मंगलवार, 29 सितंबर 2009

प्रवासी साहित्य, हिन्दी साहित्य का हिस्सा है.-शरद आलोक

प्रवासी साहित्य, हिन्दी साहित्य का अहम् हिस्सा है- शरद आलोक
प्रख्यात साहित्यकार आलोचक नामवर सिंह जी ने विदेश में बसे एक लेखक की पुस्तक का लोकार्पण करते हुए यह विचार व्यक्त किए कि प्रवासी साहित्य हिन्दी साहित्य का अहम् हिस्सा है।
आजकल हिन्दी में भी ब्लॉग का प्रचलन बढ़ा है। विदेशों में रहने वाले हिन्दी लेखकों ने वेब / नेट के माध्यम से हिन्दी को प्रचलित करने में जो भूमिका निभाई है वह बहुत सराहनीय है।
जब वेबदुनिया और बड़े समाचार पत्रों ने हिन्दी साहित्य को कम आंकते हुए उसे अपनी नेट पत्रिकाओं में स्थान देना कम कर दिया है उस दशा में विदेशों में रहने वाले हिन्दी लेखकों और हिन्दी प्रेमियों ने हिन्दी साहित्य में योगदान देकर और हिन्दी को माध्यम बना कर विचार विमर्श करके उसका विस्तार किया है।
जो लोग विदेश में रहकर हिन्दी का प्रयोग कर रहे हैं और जो लोग अपने बच्चों को और दूसरे बच्चों को हिन्दी पढ़ा रहे हैं वे हिन्दी की अभूतपूर्व सेवा कर रहे हैं। भारत में भी हिन्दी के अनन्य सेवकों की कमी नहीं है परन्तु हिदी के माध्यम से उच्च शिक्षा का प्रबंध न होने और अधिक से अधिक इस समबन्ध में कदम न उठाने के कारण भारत की राष्ट्रभाषा और अन्तर-राष्ट्रीय भाषा हिन्दी को वह मुकाम नहीं मिल रहा है। भारत के सभी विश्विद्द्यालय में हिन्दी के विभाग नहीं हैं और भारत के सभी राजदूतावासों में हिन्दी के अधिकारी नहीं है। आने वाले समय में यह कमियाँ भी पूरी हो जायेंगी क्योंकि नवाबी तरीके आ रहे बदलाव में तो समय लगेगा ही।

२७ सितम्बर को शहीद सरदार भगत सिंह के जन्मदिन पर को शत-शत नमन-

शहीदे आजम सरदार भगत सिंह का १०२वां जन्मदिन पर -शरद आलोक
सरदार भगत सिंह का कल १०२ वां जन्मदिन था। देश की आजादी और भारतवासियों को भेदभावरहित सबके लिए समान व्यवस्था वाला भ्रष्टाचारमुक्त समाज का सपना देखने वाले भगत सिंह को मेरा शत-शत नमन है।
दो वर्ष पहले दिल्ली में आर्यसमाज के तत्वावधान में अनिल आर्य के सानिध्य में भगत सिंह की जन्मशती समारोह में सम्मिलित होने का अवसर मिला था। जिसमें हरयाणा के मुख्य मंत्री, सांसद सज्जन कुमार सहित देश के जाने माने विद्वान और गुरु उपस्तित हुए थे। भगत सिंह जी के भतीजे और उनके पुत्र से मिलने का अवसर मिला था। भगत सिंह जैसे लोग दुनिया में कम होते हैं। उनके सपनो के भारत के निर्माण के लिए अभी भी हमारी सेवाओं और बलिदानों की जरूरत है।

बुधवार, 23 सितंबर 2009

नार्वे में हिन्दी दिवस पर १८ सितम्बर को कार्यक्रम संपन्न-शरद आलोक

नार्वे में हिन्दी दिवस पर १८ सितम्बर को वाइतवेत सेंटर, ओस्लो में एक विशाल कार्यक्रम

