रविवार, 10 जून 2012

लेखक गोष्ठी में मार्टिन लूथर किंग को याद किया गया

8 जून को वाइतवेत सेंटर में लेखक गोष्ठी संपन्न हुई. इसमें नार्वे और स्वीडेन के संगठन टूटने पर Unionoppløsningen (7. जून)  पर चर्चा की गयी  तथा गोष्ठी में मार्टिन लूथर किंग को याद किया गया.  अंत में कवि गोष्ठी संपन्न हुई जिसमें राज कुमार भट्टी, चरण सिंह सांगा, इंदरजीत पाल, जान दित्ता 'दीवाना',  मलेशिया के कवी दित्ता तथा नार्वेजीय मूल की इंगेर मारिये लिल्लेएंगेन, दित्ता सिआउ, मरते बर्ग एरिक्सन और सुरेशचन्द्र  शुक्ल ने अपनी रचनाएं पढ़ीं.
भारतीय-नार्वेजीय  सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम के तत्वावधान में आयोजित इस गोष्ठी में नार्वे में हिंदी कविता और मार्टिन लूथर किंग के विचारों पर परिचर्चा संपन्न हुई।
सुरेशचन्द्र  शुक्ल ने अपनी नयी ताजी कविता सुनायी:
'हम वाइतवेत पर
शांति पर चर्चा करते हैं
जबकि थोइएन, ओस्लो में
पुलिस गोली चलने की पहेली की
खोजखबर ले रही है। '
उन्होंने आगे नार्वेजीय अखबारों पर अपने विचार प्रगट करते हुए कहा:
'नार्वेजीय अखबार 22 जुलाई के आतंकवादी पर
बेसुमार लिख रहे हैं
जबकि वे ग्रुरुददालेन (ओस्लो) में
बहुमुखी गतिविधियों
सांस्कृतिक पुरुषों के योगदान से बने इन्द्रधनुष
के बहुरंगों और खिलाये हुए
अनगिनत गुलदस्तों को भूल गयी हैं।'
सुरेशचन्द्र शुक्ल  ने अपनी लघु और प्रभावी कविताओं के लिए नार्वे में जाने जाते हैं। इनकी कवितायें ओस्लो के वाइतवेत  और लिंदेरूद क्षेत्रों में सड़क के किनारे लगी लों की  लटकती फुलवारियों
में लगी हुई  हैं। चरण सिंह सांगा  ने अपनी कवितायें सुनाईं और मार्टिन लूथर किंग के विचार पढ़े। कार्यक्रम के अंत में परिचर्चा हुई जिसमें जीत सिंह, प्रगट सिंह और यादविंदर सिंह ने भी हिस्सा लिया। माया भर्ती ने सभी का आभार व्यक्त किया और गोष्ठी का समापन जलपान से हुआ।

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