नये साप्ताहिक वैश्विका का प्रकाशन आरम्भ- सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक'
भारत के नवाबी शहर लखनऊ से वैश्विका साप्ताहिक का प्रकाशन नेहरु जयंती पर आरम्भ हो गया है. वैश्विका शब्द के निर्माण में विचार विमर्श में दिल्ली के जाने-माने लेखक डॉ श्याम सिंह शशि ने मदद की थी. इसे आरम्भ करने में मेरे जैसे एक साधारण लेखक ने जो भूमिका निभायी और संजू मिश्र ने उस भूमिका को साक्षात बल देते हुए पत्र का प्रकाशन आरम्भ किया.
फिल्माचार्य आनन्द शर्मा की अहम् भूमिका
जब वैश्विका के प्रकाशन के पूर्व इस पर विचार हो रहा था की कैसे इसके संयोजन, विचार-विमर्श, संपादन एवं प्रूफरीडिंग हो तब आनन्द शर्मा जी ने कई सुझाव दिए थे. साहित्यकार डॉ विद्याविन्दु सिंह ने बहुत सहयोगात्मक तरीके से कहा था कि वह हर संभव सहयोग करेंगी.
वैश्विका की सामग्री रुचिकर और शिक्षाप्रद है. इसके पहले और दूसरे अंक में नए सामजिक मीडिया (इन्टरनेट, ब्लॉग, ट्वीटर और फेसबुक सम्बन्धी लेख तो थे ही साथ ही भारतीय राजनीति, साहित्य और गांवों पर विषद सामग्री छपी है. पहला अंक नेहरु जी के जन्मदिन बाल एवं सहकारिता दिवस अंक के रूप में समर्पित किया गया है. दूसरा अंक गाँवों की और ओर, इंदिरा गांधी और अन्ना हजारे पर केन्द्रित है. एक संस्थापक के नाते मुझे बहुत खुशी है. मेरे पिताजी कभी चाहते थे कि मैं एक बड़ा पत्रकार बनूँ और साप्ताहिक या दैनिक पत्र शुरू करूँ.. लखनऊ में हमारे वैश्विका परिवार में अनेक लोगों ने शुरुआत के पहले प्रोत्साहित किया और योगदान दिया उसमें विक्रम सिंह, सतीश मोर्य, संजू मिश्र और शिवराम पाण्डेय की भूमिका अहम् है.
दिनांक 03.12.11 को वैश्विका के कार्यालय का उद्घाटन किया चर्चित कवि और लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार के निजी सचिव डॉ. सुनील जोगी ने किया.
3 दिसंबर को वैश्विका कार्यालय में नार्वे, अमेरिका और भारत की कुछ हस्तियों में भाग लिया और शुभकामनाएं दीं उनमें प्रमुख थे: यू. एस. ए. से वी पी सिंह, गायत्री सिंह और नार्वे से ओमवीर तथा वीणा उपाध्याय, संगीता शुक्ला सीमोनसेन, अर्जुन शुक्ल अनुराग शुक्ल थे. इसके अलावा शुभकामनाएँ देने वालों में संजय मिश्र, लखनऊ विश्व विद्यालय के प्रो. योगेन्द्र प्रताप सिंह, प्रो. प्रेम शंकर तिवारी, डॉ. परशुराम पाल, फिल्माचार्य आनन्द शर्मा, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान की पूर्व संयुक्त निदेशक विद्याविन्दु सिंह और एनी लोग थे.
भारत के नवाबी शहर लखनऊ से वैश्विका साप्ताहिक का प्रकाशन नेहरु जयंती पर आरम्भ हो गया है. वैश्विका शब्द के निर्माण में विचार विमर्श में दिल्ली के जाने-माने लेखक डॉ श्याम सिंह शशि ने मदद की थी. इसे आरम्भ करने में मेरे जैसे एक साधारण लेखक ने जो भूमिका निभायी और संजू मिश्र ने उस भूमिका को साक्षात बल देते हुए पत्र का प्रकाशन आरम्भ किया.
फिल्माचार्य आनन्द शर्मा की अहम् भूमिका
जब वैश्विका के प्रकाशन के पूर्व इस पर विचार हो रहा था की कैसे इसके संयोजन, विचार-विमर्श, संपादन एवं प्रूफरीडिंग हो तब आनन्द शर्मा जी ने कई सुझाव दिए थे. साहित्यकार डॉ विद्याविन्दु सिंह ने बहुत सहयोगात्मक तरीके से कहा था कि वह हर संभव सहयोग करेंगी.
वैश्विका की सामग्री रुचिकर और शिक्षाप्रद है. इसके पहले और दूसरे अंक में नए सामजिक मीडिया (इन्टरनेट, ब्लॉग, ट्वीटर और फेसबुक सम्बन्धी लेख तो थे ही साथ ही भारतीय राजनीति, साहित्य और गांवों पर विषद सामग्री छपी है. पहला अंक नेहरु जी के जन्मदिन बाल एवं सहकारिता दिवस अंक के रूप में समर्पित किया गया है. दूसरा अंक गाँवों की और ओर, इंदिरा गांधी और अन्ना हजारे पर केन्द्रित है. एक संस्थापक के नाते मुझे बहुत खुशी है. मेरे पिताजी कभी चाहते थे कि मैं एक बड़ा पत्रकार बनूँ और साप्ताहिक या दैनिक पत्र शुरू करूँ.. लखनऊ में हमारे वैश्विका परिवार में अनेक लोगों ने शुरुआत के पहले प्रोत्साहित किया और योगदान दिया उसमें विक्रम सिंह, सतीश मोर्य, संजू मिश्र और शिवराम पाण्डेय की भूमिका अहम् है.
दिनांक 03.12.11 को वैश्विका के कार्यालय का उद्घाटन किया चर्चित कवि और लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार के निजी सचिव डॉ. सुनील जोगी ने किया.
3 दिसंबर को वैश्विका कार्यालय में नार्वे, अमेरिका और भारत की कुछ हस्तियों में भाग लिया और शुभकामनाएं दीं उनमें प्रमुख थे: यू. एस. ए. से वी पी सिंह, गायत्री सिंह और नार्वे से ओमवीर तथा वीणा उपाध्याय, संगीता शुक्ला सीमोनसेन, अर्जुन शुक्ल अनुराग शुक्ल थे. इसके अलावा शुभकामनाएँ देने वालों में संजय मिश्र, लखनऊ विश्व विद्यालय के प्रो. योगेन्द्र प्रताप सिंह, प्रो. प्रेम शंकर तिवारी, डॉ. परशुराम पाल, फिल्माचार्य आनन्द शर्मा, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान की पूर्व संयुक्त निदेशक विद्याविन्दु सिंह और एनी लोग थे.
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