कविता , नृत्य और संगीत के साथ संपन्न हुआ। १४ सितम्बर को नार्वे में पार्लियामेंट के चुनाव थे इसलिए कार्यक्रम १८ सितम्बर को संपन्न हुआ।
हिन्दी स्कूल के बच्चों ने सरस्वती वंदना और भारतीय राष्ट्रिय गान से कार्यक्रम का आरम्भ किया। बाद में हिन्दी, नार्वेजीय और पंजाबी प्रस्तुत की गयी। भारत नाट्यम, हिप-होप ब्रेक डांसऔर संगीत ने कार्यक्रम में चार चाँद लगा दिए।

सोमवार, 14 सितंबर 2009

१४ सितम्बर आज हिन्दी दिवस है, सभी को हार्दिक शुभकामनाएं -शरद आलोक

आज १४ सितम्बर है। भारत में आज हिन्दी दिवस है। आप देश विदेश में कहीं पर हों आपको हिन्दी दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं। आज हो सके तो हिन्दी में एक दूसरे का अभिवादन कीजिये। और हो सके तो हिन्दी में पत्र लिखिए। आप का दिन अच्छा व्यतीत हो। आप अपना ध्यान रखियेगा। धन्यवाद।
शुभकामनाओं सहित- सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'

नॉर्वे में चुनाव का अन्तिम दिन - आज रात तक परिणाम आयेंगे.-शरद आलोक

नार्वे में आज पार्लियामेंट चुनाव का अन्तिम दिन है आज रात तक चुनाव परिणाम आ जायंगे।

रविवार, 13 सितंबर 2009

नार्वे में पार्लियामेंट के चुनाव आज और कल -शरद आलोक

नार्वे में आज 13 सितम्बर और कल 14 सितम्बर को पार्लियामेंट के चुनाव नार्वे में प्रत्येक चार वर्ष में पार्लियामेंट चुनाव होते है। यहाँ पार्लियामेंट को स्तूरटिंग (Storting) कहते हैं। नार्वे के पार्लियामेंट में 2005 से 2009 तक सात राजनैतिक पार्टियों से 169 सांसद चुने गए थे. यहाँ पार्टी के उम्मीदवारों की सूची हर जगह चुनी जाती है और प्रतिशत के आधार पर पार्टी के लिस्ट में क्रम से उम्मीदवार चुने जाते हैं। पिछले चुनाव में मैं भी एस वे पार्टी की तरफ़ से उम्मीदवार था। कल 14 सितम्बर को आठ बजे (20:00) से मतगड़ना शुरू हो जायेगी। 15 सितम्बर तक सारे परिणाम आ जायेंगे।

शुक्रवार, 11 सितंबर 2009

नार्वे में कविता और सांस्कृतिक कार्यक्रम हिन्दी दिवस पर

ओस्लो में हिन्दी दिवस (१४ सितम्बर) पर 18 सितम्बर को वाइतवेत सेंटर पर शाम 19:00 बजे आमंत्रण Invitasjon til Poesi og kulturfest på Veitvetsalen (Chilensk Kulturhus) på Veitvetsenter i Oslo
आप अपने साथ कोई कविता और गीत लेकर आइये (किसी भी भाषा में ) और हम सभी को सुनाइये
बच्चे और युवा भी अपना गीत कविता और चुटकुला सुना सकते है, या नृत्य प्रस्तुत कर सकते हैं।
शुक्रवार 18 सितम्बर को 19:00 बजे गीत, संगीत, कविता, भांगडा और बालीवुड डांस के साथ राष्ट्रभाषा
हिन्दी दिवस मनाएँ और खुशियाँ मनाएँ। कार्यक्रम में कोई प्रवेश शुल्क नहीं है।
स्थान: (Sted): Veitvetsalen ( Den chilenske kulturhus) på Veitvetsenter, rett over Rema-1000, Veivetvn. 8 i Oslo
Araangør आयोजक : भारतीय-नार्वेजीय सूचना और सांस्कृतिक मंच Indisk-Norsk Informasjons -og Kulturforum, Pb 31 Veitvet, 0518 Oslo, speil.nett@gmail.com

