देश विदेश में शरद आलोक का जन्मदिन मनाया गया-माया भारती
राईटर हॉउस ओस्लो में शरद आलोक जन्मदिन मनाया गया
'रजनी', 'नंगे पांवों का सुख' और 'नीड़ में फंसे पंख' जैसे चर्चित कविता संग्रहों और 'अर्धरात्रि का सूरज' तथा 'प्रवासी कहानियां ' नई कहानियों के के रचनाकार और विदेशों (नार्वे) में गत ३० वर्षों से हिंदी साहित्य कि सेवा कर रहे सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' का जन्मदिन १० फरवरी को लखनऊ, दिल्ली, भारत और ओस्लो, नार्वे में मनाया गया।
Veitvet senter, Oslo ओस्लो में लेखक गोष्ठी में शरद आलोक का जन्मदिन मनाया गया।
शरद आलोक का जन्मदिन लखनऊ में 'स्पाइल' के स्थानीय कार्यालय ८ मोतीझील ऐशबाग रोड लखनऊ पर और पश्चिम विहार नई दिल्ली, भारत में और ओस्लो में लेखक गोष्ठी में तथा नार्वेजीय अनुवादक और लेखक संघ की बैठक, लेखक हॉउस में मनाया गया।
आइये सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' के जीवन के बारे में कुछ जानकारी प्राप्त करते हैं
लखनऊ में जन्म हुआ और बचपन बीता
१० फरवरी १९५४ को लखनऊ नगर में हुआ था। उस समय उनकी माँ स्व० किशोरीदेवी और पिता स्व० ब्रिजमोहन लाल शुक्ल और दादा स्व ० मन्ना लाल शुक्ल संयुक्त परिवार में ब्लाक न० ३० पुरानी लेबर कालोनी ऐशबाग, लखनऊ में रहते थे।
पूनम शिक्षा निकेतन से कक्षा ३ और नगरमहापालिका बेसिक पाठशाला ऐशबाग से कक्षा ५ की शिक्षा पायी।
कक्षा ६ से लेकर कक्षा ११ तक आपने गोपीनाथ लक्ष्मणदास रस्तोगी इंटर कालेज लखनऊ में शिक्षा प्राप्त की जहाँ आपका परिचय विद्वान लेखकों डॉ दुर्गाशंकर मिश्र और डॉ सुदर्शन सिंह से हुआ जो इस विद्यालय में प्राचार्य और प्राध्यापक थे। इसी विद्यालय में सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक ' जी साहित्य परिषद में उपाध्यक्ष और सांस्कृतिक परिषद के मंत्री थे तथा विज्ञानं परिषद के पुस्तकालयअ पुस्ताकालयाध्यक्ष थे जो यह दर्शाता है कि उनमें बचपन से ही नेतृत्व करने कि क्षमता और सेवा-भावना कूट -कूट कर भरी थी। इसी समय आप भारत स्कॉट एवं गाइड के दल नायक रहकर लखनऊ नगर में आयोजित मेलों में निशुल्क सेवा की।
ख़राब आर्थिक स्थिति
बचपन में ग्रीष्मावकाश में आपने एक साबुन की फैक्ट्री में २ रूपए पचास पैसे प्रतिदिन के हिसाब से काम कार्य किया। अपने पिता की आर्थिक स्थिति को सुधारने की दृष्टि से आपने सन १९७२ में १५ जनवरी १९८० तक आलमबाग लखनऊ के सवारी और मालडिब्बा कारखाने में नौकरी की। इन्ही दिनों आप ने शाम को ट्यूशन भी पढाया और इसी के साथ अध्ययन और लेखन भी जारी रक्खा।
पहली कविता १४ वर्ष की आयु में छपी
शरद आलोक की पहली कविता चौदह वर्ष की आयु में १९६९ में लखनऊ के समाचारपत्र 'स्वतन्त्र भारत' में छपी। कक्षा में अध्यापक और पिता ने सराहा।
छायावादी प्रभाव आपकी दो आरंभिक कृतियों वेदना (१९७६) और 'रजनी' (१९८४) में आसानी से देखा जा सकता है। 'नंगे पावों का सुख' और 'नीड़ में फंसे पंख' कविता संग्रहों में यथार्त्वाद se लेकर नई , मानवतावादी और विषय पर लिखी रचनाओं ने सभी का ध्यान खींचा।
शेष आगामी अंक में , धन्यवाद।
यह कविता वर्षा पर आधारित थी। आपका पहला कवितासंग्रह 'वेदना' शीर्षक से सन १९७६ में कमल प्रिंटर्स से छपा। आपने साथ-साथ अध्ययन जारी रक्खा।
डी ए वी कालेज से इंटर और लखनऊ विश्वविद्यालय के अंतर्गत बाप्पा श्रीनारायण वोकेशनल डिग्री कालेज से स्नातक की पढाई पूरी की।
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