सोमवार, 1 मार्च 2010

विचारों की होली

आपको होली पर हार्दिक शुभकामनाएं -शरद आलोक



अर्चना पेन्यूली की पुस्तक का विमोचन होली में
बहुत-बहुत बधाई।




विचारों की होली

न्यूनतम तापमान, होली में जमता रंग,
पिचकारी कैसे भरूँ, बरफबारी के संग।
इन्टरनेट की आड़ में, देख बधाई पत्र,
फागुन भर की याद से, रंग दिखा सर्वत्र। ।

हिंदी स्कूल नार्वे में, खूब मचा हुडदंग
एक दूजे के गाल में लगा दिया है रंग।
अर्चना की किताब का बहुत चढ़ा गुलाल
लोकार्पण से हुआ ऊँचा हिंदी भाल॥

मारीशस के अनथ सुने कपिल कुण्डलियाँ,
होली में भाने लगीं हैं मुंबई की गलियां।
जीत गए यदि वीरेंद्र शर्मा चुनावी बोली
ब्रिटेन -संसद में खेलें आगामी होली।।

बेशक लिबरल की सांसद हैं रूबी धल्ला,
कनाडा वासी खेलें होली खुल्लम खुल्ला।
शरद आलोक यहाँ होली में बरफ तापते
अपनी गाडी से एक हाथ भर बरफ हटाते॥

नहीं झुकाया सर, यूरो डालर के पीछे,
इसी लिए नहीं दिखी कोई पीछे-पीछे।
जब भी भारत जायेंगे एक पेड़ लगायेंगे,
नदी का पानी एक ड्रम साफ़ करेंगे॥

जब करोड़ भारती नदिया साफ़ करेंगे
आगामी होली में नदियों में रंग घोलेंगे।
आपस में मिलकर शिकवे दूर करेंगे,
असमानता की खाई को तब पूरेंगे।

होली, हमजोली आँख मिचौली खेले,
जैसे नेता भारत की जनता को तौले॥
जो भी भेजे मेल- बेमेल ई परियों के।
बुरा न मानो होली में छोटी त्रुटियों से॥
शरद आलोक
ओस्लो, ०१.०३.१०

3 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

कविता में ही रिपोर्ताज हो गई...:) बहुत बढ़िया!


ये रंग भरा त्यौहार, चलो हम होली खेलें
प्रीत की बहे बयार, चलो हम होली खेलें.
पाले जितने द्वेष, चलो उनको बिसरा दें,
खुशी की हो बौछार,चलो हम होली खेलें.


आप एवं आपके परिवार को होली मुबारक.

-समीर लाल ’समीर’

निर्मला कपिला ने कहा…

नहीं झुकाया सर, यूरो डालर के पीछे,
इसी लिए नहीं दिखी कोई पीछे-पीछे।
जब भी भारत जायेंगे एक पेड़ लगायेंगे,
नदी का पानी एक ड्रम साफ़ करेंगे॥

जब करोड़ भारती नदिया साफ़ करेंगे
आगामी होली में नदियों में रंग घोलेंगे।
आपस में मिलकर शिकवे दूर करेंगे,
असमानता की खाई को तब पूरेंगे। बहुत अच्छी लगी पूरी रचना । धन्यवाद्

haidabadi ने कहा…

शुक्ल जी होली की बहुत बहुत शुभकामनायें
रंगों की बौछार तो लाल गुलाल के टीके
बिन अपनों के लेकिन सारे रंग ही फीके

चाँद शुक्ला हदियाबादी
डेनमार्क