शुक्रवार, 22 दिसंबर 2023

हम चुप क्यों हैं? - सुरेशचन्द्र शुक्ल शरद आलोक

 हम  चुप  क्यों  हैं?

सुरेशचन्द्र शुक्ल शरद आलोक


साक्षी मलिक ने सन्यास लिया,
महिला खिलाडी का अपमान हुआ। 
पुनिया ने पद्मश्री वापस कर,
अपने जमीर का मान किया।

हम किस गुमान में बैठे हैं,
गोदी मीडिया भी चुपचाप रहा।
लोकतन्त्र की हत्या में 
गर हम मौन रहे, अपराधी हैं?

हम आज मौन, अपराध बोध,
कल हमारी बारी है।

सरकार के कान में न जूँ रेंगी,
न ही जनता का आंदोलन हुआ।
हम कितने दोहरे हो  गए हैं 
खिलाडियों का न साथ दिया।

देश  का  युवा  बेरोजगार, 
सेल  फोन  पर  बैठा हुआ
कब  पायेगा रोजगार ?

जनता के सवाल उठाने वाले
सांसदों को किसने किया 
संसद से  बाहर ?

सोशल  मीडिया  पर  युवा
सात  घण्टे बिताना बन्द करें। 
जब  संसद  में  आवाज  बन्द  है 
युवा  अपनी आवाज बुलन्द करें। 

बस्तियों  पर  बुलडोजर  चलाकर, 
ज़िन्दा  मानव  को  बेघर  करके, 
अयोध्या  में  मूर्ति  प्रतिष्ठा  से 
राम  कभी  नहीं  आयेंगे। 
महामारी  में  सबने  देख  लिया,
अपने  भी काम  नहीं  आये थे।

हर  घंटे संघर्ष  करो  तुम
मुद्दों  के  लिए  लड़ो  तुम।
संसद  में  सांसद  निष्कासित, 
लोकतंत्र  बचाने 
सड़कों पर आओ  तुम।
तुमको  संजीवनी  बनना  होगा,
अपने  हक  के  लिये  लड़ना  होगा।

 सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'  22.12.23 

सोमवार, 18 दिसंबर 2023

संसद पर आज फिर हमला हो गया: 92 सांसदों का निलम्बन कर दिया

 आज की कविता

संसद पर आज फिर हमला हो गया


संसद में सवाल उठाना जुर्म हो गया।
लोकतंत्र का कत्ल सत्ताई मर्म हो गया।
सभापतियों ने संसद पर हमला कर दिया।
जो देश की जनता की आवाज उठा रहे,
आज 92 सांसदों का निलम्बन कर दिया।
शर्मनाक, काला दिन संसद में आ गया।
आज लोकतंत्र को बदनाम कर दिया।
सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'

शुक्रवार, 15 दिसंबर 2023

उनका विवेक तो मरता ..आँखों का पानी मर जाता।- सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'

 उनका विवेक तो मरता ही है, आँखों का पानी मर जाता है।

सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'

वह समय था आदर्शों का
अर्थों का और विमर्शों का।
मनुज विवेक और सेवा का,
भाव समझ नहीं पाता है।

अभी  शपथ नहीं ली मंत्री ने 
न्यायालय से पहले न्याय किया?
यदि आरोपी अल्पसंखयक हो 
पहले बुलडोज़र चल जाता है।

संसद में प्रधान मंत्री मौजूद नहीं,
गृहमंत्री सरकारी जश्न मनाते हैं।
संसद में सुरक्षा समिति गठित नहीं,
बेरोज़गार सुरक्षा भेद घुस आते हैं।

जब विपक्ष आवाज़ उठाता हैं 
संसद में चर्चा ना करवाता है।
आवाज  उठाने वाले निष्काशित 
जहाँ सभापति बहुत गुर्राता है।

आधी-अधूरी संसद में असुरक्षा 
गृह/प्रधान मन्त्री जश्न मनाता है।
इस अवधि में समिति बनी नहीं,
अब फिर चुनाव आने वाला  है।

धर्मांधों की सरकार जहाँ 
वह तानाशाह बन जाता है।
उनका विवेक पहले मरता,
आँखों का पानी मर जाता है।

अतिधनियों का चन्दा खाते हैं,
उसमें अहंकार भर जाता है।
मीडिया अतिधनियों का ग़ुलाम,
घमंडी सत्ता के गुण गाता है।

पुरूषवादी सोच सत्ता में आकर,
महिलाओं पर वार कर जाता है।
महिलाओं को निष्काशित कर
वह कायर पौरुष कहलाता हैं?

आज अपराधी भरे सदन में 
छिपकर वार, कायर कहलाता है।
साक्षी मलिक अपमानित होती 
दोषी सांसद भरी संसद में हँसता है। 

महुआ मोइत्रा महिला आन्दोलन,
पूरे देश में यदि बन जायेगा।
महिला का वस्त्र हरण करने 
कोई संसद में कभी ना आयेगा।

काली अपराधी रातों का 
अन्त कभी तो आयेगा?
दुःख के बादल छट जायेंगे,
सुख भोर कभी तो आयेगा।

जो आज पदों पर बैठे हैं ,
कल और वहाँ पर आयेगा।   
सत्ता पाकर  इतराओ ना,
इतिहास नहीं दोहरायेगा।

ओस्लो, 13.12.23  

शनिवार, 2 दिसंबर 2023

नार्वे से किसान आन्दोलन के तीन वर्ष पर विश्व की पहली अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी

