सोमवार, 18 अक्तूबर 2021

मेरी अनछुई कवितायें - सुरेश चन्द्र शुक्ल

 

मेरी  अनछुई  कवितायें  - सुरेश चन्द्र शुक्ल 

इम्तिहान 

प्रेम करने वालों का यहाँ इम्तिहान होता है 

जो जहर पीता  है वह महान होता है

संजोग 

सफर में करते जैसे बात, 

याद करते हैं वैसे लोग

लगें जब चिर-परिचित, अन्जान,

उसे कहते हैं हम संजोग।


प्रेम का संसार 

प्रेम का भी अपना संसार है,  

मांगने से कभी प्यार मिलता नहीं।  
दुनियावी सफर सब करते मगर, 
चलते  हैं सभी पर 
सबको साथ मिलता नहीं। 
मुट्ठी में पकड़कर,  
समय बैठे ही थे,
रूठकर कब चले जायें, 
मालुम होता नहीं।

सांस में सांस भर, प्रेम की शाख पर 
जिस पर बैठो मगर उसको काटें नहीं. 
बाँटना चाहते हो, प्रेम बाँटकर चलो,
बांटने से प्रेम काम होता नहीं।

दुनियावी सफर है, करते हैं सब मगर
हार मानकर मंजिल पहुंचना नहीं।

प्रेम ऐसा मेरा दीप संग जल गये,
पतंगे बनकर कभी देखा नहीं।
बनाये थे हमने जो हवामहल,
आँख खुलते ही सब महल ढह गये.


समय बाँधकर कोई रख सका है भला,
यदि हम ठहर गए, समय बढ़ जाएगा।

ओस्लो, 17.10.21 






कोई टिप्पणी नहीं: