की खूबसूरत प्रस्तुति
फिल्माचार्य आनन्द शर्मा द्वारा निर्देशित और सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक द्वारा हिन्दी में अनुदित नाटक का भाग आप यहाँ देख सकते हैं अभिनय: नूरा ( प्रिया) और क्रूग्स्ताद (योगेन्द्र विक्रम):
http//www.youtube.com/watch?v=H5SVVpjVJLw
सूर्य महिला कल्याण समिति के तत्वाधान में हेनरिक इबसेन Henrik Ibsen के नाटक 'गुड़िया का घर' Et dukkehjem का सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' द्वारा अनुदित और फिल्माचार्य आनन्द शर्मा के निर्देशन में बहुत सफल मंचन/प्रदर्शन हुआ जिसकी सह-निदेशक थीं रमा जायसवाल ।
नूरा, रान्क, लिंदे और अन्य पात्रों का अभिनय बहुत खूबसूरत अंदाज में किया और बखूबी निभाया है। दैनिक जागरण ने लिखा है 'बहुत सराहा गया गुड़िया का घर'। हिंदुस्तान और अमर उजाला ने लिखा है कि नारी समस्या को खूबसूरती से बयान किया है 'गुड़िया के घर' ने। स्वतंत्र भारत, टाइम्स आफ इंडिया, पाइनियर, और राष्ट्रिय सहारा ने तो दोनों दिनों नाटक प्रस्तुति को देखा और नाटक की सार्थक लिखी।
प्रिया ने नूरा की जीवंत भूमिका निभाई। आजीवन नूरा को किसी ने खास अहमियत नहीं दी। न पिता ने न ही पति ने। नूरा के पति हेल्मेर की प्रभावशाली भूमिका निभाई जमील खान ने । लिंदे की भूमिका निभाई साधना वर्मा ने, क्रूग्स्ताद की भूमिका निभाई योगेन्द्र विक्रम सिंह ने और सफल निर्देशन किया आनन्द शर्मा जी ने। ध्वनि और प्राश प्रकाश व्यवस्था कितनी मुश्किल होती है जो नाटक प्रस्तुति में एक अहम् स्थान रखते हैं।
प्रिया ने नूरा की जीवंत भूमिका निभाई। आजीवन नूरा को किसी ने खास अहमियत नहीं दी। न पिता ने न ही पति ने। नूरा के पति हेल्मेर की प्रभावशाली भूमिका निभाई जमील खान ने । लिंदे की भूमिका निभाई साधना वर्मा ने, क्रूग्स्ताद की भूमिका निभाई योगेन्द्र विक्रम सिंह ने और सफल निर्देशन किया आनन्द शर्मा जी ने। ध्वनि और प्राश प्रकाश व्यवस्था कितनी मुश्किल होती है जो नाटक प्रस्तुति में एक अहम् स्थान रखते हैं।
नाटक के अनुवादक और फिल्मकार सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक' ने इस अवसर पर कहा की उन्हें आशा है कि लखनऊ के ये कलाकार आशा है की अपने निदेशक बंधुओं और बहनों के साथ अन्य नगरों, प्रदेशों और विदेशों में भी धूम मचाएंगे। उन्होंने आनन्द शर्मा जी को सफल प्रदर्शन के लिए बधाई भी दी।
आनंद शर्मा और उनके साथ जुड़ी प्रोफेशनल टीम ने जिस तरह प्रकाश और ध्वनि और संयोजन सभी कमाल के थे। ५ और ६ को बहुत वर्षा होने के कारण लखनऊ का मौसम कुछ ज्यादा भीग गया था। लखनऊ विश्वविद्यालय के अध्यापकों ने नाटक की बहुत तारीफ कि जिसमें नाटक से जुड़े कृष्णाजी श्रीवास्तव, प्रो वीरेंद्र प्रताप सिंह, और रसायन शास्त्र के प्रो शुक्ला जी और अन्य।
आनंद शर्मा और उनके साथ जुड़ी प्रोफेशनल टीम ने जिस तरह प्रकाश और ध्वनि और संयोजन सभी कमाल के थे। ५ और ६ को बहुत वर्षा होने के कारण लखनऊ का मौसम कुछ ज्यादा भीग गया था। लखनऊ विश्वविद्यालय के अध्यापकों ने नाटक की बहुत तारीफ कि जिसमें नाटक से जुड़े कृष्णाजी श्रीवास्तव, प्रो वीरेंद्र प्रताप सिंह, और रसायन शास्त्र के प्रो शुक्ला जी और अन्य।
संजय मिश्रा को नाटक इतना अच्छा लगा कि वे दूसरे दिन भी नाटक देखने गए। अभिषेक तिवारी के अनुसार नाटक अवर्णनीय और श्रेष्ठ था।
1 टिप्पणी:
http://www.youtube.com/watch?v=maXDArdnXO8
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