सोमवार, 15 नवंबर 2010

(बर्मा) आंग सन सू ची की रिहाई से पूरे संसार में ख़ुशी- शरद आलोक


आंग सन सू ची की नजरबंदी से 13 नवम्बर को रिहाई होने से पूरे विश्व में ख़ुशी की लहर दौड़ गयी। आंग सन सू ची अब गांधी जी की राह पर चलेंगी और शान्तिपूर्ण क्रांति चाहती हैं बर्मा की लोकतंत्र समर्थक नेता आंग सान सू ची ने बीबीसी से बातचीत में कहा कि वो शांतिपूर्ण क्रांति चाहती हैं.
आंग सान सू ची को शनिवार को सात साल की नज़रबंदी के बाद रिहा कर दिया गया था.
उन्होंने कहा कि वो ये मानती हैं कि बर्मा में लोकतंत्र आएगा लेकिन वो ये नहीं जानती हैं कि इसमें कितना वक़्त लगेगा.
सू ची ने कहा कि वो बर्मा की सत्ता चला रहे जनरल अगर चाहेंगे तो वो उनसे भी बात करना चाहेंगी.
उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि उनकी रिहाई को लेकर कोई शर्त नहीं थी और उनकी गतिविधियों पर कोई प्रतिबंध नहीं है.
साथ ही सू ची ने कहा कि अगर सरकार उन्हें दोबारा बंद करना चाहेगी तो वो उसके लिए तैयार हैं.
उनका कहना था, “मैं ये नहीं सोचती कि मैं ऐसा नहीं करूंगी या वैसा नहीं करूंगी क्योंकि वो फिर मुझे नज़रबंद कर देंगे. लेकिन मैं जानती हूं कि ऐसी संभावना हमेशा रहेगी कि मुझे फिर से गिरफ़्तार कर लिया जाए.”
जनता से संवाद
शनिवार को उन्होंने कहा था कि अगला क़दम उठाने से पहले वो ये जानना चाहेंगी कि बर्मा की जनता क्या चाहती है.
आंग सान सू ची
उन्होंने कहा था, “मुझे सबसे पहला काम ये करना है कि बर्मा के लोगों की बात सुननी है. मैं दूसरे देशों की बात भी सुनना चाहती हूं कि वो हमारे लिए क्या कर सकते हैं. उसके बाद ऐसा रास्ता निकालना है जो अधिकतर लोगों को स्वीकार्य हो.”
नेशनल लीग फ़ॉर डेमोक्रेसी की नेता सू ची ने कहा कि उनकी पार्टी हाल में हुए चुनाव में धांधली के आरोपों की जांच कर रही है.
उनका कहना था, “जैसा मैंने सुना है कि इस चुनाव की निष्पक्षता के बारे में बहुत से सवाल उठाए जा रहे हैं और मतदान में धांधली के भी कई आरोप हैं. एनएलडी की एक समिति का गठन किया गया है जो इन आरोपों की जांच करेगी और अपनी रिपोर्ट प्रकाशित करेगी."
ये पूछे जाने पर कि क्या उनकी पार्टी का चुनाव में हिस्सा न लेने का निर्णय सही था, उन्होंने कहा कि उनके विचार में ये फ़ैसला सही था.

कोई टिप्पणी नहीं: