शनिवार, 11 मई 2013

नार्वे में ८ मई मुक्ति दिवस मनाया गया।

 नार्वे में  Frigjøringsdagen 8 मई मुक्ति दिवस दो दिन बाद 10
  मई को  मनाया गया। 

यह दिवस नार्वे में १९४० से १९४५  में  जर्मनी के क्रूर नाजी राज्य के आधीन रहा और ८ मई १९४५ को यह दिन मुक्ति दिवस और स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है।   
ओस्लो में भारतीय नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम की और से शुक्रवार १० मई को वाइतवेत सेंटर, ओस्लो में लेखक गोष्ठी में मनाया गया। 
Frigjøringsdagen i Norge 8. mai 1945 er dagen da tyske militære styrker kapitulerte etter fem år med okkupasjon. Det nasjonalsosialistiske Tyskland kapitulerte betingelsesløst, og ut over sommeren 1945 ble de tyske styrkene sendt tilbake til Tyskland. De allierte fryktet at den tyske hæren i Norge skulle nekte å kapitulere og sette opp et fanatisk forsvar på norsk jord. At Tyskland frivillig ville oppgi kontrollen av Norge, som var sterkt befestet og hvor de hadde nesten en halv million soldater stående, var på ingen måte gitt. Men øverstkommanderende i Norge fikk ordre fra den nye rikspresidenten Dönitz om dette. 
कार्यक्रम में एक गोष्ठी का आयोजन हुआ जिसमें लोगों ने अपने विचार रखे और कवितायें पढीं।  कार्यक्रम में भारतीय दूतावास के सीलेश कुमार ने शुभकामनायें  दीं और अपनी कवितायें पढ़ीं। विचार व्यक्त करने और कवितायें पढ़ने वालों में  राजकुमार और जावेद भट्टी, अलका भरत, मीना मुरलीधरन, हेमलता, नोशीन, इंगेर मारिये लिल्लेएंगेन, आर्यन और अन्य थे।  लेखक सुरेशचंद्र शुक्ल ने इस दिवस पर जानकारी दी और अपनी कवितायें पढ़ीं। 


 रुसिस्क-नोर्श्क फोरेनिंग ने मनाया Frigjøringsdagen 8 मई मुक्ति दिवस

रविवार ९ मई को रुसिस्क-नोर्श्क फोरेनिंग ( रूसी-नार्वेजीय संस्था) ने ९ मई को टोलबू गाता ओस्लो में नार्वे में यह दिन संगीत के साथ मनाया गया।  इस कार्यक्रम में नारव में रहने वाले रूसी कलाकारों के अलावा संत पीतार्बर्ग से आये कलाकारों ने भी हिस्सा लिया। 

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