मंगलवार, 6 अगस्त 2019

आज छाये हैं अखबारों में - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' A poem by Suresh Chandra Shukla

आज छाये हैं अखबारों में
सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' ओस्लो, नार्वे

सत्ता के नशे में डूब ट्रम्प जी,
सब नेता एक से होते हैं
सत्ता पाने से पहले वे
हुआ -हुआ ही करते हैं

गरीब-गरीब को लड़वाकर,
जनता का धन-धान्य भरे.
कहते गाँधी -पटेल संताने,
क्यों साक्षरता से डरते हैं.

पदचिन्हों में घृणा भरी हो,
जन नेता रहे सलाखों में
जो लोकतंत्र गला घोटते,
आज छाये हैं अखबारों में.

पदचिन्हों में घृणा भरी है,
जो कानून हाथ में लेते हैं.
संघर्षों में जनता पिसती,
आफत में छिप जाते हैं.

फुटपातों पर रहने वालों ,
बेघर को देश पुकार रहा.
जेल भरो आंदोलन का मन
सत्ता को क्यों सत्ता रहा.

पिंजरे-पंछी के पर काटे,
जनता को जो कैद करे.
लोकतंत्र का गला घोटकर
मनमानी से ऐश करे.

संविधान से नहीं डरे जो,
उसका क्या कर पाओगे?
आपातकाल की इस बेला में
बेशक घुन सा पिस जाओगे

देश की जनता याद करेगी,
पश्चिम बंगाल या दिल्ली हो,
मर्द बने तो न्याय से लड़ो,
या सत्ता नशे की बिल्ली हो.
ओस्लो, 6 अगस्त 2019

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