नार्वे से किसान विमर्श पर गोष्ठी की रिपोर्ट

किसान आन्दोलन के तीन वर्ष पर विश्व की पहली अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं कविसम्मेलन
    • ओस्लो, 2 दिसम्बर।
      नार्वे से भारतीय किसान आन्दोलन के तीन बरस पर विश्व की पहली डिजिटल अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं कवि सम्मेलन सम्पन्न हुआ जिसका आयोजन भारतीय-नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम ने किया था। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे डॉ. सुधीर कुमार शर्मा एवं मीडियाकर्मी एवं लेखक बलराम मणि त्रिपाठी एवं अध्यक्षता की साहित्य त्रिवेणी साहित्यिक पत्रिका के संपादक डॉ. कुँअर वीर सिंह मार्तण्ड जी ने और सस्वर वाणी वन्दना से कार्यक्रम की शुरुआत की प्रमिला कौशिक ने।
      संस्था के अध्यक्ष सुरेशचन्द्र शुक्ल शरद आलोक ने स्वागत करते हुए कहा,
      "किसान अन्नदाता है पर उसे अपनी लोकतान्त्रिक मांगों को मनवाने के लिए आन्दोलन करना पड़ रहा है। जब आज सरकार का पूँजीपतियों की तरफ झुकाव है और श्रमिक कानूनों में परिवर्तन करके उनके अधिकार कम किये गए हैं। सरकार ने वायदे पूरे नहीं किये हैं।
      सुरेशचन्द्र शुक्ल ने आगे कहा, "साहित्यकारों और पत्रकारों का दायित्व है कि वह जनता की आवाज बने, उन्हें जगह दे, न कि उन्हें बाहरीपन का अहसास कराये।
      लोकतन्त्र की जो मशाल लेकर चलें उन्हें हम सहयोग दें और लोकतंत्र को मजबूत करें। विपक्षी दलों की भूमिका अहम हो रही है, जबकि सरकारी मशीनरी जैसे चुनाव आयोग, सीबीआई और ईडी आज केन्द्र सरकार के पक्ष में और जनता से पक्षपात का रवैया अपना रही है वहां किसान आंदोलन लोकतंत्र के लिए संजीवनी है। 26 से 28 नवम्बर 2023 तक चंडीगड़ और पूरे देश में किसानों ने तीन दिनों तक पुनः आंदोलन किया और अपनी मांगों को दोहराया।
      यह कवि सम्मेलन पूरी तरह से भारत में किसान आंदोलन को समर्पित है। कुछ विपक्षी नेता मिसाल बन रहे हैं, वे नेता जनता की आवाज बन रहे हैं। यह लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत है।" आखिर में उन्होंने अपनी स्वरचित कविता की पंक्तियाँ पढ़ते हुए किसान आंदोलन में शहीद हुए सात सौ किसानों को श्रद्धांजलि दी।
      अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी और कवि सम्मेलन में विचार व्यक्त करने वाले और कवितापाठ करने वाले थे भारत से प्रसिद्ध लेखक डॉ. कुँअर वीर सिंह मार्तण्ड कोलकाता, लेखक और शिक्षाविद अमरजीत राम प्रयागराज, प्रसिद्ध मीडियाकर्मी बलराम कुमार मणि त्रिपाठी एवं सूरज के रंग के रचनाकार शशि पराशर, ममता कुमारी एवं चाँद पर पहरा की रचनाकार प्रमिला कौशिक दिल्ली, डॉ. इलाश्री जायसवाल नोएडा, डॉ. रश्मी चौबे गाजियाबाद, समालोचक एवं शिक्षाविद डॉ. ऋषि कुमार मणि त्रिपाठी कबीर नगर, जसवीर सिंह बागपत, डॉ. फरहत उनीसा विदिशा, छत्तीसगढ़ के संपादक सुधीर कुमार शर्मा रायपुर, पर्यावरण विद डॉ. अर्जुन पाण्डेय अमेठी, डॉ. सुषमा सौम्या जी ने पहले मृदा वैज्ञानिक एवं कवि स्व.विप्लव जी की रचनायें पढ़ीं बाद में अपनी स्वरचित ग़ज़ल एवं सस्वर गीत सुनाये।
      विदेश से काव्यपाठ करने वालों में सर्वश्री डॉ. राम बाबू गौतम अमेरिका, शिरोमणि साहित्यकार डॉ. मोहन सपरा कनाडा, अंकित पाण्डेय नेपाल और नार्वे से सुरेशचन्द्र शुक्ल नार्वे ने सस्वर कवितायें सुनायीं। सभी रचनाओं को बहुत पसन्द किया गया।
      डॉ. सुधीर कुमार शर्मा जी ने सुरेशचन्द्र शुक्ल शरद आलोक के काव्यसंग्रह मिट्टी के देवता को अपने समय की किसान विमर्श की श्रेष्ठ पुस्तक बताया। आगामी संगोष्ठी 6 दिसम्बर को आयोजित होगी जो नार्वे और स्वीडेन से दिए जाने वाले शान्ति एवं साहित्य के नोबेल पुरस्कार पर आधारित होगी।
      - संगीता शुक्ल, ओस्लो

      नार्वे से भारतीय संविधान दिवस की संगोष्ठी -Suresh Chandra Shukla

       नार्वे से भारतीय संविधान दिवस की संगोष्ठी और कवि सम्मेलन

      ओस्लो, नार्वे से प्रकाशित द्विभाषी- द्वैमासिक पत्रिका की ओर से भारतीय संविधान दिवस पर अन्तर्राष्ट्रीय काव्य गोष्ठी सम्पन्न हुई।
      स्पाइल-दर्पण के सम्पादक सुरेशचन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक’ ने स्वागत करते हुए बताया कि स्पाइल पत्रिका गत 35 वर्षों से ओस्लो, नार्वे से निरन्तर प्रकाशित हो रही है जिसका विदेशों में हिन्दी के प्रचार प्रसार में बहुत योगदान दिया है।
      संविधान दिवस पर बधाई देते हुए कहा कि लोकतन्त्र को बनाये रखने के लिए हमको जागरूक होकर हर घंटे प्रयास एवं कार्य करते रहना होगा।
      ऑथर्स गिल्ड आफ इंडिया के महामंत्री डॉ. शिव शंकर अवस्थी जी ने अपने सारगर्भित व्याख्यान में भारतीय संविधान को उत्कृष्ट बताया।
      नागरी संगम एवं सौरभ के सम्पादक डॉ. हरी सिंह पाल ने विस्तार से संविधान की विशेषतायें बताईं।
      अन्तर्राष्ट्रीय काव्य गोष्ठी
      गोष्ठी का शुभारम्भ साहित्य त्रिवेणी के सम्पादक डॉ. कुँवर वीर सिंह मार्तण्ड ने स्वरचित वाणी वंदना से किया।
      भारत से पूर्व मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ओम् सपरा एवं शिक्षाविद डॉ. हरनेक सिंह गिल, हाईकोर्ट में अधिवक्ता शशि पराशर दिल्ली से, डॉ. सुषमा सौम्या एवं डॉ. अपर्णा गुप्ता लखनऊ, समालोचक डॉ. रिशि कुमार मणि त्रिपाठी कबीर नगर, समालोचक एवं शिक्षक डॉ. अमरजीत राम प्रयागराज, डॉ. कुँअर वीर सिंह मार्तण्ड कोलकाता ने सस्वर कवितायें सुनाई।
      नार्वे से सुरेशचन्द्र शुक्ल एवं गुरु शर्मा और अमेरिका से डॉ. राम बाबू गौतम ने संविधान दिवस पर बधाई दी और स्वरचित कवितायें सुनाईं जिसे पसन्द किया गया।
      कार्यक्रम में उपस्थिति रहीं ममता कुमारी, डॉ. के पद्मिनी, बबिता गर्ग एवं आशा राठौर दिल्ली।

      शनिवार, 4 नवंबर 2023

      नार्वे में अमर्त्य सेन के जन्मदिन पर कवि सम्मेलन

       नार्वे में अमर्त्य सेन के जन्मदिन पर कवि सम्मेलन 


      3 नवम्बर को भारतीय नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन के जन्मदिन पर नार्वे में डिजिटल कवि सम्मेलन सम्पन्न हुआ। 

      अच्छी रचनाओं ने समा बांध दिया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे ओम सपरा जी और स्वागत और संचालन किया नार्वे के साहित्यकार सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' ने।

      प्रमिला कौशिक ने मधुर आवाज़ में सरस्वती वन्दना से कवि सम्मेलन की शुरुआत की।

      कवि सम्मेलन में रचनापाठ करने वाले रचनाकारों में शशि पराशर, प्रमिला कौशिक, डॉ. रवि कुमार गोंड़, ओम सपरा, प्रो. हरनेक सिंह गिल दिल्ली, डॉ. रश्मि चौबे गाजियाबाद, डॉ. सुषमा सौम्या लखनऊ, डॉ. अमरजीत राम प्रयागराज, जागृति सिन्हा मुंबई।

      शुभकामनायें देने वालों में  डॉ. हरी सिंह पाल एवं डॉ. राम अवतार बैरवा दिल्ली, अनीता कपूर अमेरिका, प्रो. मोहन कान्त गौतम नीदरलैंड प्रमुख थे। 

      नोबेल पुरस्कार विजेता विश्व प्रसिद्ध अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन एवं डॉ. रवि कुमार गोंड़ के जन्मदिन पर बधाई दी गयी।

      शनिवार, 22 जुलाई 2023

      मणिपुर जल रहा है संसद मौन: सुरेश चन्द्र शुक्ल

       मणिपुर जल रहा है संसद मौन:

       सुरेश चन्द्र शुक्ल 

      न संसद बचेगी न संविधान,

      यदि सरकार पर नहीं लगाई गई लगाम।


      संवाद संसद से आकर सड़क पर आ गया।

      राहुल गाँधी को संसद और सड़क तक रोकना,

      आम  जनता को विपक्ष को 

      इस तरह सरकार दे रही धमकी।


      सरकार 303 सांसद के बाद 

      भी क्यों घबरा रही?