बुधवार, 9 सितंबर 2009

नार्वे में पार्लियामेंट (स्टूर्टिंग) चुनाव, अपना वोट जरूर दीजिये- सुरेशचंद्र शुक्ल

एस वे SV को अपना वोट दीजिये। क्योंकि:
भेदभाव को दूर करने के लिए कई कदम उठाये है और आगे भी इसके लिए कार्य रखेगी।
२ मात्रभाषा की शिक्षा के पक्ष में है।
३ ओस्लो के स्कूलों में निशुल्क बच्चों और युवाओं के लिए जगह उपलब्ध कराने के लिए मेरे प्रताव पर एस वे नेता कारी पहले ने आवाज उठाई और चार बार प्रयास के बाद एस वे ने इसे ओस्लो पार्लियामेंट ( बीस्थीरे) में पास कराया। इसी लिए आज बच्चों और युवाओं की गतिविधियों के लिए निशुल्क जगह जिन गतिविधियों के लिए सबके द्वार खुले हों। इसके अंतर्गत पञ्जाबी स्कूल, उर्दू, हिन्दी और तमिल सांस्कृतिक केन्द्र आदि को जगहें निशुल्क मिलती हैं।
४ पर्यावरण आज आधुनिक युग की सबसे बड़ी समस्यायों में से एक है। उसके लिए एस वे सबसे अधिक प्रयासरत पार्टी है।
५ एस वे विश्व में गरीब और विकासशील देशों की मदद की पक्षधर है।
६ एस वे ने इराक से नार्वे के सैनिकों की वापसी कराइ और अब वह अफगानिस्तान में नार्वेजीय सैनिकों की वापसी पर बात कर रही है।
७ सभी को रोजगार मिले और जिसके पास काम नहीं है उसे नार्वेजीय भाषा और कार्य की ट्रेनिंग देने के पक्ष में है और सरकार ने बहुत कदम उठाये हैं जिसमें एस वे का साथ भी शामिल है।
लाल -हरी सरकार (अरबाइदरपार्टी , एस वे, सेंटर पार्टी) ने बहुत से ऐसे प्रयास किए है जिससे आर्थिक तंगी के बाद भी नार्वे एक ऐसा देश है जहाँ बेरोजगारी सबसे कम है।

वोट खाली न जाने दीजिये।
नार्वे में पारलियामेंट नार्वेजीय-लोकसभा चुनाव हैं। आप नार्वे में रहते हैं और नार्वे के नागरिक हैं तब आपको वोट देने का अधिकार है। चुनाव १३ और १४ सितम्बर को है पर आप पहले भी वोट दे सकते हैं।
यदि आपने अभी तक निर्णय नहीं लिया है तो आज निर्णय लीजिये। एस वे SV पार्टी को अपना कीमती वोट दीजिये. -सुरेशचन्द्र शुक्ल, ओस्लो, नार्वे

शनिवार, 5 सितंबर 2009

एकलव्य जैसे छात्र कहाँ गए, शिक्षकों को निशुल्क भोजन, छत और चिकित्सा की सुविधा हो-सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक'


ओस्लो नार्वे में हिन्दी स्कूल का उद्घाटन करती हुई शिक्षिका प्रो निर्मला एस मौर्य और पीछे खड़ी संगीता शुक्ल सीमोनसेन
शिक्षकों को निशुल्क भोजन, छत और चिकित्सा की सुविधा मिले।- सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक' आज ५ सितम्बर को शिक्षक दिवस है। सभी शिक्षकों और सभी को हार्दिक बधाई।
आज बहुत से शिक्षक बहुत बदतर जीवन व्यतीत कर रहे हैं। जिनके पास अभी भी टूटी छत है, गरीबी और बीमारी के कारण पूरे परिवार भरपेट भोजन नहीं मिल पा रहा है, चिकित्सा के आभाव में वे बिलख रहे हैं। इसे शिक्षकों के लिए भी आज सोचने की जरूरत है । हमें निर्दयी अध्यापक नहीं चाहिए जो एकलव्यों का अंगूठा मांगे पर छात्र और छात्रों को चाहिए की वे अपने अध्यापक और अध्यापिकाओं का कुशल छेम पूछें।
विदेशों में हमारी नयी पीढी के कुछ युवा आज भी अपने भारत की निशुल्क शिक्षा देने की परम्परा का ही प्रताप है की दो सप्ताह पहले ओस्लो में वाइतवेत कल्चर सेंटर में हर रविवार को दिन में १ बजे से ४ बजे तक चलने वाला हिन्दी स्कूल संगीता शुक्ल सीमोनसेन और उनके साथियों ने शुरू किया था जिसका उदघाटन चेन्नई की शिक्षक और साहित्यकार प्रो निर्मला एस मौर्य ने किया था।
सभी को शिक्षक दिवस पर शुभकामनाएं और जो लोग विदेशों में हिन्दी और अपनी मात्रभाषा की शिक्षा दे रहे हैं उनके प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करता हुआ उनको इस कार्य के लिए बधाई देता हूँ।

