोह में भाग लेने आया था. आमंत्रण दिया था डॉ कृष्ण कुमार जी ने बर्मिंघम से जिनके निमंत्रण को हम इंकार नहीं कर सके थे. यहाँ रहते हुए फोन से डॉ. महेंद्र कुमार वर्मा, उषा वर्मा और श्रीमती पांडेय जी (डॉ श्याम मनोहर पांडेय) जी से बाअत हुई थी.
बर्मिंगम का मंदिर का अंदर से अवलोकन किया और पूजा में सम्मिलित हुए. एक परिवार अपने पौत्र का जन्मदिन मन रहा था.
बहार से भव्य गुरुद्वारा देखकर बहुत खुशी हुई.
बर्मिंघम की जेल से लेकर एक नया बड़ा अस्पताल जहाँ मलाला का इलाज हुआ  था सभी को दूर से या पास से देखा था.
बर्मिंघम के नगर काउन्सिल और मेयर कार्यालय का भ्रमण रोचक और पररनपद रहा जिसे भुलाया नहीं जा सकता।
कल 4 अप्रैल को ओस्लो वापसी है. कल 2 अप्रैल को यहाँ हुए गीतांजलि कार्यक्रम भी एक सफल और रोचक कार्यक्रम था जिसमें कवितापाठ किया और अपने अनुभव साझे किये।