      गौरिल्ला की तरह बिना चर्चा के

      सरकार विधेयक कर रही पारित।

      मणिपुर एवं महिलाओं की कर रही उपेक्षा?

      कौन जानता है सरकार का गुप्त प्लान,

      कारपोरेटर को क्यों बेच रही देश का सामान 

      गिरवी रखकर अपना ईमान?


      मणिपुर जल रहा, संसद मौन है

      भारतीय संसद में मणिपुर पर

      विपक्षी नेताओं को नहीं बोलने दिया गया।

      मणिपुर पर चर्चा पर भारतीय संसद में दो दिन से प्रतिबंध है।

       

      जनता क्यों लाचार हैं, 

      सरकार  को  सत्ता  का अहंकार  है? 

      महिलाओं के खिलाफ

      सरकार का रवैया साफ़ है:

      1 बिलकिस बानो केस में

       अपराधी पहले ही छूट गये?

      2 महिला पहलवानों के दोषी

       संसद में घूम रहे हैं।

      3 मंत्रियों के बयान देश की महिलाओं

      का अपमान कर रहे हैं।

      4 प्रधानमंत्री झंडी हिलाने के

       लिए नहीं है।


      सरकार अपनी जिम्मेदारी निभायें,

      वरना दूसरों को मणिपुर में

      लोगों के दुःख दर्द सुनने,

      मरहम लगाने दें।

      देश की संसद में सत्ता क्यों

      मौन है।

      विदेशी संसद संज्ञान ले रहा है।

      नागरिकों की सुरक्षा सरकार

      की जिम्मेदारी है।

      गलत बयानों से, फेक न्यूज से

      सरकार नहीं चलती।

      सरकार सक्षम नहीं हैं

      नागरिकों की सुरक्षा एवं

      ईज्जत बचाने में नाकाम है।

      जनता को शर्म है

      कि देश में नकारा सरकार है।


      क्या दूसरे प्रदेशों में

      सरकारी दंगे की तैयारी है?

      क्योंकि प्रधान एवं मंत्री मणिपुर के साथ 

      दूसरे प्रदेश का नाम ले रहे हैं।

      अपने बयानों से नफरत और 

      फेक समाचार फैला रहे हैं।


      मणिपुर में  इण्टरनेट खोला जाये।

      राहत शिविरों में सहायता बढ़ाई जाये।

      व्यवस्था दुरुस्त करें।

      अब राष्ट्रपति और मुख्य न्यायाधीश से गोहार है।

      मणिपुर में शान्ति हो,

      या केन्द्र, राज्य सरकार जाये।

      जल्द मणिपुर में शान्ति बहाल हो।

      विदेश में भारतीय बहुत

      परेशान हैं।

       - सुरेशचन्द्र शुक्ल

      क्षणिकायें- संसद में लिंचिंग - सुरेश चन्द्र शुक्ल

       संसद में लिंचिंग 

      - सुरेश चन्द्र शुक्ल

      1  नाच  न  आये  आँगन  टेढ़ा

       मणिपुर  जल  रहा  है

      इधर - इधर  की  बात  कर  रहे  हैं

      केन्द्रीय  मन्त्री  क्यों  गुमराह  कर  रहे  हैं।


      2  चोर  चोरी  करे  हेराफेरी  से  न  जाये

      फेक  न्यूज  (झूठे  समाचार)  फैलाते  मन्त्री

      का  जब  झूठ  पकड़ा  गया 

      सच  पता  चला  

      नफरत  फैलाकर  उसे  हटा  लिया  गया।


      3   संसद  में  राजनैतिक  मॉबलिंचिंग

      जब  प्रधानमंत्री  मणिपुर में  हिंसा  पर   चुप 

      गाँधी- नेहरू  परिवार  के  सरनेम  का  मजाक उड़ा  रहा

      कोई  अदालत  नहीं  संज्ञान  ले  रहा।


      4  शेर  आ  गया  कहावत  झूठी  पड़ी

      मँहगायी  बेरोजगारी  भुखमरी  से  गरीब  परेशान

      झूठ  सपने  का  सच  उजागर  हो  गया

      संसद  में  शेर  आ  गया  विकास  की  पोटली  खाली

      शेर  नहीं   सपने  की  संसद  में  प्रधान 

      नील  से  रंगा  सियार  था।


      5  आई एन डी आई ए  

      आई एन डी आई ए  जब  से  गठबंधन  बना

      देश  का  पैसा  विपक्ष  के  खिलाफ  

      अफवाह  फैलाने  में   खर्च  कर  रहे

      सामाजिक  माध्यम  (सोशल मीडिया)  पर

      इंडिया  बनाम  भारत  का  वाक्युद्ध  करा  रहे।

        (22 जुलाई 2023, ओस्लो)

      सुरेशचन्द्र शुक्ल

      शुक्रवार, 21 जुलाई 2023

      मणिपुर जल रहा है, हम गूँगे हो गये है: सुरेशचन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक’

      मणिपुर  जल  रहा है,  हम गूँगे हो गये है: 

      सुरेशचन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक’

      मणिपुर  जल रहा है, 

      संसद  में  खड़गे/विपक्ष

      आवाज  उठा  रहा है,

      माईक  बन्द  कराकर,

      बोलने  नहीं  दे  रहा है  स्पीकर। 

      स्पीकर  हंसकर  संसद-कार्यवाही 

      स्थगित  कर  रहा  है।


      नफरत  फैलाकर

       मणिपुर  जलने  दिया  है।

      हिंसा  और  दंगों  की  आग  में

      घी  डाल  दिया  है।


      मणिपुर  में  सैकड़ों  महिलाओं की 

      आबरू  लुट  रही

      दुनिया में देश का नाम 

      बदनाम  हो रहा है।

      मणिपुर जल रहा है। 


      सत्ता का घमण्ड,

      महिला पहलवानों को पुलिस से पिटवाया 

      और उनपर मुक़दमे किये हैं।

      सांसद को सरकार ने 

      ज़मानत दिलाकर छुट्टा छोड़ दिया है। 


      क्या जनता  चुप  रहेगी?

      अपनी  बारी  का इंतजार करेगी?

      अपने देश की बहन बेटियों की, 

      क्या  रक्षा  नहीं  करेगी?


      धिक्कार है हमारी चुप्पी,

      धिक्कार है सरकार को कि

      उसने भारत को

      विश्व में शर्मसार कर दिया है।

      देश की भाई-बहनों की

      रक्षा न कर सका।

      देश की संपत्ति, ईज्जत, 

      लोकतंत्र खत्म कर रहा है?