एक सितम्बर को अनोखा मनाया गया अर्जुन (बोबी) का जन्मदिन, शुभकामनाएं- शरद आलोक

अर्जुन ( बोबी ) को सोलहवीं वर्षगाँठ पर हार्दिक शुभकामनाएं - शरद आलोक

भाई अनुपम एक तरफ़ मार्शल आर्ट के मित्र दूसरी तरफ़
अनोखे ढंग से मन जन्मदिन, अर्जुन से जुड़े सवालों का जवाब दिया उनके साथियों ने ताकि पता चले की अपने मित्र के साथ रहते हुए उसके बारे में कितना जान पाये।
जूनियर मार्शल आर्ट (कुम्फु) में ब्लैक बेल्ट, अपनी फुटबाल टीम के कप्तान युवा अर्जुन (बोबी) का १६ वां
जन्मदिन बहुत दिलचस्प तरीके से मनाया गया। अर्जुन को यह ज्ञात था कि उसका जन्म दिन उसके परिवार के साथ साथ भोजन करके मामूली तरीके से मनाया जाएगा। क्योंकि बड़े भाई व्यस्त होने के कारण सम्मिलित नहीं हो रहे है।
पर जब अर्जुन अपने सोलहवें जन्मदिन पर अपनी बहन संगीता की सहायता करने वाइतवेत कल्चर सेंटर, ओस्लो गया तो मानो अँधेरा प्रकाश में बदल गया। अचानक अर्जुन के ६३ मित्रों ने एक साथ बधाई दी। तब साथियों कि इतनी संक्या में अपने १६ वें जन्मदिन पर बधाई पाने के तरीके से अर्जुन भावविभोर हो गया और उसकी आंखों में खुशी के आंसू बह निकले। अर्जुन के मार्शल आर्ट के साथी, फुटबाल तेम के मित्र, पूर्व सहपाठी और वर्तमान सहपाठियों को किस तरह अर्जुन से छिपा रख कर पार्टी की व्यवस्था में कितना अजब लगा होगा सब कुछ।
यह अनोखे अंदाज से जन्मदिन मनाने के पीछे उनकी प्यारी बहन संगीता थीं। दोनों को बधाई, आशीर्वाद और धन्यवाद। आशा है कि आप भी अपने प्रियजनों के लिए ऐसी ही पार्टी दें और खुशियाँ मनाएँ। जिनका जन्मदिन है उन सभी को बधाई।

