गांधी जी का देश बचाने, अब बच्चे -बच्चे आयेंगे
सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक', ओस्लो, नार्वे से
सड़क से संसद तक थर्राया,
अब गांधीवादी नारों से '
देश को अब न मिटने देंगे
हिंसा की तलवारों से.
देश का बचपन भूखा देखो!
पूछो बाल मजदूरों से ?
शिक्षा छोड़कर रोजी रोटी
वे ढूढ़ रहे गलियारों में.
पथ पर धुंआ उड़ाते जाते,
किसका मजाक उड़ाते हैं,
टैक्स नहीं देते हैं जब वे
किस पर धौंस जमाते है?
चोर-चोर! पकड़ो भागा है,
सरकारी-निजी मकानों में
कभी पकड़ पाएंगे उनको,
सरकारी पहरेदारों से..
जन-जन में आक्रोश बहुत है,
अनशन पर गोले दगते हैं.
सत्य-अहिंसा के नायक पर,
गैस लाठी-डंडे चलते हैं.
बिना इलाज मरता वासी,
शिशु भूखे पेट रह जाता है.
कितना भोजन फेका जाता,
कितना अनाज सड़ जाता है,
जो करता है संघर्ष देश पर,
अब उसको कोसा जाता है,
नेता और विदूषक द्वारा,
तब लांछन लादा जाता है.
मुख पर कालिख पुती हुई है,
नेताजी उसको साफ़ करें
दर्पण तोड़ रहे क्यों यारों,
समय न अब बर्बाद करें..
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