      मणिपुर जल रहा है। 


      अन्याय के खिलाफ

      चुप्पी तोड़ो सड़क पर आओ।

      महिलाओं की ईज्जत

      एवं देश बचाओ।


      कौन है जो समाज में

      नफरत फैला रहा है।

      हमारे युवाओं को

      दंगाई बना रहा है।

      सरकार हुई निरंकुश

      पानी सर से ऊपर जा रहा है।

      अनफिट गृह-प्रधानमन्त्री

      देश चला रहा है?

      यह देश सो रहा है? 

      इसलिए  मणिपुर जल रहा है। 


      समय बदल रहा है,

      जनता का मूड बदल रहा है,

      बुद्धिजीवी अवसरवादी

      डरा हुआ खड़ा है।

      दलित, गरीब, श्रमिक, आदिवासी, किसान 

      बदलाव चाहता है।

      महिला विरोधी सत्ता का 

      जो गुणगान कर रहा है।


      मौन  खड़े  बुद्धिजीवी  क्यों 

      कालिदास  की  तरह  जाने-अनजाने 

      जिस  लोकतन्त्र  की डाल  पर  बैठे

      उसे  कटा  रहा  है।


      उठो!  गुंजन  पक्षी  की  तरह 

      जंगल  की  आग  बुझाओ।

      हर  अशिक्षित  बच्चे  को 

      निशुल्क  साक्षर  बनाओ।

      हर  अन्याय  के  खिलाफ  

      बढ़कर  आवाज  उठाओ।


        -  सुरेशचन्द्र शुक्ल

      गुरुवार, 20 जुलाई 2023

      मणिपुर जल रहा है मानवता बचाना है - suresh Chandra Shukla

      मणिपुर जल रहा है मानवता बचाना है 

      by  suresh Chandra Shukla 

      आज की जन-कविता:

      मणिपुर में हिंसा पर सरकारें मौन हैं?

      क्या मानवता को शर्मसार कर रही सरकार चाहिये?

      जनता मौन है?  

      जनता डरी-डरी, थकी हुई कुँएँ झांक रही है।

      मणिपुर की तरह देश में हिंसा फैलाकर

      क्या चुनाव लड़ने - जीतने का घिनौना जतन कर रही है?


      प्रधानमन्त्री-गृहमंत्री आप किसका डी एन ए पूछते थे?

      आप कौन हैं?  

      क्या भारत के नाम पर ……।

      देश में बढ़ रहा आतंक।

      दुनिया आपको रास्ता दिखा रही, 

      सचेत कर रही।


      दुनिया से राजनीतिक खतम हो मौब

      और विपक्ष पर सरकारी लिंचिंग?

      भारत में 


      मत कीजिये और खेल 

      सत्यागृही से मुक्त हो जेल!

      जो हमारी महिलाओं की रक्षा नहीं कर सके?


      जनता की चुप्पी!

      मेरी मणिपुर की बहनों, मुझे धिक्कार है खुद पर।

      धिक्कार है कि केंद्र सरकार हूँ, 

      एक तो पुरुष हूँ, गोदी मीडिया हूँ? 

      बुझी हुई राख पर हूँ।


      सेना, पुलिस, ई डी, सी बी आई, 

      केवल विपक्ष को फँसाने के लिए है?

      कुछ मुख्य मीडिया विदूषक बना हुआ है।

      गोदी मीडिया इतिहास में कायरता दर्ज कर गया।


      मणिपुर में मानवाधिकार हुआ तार-तार 

      प्रधान एवं सत्ता शक्ति दिखा रहा बार-बार।

      जिस विपक्ष ने चेताया,

      सरकार ने विपक्ष को धन्यवाद देने की जगह 

      उन्हें सोशल मीडिया पर निशाना बनवाया।


      मणिपुर में

      गाँधी के देश में सरकार है अपनी जनता के खिलाफ?

      जनता की आवाज उठाने वाले देश विदेश के 

      यूरोपीय यूनियन ने प्रस्ताव पास किया,

      हम शर्म से नहीं गड़ गये।


      क्या वह निष्क्रिय है 

      महामहिम राष्ट्रपति मुँह पर टेप लगाये हैं।

      प्रधानमंत्री एवं गृहमंत्री के स्तीफा भी कम है?


      आज संसद में फिर स्पीकर मणिपुर पर मुस्कुराये

      खड़गे जी ने कहा ‘मणिपुर जल रहा है’ कहकर दुःखी हुए।

      संवेदनशील लोग देश-विदेश में तो रहे हैं।

      स्पीकर मुस्करा रहे थे, शर्म से मरे नहीं।

      देश-विदेश में देश की सरकार की वजह से 

      हमारी प्रतिष्ठा कम हुई है। 


      पिछले संसद सत्र को 

      सत्ता पक्ष ने चलने नहीं दिया।

      आज 20 जुलाई 2023 को 

      भारतीय संसद में

      स्पीकर ने 

      मणिपुर चर्चा को नहीं चलने दिया।

      नफ़रत का कैरोसिन यदि सरकार नहीं छिड़कती,

      पहलवानों के मामले में यदि न्याय किया होता,

      उस सांसद को आज ज़मानत न मिलती? 


      मणिपुर में आज पूरे देश की छवि 

      दुनिया में धूमिल हुई है।

      प्रधानमंत्री ने 140 करोड़ लोगों को 

      किया शर्मसार।

      खुद सरकार ने किया पाप 

      जो आज देश के लिए है अभिशाप।

      जहाँ प्रधानमंत्री अपाहिज है,

      जो दोषी है, निष्क्रिय है जो 

      ऐक्शन की जगह नक़ली आँसू बहा रहा है।


      सिंहासन कौन ख़ाली करवायेगा,

      जनता क्या सड़क पर आयेगी। 

      सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति जी 

      हिम्मत दिखायेंगी।

      क्या सरकार को बर्खास्त करेंगी?

      बिलक़िस बानो, फिर 

      महिला पहलवानों की बारी आयी,

      क्या सरकार ने दोषी सांसद की ज़मानत करायी?

      मणिपुर के बाद पूरे देश की बारी है।


      कवि का सच, 

      पत्थर की लकीर है।

      यदि नहीं जागे आज 

      कोई नहीं बचेगा।


      कमजोर को शक्तिशाली दबायेंगे?

      देश को बचाने की 

      नफ़रत को फैलाने वालों को हटाने की 

      हम सभी की ज़िम्मेदारी है।

      नहीं तो आज हमारी कल तुम्हारी बारी है।

      इस देश को बचाने भगवान नहीं आयेंगे।

      क्या जनता सामने आयेगी?


