शनिवार, 5 सितंबर 2009

एकलव्य जैसे छात्र कहाँ गए, शिक्षकों को निशुल्क भोजन, छत और चिकित्सा की सुविधा हो-सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक'


ओस्लो नार्वे में हिन्दी स्कूल का उद्घाटन करती हुई शिक्षिका प्रो निर्मला एस मौर्य और पीछे खड़ी संगीता शुक्ल सीमोनसेन
शिक्षकों को निशुल्क भोजन, छत और चिकित्सा की सुविधा मिले।- सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक' आज ५ सितम्बर को शिक्षक दिवस है। सभी शिक्षकों और सभी को हार्दिक बधाई।
आज बहुत से शिक्षक बहुत बदतर जीवन व्यतीत कर रहे हैं। जिनके पास अभी भी टूटी छत है, गरीबी और बीमारी के कारण पूरे परिवार भरपेट भोजन नहीं मिल पा रहा है, चिकित्सा के आभाव में वे बिलख रहे हैं। इसे शिक्षकों के लिए भी आज सोचने की जरूरत है । हमें निर्दयी अध्यापक नहीं चाहिए जो एकलव्यों का अंगूठा मांगे पर छात्र और छात्रों को चाहिए की वे अपने अध्यापक और अध्यापिकाओं का कुशल छेम पूछें।
विदेशों में हमारी नयी पीढी के कुछ युवा आज भी अपने भारत की निशुल्क शिक्षा देने की परम्परा का ही प्रताप है की दो सप्ताह पहले ओस्लो में वाइतवेत कल्चर सेंटर में हर रविवार को दिन में १ बजे से ४ बजे तक चलने वाला हिन्दी स्कूल संगीता शुक्ल सीमोनसेन और उनके साथियों ने शुरू किया था जिसका उदघाटन चेन्नई की शिक्षक और साहित्यकार प्रो निर्मला एस मौर्य ने किया था।
सभी को शिक्षक दिवस पर शुभकामनाएं और जो लोग विदेशों में हिन्दी और अपनी मात्रभाषा की शिक्षा दे रहे हैं उनके प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करता हुआ उनको इस कार्य के लिए बधाई देता हूँ।

1 टिप्पणी:

संगीता पुरी ने कहा…

जो लोग विदेशों में हिन्दी और अपनी मात्रभाषा की शिक्षा दे रहे हैं .. वो सचमुच बधाई के पात्र हैं !!