सोमवार, 26 अगस्त 2024

नार्वे Norway में जन्माष्टमी पर अन्तरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन

 नार्वे में जन्माष्टमी पर अन्तरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन सम्पन्न

कार्यक्रम का आयोजन भारतीय-नार्वे जीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम ने किया। 
मुख्य अतिथि प्रो. निर्मला एस. मौर्य, विशिष्ट अतिथि थे प्रो. हरनेक सिंह गिल और प्रो. के पंकज और अध्यक्षता की सुरेशचन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक’ तथा सभी ने जन्माष्टमी  पर शुभकामनायें दीं। 

अपने वक्तव्य में कार्यक्रम की मुख्य अतिथि थी पूर्व कुलपति निर्मला एस. मौर्य वाराणसी ने शुभकामनायें दीं और कहा भक्ति और आसक्ति से तो  यशोदा और राधा ने उन्हें बांधा।  सूरदास, नन्ददास, मीरा बाई  और अब्दुल रहीम खानखाना 'रसखान' जैसे अनेक रचनाकारों ने कृष्ण लीला और भक्ति से अपना साहित्य अजर अमर बना लिया। 

अध्यक्षता करते हुए संस्था के अध्यक्ष सुरेशचन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक’ ने कहा कि कृष्ण लोकनायक हैं। राधे-राधे जपो तो कृष्ण चले आयेंगे।  उन्होंने कहा कि प्रसिद्ध समालोचक  प्रो. शैलेन्द्र कुमार शर्मा के अनुसार कृष्ण ने सहस्रों वर्षों पूर्व लोकतंत्र की स्थापना की। कृष्ण की प्रत्येक लीला में मर्म और आशय है। अंधकार में प्रकाश लाते हैं कृष्ण। 

डॉ. आकांक्षा मिश्रा रायपुर ने अपनी स्वरचित सद्य प्रकाशित पुस्तक काफी की महक का परिचय दिया और रचना प्रक्रिया पर विचार व्यक्त किए।

अन्तरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन: 
कवि सम्मेलन की शुरुआत निराला जी की स्वरस्वती वंदना से सस्वर प्रस्तुत किया प्रमिला कौशिक ने। 
विदेश से
सर्वश्री प्रो. हरनेक सिंह गिल लंदन एवं डॉ. जय वर्मा नाटिंघम ब्रिटेन, डॉ. राम बाबू गौतम न्यू जर्सी अमेरिका, नीरजा शुक्ला कनाडा और गुरु शर्मा एवं सुरेशचन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक’ नार्वे थे।
भारत से  
सर्वप्रथम स्व. विप्लव जी की कविता का और अपनी रचनाओं का पाठ किया डॉ. सुषमा सौम्या लखनऊ, प्रो. नमिता आर्य पुणे, डॉ. ऋषि कुमार मणि त्रिपाठी कबीर नगर, शशि पाराशर एवं प्रमिला कौशिक दिल्ली, पर्यावरणविद्  डॉ. अर्जुन पाण्डेय अमेठी, जलयोद्धा आर्य शेखर प्रयागराज, डॉ. आकांक्षा मिश्रा रायपुर, प्रो. के. पंकज पूर्णिया ने। 

जन्माष्टमी देश - विदेश में मनायी जाती है और यह सद्भाव का त्योहार है। दुनिया में जहाँ -जहाँ भारतीय हैं वहाँ -वहाँ मनाया जाता है।  घरों और मंदिरों में झाँकियाँ सजाई जाती है। 
कीर्तन, भजन और कवि सम्मेलन आदि आयोजित किए जाते हैं।  जन्माष्टमी देश - विदेश में मनायी जाती है और यह सद्भाव का त्योहार है। 
गीता का संदेश और कृष्ण लीला की कथायें पूरी दुनिया में मशहूर है।

   - माया भारती, ओस्लो नार्वे से 

सोमवार, 12 अगस्त 2024

आज नहीं जागे तो, तुम्हें कल रोना पड़ेगा - सुरेशचन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक’

 आज नहीं जागे तो, तुम्हें  कल रोना पड़ेगा

सुरेशचन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक’

असमंजस में दुनिया प्रतीक्षारत है,

कोई रोक सका न समय का रथ है। 
द्वन्दों में दुनिया क्यों उलझी हुई है, 
वह समय से जो हारा शरणागत है।

अंधियारे से उजाले तक जा रहे हैं लोग,
प्रधान को बचाने में देश डुबा रहे हैं लोग।
कारपोरेटर फँसे, क्यों बी जे पी डरी हुई, 
क्या बी जे पी का पैसा लगा, पूछ रहे लोग?