       - सुरेशचन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक’

       

      20.07.23

      गुरुवार, 22 जून 2023

      भारत में 80 करोड़ योग नहीं करते -

       भारत  में  80  करोड़  योग  नहीं  करते    (योग दिवस 21 जून 2023 पर )

      नार्वे से   सुरेश चन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक’

      देश  में  80  करोड़  लोग  योग  नहीं  करते।

      योग  के  बारे  में  नहीं  सोचते।

      सुबह  से  रात  तक मजदूरी और  उसकी  तलाश करते हैं।

      भारत में  मीडिया  प्रचार  करते  नहीं  थकता

      अमेरिका  में  प्रधानमंत्री  के  साथ  

      117   देशों  के  अमरीकी  योग  करने  आये,

      पर  अमेरिकी  सांसदों  (अमरीकी कांग्रेस जन) ने किया  

      प्रधान  मंत्री  के  भोज  का  किया  बहिष्कार।

      भारत  में  जाति  और  धार्मिक  हिंसा  की  आवाज,

      यौन  उत्पीड़न  महिला  पहलवानों  की  आवाज़ 

      दलित,  मुस्लिम, अल्पसंख्यक और  पत्रकारों  पर 

      सरकारी   जुल्म  भारत  में  चढ़कर  बोल  रहा।

      अमेरिका  के  67  सड़सठ  सांसदों  ने  सुनी  आवाज।

      भारत  में  मौन  सांसदों  के  पौरुष  को  रहे  धिक्कार।

      अमेरिकी सांसदों ने राष्ट्रपति से उठायी 

      भारत में लोकतन्त्र  एवं मानवाधिकार की आवाज़।


      भारत  में  अस्सी  करोड़  लोग  योग  नहीं  करते।

      बिना  सरकारी  सहायता  और  अस्पताल  के

      उनके  बच्चे  जन्म  लेते  ही  होते  हैं  कर्जदार?

      मिलता  है  उन्हें,  घृणा,  द्वेष  नफ़रत  का  बाजार।

      बच्चों को नहीं मिलती निशुल्क चिकित्सा, शिक्षा और रोटी।

      लोकतन्त्र  पर  है  तमाचा  है, नयी  सरकार  का  संस्कार।

      विपक्षी  नेताओं  को  डराकर,  फँसाकर

      भारत  में  लोकतन्त्र  को  कमजोर  कर  रहे  हैं।

      विपक्षी  नेताओं  को  फँसाकर  उन्हें  आगामी  चुनाव  में  

      खड़ा  होने  से  रोकने  की  तैयारी  कर  रहे  हैं।

      80  करोड़  लोग  निशुल्क  राशन  नहीं  चाहते।

      वे  चाहते  हैं, स्वतंत्रता,  मानवाधिकार,  सुरक्षा।

      सभी  को  समान  अधिकार  और  समान  निशुल्क  शिक्षा।

      जहाँ  फिर  कभी  मणिपुर  और  कश्मीर  नहीं  जलेगा।

      लोकतन्त्र  में  फिर  होगा गाँधी  का  प्रेम  और  भाईचारा।

      ओस्लो, 22.06.23

      बुधवार, 21 जून 2023

      लोकतंत्र में रोटी से बड़ा मानवाधिकार है। - सुरेश चन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक’

       मणिपुर जल रहा लोकतन्त्र बचाओ।

      मणिपुर में मानवाधिकार-शान्ति लाओ।

      नार्वे से सुरेशचन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक’

      कानून का राज्य चूर-चूर  हुआ है,

      सरकार पर विश्वास दूर हुआ है।

      मणिपुर को क्यों आग में जलने देते?

      क्या मुख्य मीडिया बिका हुआ है?


      लेखक, पत्रकार अनेक मौन है?

      मणिपुर अशांत छोड़ गया कौन है?

      देश-विदेश में भारतवासी हैं चिंतित,

      हम मौन तमाशा देख रहे हैं।


      सत्य-अहिंसक प्रदर्शनकारी को 

      गिरफ़्तार करा रहा  कौन  है?

      मीडिया मानवाधिकार का  रक्षक होता,

      एकतरफ़ा समाचार दिखा रहा मौन है?


      लोकतंत्र में रोटी से बड़ा मानवाधिकार है।

      शान्ति, सुरक्षा, स्वतंत्रता बड़ा सवाल है।

      व्यवस्था, सांसद, पुलिस कमजोर बड़े, 

      सरकार के हाथ में कठपुतली बड़े बने?


      जो  गोदी  मीडिया  है, उसे न देखो?

      हाथ पर हाथ रखे घर पर नहीं बैठो।

      देश-विदेश में भारतवासी हैं चिंतित,

      मानवाधिकार बचाने सड़क पर पहुँचो।

         (ओस्लो, योग दिवस, 21 जून 2023)

      रविवार, 18 जून 2023

      मिट्टी के देवता - सुरेश चन्द्र शुक्ल पर परिचर्चा

      विविधताओं के दौर में मील का पत्थर है नार्वे के डॉ. सुरेश चंद्र शुक्ल ' शरद आलोक जी का काव्य संग्रह 'मिट्टी के देवता'

      विश्व हिंदी संगठन ,नई दिल्ली के 

      द्वारा आयोजित मूर्धन्य अप्रवासी साहित्यक डॉ. सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक ' के काव्य संग्रह *मिट्टी के देवता* पर परिचर्चा का आयोजन किया गया ।

      इस परिचर्चा में मुख्य अतिथि रहे प्रो . शैलेन्द्र कुमार शर्मा, कुलानुशासक एवं अध्यक्ष हिंदी विभाग, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन । उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि इस संग्रह की विशेषता है मानवीयता, संवेदना एवं सहिष्णुता ।

      भारत के उन तमाम ज्वलंत मुद्दों पर प्रखरता से कवि शरद आलोक जी ने निर्भीक होकर अपनी बात रखी । कवि की रचनाधर्मिता को प्रो. शर्मा ने वाल्मिक के रचनाधर्मिता से जोड़ते हुए कहा कि इनकी कविताएँ *वर्तमान युग* *जीवन का साक्षात्कार हैं।* 

      अगली वक्ता के रूप में राजस्थान से डॉ. बबीता काजल जी जुड़ी और उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि यह काव्य संग्रह वैश्विक संग्रह है जिसमें नार्वे से ले कर भारत तक की परिस्थितियों स्थितियों को एक फ्रेम में प्रस्तुत किया गया है.

      सवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध इस संग्रह में किसान व मजदूर के माध्यम से लोकतंत्र पर केंद्रित है.


      विश्व में सबसे बड़े लोकतंत्र की मिसाल रहे भारत की अंदरूनी परिस्थितियों पर व्यंग्य, शासकीय योजनाओं पर प्रहार करती है

      इस दृष्टि से साहसिक रचना होने के साथ परिवर्तन कामी काव्य संग्रह है ।


      डॉ. कोयल बिस्वास, बेंगलुरु से हमारे बीच रही और उन्हों इस काव्य संग्रह के बारे में कहा कि

      कवि सुरेशचंद्र शुक्ल जी का कविता संग्रह ‘मिट्टी के देवता’ वास्तव में चेतना को झकझोड़ देने वाली कविताओं का गुलदस्ता है| 72 कविताओं में कवि ने निर्भीकता से समाज में पनप रही विसंगतियों का पर्दा फ़ाश किया है| उनकी कविताओं में किसान आंदोलन से लेकर प्रजातन्त्र पर आने वाली चुनौती पर उन्होंने इंगित किया है| भावनाओं में न बह कर यथार्थवादी कठघड़े पर खड़े होकर चीख चीखकर उनकी कविताएं पुनः उस क्रांतिकारी भारतवासी को जगाने का भरसक प्रयास किया| 

