शनिवार, 28 जनवरी 2012

नार्वे में गणतंत्र दिवस धूमधाम से मनाया गया

नार्वे में गणतंत्र दिवस और पेतेर क्रिसतेन  अस्ब्योर्न्सेन  का २०० वां जन्मदिन   धूमधाम से मनाया गया  
चित्र में बाएं से Inger Marie Lilleengen इंगेर मारिये
 लिल्लेएन्गेन,  Suresh Chandra Shukla सुरेशचंद्र शुक्ल
 , Silesh Kumar सिलेश कुमार, मारी फिनेस Mari Finnes  और Raj  K Bhatti राज कुमार भट्टी  
भारतीय दूतावास में ध्वजारोहण समारोह  
२६ जनवरी को नील्स  युएल्स गाता, ओस्लो में प्रातः साढ़े आठ बजे  भारतीय दूतावास में भारतीय गणतंत्र दिवस पर ध्वजारोहण समारोह धूमधाम से मनाया गया.  भारतीय राजदूत महामहिम आर के त्यागी जी ने राष्ट्रपति का राष्ट्र के नाम सन्देश पढ़ा और ध्वजारोहण किया. बाद में राष्ट्र गान और फिर जलपान का कार्यक्रम शुरू हुआ जिसमें लोगों ने एक दूसरे को गणतंत्र दिवस पर बधाइयाँ  दीं.
वाइतवेत सेंटर, ओस्लो में गणतंत्र दिवस समारोह संपन्न Republic day of India
भारतीय नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम की ओर से भारतीय गणतंत्र दिवस पर सांस्कृतिक समारोह संपन्न हुआ.  कार्यक्रम का शुभारम्भ अलाक्संदेर शुक्ल सीमोंसें ने राष्ट्रगान 'जन - गन - मन'  की धुन सुनाकर किया और सभी लोगों ने खड़े होकर ससम्मान राष्ट्रगान गया.  एकता और निकीता ने हिन्दी में एक गीत प्रस्तुत किया. जान दित्ता दीवाना और दानिएल दित्ता ने एक तारा, हारमोनियम और तबले  पर पर मधुर धुनें बजायीं और गीत गाये.
मारी फिनेस Mari Finnes मुख्य अतिथि
इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि थीं सांस्कृतिक मंत्रालय से मारी फिनेस जिनका सम्मान शाल 
ओढ़कर किया गया.  भारतीय दूतावाससे श्री सिलेश कुमार ने शुभकामनाएं दीं और अपनी 
कविता मेरा गाँव सुनायी.  कार्यक्रम में एनी कवितायें सुनाने वालों में इंगेर मारिये लिल्लेएगेन , 
राज कुमार भट्टी, चरण सिंह सांगा,  इन्दरजीत पाल और सुरेशचंद्र शुक्ल ने सुनायी. शुभ  कामनायें देने वालों में, जीत सिंह, सिद्धू जी, राजेंद्र सिंह टूर, संगीता शुक्ल, माया भारती, वासदेव भरत रूबी शीरे, अलका भरत, अंकुर टांडे  और दिव्या विद्यार्थी थे.   कार्यक्रम के अंत में भोजन और मिष्ठान का प्रबंध था.
Peter Christen Asbjørnsen पेतेर क्रिसतेन अस्ब्योर्नसेन  का २०० वां जन्मदिन मनाया गया.
नार्वे की लोककथाओं को अपने बचपन के मित्र योर्गेन मूए के साथ एकत्र करने वाले  पेतेर क्रिसतेन अस्ब्योर्नसेन का २०० वां जन्मदिन मनाया गया.  हालाँकि उनका जन्मदिन १५ जनवरी को होता है.
इसी दिन हमारे कार्यकर्त्ता और गायक राज कुमार भट्टी जी का जन्मदिन भी था .अतः इस दिन तीन केक काटे गए.
सुरेशचन्द्र  शुक्ल का २६ जनवरी १९८० को नार्वे आगमन
स्वागत भाषण देते हुए लेखक, संपादक और भारतीय-नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम Indisk-Norsk Informasjons -og Kultur Forum के  अध्यक्ष सुरेशचंद्र शुक्ल ने बताया की इसी दिन वह ३२ वर्ष पहले वह भारत से नार्वे आये थे. उन्होंने अपने संस्मरण सुनाये और बहुत से नार्वेजीय लेखकों की कवितायें सुनायीं.
सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक' ने कहा कि उन्हें अभी भी याद है जब २४ जनवरी १९८० को दिल्ली में उन्हें दिल्ली के पालम हवाई अड्डे पर विदा करने उनकी माँ श्रीमती किशोरी देवी, बहनोई डॉ.
गोविन्द प्रसाद तिवारी और संगीतकार और उनके भाई डॉ.राजेंद्र प्रसाद शुक्ल के पारिवारिक मित्र संगीतकार
श्रीलाल जी आये थे.  वे दिन याद करते ही मेरी आँखें भर जाती हैं. मैं  भारत में अपनी पत्नी माया एवं बच्चों संगीता और अनुराग को अपने माता-पिता के पास छोड़कर आया था.
एक दिन मास्को में रुकने के बाद जब ओस्लो के फोर्नेबू एयरपोर्ट पर पहुंचे तो भाई राजेंद्र प्रसाद शुक्ल और साहेब सिंह देवगन जी लेने आये थे.  मेरे सर के बाल बड़े -बड़े थे. दाढ़ी और छोटी मूछें थीं जैसे कोई रोबीला  युवा छात्र नेता हो.
बेलबाटम पैंट पहन रखी  थी. भूरे बता के जूते थे पर नार्वे के हिसाब से गर्मियों के जूते थे. जबकि नार्वे पूरा बर्फ से ढका हुआ था.  ओस्लो में तापमान - २२ था.
एयरपोर्ट से क्रिन्शो स्टुडेंट टाउन में मेरे भाई रहते थे वहां दाढ़ी और मूछें साफ़ कीं और जाड़े का कोट और जूते खरीदे और भारतीय दूतावास रवाना हुए जहाँ २६ जनवरी आर कार्यक्रम आयोजित था.
शाम को द्रामिन नगर गए वहां प्रतिष्ठित भारतीय और भारतीय कल्याण परिषद् नार्वे के अध्यक्ष त्रिलोचन सिंह के घर पर पार्टी थी. मेरा पहला दिन ऐसा बीता जो हमेशा याद रहेगा. मुझे उस दिन सभी का जो प्यार मिला उसे आज कर मन प्रसन्नता से भर जाता है.

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