सोमवार, 21 अक्तूबर 2019

ओस्लो में महात्मा गाँधी जी जयन्ती ऐतिहासिक दिन Mahatma Gandhis 150th years celebration in Oslo- सुरेसचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'


















ओस्लो में महात्मा गाँधी जी जयन्ती ऐतिहासिक दिन
मेरे लिये यह विशिष्ट दिन था। जब पचास साल पहले 1969 को मैंने महात्मा गाँधी जी की जन्म शताब्दी में अपने प्रिय विद्यालय 'गोपीनाथ लक्ष्मण दास रस्तोगी महाविद्यालय, ऐशबाग, लखनऊ में नौवीं कक्षा के छात्र के रूप में भाषण प्रतियोगिता में भाग लिया था। 
यहाँ भारतीय दूतावास ओस्लो द्वारा आयोजित गाँधी जी की 150वीं जयन्ती के कार्यक्रम में मैंने अपनी महात्मा गाँधी पर स्वरचित नार्वेजीय कविता का पाठ किया और 50 साल पहले अपने विद्यालय में गाँधी जी की अहिंसा पर अपना भाषण देने का अवसर मिला था।  दोनों बार महात्मा गाँधी जी की आत्मकथा की पुस्तक अन्य उपहारों के साथ मिली। 
प्रवासी भारतीय दिवस में महात्मा गाँधी जी के चित्र के साथ चरखा भी मिला था। 
महात्मा गाँधी जी मेरे साथ-साथ विश्व के अनेक बड़े महान व्यक्तियों के लिए प्रेरणा रहे हैं।
ओस्लो में शान्ति के लिए दुनिया का सबसे बड़ा नोबेल शान्ति पुरस्कार दिया जाता है। 
अपने पत्रकार पेशे के कारण दो दर्जन से अधिक नोबेल पुरस्कार वितरण समारोह में सम्मिलित हुआ हूँ।  मुझे बहुत से नोबेल पुरस्कार विजेताओं के मुख से उनके अपने नोबेल भाषणों में महात्मा गाँधी की प्रशंसा सुनी और अनेकों ने उन्हें अपनी प्रेरणा बताया था।
2006 में नार्वेजीय नोबेल कमेटी के सचिव/सेक्रेट्री गाइर लुन्दस्ताद ने महात्मा गाँधी जी को नोबेल पुरस्कार नहीं दिये जाने पर खेद जताया और कहा कि महात्मा गाँधी जी के बिना नोबेल कमेटी कुछ नहीं कर सकता। उनका इशारा नोबेल पुरस्कार दिये जाने की शर्तों में गाँधी जी के सिद्धांत निहित हैं।

गाँधी जी की 150वीं जयंती लिटरेचर हाउस ओस्लो में मनायी गयी जिसका आयोजन भारतीय दूतावास ओस्लो ने किया था जिसमें मैंने भी गाँधी जी पर स्वरचित कविता नार्वेजीय भाषा में सुनायी।
नार्वे की विदेश विभाग की डायरेक्टर लीसा गोल्डेन, पूर्व मंत्री और पूर्व संयुक्त राष्ट्र में उपसचिव एरिक सूलहाइम, प्रोफेसर असीम दत्तोराय और फ्रांक ने अपने विचार रखते हुए कहा कि दुनिया के सभी स्कूलों में गाँधी जी की जीवनी और सत्य अहिंसा का पाठ पढ़ाया जाना चाहिये।
एरिक सूलहाइम ने आज आर्थिक संकट के समय गाँधी जी के लघु और गृह  उद्योग को भारत के लिए एक विकल्प बताया और कहा जवाहर लाल नेहरू जी बड़े उद्योगों के पक्ष धर थे जिसने भारत को बड़े उद्योगों का देश बनाया। 
चित्र में बायें से स्वयं मैं, नार्वे के पूर्व मंत्री और संयुक्त राष्ट्र संघ में कार्य कर चुके एरिक सूलहाइम और भारतीय दूतावास के अमर जीत जी।



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