      हर भारतवासी में कवि विवेकानंद को जगाने का प्रयास करते है क्योंकि विवेकानंद जी युवा शक्ति, जागरण एवं साहस का प्रतीक है| कवि की कविता ‘विवेकानंद बहुत रोये हैं’ में कवि देश में बढ़ती हुई अशिक्षा पर चिंता व्यक्त किया है| उनका यह कहना, ‘दुनिया में करोड़ों बच्चे, शिक्षा से दूर हैं’ संवेदना से भरपूर है जिसमें वह आगे वह लिखते है, “जिस देश में 40 प्रतिशत साक्षर होने को आतुर है|”भारत से दूर प्रवास में बैठे अपनी जड़ों को याद करके कवि ने उन यादों को सहेजा है| कविता ‘किताबों में मिली चिट्ठी’ के माध्यम से उन्होंने प्रवासी साहित्यकार का अपनी रचनाओं की किताबों का पुस्तक मेले में चित्रित किया है| कहीं न कहीं उनकी कविताओं में उस संघर्ष का भी आभास मिलता है जो हर किसी प्रवासी साहित्यकार को झेलना पड़ता है|

      कवि समय को अपनी कविताओं में बांध देता है, समस्या से लेकर समाधान तक की यात्रा कवि अपनी कविताओं के माध्यम से तय करता है| इसलिए लोकतंत्र के स्खलित मूल्यों पर आशंका व्यक्त, किसान समस्या पर उद्वेलित एवं अशिक्षा के कारण भारत के भविष्य को लेकर उद्विग्न कविता संग्रह ‘मिट्टी के देवता’ हर पुस्तकालय में अपना आसान बनाए यहीं कामना है।तेलंगाना से जुड़ी डॉ. अपर्णा चतुर्वेदी जी ने कहा कि इस काव्य संग्रह की 72 की 72 कविताएँ समसामयिक जीवन के ज्वलंत मुद्दो को उधेड़ती हैं ।

       *मिट्टी का कर्म है जीवंतता, उर्वरता और यह संग्रह इन्हीं का प्रतिविम्ब है।*

      अगली वक्ता रही महाराष्ट्र  डॉ. रेविता बलभीम कांवले जी ।उन्होंने कवि के निर्भीक बयानबाजी की ओर इशारा कर *नार्वे में रह रहे कविमन की नीर क्षीर दृष्टि की सराहना की ।* सारी काव्य रचनाएँ अपने आप में सुघड़ संदेश नदयुवक और राष्ट्रहित प्रेरकों के प्रति समर्पित है।

      कार्यक्रम में स्वयं कवि डॉ. सुरेश चंद्र शुक्ल ' शरद आलोक ' जी का भी सान्निध्य लाभ प्राप्त हुआ और संग्रह से उन्होंने दो कविताओं का वाचन भी किया जो कि अद्भत रहा ।

      कार्यक्रम के अंत में आभार ज्ञापन किया विश्व हिंदी संगठन के अध्यक्ष डॉ. आलोक रंजन पाण्डेय जी ने। हमेशा कि तरह गागर में सागर भरते हुए पूरे काव्य संग्रह के 72 कविताओं का संग्रह करते हुए कहा कि यह *बहत्तर रचनाएँ बहतर होती हुई बेहतरीन की ओर ले जाती हैं। जब सत्ता से व्यक्ति लड़ता है तो वह पर्थप्रदर्शक कवि युग प्रवर्तक हो जाता है।* शुक्ल जी की रचनाएँ मनुष्यता धर्म का निर्वाह करते हुए भारतीय संस्कृति और भारतीय दर्शन को आत्मसात किए है। यह सर्जना अप्रतिम है।

      कार्यक्रम का संचालन डॉ. आरती पाठक , छत्तीसगढ़ से कुशलतापूर्वक किया ।

      सोमवार, 12 जून 2023

      मिट्टी के देवता Mitti ke Devta (Markens Gud)

      मिट्टी के देवता Mitti ke Devta (Markens Gud) - Suresh Chandra Shukla


      शुक्रवार, 2 जून 2023

      मंगलवार, 23 मई 2023

      आस्ट्रेलिया की संसद में बी बी सी की डाकूमेंट्री

      प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी  के  दौरे पर आस्ट्रेलिया की संसद में बी बी सी की डाकूमेंट्री फिल्म दिखाई जा रही है। 

      भारतीय मीडिया से यह समाचार ग़ायब है जो पत्रकारिता के हिसाब से ठीक नहीं है। प्रदर्शन का आयोजन अनेक संगठनों ने मिलकर किया है। इसमें भारत में सजा काट रहे पुलिस अधिकारी की बेटी आकाशी भट्ट और एमनेस्टी इण्टरनेशनल के आकार पटेल भी सम्मिलित हैं। आस्ट्रेलिया यात्रा पर मोदी का विरोध भी किया जा रहा है।

      पर भारतीय मीडिया में नरेन्द्र मोदी का प्रवासी भारतीयों द्वारा स्वागत की खबर तो है पर दूसरी खबर नदारत है।

      शुक्रवार, 12 मई 2023

      पर्यावरण प्रदूषण में क्यों भारत अव्वल है? - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' Poem by Suresh Chandra Shukla

      पर्यावरण प्रदूषण में क्यों भारत अव्वल है? 

      - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'

      प्रदूषण से तो पूरी दुनिया जूझ रही,

      चारबाग लखनऊ रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर 

      विज्ञापन ध्वनि प्रदूषण रेल सूचनाओं को मुँह चिढ़ाते हैं।

      जब दो सूचनाओं के एक साथ प्रसारण से 

      यात्री रेल के आवागमन को ठीक से नहीं सुन पाते हैं।


      बस, रेल, निजी वाहनों  से यात्रा करते, 

      प्लास्टिक, कागज, बोतल को खुले आम फेंकते?

      लखनऊ नगर में हर चौराहों के पास गली में 

      पुरुष क्या मजबूरी में पेशाब करते नजर आते?


      स्वस्थ भारत को कैसा  आइना दिखाते?

      हर चैराहे पर  शौंचालय-मूत्रालय कूड़ेदान नहीं।

      चलते-फिरते पैदल यात्री सब शर्माते हैं,

      हम सार्वजानिक शौंचालय कम बनाते हैं।


      चुनाव रैलियों में करोड़ों फूँक रहे, 

      जन-धन  को नेता क्यों व्यर्थ बहाते हैं?

      विश्व गुरु होने का हम दम्भ हैं भरते,

      पर्यावरण का ध्यान नहीं रख पाते हैं? 

      . . . . 

      सिंघवी-सिम्बल कोटि धन्यवाद तुम्हें, लोकतन्त्र के रक्षक तेरा कोटि नमन - Suresh Chandra Shukla

      सिंघवी-सिम्बल कोटि धन्यवाद तुम्हें, 

      लोकतन्त्र के रक्षक तेरा कोटि नमन 

      सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'

      सुप्रीम कोर्ट को नमन कि वह ई डी, सीबीआई नहीं,
      जो शीर्ष सत्ताधीशों के गुण गाते हैं।
      संविधान में नैतिकता को भूल गए, 
      चुनाव आयोग भी निष्पक्ष नहीं रह पाते हैं।

      सुप्रीम कोर्ट-निर्णय से भले ही सरकार  बची रही। 
      पर सत्ताधीशों के के फंडे पर्दाफाश हुये।
      ई डी, चुनाव आयोग की पोल खुली,
      राज्यपाल का निर्णय एकतरफा सिद्ध हुआ।

      धन्यवाद  न्याय दिलाने वाले सिंघवी-सिम्बल,
      देश तुम्हारी सेवा को न भूल पायेगा।
      सत्ता के नशे में चूर सभी ताकतों को,
      जनता का फैसला सत्ता से बाहर की राह दिखायेगा।  

      मीडिया अब भी सच कहने से डरती है,
      गोलमोल कर अभी भी चर्चा करती है।
      धन्य अभिषेक सिंघवी व कपिल सिम्बल 
      लोकतन्त्र के लुटने से कुछ बचा लिया।

      नैतिकता में क्या महाराष्ट्र सरकार स्तीफा देगी,
      उद्धव ठाकरे सा नैतिक  कर्तव्य निभाएगी।
      या सत्ता के हाथ बनी कठपुतली 
      लोकतन्त्र में भ्रष्टाचार बढ़ायेगी।

      ओस्लो, 12.05.23 

      शुक्रवार, 17 मार्च 2023

      आम जनता के दरबार में - Suresh Chandra Shukla

      जनता के दरबार में 

      - सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक'

      क्या कोई बेच पाया है नेता!