गुरुवार, 3 सितंबर 2009

बचपन बचाओ आन्दोलन के कर्णधार कैलाश सत्यार्थी से विस्तृत बातचीत- शरद आलोक

'बच्चों का बचपन लौटाओ, जीवन में कुछ तो कर जाओ।
मुक्त करो हे मुक्त करो बाल मजदूरी से मुक्त करो।
जहाँ बच्चों को बेचा जाता है, पशुओं सा जोता जाता हो, कैसा मानव का नाता है?
दो टूक पेट के खातिर जो बंधुआ बन जीवन जीते हैं। फैशन के गहने कपडों में छिपा है जिनका हर पल छण ॥ आओ उनके खातिर करूणा, मानवता का गान करें। को दो टूक हँसी दे दें। बाँट-बाँट कर खाना सीखें . जब बचपन ही गिरवी हो फ़िर जवानी का क्या होगा? ' ये पंक्तियाँ बरबस अपने बचपन के उन मित्रों के नाम लिखी हैं जो गुलामी का जीवन जी रहे हैं और किसी की प्रतीक्षा कर रहे हैं की कोई उन्हें आकर बंधुआ मजदूरी से छुडाये। आइये पढ़े एक ऐसे इंसान का साक्षात्कार जिन्होंने बच्चों के लिए जीवन दे दिया ही, उनका नाम है कैलाश सत्यार्थी - 'शरद आलोक'


कैलाश सत्यार्थी जी दिसम्बर २००८ में हाई लेबल मीट आन एजुकेशन (विश्व शिक्षा सम्मलेन, ओस्लो नार्वे) में नार्वेजीय मंत्रियों होकुन और बोर्ड वेगार से विचार विमर्श करते हुए
विश्व के सभी बच्चों के लिए करुणा, सद्भाव और सहनशीलता जरूरी- बचपन बचाओ आन्दोलन के कर्णधार कैलाश सत्यार्थी से विस्तृत बाताचीत का लघु अंश - शरद आलोक


चित्र में बाएँ से उच्च शिक्षा मंत्री बोर्ड वेगार, सेल स्पाइल के संपादक सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' और विश्व प्रसिध्ध एक्टिविस्ट कैलाश सत्यार्थी
विश्व में बहुत से बच्चों का बचपन बंधुआ मजदूर बन जाने से तबाह हो रहा है। यदि विश्व में हर देश में सत्यार्थी जी की तरह एक्टिविस्ट हो जाएं तो विश्व के बहुत से अनाम बच्चों का बचपन और जीवन मुक्त हवा में साँस ले सकेंगे। सुधार, प्रजातंत्र और मानवतावाद स्वयंम नही आते उसके लिए हम सभी को प्रयास करने होंगे। अंग्रेजी में साक्षात्कार के लिए पढिये। http://speilnet.blogspot.com/
साक्षात्कार के लिए यू ट्यूब You tube देखिये जो यहाँ लिंक के रूप में संलग्न है: http://www.youtube.com/watch?v=oBrUH22Q7-A
धन्यवाद। वेब साइड भी उपलध है। http://www.kailashsatyarthi.net/

World reknowned antislavery leader Kailash Satyarthi meets multicultural magazine SPEIL in Oslo,Norway











World reknowned antislavery leader Kailash Satyarthi meets multicultural magazine SPEIL in Oslo, Norway
Oslo, 03.09.09. World reknowned antislavery leader Kailash Satyarthi says that child labour and slavery of children are the biggest stigma on the face of human kind. This is also a blot on our cultures, relegions and civilizations. Millions of children are bought and sold in lessor price than animals, they are trafficked and enslaved. A higher amount of political will, social efforts and resources have to be mobilised without any delay. He was talking to a group of delegates led by Suresh Chandra Shukla and others from a multicultural magazine SPEIL in Oslo, Norway.
Mr Kailash Satyarthi has shared his inspiring experiences of his work in the field of liberating child labour. Born and grew up in India, he is now leading the worldwide movement for education and protection of children as the president of Global Campaign for Education and the chairperson of Global March against Child Labour. Kailash Satyarthi has liberated over 78 thousand childeren from bonded labour and slavery in his country during last three decades after giving up a carrier of an electrical engineer.
He has reiterated the necessity for globalisation of human compassion in place of market and economies. Therefore the mutual understanding and respect among varius cultures relegions and idiologies is important in the present age of intolerance, growing terrorism and violence. The dedication for safegaurding the present and future of all children could be the most effctive way of globalising human compassion. He admired the efforts of Speil.
( Mr. Kailash Satyarthi has liberated 94 children from slavery on the august 19th 2009, this live story is available on YOU TUBE http://www.youtube.com/watch?v=oBrUH22Q7-A)