प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह आज जी-८ देशों की बैठक में भाग लेने जापान आए हुए हैं। जी-८ में आर्थिक सम्पन्न देशों की एक समिति है जो विश्व के आर्थिक विकास में अपनी अहम् भूमिका अदा करता है। कल यहाँ एक बात उठाई गयी थी कि भारत और चीन को भी जी-८ देशों में शामिल करके इसे विस्तार दिया जाए और इसका नाम जी-१० हो जाए। देखिये मनमोहन जी को इसमें सफलता मिलती है कि नहीं। पर यह एक ऐतिहासिक कदम है जिसके लिए मनमोहन सिंह को इसका श्रेय कुछ हद तक दिया जा सकता है, परन्तु यह भारत कि पूर्ण राजनीत का हिस्सा है।
भारत को विकास के लिए बिजली की बहुत जरूरत है। विकास के लिए पंडित नेहरू ने कहा था कि तीन बहुत आवश्यक बातें हैं: बिजली , इस्पात और शिक्षा। सस्ती बिजली के लिए परमाणु उर्जा जरूरी है क्योंकि कम लागत में अधिक बिजली देता है जिसके लिए यूरेनियम की जरूरत होती है। मनमोहन सिंह के अमेरिका के साथ परमाणु समझौता के बाद हमको उरेनियम मिलने का रास्ता खुल जायेगा और हमारा देश भी बिजली उत्पादन में महत्वपूर्ण देश बन जायेगा जो प्रगति के लिए बहुत जरूरी है। मनमोहन और सोनिया गाँधी तथा कांग्रेस बधाई की पात्र है और इसको समर्थन देने वाली पार्टियाँ भी बधाई की पात्र हैं।
- शरद आलोक
ओस्लो, नार्वे
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