      देश को दुनिया के बाजार में?

      जुमलेबाजों को न्याय मिलेगा, 

      आम जनता के दरबार में?   

      17.03.2023

      लोकतंत्र में प्रयोग - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक

       लोकतंत्र में प्रयोग 

      - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक 

      चार दिनों तक चार मंत्रियों ने संसद में किया हंगामा।

      विपक्षी नेता पर लगाये  झूठे आरोप।

      जनता के मुद्दे कहाँ गये:

      मंहगाई, बेरोजगारी पर चर्चा नहीं है,

      कारपोरेटरों के हाथों बने कठपुतली,

      शीर्ष नेता का कैसा हटयोग? 


      लोकतंत्र क्यों तार-तार है,

      क्या सांसदों के अपशब्दों को रोकने, 

      संसद का माइक किया क्यों बन्द?

      लगता है कि संसद के बाहर कोई 

      संसद को चला रहा है?

      यदि यह सच है तो मानों 

      लोकतंत्र का गला घुट रहा?

      जनता इस लिए मौन है,

      उसे नहीं पता है कि कोई संसद को 

      क्या बना रहा है बंधक?

      या उत्तर वह क्या देगा 

      जिसने आज तक नहीं किया प्रेस से संवाद (प्रेस कांफ्रेस)?


      जनता मौन है,

      तीस प्रतिशत भूख-कुपोषण से जूझ रही.

      उसको संसद से है उम्मीद।

      जब भी संसद अपने हाथ खड़े करेगी;

      यह गरीब जनता ही नेतृत्व करेगी।

      तब कार्पोरेटर और नेता क्या पलायन करेंगे?

      किस देश में शरणार्थी बनेंगे?


      सांसदों के अपशब्दों को रोकने,

      17 मार्च को संसद शर्मसार हुई.

      सांसदों को बोलने की आजादी छिनी।  

      डेमोक्रेसी की खुलेआम  लूट रही इज्जत।

      हम वॉट्सऐप यूनिवर्सिटी में उलझ गए हैं ?


      स्पीकर की कुटिल मुस्कान से लगा कि 

      काले बादल छाने वाले हैं?

      ऐसा कभी न होने देंगे,

      आम जनता को कमजोर समझना 

      आने वाले दिन दिखलायेंगे,

      जब हमारे सत्ताधारी केंद्रीय नेता 

      लगता है जनता को भूल कार्पोरेटर के हित  को  

      संसद और देश को क्या दाँव पर लगाएंगे?

      नहीं-नहीं ऐसा नहीं होगा 

      जागरूक जनता देख रही है 

      दिन-रात लोकतंत्र बचने की तैयारी 

      कर रही है?


      17 मार्च, 2023 

      रविवार, 12 मार्च 2023

      12 मार्च 2023

      हमारी स्मृतियों में भारत 

      12 मार्च 2023 विचारों में खोजते बचपन 

      मैं जागूँ या सोऊँ एक बात तय है कि मुझे सबसे ज्यादा अपने देश के सपने देखता रहता हूँ। मेरे बारे में यह कहावत सही लगती है कि मैं सोते-जागते हुए दोनों तरह सपना देखता हूँ। अपने  वतन के बारे में विचार कर मुझे बहुत अच्छा लगता है।  शायद ही कोई ऐसा हो जिसे अपने  प्यारे  वतन, बचपन, मित्र और मोहल्ले वाले के सपने न देखता हो, अर्थात उन्हें स्मरण करके उसका मन पुलकित न होता हो।

      हमारी स्मृत्यों में यह भारत सदा छाया की तरह पीछा करता है।  हमारे मन में जो होता है उसकी आकृति भी हम देखना चाहते हैं।

      स्वप्न टूटा फोन में  अलार्म की आवाज से।  स्वप्न में मैं रेल में विचरण कर रहा था। वह भी बुफे वाला डिब्बा। यानि मेरे  डिब्बे में चाय पानी का पूरा इंतजाम था।

      मैं सपनों में अक्सर अपना सामान भूल जाता हूँ या रेल से देरी से बाहर आता हूँ। कहा जाता है कि स्वप्न उल्टा होता है, यह बात यहाँ सत्य है क्योंकि मैं रेल में मैं समय से पहले पहुँचता हूँ। हाँ हवाई जहाज के लिए हवाई अड्डे पर देरी से अनेक बार पहुंचा हूँ और जहाज छूट गया। 

      अभी हाल में भी लख़नऊ एयरपोर्ट पर रायपुर के लिए इंडिगो एयरलाइंस से जहाज छूट गया है। दिन पर दिन एयर लाइंस की सेवा ख़राब होने लगी है इसका कारण सेवाओं की गुड़वत्ता से ज्यादा कमाई पर ध्यान देते हैं एयलाइंस वाले।  आजकल यह बहाना ज्यादा बढ़ गया है जबसे एयरपोर्ट की जिम्मेदारी के नाम पर पैसा कमाने वाले हमारे शीर्षस्थ नेताओं के मित्र एयरपोर्ट से भरपूर क़ानूनी और गैरकानूनी तरीके से धन कमा रहे हैं। कहाँ मैं समाचार की तरह बाते करने लगा।

      खैर मैं वापस लौटता हूँ जहाँ से बात शुरू की थी।  

      आज फोनकाल आया वीरेन्द्र वत्स (पूर्व संपादक, हिंदुस्तान लखनऊ)  का उन्होंने साहित्य अकादमी दिल्ली के बारे में मुझसे कुछ जानकारी लेनी चाही और नए अध्यक्ष के बारे में पूछा।  दूसरे फोनकाल पर मेरे रेलवे में युवावस्था में रहे मेरे राजनैतिक  मित्र वीरेन्द्र मिश्र, नरेंद्र दुबे और बचपन बिताये मोहल्ले पुरानी ऐशबाग कालोनी, ऐशबाग  के विशाल पाण्डेय और नीरू ने की। 

      आज भी 560 घरों और 70 ब्लाक में बसी यह पुरानी  ऐशबाग कालोनी, लखनऊ मेरे लिए  बड़ी दिलचस्प है।  यहाँ से झरे हैं हजारों यादों के हरसिंगार।  गरीब निम्न मध्य श्रेणी परिवार में जन्मे और पला और बड़े हुए।  यह आनन्द चाँदी का चम्मच लेकर पैदा होने वाले क्या जानें।  

