गुरुवार, 31 जुलाई 2008

नार्वे में प्रेमचंद जी की १२८वीं जयंती मनायी गयी

नार्वे में प्रेमचंद जी की १२८वीं जयंती मनायी गयी
भारतीय नार्वेजीय सूचना और सांस्कृतिक मंच के तत्वाधान में आज ३१ जुलाइ २००८ को मुंशी प्रेमचंद जी की १२८ वीं जयंती मनायी गई।
इस अवसर पर सुरेशचंद्र शुक्ल "शरद आलोक" ने प्रेमचंद जी को साहित्य पर प्रकाश डाला। मुंशी प्रेमचंद का जन्म ३१ जूलाई1८३६ को वाराणसी जिले के गमही नामक गावं में हुआ था और मृत्यु ८ अक्टूबर १९३६ म३न हुआ था। हिन्दी कहानी को प्रतिष्ठित करने में मुंशी प्रेमचंद का प्रमुख स्थान है। अपनी कहानियो और उपन्यासों के लिए मशहूर प्रेमचंद के उपन्यास गबन और गोदान बहुत पसंद किया जाता है।
इस अवसर पर शाहेदा बेगम और सुरेशचंद्र शुक्ल "शरद आलोक" ने अपनी कहानियाँ सुनाईं । इंगेर मारिये लिल्लेएन्गेन ने अपनी कवितायें सुनाईं। संगीता ने सभी को फूल भेट किए। राजकुमार भट्टी, वासदेव और अलका भारत, माया भारती और करिश्मा ने अपने विचार प्रगट किए।
- माया भारती

3 टिप्‍पणियां:

शोभा ने कहा…

कलम के सिपाही को शत-शत नमन।

शोभा ने कहा…

कलम के सिपाही को शत-शत नमन।

शोभा ने कहा…

कलम के सिपाही को शत-शत नमन।