मंगलवार, 19 अगस्त 2025

लोकतंत्र को बचाने के लिए विपक्षी सांसदों का मार्च - सुरेश चन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक’ Suresh Chandra Shukla

 लोकतंत्र को बचाने के लिए विपक्षी सांसदों का मार्च 

सुरेशचन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक’

इंडिया गठबंधन के 300 सांसदों ने वेरिफिकेशन के खिलाफ संसद से चुनाव आयोग के लिए मार्च निकाला
राहुल-प्रियंका,अखिलेश को हिरासत में लिया, 2 घंटे बाद छोड़ा; प्रदर्शन के दौरान 2 महिला सांसद बेहोश हुईं
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11 अगस्त, दिल्ली में वोटर वेरिफिकेशन और चुनाव में वोट चोरी के आरोप पर विपक्ष के 300 सांसदों ने सोमवार को संसद से चुनाव आयोग के ऑफिस तक मार्च निकाला।  उन्हें चुनाव आयोग तक नहीं पहुँचने दिया गया। 

हिरासत में लिए गए सांसद 
बेरिकेटिंग करके पुलिस ने उन्हें रोक दिया।  वहां पुलिस ने बल का प्रयोग भी किया।  सांसदों को रोका और सांसदों को हिरासत में लेकर बसों में ठूंस कर लादा   मार्च के दौरान अखिलेश ने बैरिकेडिंग फांदकर आगे बढ़ने की कोशिश की। जब सांसदों को आगे नहीं जाने दिया गया तो वे जमीन पर बैठ गए।  प्रियंका, डिंपल समेत कई सांसद 'वोट चोर गद्दी छोड़' के नारे लगाते दिखे।  पुलिस उन्हें संसद मार्ग पुलिस स्टेशन ले गई, जहां से 2 घंटे बाद रिहा कर दिया गया।
इसमें दोनों सदनों के इंडिया गठबंधन के सभी बड़े नेता थे।  राहुल गाँधी, प्रियंका गाँधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, शरद पावर, अखिलेश यादव आदि विपक्ष के दिग्गज नेता थे। 
हिरासत में लिए जाने के बाद राहुल गांधी ने कहा कि यह संविधान बचाने की लड़ाई है। ये एक व्यक्ति-एक वोट की लड़ाई है, इसलिए हमें साफ वोटर लिस्ट चाहिए। वहीं प्रियंका गांधी ने कहा कि यह सरकार डरी हुई है और कायर है।   
प्रदर्शन के दौरान TMC सांसद मिताली बाग और महुआ मोइत्रा की तबीयत बिगड़ गई।  बेहोश हो गईं। राहुल गांधी और अन्य सांसदों ने उनकी मदद की।

संसद में हंगामा और बिना चर्चा के अनेक विधेयक पास किये गए 
इससे पहले दोनों सदनों में इस मुद्दे पर भारी हंगामा हुआ।  जब इंडिया गठबंधन के सांसद प्रदर्शन कर रहे थे, तभी सत्ता पक्ष ने संसद  में बिना चर्चा के अनेक विधेयक पास किये


अधिकांश अख़बारों और टी वी से यह समाचार गायब 
    सुरेश चन्द्र शुक्ल 
12 अगस्त को जब लोगों ने सुबह देश के समाचार पत्र पढ़े तो पहले पेज पर 'इण्डिया गठबंधन के 300 सांसदों का मार्च' के समाचार को समुचित जगह नहीं दी गयी जबकि यह खबर सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण थी।  एक सवाल है कि अखबार विपक्ष की खबर को क्यों पहले पेज में छपने के लायक नहीं समझते।  
समाचार पत्र के पाठकों को देश की सबसे बड़ी खबर  'वोटर वेरिफिकेशन और चुनाव में वोट चोरी के आरोप पर इण्डिया गठबंधन के 300 सांसदों का मार्च' से वंचित रखा गया।  मीडिया पर इस तरह सत्ता पक्ष की चाटुकारिता के आरोप लगते हैं।  विपक्ष की आवाज बहुत मायने रखती है।  लोकतंत्र में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की अहमियत है।  बिना विपक्ष के बिना आलोचनात्मक सुर के, बिना सरकार के तमाम फैसलों और नीतियों के विरोध की आवाजों के सत्ता पक्ष का कोई मतलब नहीं होता।  लोकतंत्र का मंदिर जहाँ सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों होते हैं। 
इससे यह भी चर्चा होने लगी कि लोकतंत्र का चौथा खंभा मीडिया विशेषकर गोदी मीडिया लोकतंत्र की हत्या में क्यों शामिल हो रहा है?