शनिवार, 30 नवंबर 2013

नार्वे में राजेन्द्र यादव पर शोक सभा - Suresh Chandra Shukla

नार्वे में राजेन्द्र यादव पर शोक सभा

30 नवम्बर ओस्लो (नार्वे)
नयी कहानी के प्रणेता और हंस के सम्पादक राजेन्द्र यादव की स्मृति में एक शोक सभा ओस्लो में संपन्न हुई जिसमें
राजेंद्र यादव के अभूतपूर्व योगदान की चर्चा की गयी. सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' ने बताया कि वह राजेन्द्र यादव को नार्वे आमंत्रित करना चाहते थे.
शोकसभा में माया भारती ने अपनी कविता से श्रद्धांजलि दी. हिंदी स्कूल की प्रधानाचार्य संगीता शुक्ल सीमोनसेन ने भी शोक व्यक्त किया।  शोक सभा का आयोजन भारतीय-नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम द्वारा किया गया था.
अलका भारत, जावेद भट्टी, राज कुमार, अनुराग विद्यार्थी ने भी अपने विचार प्रगट किये।  भारतीय दूतावास के सिलेश कुमार ने भी राजेंद्र यादव को एक बड़ा कहानीकार बताया। 

हिंदी स्कूल नार्वे में राजेन्द्र यादव श्रद्धांजलि 

हिंदी स्कूल में हुई शिक्षार्थियों और अध्यापकों की सभा में सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' ने राजेन्द्र यादव के जीवन पर प्रकाश डाला।  'शरद आलोक' ने कहा कि पहले हम हँस को मुंशी प्रेमचन्द से जोड़ते थे अब राजेंद्र यादव जी भी उपन्यास सम्राट प्रेमचंद की तरह ही हंस को नयी पहचान दी. हिंदी स्कूल की प्रधानाचार्य संगीता शुक्ल सीमोनसेन ने राजेंद्र यादव के बारे में पाठयक्रम में सम्मिलित करने की बात कही. हिंदी स्कूल की शोकसभा में नार्वे के जाने-माने पेंटर दाग हूल भी उपस्थित थे. अध्यापिकाओं में तरु  वांगेन, श्रीमती मंजू और सपना रस्तोगी ने भी अपने विचार व्यक्त किये।   उन्होंने कहा कि विदेशों में भारतीय संस्थाओं को अपने लेखकों के बारे में अधिक जानना और बताना चाहिए ताकि नयी पीढ़ी भी उनके बारे में जान सके और उनके साहित्य  को पढ़ने में रूचि जागे।
                                                                          - नार्वे से माया भारती

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