शुक्रवार, 17 मार्च 2023

लोकतंत्र में प्रयोग - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक

 लोकतंत्र में प्रयोग 

- सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक 

चार दिनों तक चार मंत्रियों ने संसद में किया हंगामा।

विपक्षी नेता पर लगाये  झूठे आरोप।

जनता के मुद्दे कहाँ गये:

मंहगाई, बेरोजगारी पर चर्चा नहीं है,

कारपोरेटरों के हाथों बने कठपुतली,

शीर्ष नेता का कैसा हटयोग? 


लोकतंत्र क्यों तार-तार है,

क्या सांसदों के अपशब्दों को रोकने, 

संसद का माइक किया क्यों बन्द?

लगता है कि संसद के बाहर कोई 

संसद को चला रहा है?

यदि यह सच है तो मानों 

लोकतंत्र का गला घुट रहा?

जनता इस लिए मौन है,

उसे नहीं पता है कि कोई संसद को 

क्या बना रहा है बंधक?

या उत्तर वह क्या देगा 

जिसने आज तक नहीं किया प्रेस से संवाद (प्रेस कांफ्रेस)?


जनता मौन है,

तीस प्रतिशत भूख-कुपोषण से जूझ रही.

उसको संसद से है उम्मीद।

जब भी संसद अपने हाथ खड़े करेगी;

यह गरीब जनता ही नेतृत्व करेगी।

तब कार्पोरेटर और नेता क्या पलायन करेंगे?

किस देश में शरणार्थी बनेंगे?


सांसदों के अपशब्दों को रोकने,

17 मार्च को संसद शर्मसार हुई.

सांसदों को बोलने की आजादी छिनी।  

डेमोक्रेसी की खुलेआम  लूट रही इज्जत।

हम वॉट्सऐप यूनिवर्सिटी में उलझ गए हैं ?


स्पीकर की कुटिल मुस्कान से लगा कि 

काले बादल छाने वाले हैं?

ऐसा कभी न होने देंगे,

आम जनता को कमजोर समझना 

आने वाले दिन दिखलायेंगे,

जब हमारे सत्ताधारी केंद्रीय नेता 

लगता है जनता को भूल कार्पोरेटर के हित  को  

संसद और देश को क्या दाँव पर लगाएंगे?

नहीं-नहीं ऐसा नहीं होगा 

जागरूक जनता देख रही है 

दिन-रात लोकतंत्र बचने की तैयारी 

कर रही है?


17 मार्च, 2023 

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