रविवार, 27 अप्रैल 2014

आज मौसम हुआ मेहरबान

आज मौसम हुआ मेहरबान 
आपका दिन मंगलमय हो. बहुत महीने की शरद ऋतु  के बाद अब मौसम अच्छा होने लगा है  खैर आज मेरी पुस्तक 'सरहदों के पार' का लोकार्पण है, यह एक साधारण कार्यक्रम है जहाँ सभी पीढ़ी के लोगों के सम्मिलित होने की संभावना है. गीत संगीत और कविता कहानी का भी जायका मिलने की संभावना है. कार्यक्रम वाइतवेत सेंटर, ओस्लो में है आज रविवार 27  अप्रैल को शाम चार बजे.    

ओस्लो में कार्यक्रमों की बाढ़


कल ओस्लो की सैर की. सूरज का चमकना ही अपने आप में अच्छे मौसम की दुहाई देता है. कल तीन कार्यक्रमों में जाना हुआ. पहले कार्यक्रम (एक सेमीनार) में पूर्व संसद अर्लिंग फोल्केवोर्द ने नार्वे में रेसिज्म और भेदभाव और उसके आधारभूत तत्वों की उदाहरण देते हुए चर्चा की तो दूसरा कार्यक्रम ईस्टर के अवसर पर संगीत का कार्यक्रम था जिसमें भारतियों ने बी अपने संगीत के स्वर दिए थे और तीसरे कार्यक्रम अखंड रामायण के पाठ में में सम्मिलित हुआ और थोड़ी देर तक रामायण पाठ किया।
मुझे बचपन के दिन याद आ गए जब मेरी माताजी मुझे रामायण का पाठ करने के लिए प्रोत्साहित करती थीं और स्वयं भी पाठ करती थीं. तुलसी रामायण जान भाषा में होने के कारण जनता में ग्राह्य हो सकी. कबीर दास जी की वाणी ने भी सादगी में गंभीरता से हमारे गौरवपूर्ण दर्शन को सम्मान प्रदान किया। आज साहित्य में सरलता और ईमानदारी से ज्यादा प्रचार-प्रसार भारी पद रहे हैं. पर भाई एक बात से बहुत इत्मीनान मिलता है कि सरलता और ईमानदारी से सृजनकार्य करने से ज्यों का त्यों जीवन जीना होता है न कि लाग-लपेट और छिपना और छिपाना होता है. जो सामने है वही सत्य ज्यादा आकर्षित करता है. खैर आज मेरी पुस्तक 'सरहदों के पार' का लोकार्पण है, यह एक साधारण कार्यक्रम है जहाँ सभी पीढ़ी के लोगों के सम्मिलित होने की संभावना है. गीत संगीत और कविता कहानी का भी जायका मिलने की संभावना है. कार्यक्रम वाइतवेत सेंटर, ओस्लो में है आज रविवार 27  अप्रैल को शाम चार बजे.    

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