रविवार, 7 नवंबर 2010

बिना जमानत बन्द जेल में,जमानत लें वह भाई चाहिए- सुरेश चन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'

आज भी दुनिया की जेल में हजारों इंसान जेलों में इस लिए बन्द हैं कि उनकी जमानत लेने वाला कोई नहीं है। उनकी सुधी लेने वाला उन्हें न्याय दिलाने वाला कोई नहीं है। उनमे अधिकांश संख्या बहनों की है।
आज भैया दूज पर उन्हीं बहनों का स्मरण करते हुए उन्हें ही समर्पित कर्ता हूँ ढेरों सारी शुभकामनाएं.

दुनिया में जिनका कोई नहीं
उन बहनों को भाई चाहिए!

बिना जमानत बन्द जेल में,
उन बहनों को मुक्ति चाहिए।
भाई-दूज, रक्षा बंधन को

जमानत लें वे भाई चाहिए।।

इस बार मैं उन सभी बहनों को नमन कर्ता हूँ जो हिम्मत से अपनी बहुत कष्टमय जिन्दगी बिता रही हैं। विशेषकर जो दुनिया की तमाम जेलों में बन्द हैं, बंधक मजदूर हैं उन्हें बहुत बहुत -बहुत शुभकामनाएं और उनकी मुक्ति के लिए इश्वर से प्रार्थना और उन बहनों को धैर्य और हिम्मत मिले अपनी मुक्ति के संघर्ष में।
भैयादूज पर उन सभी बहनों को कारागारों में बन्द हैं, अस्पताल में भर्ती हैं या दुखी हैं उन्हें रक्षा बंधन पर बधाई।
सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
ओस्लो, नार्वे

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