गुरुवार, 18 फ़रवरी 2016

जो जितनी बार जेल जाता है वह उतना ही परिपक्व नेता होता है- Suresh Chandra Shukla

जो जितनी बार जेल जाता है वह उतना ही परिपक्व नेता होता है. 

सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'


ओस्लो नगर की मंत्री के साथ (चित्र २०१६)

पुरानी यादें, 

जो जितनी बार जेल जाता है वह उतना ही परिपक्व नेता होता है
मेरे साथ कोई राजनैतिक संगठन न होने के कारण बार-बार स्थानीय राजनेताओं के विरोध का कोपभाजन बनना पड़ा था. देश में इस समय सरकार बहुत अच्छी है. कोई दूसरा विकल्प नहीं है. जो चुनाव जीतेगा वही सरकार पर आसीन होगा। बार-बार लोग आज की राजनैतिक स्थिति की आपातकाल जैसा बता कर स्वयं गुमराह हो रहे हैं और मजाक उड़ा रहे हैं. आपातकाल का सोमरस मैंने भी चखा है. ईश्वर न करे कहीं उस तरह कभी आपातकाल लगे. 
मैं एक घटना का जिक्र कर रहा हूँ. लखनऊ में वजीरगंज थाना है उसी से थोड़ी दूर पर वहां का स्थानीय सांध्य  अखबार लखनऊ मेल का कार्यालय और प्रेस था. अपने विद्यालय बी एस एन वी डिग्री कालेज, लखनऊ में एक छात्रों की बैठक के बाद लखनऊ मेल समाचार पत्र के कार्यालय से होकर जा रहा था. रास्ते में पुलिस के तीन सिपाही कुछ महिलाओं को हांके लिए जा रहे थे मैंने विरोध करके उन्हें पुलिस के चंगुल से छुड़ाया। पर पुलिस मुझे थाने  ले गयी मेरे साथ दो मित्र और थे जो अपनी साइकिल पर थे. पुलिस ने मुझे पहले थाने के बाहर बैठाया बाद में लाकर में बंदी बनाकर दाल दिया। उस समय मैं सामजिक संगठन 'छात्र युवा क्रांतिकारी संघ' का महामंत्री और उसके पूर्व मैं माध्यमिक विद्यालय क्षात्र महासंघ, लखनऊ का मंत्री रह चुका था जिसमें लखनऊ के १६ माध्यमिक विद्यालय सम्मिलित थे. मेरे मित्र केकेसी और केकेवी कालेज गए और मेरे थाने में गिरफ्तार होने की खबर  की खबर दी. 
दो घंटे बाद थाने के बाहर मुझे नारों की आवाज सुनायी दी. बहुत शोरगुल शुरू हो गया. मुझे थाने के बंदीगृह से बाहर लाकर बैठाया गया था. लेकर में अंदर दो रिक्शे वाले बेवजह बंदी बनाये गए थे. नगर के बहुत बड़े-बड़े अधिकारी मौजूद थे. और सड़क पर नारे लग रहे थे की मेरा नाम लेकर इसे छोड़ दो. इंकलाबी नारे लगाए जा रहे थे. पहली बार मुझे युवाओं की ताकत का पता चला और महसूस किया। शिशु कुमार सिंह बगावत जुलुस का नेतृत्व कर रहे थे. दूसरे-तीसरे दिन लखनऊ विश्वविद्यालय के अध्यक्ष और वर्तमान सचिव माननीय अतुल कुमार 'अनजान' और मंत्री और लखनऊ में वर्तमान विधायक रविदास मलहोत्रा जी ने जिलाधीश और उच्च पुलिस अधिकारी से शिकायत की और कार्यवाही की मांग की थी. मुझे बिना शर्त रिहा करने की बात कही तो मैंने रिक्शे वालों की मुक्ति की बात की जो मान ली गयी थी. यह समाचार भी समाचार पत्र में छपा था. 
धन्यवाद।


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