सोमवार, 3 मार्च 2014

भैया मैं तो बाबा (दादा ) बन गया - शरद आलोक

भैया मैं तो बाबा (दादा ) बन गया


धन्यवाद ईश्वर का और मेरी बड़ी बहू मेरेते और  बड़े पुत्र अनुराग का जिनकी कृपा से मैं दादा बन गया इन्ही के कारण  मुझे एक प्यारी सी नन्ही सी परीनुमा पोती प्राप्त हुयी और  बाबा/दादा बना।  नाना तो पहले ही बन चुका हूँ.  इसी के साथ अपनी संगनी माया जी का भी आभार।
वैसे तो पहले मैं अपने बड़े भतीजे जय प्रकाश और भारत के कारण बाबा बन चुका हूँ पर अपने बड़े पुत्र अनुराग की पुत्री होने पर आज फिर  दादा/बाबा बन गया  हूँ।
मुझे अपने पूर्वजो की याद आयी और मन ही मन उन्हें  प्रणाम किया। मेरे बाबा श्री मन्ना लाल शुक्ल, पिता श्री बृजमोहन लाल शुक्ल, मेरी माँ श्रीमती किशोरी देवी शुक्ल को भी मन ही मन प्रणाम किया। मेरे दादा-दादी  और माता -पिता तो इस दुनिया में नहीं है पर उनकी संतानों को भविष्य की नयी पीढ़ी के नए सदस्य के आगमन पर परिवार का गौरव बढ़ा है.
आप सभी को धन्यवाद जिनकी शुभकामनायें  और आशीष सदा पुत्र अनुराग और बहू मेरेते और परिवार के साथ रहा.  यह शुभ सूचना आज 4 मार्च को शाम नार्वे के रात्रि नौ 9:00 बजे प्राप्त हुयी।  तब भारत में  5 मार्च 2014 हुए थे. नये समाचार आगे सूचित करूंगा। 
जब मुझे अपने बाबा बनने की खबर मिली तो मैं नार्वे के एक  बाजार में खरीददारी कर रहा था और अनुराग विद्यार्थी मेरे साथ थे.
कल जब मुझे भारत जाना है तो यहाँ नार्वे फोन करके मझे इस बारे में यह पूछना नहीं पड़ेगा कि  क्या खबर है माया जी!  भारत में अपना फोन नंबर वहाँ पहुँच कर लिखूंगा।
मेरी बेटी संगीता का जन्म 6 मार्च को है.  ईश्वर की कृपा से अब बुआ (संगीता) और भतीजी (नवजन्मी पौत्री) एक सप्ताह में ही अपना जन्मदिन मनाया करेंगी।
खुश रहो, जब तलक दुनिया में सूरज रहे,
सारी  खुशिया से तुम्हारी झोली भरें।
स्वस्थ रहो, नेक, तेज जीवन में हो,
ईश्वर की कृपा और  आशीस हमारा रहे।
-शरद आलोक, ओस्लो, 4 मार्च शाम 21:42 बजे.  

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