देश के बाजार में विदेशों का पैसा लगा,
प्रधान शामिल है,  स्तीफा माँग रहे हैं लोग।
प्रधान, कारपोरेटर की जाँच नहीं होती?
देश बचाना है अगर, सड़कों पर उतरो लोग।

विपक्ष देश की आवाज बन आइना दिखा रहा,
विपक्षी नेता फँसाने लगे, सरकार  के लोग।
मौन आज घर पर बैठ, तमाशा देख रहे हैं,
जिस डाल पर बैठे उसे क्यों काट रहे लोग?

आज नहीं जागे तो, तुम्हें  कल रोना पड़ेगा,
चिड़िया चुग गई खेत तो सब खोना पड़ेगा।
जब तक डरोगे, तुम्हें तानाशाह डरायेंगे,
रोका न लुटेरों को, देश खोखला करेगा।
 12.08.24


नार्वे में तुलसी जयंती मनायी गयी: सुरेशचन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक’

 नार्वे में तुलसी जयंती मनायी गयी: 

ओस्लो, 12 अगस्त भारतीय- नार्वेजीय सांस्कृतिक फोरम द्वारा तुलसी जयंती पर आभाषी अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी एवं कवि गोष्ठी आयोजित की गयी,जो सुरेशचन्द्र शुक्ल की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई।
सुरेशचन्द्र शुक्ल द्वारा हनुमान चालीसा, गुरु वंदना, राम जन्म तथा जपजी का अनुवाद नार्वेजीय भाषा में किया है और इब्सेन के नाटकों एवं नार्विजन लोककथाओं,कविताओं का अनुवाद हिन्दी में किया है,जिस पर उन्होंने विधिवत प्रकाश डाला।
संगोष्ठी में मुख्य अतिथि तेज स्वरूप त्रिवेदी संगीत-नाटक अकादमी दिल्ली एवं प्रो. निर्मला एस. मौर्य (पूर्व कुलपति, वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय, उ. प्र.) थे। मुख्य वक्ताओं में प्रो. पवन अग्रवाल लखनऊ विश्वविद्यालय, प्रो. हरिशंकर मिश्र, लखनऊ, प्रो.शैलेंद्र कुमार शर्मा कुलनुशासक एवं विभागाध्यक्ष हिन्दी विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन, श्री हरेराम बाजपेयी इन्दौर, आदि थे। 
प्रो.पवन अग्रवाल ने अपने सम्बोधन में कहा कि जनमानस के लोकनायक, आदर्शवादी व्यवस्था एवं मर्यादा स्थापित करने वाले थे राम। 
अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन
सभी कवियों ने बहुत अच्छी रचनायें पढ़ीं और जिसे सभी ने पसंद किया।
अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन में भारत से डॉ. रश्मी चौबे गाजियाबाद, डॉ. सुषमा सौम्या, डॉ. कुँवर वीर सिंह मार्तण्ड संपादक साहित्य त्रिवेणी मासिक, डॉ. करुणा पाण्डेय, अखिलेश कुमार निगम डी जी पी लखनऊ, डॉ. ऋषि कुमार मणि त्रिपाठी कबीर नगर, डॉ. अर्जुन पाण्डेय अमेठी, डॉ. दिग्विजय शर्मा आगरा केन्द्रीय हिन्दी संस्थान आगरा, डॉ. अमिता आर्य पुणे, शशि पाराशर, अशोक एवं प्रमिला कौशिक तथा विनीता रानी बिन्नी दिल्ली ने काव्यपाठ किया। विदेश से प्रो हरनेक सिंह गिल लंदन, ब्रिटेन, डॉ. राम बाबू गौतम न्यू जर्सी अमेरिका, डॉ. ऋतु ननन पाण्डेय नीदरलैंड, नीरजा शुक्ला कनाडा एवं नार्वे से प्रकाशित हिन्दी पत्रिका स्पाइल-दर्पण के संपादक सुरेशचन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक’ ओस्लो, नार्वे ने काव्य पाठ किया और गोस्वामी तुलसी दास जी के साहित्य से जुड़े अनुभव साझा किए। संगोष्ठी के अंत में भगवान राम को वैश्विक बताते हुए अवधी साहित्यकार एवं पर्यावरणविद् डॉ.अर्जुन पाण्डेय द्वारा आभाषी अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में सम्मिलित सभी के प्रति आभार व्यक्त किया गया।

आयोजक: 
सुरेशचन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक’
संपादक, स्पाइल-दर्पण