शुक्रवार, 22 जनवरी 2021

शीर्षक हूँ, शब्दों को झुठलाता हूँ - सुरेशचन्द्र शुक्ल

शीर्षक हूँ, शब्दों को झुठलाता हूँ -  सुरेशचन्द्र शुक्ल

1 किसी पर मुकदमे कराये

किसी के मुकदमें हटाये।

ट्रम्प या बाइडन का दौर आये?

आत्ममुग्ध विज्ञापन का फ़ोटो

मीडिया पर फेंककर फेक हूँ।

शीर्षक हूँ, शब्दों को झुठलाता हूँ।

निर्माण से ज्यादा भवन गिराये।

मीडिया में छाये।

पागल हूँ जो नये भवन बनायें।

4 अतीतातीत साहित्य रच

इतिहासकार कहलाऊँ।

सच लिखकर अपने पाँव तुड़वाऊँ?

5 महामारी का तीसरा दौर जारी। 

अस्पतालों में पलंग का संकट,

मौत का तांडव जारी।

6 ज्ञान बिना ट्वीटर गोहार,

जब दान से ज्यादा फेक से प्रचार।

काम कम, ज्यादा भाइयों -बहनों की सरकार।

7 किसान -मजदूर आन्दोलन

समय की पुकार

नयी समस्याओं की दस्तक?

8

सबका साथ पाकर सेकुलर सरकार। 

अभी सद्भाव संदेश देती 

दिखी बाइडेन-सरकार।

कान में रुई, टनल दृष्टि

विश्व एक गाँव, अपने लगें पराये।

विदेशी हमारी समस्याएं सुलझायें।

10 

आठ सदी बाद संक्रांति, 

किसान, शुक्र बृहस्पति गृह साथ आये।

दूर जाकर कौन रथयात्रा, रैलियाँ कराये।

11 

अमरीका में बाइडेन सरकार आयी,

ट्रम्प पर अशिष्ट धब्बा लगा जो था शक्ति में चूर।

ट्रम्प और समर्थकों पर प्रकाशकों का प्रतिबन्ध।

12 

प्रजातंन्त्र में प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति पद नौकरी है।

शासन में फूल गले और गुलदस्ते में।

शासन जाते वही फूल पैरों तले रौंदे जाते।

- सुरेशचन्द्र शुक्ल, 22.01.21

 

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