इस लेख में दो बातों पर रौशनी डाल रहा हूँ। १- स्पाइल- दर्पण के २० वर्ष पर ओस्लो में कार्यक्रम। २-भारत में स्पाइल-दर्पण द्वारा विदेशों में हिन्दी साहित्य और पत्रकारिता पर विभिन्न नगरों में कार्यक्रम आयोजित होंगे।
स्पाइल- दर्पण के २० वर्ष पर ओस्लो में कार्यक्रम:
ओस्लो , नार्वे में भारतीय- नार्वेजीय सूचना और सांस्कृतिक फॉरम और स्पाइल-दर्पण के संयुक्त प्रयास से १२ से १३ दिसम्बर तक दो दिवसीय कार्यक्रम संपन्न हुए। १२ दिसम्बर को लेखक सेमिनार हुआ जिसमें निम्न विषयों पर विद्वानों ने अपने लेख पढे : १) हिन्दी डाटाबेस २) स्पाइल-दर्पण का हिन्दी पत्रकारिता में योगदान। ३) नार्वे में आठवें दशक में नार्विजन भाषा के प्रवासीय साहित्य में सुरेशचंद्र शुक्ल का योगदान। ४) प्रवासी [इतहास में स्पाइल-दर्पण का योगदान। ५) आजादी के बाद का हिन्दी साहित्य। ६) दलित और नारी विमर्श ७) भारत का हिन्दी साहित्य किस तरह विदेशों में प्रसारित किया जाए। ये सभी लेख भारत में नहीं वरन ओस्लो में चार प्रोफेसरों और लेखाखों द्वारा पढ़े गए।
२ भारत में आप यदि किसी विश्वविद्द्यालय से जुड़े हैं या युवा और उदारवादी हैं, हमने विदेश में २५ वर्ष तक नार्वे की नार्वेजीय पत्रकारिता से जुड़े रहकर हिन्दी पत्रकारिता की निशुल्क सेवा की है? आप भी कुछ कीजिये!
2 टिप्पणियां:
अच्छा काम कर रहे हैं। इसी तरह के विविध कार्य अन्य हिन्दी-सेवी संस्थाओं को भी हाथ मे लेना चाहिये। छोटे-छोटे हिन्दी कार्यों से ही हिन्दी का महान कार्य सम्पन्न हो सकेगा। हमारी बहुत-बहुत शुभकामनायें!bacharre
बहुत बहुत बधाई।
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