शनिवार, 22 जुलाई 2017

विद्वान गलतबयानी कर रहे हैं जिससे उनके भाव सामने नहीं आ पा रहे हैं.-Suresh Chandra Shukla

 बंधुवर आदाब अर्ज।
हिंदी के विद्वान गलतबयानी कर रहे हैं जिससे उनके भाव सामने नहीं आ पा रहे हैं.
श्री डॉ सुनील कुमार स्नेही की फेसबुक पर पोस्ट पढ़ी उसमें लिखा था,
" आज देश का संविधान अपने आप को बहुत ही गोरांवित महसूस कर रहा है; कि आज देश के अंतिम पंक्ति मे खड़े वर्ग का व्यक्ति आज देश का महामहिम प्रथम व्यक्ति बना है।
माननीय कोंविद जी को राष्ट्रपति बनने पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ।"
मैंने जवाब दिया,
"धन्यवाद पोस्ट के लिए और आपको जन्मदिन पर शुभकामनायें। महामहिम आदरणीय कोविंद जी के चुने जाने पर हम-आप गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं. (संविधान एक आब्जेक्ट है वह गौरवान्वित नहीं हो रहा?) हम संविधान पर गर्व कर रहे हैं. सभी गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं. 
 जातपात के नारों को तुम कभी न देना भाव. 
चाहे अपने भाई-बहन हों, न सहना अन्याय।"
डॉ सुनील स्नेही जी का जन्मदिन है उन्हें ढेर सारी शुभकामनायें।
 

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