मंगलवार, 12 जनवरी 2021

विवेकानन्द बहुत रोये हैं - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'

 

विवेकानन्द बहुत रोये हैं.

दुनिया में करोड़ों बच्चे ,
शिक्षा से दूर रहे हैं,
गहरी नींद हम सोये हैं,
विवेकानन्द बहुत रोये हैं.

राम-राम कहते बापू ने,
जिस हत्यारे को माफ़ किया था.
उसके नाम से स्कूल खोलकर,
हिंसा के काँटे बोये हैं.

जिस देश में 40 प्रतिशत,
साक्षर होने को आतुर हैं.
वहाँ उन्हीं से चन्दा लेकर,
शिक्षा मन्दिर उजड़ गए हैं.

जो कहते थे किसान के बेटे,
क्या उनको लकुआ मार गया है?
भारत के सांसद उपहास उड़ाने,
क्या संसद में चुनकर आये हैं?

चाहे हो किसान का रोना,
या कोविड-19 महामारी टीका।
जनता का विश्वास उठा है,
नेता सत्ता में क्यों खोये हैं?

मंत्रीपद जो एक नौकरी,
उसको बपौती समझ रहे हैं.
चाहे हो एशिया या अमरीका,
मर्यादा की गरिमा खोये हैं।

हे वीर विवेकानन्द हमारे,
तुम्हारे नाम से लूट मची है.
ये महामारी और अकाल में,
जनता को गुमराह किये हैं।

सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
12.01.21

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