गुरुवार, 23 फ़रवरी 2017

हमारे नेता(सांसद, अन्य सदस्य और मंत्री) की रिटायरमेंट की आयु ६५ हो उस आयु के बाद वे चुनाव न लड़ सकें ऐसी व्यवस्था हो.

हमारे नेता मतदाताओं को फुसला रहे हैं और सच्चाई से दूर रख रहे हैं: सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'. 



(चित्र विकीपीडिया से आभार) 
भारतीय राजनीति के आदर्श जिन्हें इस चुनाव में बदनाम करने की कई बार कोशिश की गयी क्योंकि गांधी जी के हत्यारे को वेब/नेट पर लाने की तैयारी और नेहरू और इंदिरा जी पर बराबर हमले हो रहे हैं जो विश्व में हमारे आदर्श हैं. 
उत्तर प्रदेश की मुख्य समस्यायें:
१- प्रदेश सरकार द्वारा किसानों की आत्म  हत्या से त्रस्त  परिवारों को श्रद्धांजलि और उन्हें सहायता दी जाये।
२-पारम्परिक कारीगरों: जैसे बुनकरों, कढ़ाई कारीगरों, लघु उद्दोगों की सहायता पहले हो और बाबा रामदेव को जमीन और सहायता बाद में हो नोएडा में चार सौ एकड़ जमीन और छत्तीसगढ़ में हजार एकड़ जमीन केवल रामदेव जी को नहीं बल्कि श्री अम्बानी जी को भी उनकी कंपनी को दी जा रही है ऐसा सुनने में आया है  क्यों उपेक्षित हैं गरीब लोग. ये तथाकथित अमीर लोगॉ अपने व्यवसाय विदेशों में फैला रहे हैं और हमारे पैसे का लाभ उठा रहे हैं.
३-देश में टैक्स नहीं लिया जाता। टैक्स का निर्धारण सभी के लिए हो चाहे उसके पास आमदनी न हो पर यदि जायजाद है तो टैक्स लगे ताकि जिनके पास रहने को घर नहीं है, लघु उद्द्योग बंद हो रहे हैं उन्हें रोक जा सके.
४- कर नीति: अधिक कमाने वाले को अधिक कर और जिसके पास नहीं है उसे भोजन मिले ताकि वह श्रमिक बना रह सके न कि आत्महत्या करे और दबाव में बेघर हो.
५- सरकार ऐसा कानून बनाये यदि ये व्यापारी देश का कानून नहीं मानते और किसी विभाग और व्यक्ति को आर्थिक लाभ पहुंचाते पकडे जाएँ तो उनके व्यवसाय जब्त हों और सरकार उसकी निगरानी करे.
६- अस्पताल, रेल, रक्षा में विदेशी निवेश न हो. दवा कंपनियां सरकारी हों और एक आयोग द्वारा सस्ती दवाइयां की सिफारिश करके उन्हें ही मान्यता दी जाए और सभी दवाओं की बिक्री बंद हो.
७-एक विभाग ऐसा हो जो ईमानदार लोगों को फसाया जाता है या ईमानदार अफसर को ट्रांसफर किया जाट है वह बंद हो.
८-मैं मान ही नहीं सकता कि किसी नेता पर कोई भी आरोप न हो और उसने गैरकानूनी कार्य न किये हों? यदि उस पर केस नहीं हैं और बड़े पद पर है तो उसे बड़े लोगों ने सहयोग देकर उसपर केस हटवाए। राजनीति को अपराध और उनके सहयोगियों से मुक्त किया जाये। यह तब होगा जब देश की जनता साक्षर हो. सभी स्कूल में ब्लैकबोर्ड हो  और छत हो.

मोदी जी के बहराइच भाषण के लिए आभार क्योकि उसी आधार पर आगे की सलाह या सुझाव:
१-चुनाव प्रचार में अपने प्रदेशीय नेताओं का चुनाव प्रचार में सहयोग लें न कि हर जगह स्वयं  भाषण दें.
२-स्टार प्रचारक कहने को हैं. केवल राष्ट्रीय अध्यक्ष और श्री मोदी जी बोलना चाहते हैं इससे स्थानीय डेमोक्रेसी का विकास  नहीं होता। उसी तरह राहुल गांधी जी को भी चाहिए वह भी स्थानीय नेताओं को प्रचार करने भेजें।
३-किसी भी राजनैतिक पार्टी पर हमला किसी राष्ट्रीय नेता द्वारा यह दर्षाता है कि वह ओछी राजनीति अपनाना चाहता है. अच्छे भाषण के लिए मेहनत की जरूरत होती है और अच्छे भाषण आजीवन अपनी अच्छाई के लिए जाने जाते हैं जैसे नेहरू जी और अटल जी के भाषण।
मेरी गारंटी है ऐसे नेता कभी भी अंतरष्ट्रीय मंच जैसे संयुक्तराष्ट्र संघ में मंत्री आदि नहीं चुने जायेंगे क्योंकि वह राष्ट्रीय नेता होकर भी अपने संकुचित बयानों में फंसे रहेंगे तथा परिवार और संस्था से ज्यादा नहीं सोंच पाते। उनके द्वारा गलत बयानी पर उन पर एफ आई आर कम दर्ज होती है. इसी लिए वह अपने को आजीवन पाकसाफ दिखा पाते हैं जबकि ये नेता ज्यादा जहरीले साबित होते हैं क्योंकि बड़े मंच से समाज में जहर घोलने जैसे बयान को बहुत मुश्किल से लोग भूल पाते हैं.
४-केंद्र सरकार ने ऐसे क्या उपाय किये हैं कि हमारे पूंजीपति टैक्स देकर और देश में ही निवेश करें और वह जब बाहर की प्लानिंग कर रहे हों तो उन्हें पहले ही धर दबोचा जाये।
५-पंजाब चुनाव में एक पार्टी ने प्रवासियों के चुनाव में प्रचार पर रोक लगाने के लिए उनपर सख्त कार्यवाही की मांग की है.
ये प्रवासी भारतीय ही हैं जो समय-समय पर भारत देश में भारत में रहने वाले बड़े पूंजीपतियों से ज्यादा देशभक्ति के साथ अपने सेविंग एकाउंट में भी टैक्स देते हैं? क्या बड़े पूंजीपति देते हैं. क्या नेता अपनी ज्याजाद पर सारा टैक्स देते हैं?





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