      जब भारत में रहता था तब अपने पास पड़ोस, नाते रिश्तेदार यानी कि एक सीमित दायरा था किसी को याद करने का।  अब पूरा भारत एक परिवार लगने लगा।  विदेशों में रहने वाले भारतीय भी जो मेरे संपर्क में हैं और फोन पर अथवा डिजिटल गोष्ठी में मिलते और बातचीत करते हैं तो  वे भी विदेशी नहीं लगते। इसी अहसा ने मुझे इस पुस्तक लिखने की प्रेरणा दी। 

      हमारी स्मृतियों में भारत शीर्षक से लिखे संस्मरणों और आपबीती में दिए सभी उदाहरण और कथाएं केवल अपने देश और परिवार की भावनाओं में दुलार और प्रेम से पली-बड़ी हुई स्मृतियाँ मेरी साँसों का हिस्सा बन गयीं।

      आप भी हमारी इन साँसों की नाव में स्मृतियों के सहारे सैर करें और सहयात्री बनें। आपको इसके लिए रेल, जहाज, पानी के जहाज अथवा रिक्शा, तिपहिया, बस, और मैट्रो से यात्रा नहीं करने पड़ेगी। मेरा वायदा है यह यात्रा मैं इस पुस्तक के माध्यम से कराऊंगा।

      लखनऊ के मध्य में ऐशबाग ईदगाह के पीछे और ऐशबाग रोड, लखनऊ  के किनारे बसी  पुरानी श्रमिक बस्ती में तीन  बड़े और दो बहुत  छोटे  पार्क हैं।  इनके बड़े पार्कों के नाम इस प्रकार हैं: नेहरू पार्क (नेता वाली पार्क), नीम वाली पार्क, सेंटर वाली पार्क।  छोटे दो पार्कों के नाम हैं कुँए वाली पार्क और गुरुद्वारे वाली पार्क।  यहाँ पर मैंने कविता लिखी जिसमें आज कुछ पंक्तियाँ साझा कर रहा हूँ।

      "जीवन में जिसकी सादगी ईमान रहा है, 

      पुरानी श्रमिक बस्ती में सालिकराम रहा है।

      पप्पू, महेश धमीजा और दिलीप के बच्चे,

      जहाँ उनके मकान थे, अब  दूकान वहां है।

      यह नेहरू पार्क, कुंआं और खजूर जहाँ रहा,

      भारतवासी, शिव नारायण का घर वहां रहा।

      संस्कृति - शिक्षा - समाज का सच्चा आइना,

      सेंटर वाली पार्क सदा वह केन्द्र रहा है।


      भगत जी, चावला बच्चों से तुड़वाते गुलेल थे,

      अहिंसा और प्यार उन्हें सिखाते बड़े अदब से।

      लगाए थे अनेकों पेड़ जो शिव मंदिर के पास हैं,

      शाम को आसपास  बाजार आबाद हो गये।


      सेंटर वाली पार्क में फेलियर भले बहुत थे,

      विदेश की भूमि पर पर झंडे गाड़े जरूर थे।

      वी पी सिंह (55/8) आज भी उस दौर के गवाह,

      दर्शन सिंह (69/8) साथी  अब  90 बरस के हैं।


       - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' , 120323 

      शनिवार, 18 फ़रवरी 2023

      अर्ध सत्य - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'

      अर्ध सत्य 

      सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'

      न्याय पालिका, चुनाव आयोग 

      और मीडिया झुका हुआ है। 

      इसीलिए लोकतंत्र का मानो

      गला घुटा - घुटा है।


      विज्ञापन प्रदूषण फैलाने वाले

      नेता अपने चित्र

      बेतुके असत्य संदेशों से

      जनता को गुमराह कर रहे।

      अन्धभक्त भी अन्धकार को

      उजियारा साबित में लगे हुए हैं।


      जहाँ सबसे ज्यादा जनता, 

      भूख-प्यास से मरती है। 

      शिक्षा के अभाव में बच्चे, 

      जहाँ कूड़ा बीना करते हैं। 


      देश सम्पत्ति, निजी हाथों में, 

      कौड़ी के भाव बेचती है। 

      देश-विदेश के पूंजीपति के घर 

      हुक्का-पानी भरती है। 


      अन्धभक्त उस बन्दे को, 

      अपना हीरो मोदी कहती है। 

      सच्चाई कहने वालों को

      अपराधी, डोंगी  कहती है। 


      छप्पन सीने वाले का पौरुष, 

      क्या गौरव से भर जाता है? 

      बुलडोजर बाबा के कारण, 

      सरेआम बेटियां जलती हैं। 


      गुरुवार, 16 फ़रवरी 2023

      बुलडोजर बेकाबू, बुलडोजर बाबा सरकार से स्तीफा दें Suresh Chandra Shukla

       

      बुलडोजर बेकाबू, बुलडोजर बाबा सरकार  से स्तीफा दें

       सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'

      बुलडोजर जब बेकाबू हो गया है 
      कानपुर में हिन्दू मां - बेटी (प्रमिला और बेटी) पर बुलडोजर चलाकर
      खुले आम मार दिया है. 
      बुलडोजर बाबा जी -20 की पार्टी खा रहे हैं 
      जिस सरकार ने बुलडोजर है चलाया 
      उस सरकार से क्यों नहीं जनता स्तीफा मांग रही है?
      सब मीडिया ऐंकर क्यों मौन हो गए हैं 
      नामर्दी का दामन ओढ़े 
      चौथा खम्भा क्यों छिप गया है.

      जनता क्यों भेड़ बकरी बन गयी है 
      सभी धर्म  धर्म के लोग मर रहे हैं. 
      उन्नाव रेपकांड के बाद यदि 
      जनता जाग गयी होती 
      तो न्यायालय से न्याय मिलता 
      बुलडोजर वाले कभी नहीं राज्य करते।

      देश की नाव क्यों नेता डुबा रहे हैं - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'











      देश की नाव क्यों 
      नेता डुबा रहे हैं। 

      देश की नाव में
      छेद पर छेद हो रहे हैं। 
      संसद में प्रधानमंत्री 
      विपक्षियों का अपमान कर रहे हैं। 
      सांसद ताली बजाकर
      खिल्ली उड़ा रहे हैं। 

      जो लोग देश की नाव पर छेद दिखाकर 
      सरकार को सावधान कर रहे हैं। 
      देश की आर्थिक नाव डूबने से
      बचा रहे हैं। 
      डरे हुए नेता के क्यों 
      हाथ कांप रहे हैं? 

      प्रधानमन्त्री की यात्रायें 
      अ से व्यापार बढ़ाने 
      ह तक की जनता भूल गये हैं। 
      जेल जाने की अनजाने 
      क्यों तैयारी कर रहे हैं। 

      खुद का धन्धा बढ़ा रहे हैं। 
      देश की समस्या 
      सरकार क्यों न भूलें? 
      चुनावी चन्दा देने वाले 
      क्यों घबराये हुए हैं। 

      पुस्तकों में अ से अनार 
      की जगह अ एवं डा नी 
      पढ़ा रहेे है। 

      क्या प्रधान, मन्त्री एजेंट- सेवा के बदले 
      व्यापार में हिस्सा पा रहे हैं? 

      न्यायालय की बड़ी चुनौती 
      ईमानदार होने से है। 
      देश-विदेश की अदालत 
      संज्ञान ले रही है। 
      क्या देश के भ्रष्ट नेता 
      विदेशी जेल में मिलेंगे? 

      हमारे सांसद जब ताली बजा रहे हैं।
      वे अपनी संसद की गरिमा
      दुनिया में घटा रहे हैं।

      - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'