बुधवार, 22 फ़रवरी 2017

आज रात ओस्लो, नार्वे में बरफ गिरती रही. Hindi Poem 'शिशिर तोषागार प्रतिमा ले प्रहर हिमपात के घन.' by Suresh Chandra Shukla

Det snødde mye i natt. Jeg husker mitt dikt om snø. Fin dag. 

आज रात ओस्लो, नार्वे में बरफ गिरती रही.
ओस्लो, नार्वे में पांच महीने सर्दी का मौसम होता है. जाड़े में बर्फ और बदली कभी भी आ सकती है. पर बर्फ में वातावरण बहुत सुन्दर लगता है. साफ़ हवा और पानी इस बर्फ की ही देन  है.
आज रात बरफ गिरती रही. पेड़-पौधे, द्वार, मार्ग, कार आदि सभी बर्फ से ढक गये. आज चारो ओर बरफ़ देख कर अपनी कविता याद आ गयी जो, 'रजनी' संग्रह में संकलित है. 'शिशिर तोषागार प्रतिमा ले प्रहर हिमपात के घन.'

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