माँ के लिए जरूर आना, एक नगमा जरूर सुनाना - शरद आलोक
सोमवार, ६ अप्रैल, को शाम ५ बजे ८ मोतीझील ऐशबाग रोड पर स्पाइल -दर्पण के स्थानीय कार्यालय में माँ की याद में एक शाम आयोजित है। ६ अप्रैल को माँ किशोरी देवी जिनका जन्म बकौली खुर्द, पोस्ट कठ रा कानपुर उत्तर प्रदेश भारत में हुआ था और मृत्यु २५ मार्च २००९ को।
सोमवार, ६ अप्रैल, को शाम ५ बजे ८ मोतीझील ऐशबाग रोड पर स्पाइल -दर्पण के स्थानीय कार्यालय में माँ की याद में एक शाम आयोजित है। ६ अप्रैल को माँ किशोरी देवी जिनका जन्म बकौली खुर्द, पोस्ट कठ रा कानपुर उत्तर प्रदेश भारत में हुआ था और मृत्यु २५ मार्च २००९ को।
आप सभी साहित्यिक और कलाकार प्रेमीजन माँ की स्मृति में आयोजित संध्या में सादर आमंत्रित हैं। जो लोग कार्यक्रम में नहीं शामिल हो सकते वे अपने विचार माँ के सम्बन्ध में व्यक्त कर सकते हैं। और इस तरह वह अपनी उपस्तिथि दर्ज कर सकते है।
माँ जिसने पाला, पोसा और बड़ा किया। उसका जब सर से हाथ उठता है या वह बचपन या किसी भी आयु में हमसे बिछुद्ती है तब लगता है की बच्चे से उसका चंदा मामा, ह्रदय का टुकडा अलग हो गया है।
आइये अपनी माँ की यादों को वह किसी भी अवस्था में हों। यदि जीवित हैं तो उनकी प्रशसा में अपने विचार व्यक्त कीजिये। यदि नहीं है तो उनके बिछुड़ने पर। आपका साथ मिले इसलिए हम आपकी प्रतीक्षा करते हैं ।
आप सभी चाहे किसी धर्म के हों, समाज से अथवा राजनीतिक और साहित्यिक विचारधारा के हों आपका हार्दिक अभिनन्दन है। माँ की याद में आयोजित इस कार्यक्रम में
साहित्यकार और प्रबुद्ध बुद्धिजीवी एकत्र होने की आशा है। आप भी आइये।
माँ की यादों को संजोने की शाम, तुम जरूर आना घनश्याम - शरद आलोक
माँ जिसने पाला, पोसा और बड़ा किया। उसका जब सर से हाथ उठता है या वह बचपन या किसी भी आयु में हमसे बिछुद्ती है तब लगता है की बच्चे से उसका चंदा मामा, ह्रदय का टुकडा अलग हो गया है।
आइये अपनी माँ की यादों को वह किसी भी अवस्था में हों। यदि जीवित हैं तो उनकी प्रशसा में अपने विचार व्यक्त कीजिये। यदि नहीं है तो उनके बिछुड़ने पर। आपका साथ मिले इसलिए हम आपकी प्रतीक्षा करते हैं ।
आप सभी चाहे किसी धर्म के हों, समाज से अथवा राजनीतिक और साहित्यिक विचारधारा के हों आपका हार्दिक अभिनन्दन है। माँ की याद में आयोजित इस कार्यक्रम में
साहित्यकार और प्रबुद्ध बुद्धिजीवी एकत्र होने की आशा है। आप भी आइये।
माँ की यादों को संजोने की शाम, तुम जरूर आना घनश्याम - शरद आलोक
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