शुक्रवार, 19 जून 2009

हार भी जीत की तरह जीवन का हिस्सा है पर इसकी आदत नहीं डालनी चाहिए - शरद आलोक

भारत का विश्वकप में हारना जैसे चूक हो जाना! - शरद आलोक
सहवाग की कमी खली - सौरभ गांगुली
विश्वकप में चूक हो गयी!
हार भी जीत की तरह जीवन का हिस्सा है पर इसकी आदत नहीं डालनी चाहिए - शरद आलोक
भारत बुरी तरह तीनो मैच हार गयी। इसके कई कारण हो सकते हैं। इस हार को किसी ने विशेष कर क्रिकेट बोर्ड और कप्तान महोदय ने नहीं लिया। एक तो टीम में सहवाग और अनुभवी खिलाड़ियों का न होना दूसरा कप्तान का खेल से अधिक खेल से अधिक विज्ञापन पर ध्यान रहा होगा, ऐसे समाचार समाचार पत्रों में प्रकाशित हुए हैं। प्रसिध्ध खिलाड़ी सौरभ गांगुली और मोहम्मद अजुरुद्दीन तथा प्रसिध्ध अभिनेता अमीर खान की टिपण्णी तो पहले ही सबको पता है।
सहवाग व अन्य खिलाड़ियों की फिटनेस को दोषी बताने वाले यह देखिये की सचिन भी कम फिट होते हुए भी कई बार बहुत सफल रहे हैं। सहवाग की राय भी मैच में सहयोगी हो सकती थी।
तीन मैचों का विश्वकप में हारना , कप्तान की नीतियां सफल न होना भी शायद हरने का एक कारण रहा हो। कप्तान को सही समय में सही निर्णय लेना जरूरी होता है। धोनी एक अच्छे खिलाड़ी हैं, परन्तु उन्हें कम समय पर प्रगति के खातिर लम्बी दौड़ को ताक में नहीं रखना चाहिए। खिलाड़ियों के चयन में पैसों और मित्रता निजी न निभाकर खेलभावना वाली मित्रता और देश के लिए खेलना चाहिए जैसा की वह पहले भी खेलते रहे हैं। कप्तान को अनुभवी लोगों की राय भी सुननी चाहिए। हार भी जीत की तरह जीवन का एक हिस्सा है पर इसकी आदत डालना नासमझी है।
बेशक हम दूसरे देशों से आगामी मैच जीत जाएं पर बुरी हार का सदमा आगामी विश्वकप से पहले नहीं मिट सकेगा।

1 टिप्पणी:

Science Bloggers Association ने कहा…

अरे भई, इत्‍ती गर्मी पड रही है, क्‍या किया जाए। अब खेल में जीत हार तो चलती ही रहती है।

-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }