रविवार, 19 जून 2016

एकता ही केवल भारत में जातिवाद की राजनीति दूर कर सकती हैं - - सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक' by Suresh Chandra Shukla

हिन्दुओं की एकता ही केवल भारत में जातिवाद की राजनीति दूर कर सकती हैं जो पूरे विश्व को एक परिवार की तरह समझते हैं.  - सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक' 



सत्य बहुत कड़वा होता है. जातिवाद मैं नहीं मानता इसलिए मुझे अपने परिवार, समाज के मठाधीशों, मायावती-वादियों से सदा उपहास और कष्ट झेलना पड़ता है. मायावती-वादी अपने को अम्बेडकर वादी कहकर उनका अपमान कर रहे हैं और उन्हें उन्होंने बाबा साहेब अम्बेडकरजी को  समझा ही नहीं है. कृपया आप अम्बेडकरजी  का पूरा साहित्य पढ़ें और दलित साहित्य गैर दलितों का लिखा हुआ भी पढ़ें।
भारत में हम सभी धर्मों को स्थान है क्योंकि यह महात्मा बुद्ध, गुरु नानकदेव, गांधी, भगवान राम-कृष्ण की धरती है. 

सऊदी अरब  और उसी तरह के अन्य देशों में जहाँ  आजीवन रहिये पर आपको वहां का नागरिक नहीं बनाते और बहुत से ऐसे क़ानून हैं जो मानवता के खिलाफ हैं जैसे: महिला पुरुषों में असमानता, महिलाओं का शोषण, बाल मजदूरी और बाल विवाह बहु-विवाह के पक्षधर हैं. 

संयुक्त राष्ट्र संघ विश्व के सभी नागरिकों को सामान अधिकार देता है पर हमारे देश में अभी भी  बहुत जगहों पर दलितों के साथ जिस तरह से वर्ताव किया जाता है उसे तुरंत बंद होना चाहिये।  वहां रहने वाले लोगों को समितियां बनानी चाहिए जो समाज में हो रहे, दलितों के खिलाफ हो रहे अन्याय  के खिलाफ आवाज उठाये, उन सभी को शिक्षित करें जो जातिवादी राजनीति- नीति को बढ़ावा देते हैं या उनके साथ अन्याय और भेदभाव करते हैं. 

भारत में विदेशी पैसे से दिए जाने वाले धार्मिक-चंदे  को बंद किया जाना चाहिये ताकि हम धर्म को लेकर धार्मिक-चन्दा देने वाले बाहरी देशों के प्रभाव में नहीं आयें। 

हमारी माँ बहनों को शिक्षा मिले और उनको रोजगार मिले ताकि  समाज के विकास में सामान रूप से सहयोगी बन सकें। महिलायें किसी भी मायनों में पुरुषों से कमजोर नहीं हैं परन्तु उन्हें सबसे ज्यादा पुरुषों द्वारा रोका  जाता है. पूरी दुनिया में भारत में भी  पर्दा-प्रथा बंद होनी चाहिये।
जब  माँ, बेटियां, बहने पढ़ी लिखी होंगी, देश की पार्लियामेंट में उनके लिए पचास प्रतिशत सीटें होंगी, सभी धार्मिक स्थलों-संस्थाओं में चालीस प्रतिशत कार्यकारिणी में जगह होगी तो आज जो लोग देश में धर्म के नाम पर राजनीति के नाम पर जहर घोलने वाला खुले आम भाषण दे रहें हैं वह बंद हो जायेंगे। 
भारत और अन्य बहुत से देशों में गरीबी का सबसे  बड़ा कारण देश की आबादी का तेजी से बढ़ना है. इसका सबसे बड़ा कारण महिलाओं में शिक्षा का अभाव होना और उनका (महिलाओं का) बेरोजगार होना है. जब महिलायें आत्मनिर्भर होंगी तो वह अपने और परिवार के बारे में, समाज और देश स्वतन्त्र रूप से सोच सकेंगी। 
महिलाओं का आपस में मिलना और देश-विदेश की पढ़ी लिखी और दक्ष महिलाओं से मिलना और उनसे विचार विमर्श  संवाद आदि बहुत जरूरी है. 

भारत में सभी नागरिकों का रजिस्ट्रेशन होना जरूरी है ताकि सभी के बारे में देश को जानकारी हो जैसे किस कौन  बच्चा भूखे सो रहा है और भूखे बिना स्कूल के रह रहा है. सरकार, शैक्षिक और स्वास्थ-संस्थायें बेटोक निरिक्षण कर सकें और सभी को लाभ पहुंचा सकें।
गैरकानूनी गतिविधियों पर भी रोक लगाने में मदद मिलेगी।


भारत में कोई भी राजनैतिज्ञ मेरी हिन्दू धार्मिक भावना को चोट पहुंचता   रहता है  जैसे मायावती जी 
मायावती जी, भारत में रहकर किसी की भी बुराई करें या किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचायें। उन्हें कोई कानून रोकने वाला नहीं है. क्योंकि अनेक राजनैतिक पार्टियां जातिवाद को बढ़ा रही हैं.  
बेशक वह (मायावती) अादरणीय काशीराम जी के कारण राजनैतिक मैदान मेंअायीं  पर उनके उद्देश्य और कार्यों को भूल गयीं। उनके लिए केवल सत्ता जरूरी हो गयी और अादरणीय काशीराम के बहुत जरूरी कार्य जैसे सफाई कर्मचारियों और दबे एवम्  अन्याय से जूझ रहे समाज के महत्वपूर्ण अाम अादमी जो देश और  समाज की रीढ़ है उनकी समस्यों उनकी अधिकारों  के द्वारा उन्हें श्रमिक  अधिकार  उनकी संस्थाओं और  उनसे जुड़ें  सवालों को मैदान एवम्  सड़कों पर तथा उनके पास जाकर उठाने की जगह वह (सुश्री मायावती) अपने अलीशान बंगले में राजाओं की तरह बैठी केवल राज्य किया व  करना चाहती हैं उससे दो तीन चीजों के अलावा कुछ नहीं बदला (जैसे उनके नजदीकी राजनीतिगज्ञ करोड़पति-अरबपति हो गए और अन्य बदलाव) बल्कि उनकी राजनीति से उन्होंने समाज मेंं जातिवादी जहर बढ़ाया है. 
समाज की एकता को उन्होंने कटघरे में जातिवादी कोढ़ का इलाज करने की जगह उसे बढ़ाया है. मे्रे मित्र  उन मित्रों की धार्मिक भावनाओं को अक्सर चोट पहुंचाते हैं जिन्होंने उन्हें नौकरी में रखवाने तथा तरक्की दिलाने में उनका सहयोग किया। जो लोग भी समाज में  जातिवादी राजनीति करके जहर घोल रहे हैं उनसे सावधान रर्हे।  यदि मायावती जी गांधी जी की तरह दलित बस्तियों में  भी रहतीं  तो उन्हें उनका दर्द पता चलता उन्हें केवल उनके वोट के बारे में पता है उनके दुखदर्द के बारे में नहीं पता है, क्योंकि उन्होंने नहीं सहा है. मायावती जी और उनकी तरह राजनीति करने वाले लोग दलितों और गरीबों का शोषण कर रहे हैं और समाज को बांटने का  रहे हैं इस रूप में कि उन्हें शिक्षित बनाने के लिए समुचित उपाय और कार्य रोज उनके पास जाकर नहीं कर रहे हैं. 
मेरा प्रयास समाज को जागरूक करना है न किसी को आहात और चोट पहुँचाना है. आप इस लेख के बारे में अपनी प्रतिक्रया यहाँ भेज सकते हैं. आपने लेख पढ़ा, धन्यवाद। 
speil.nett@gmail.com

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