बुधवार, 1 मई 2013

स्पाइल-दर्पण पत्रिका 25 वर्ष, हाइकी होलमोस संपादक सुरेशचन्द्र शुक्ल से स्पाइल- दर्पण की प्रति प्राप्त करते हुए


 बायें से माया भारती, बलविंदर कौर हाइकी होलमोस संपादक सुरेशचन्द्र शुक्ल से स्पाइल- दर्पण की प्रति प्राप्त  करते हुए और पीची खडीं हैं वासुकी जयपालन 

परसों 29 अप्रैल को मेरे घर के पीछे स्थित वाइतवेत  सेंटर और यूथ क्लब में नार्वे के  विदेश विकास मंत्री हाइकी होलमोस आये और अपना वक्तव्य दिया तथा लोगों की समस्याओं को सुना। भारतीय-सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम द्वारा लिटरेचर हाउस ओस्लो में आयोजित   भारत-नार्वे लेखक सेमीनार में हाइकी होलमोस भी भाग ले चुके हैं जिसमें भाग लेने भारत से प्रो निर्मला  एस मौर्य, डा रामाश्रय सविता और प्रो योगेन्द्र प्रताप सिंह आये थे।
 इस साल स्पाइल-दर्पण पत्रिका अपने 25  वर्ष पूरे कर रही हैं।  इस अवसर पर मैंने
नार्वे के  विदेश विकास मंत्री हाइकी होलमोस को अपनी पत्रिका स्पाइल-दर्पण पत्रिका की प्रति भेंट की।  मेरे साथ पंजाबी स्कूल की प्रधानाचार्य बलविंदर कौर, माया भारती और वासुकी जयपालन थीं। इसी वाइतवेत  सेंटर में मैंने उनके लिए दो बैठकें आयोजित की थीं।
आज एक मई, अन्तर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस है,
आप सभी को अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस पर हार्दिक बधाई।
एक मई, अन्तर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस यहाँ ओस्लो, नार्वे  में धूमधाम से मनाया जाता है।

 दुनिया के मजदूर धन्य हैं 

- सुरेशचन्द्र शुक्ल 

 सर पर ढो रहे ईंट - गारा
निर्माण को दे रहे आयाम
भवनों-कर कारखानों का
श्रमजीवी कर रहे निर्माण।   

श्रमिक दिवस मुबारक श्रमवीर,
दूर नहीं दुनिया की शिक्षा,
जब होंगे तुम्हारे हाथों  में
क्रेन, मशीन और ढेर काम।।  




हमें गर्व है भारतीय मजदूरों पर,
जिन्दगी को दे रहे अर्थ
विकास को गति
ढो रहे ईंटों को अपने सर पर।

अपने शरीर को होम करके
बन रहे समाज की प्रगति के वाहक
बढ़ा रहे हौंसला मालिकों का
मशीनी प्रगति को कर गए चित्त

दिखा रहे अपने घर के उद्योगपतियों को रास्ता
जो अपने समाज का धन लगा रहे विदेशों में
मशीनी पुर्जों में
भर रहे धन अपने एकाउंट में
अपने घर में कर नहीं देते
विदेशों में निवेश कर देकर
बना रहे अपने अड्डे
क्या ये मजदूर भी कभी
उन उद्योगपतियों के साथ देश-विदेश घूमकर
करेंगे समाज के धन में और बढ़ोत्तरी!
हाँ जरूर करेंगे,
जब हम नहीं सोयेगें
और इन मजदूरों को पहले साक्षर
फिर स्किल्ड  कारीगर बनायेंगे
और दुनिया में सबसे अधिक मजदूरी करके
श्रमवीर कहलायेंगे
अपने देश में तो प्रगति के साथ-साथ
दूसरे गरीब-अमीर मुल्कों में
सच्चा लोकतंत्र-रामराज्य लायेंगे।
                                                                     (ओस्लो, 01.05.13) 

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